इक्वेटोरियल गिनी राष्ट्रीय सदन के सदस्यों को भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
मलाबू : 08.04.2018
सुप्रभात
ब्यूनास दियास
1. मैं, इस सदन को संबोधित करने का अवसर प्राप्त करके स्वयं को अत्यंत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह इक्वेटोरियल गिनी की मेरी पहली यात्रा है। जुलाई, 2017 में भारत के राष्ट्रपति के रूप में पद ग्रहण करने के बाद मेरी सभी तीनों राजकीय यात्राएं अफ्रीका की रही हैं। यह आपके महाद्वीप के साथ भारत के घनिष्ठ और स्थायी संबंध की सूचक है। और वास्तविकता तो यह है कि में इक्वेटोरियल गिनी भारत के पश्चिम में सबसे अधिक दूरी पर स्थित देश है जिसकी यात्रा, मैंने अपने देश का राष्ट्रपति बनने के बाद की है।
2. यहां से थोड़ी दूर, गिनी की खाड़ी में एक ऐसा बिन्दु है जहां शून्य डिग्री अक्षांश का संगम शून्य डिग्री देशांतर से होता है, जहां भूमध्य रेखा मध्याह्न रेखा से मिलती है। एक प्रकार से यह विश्व भर का केन्द्र है। और यहीं पर प्रकृति ने आपको बसाया है-हमारे विश्व, हमारे दिक् और काल के बोध, तथा दिशा और नौवहन की हमारी समझ की भौगोलिक धुरी के निकट। हमें इक्वेटोरियल गिनी में इसी प्रकार की बहुत सी खूबियां दखाई देती हैं जब यह इस क्षेत्र में स्थिरता की एक त़ाकत के रूप में उभरता रहा है। यहां की इसकी अवस्थिति और उससे भी कहीं अधिक मेरे हार्दिक स्वागत-दोनों ने इस यात्रा को सचमुच विशेष बना दिया है। आपका धन्यवाद।
3. आप इस वर्ष उपनिवेशवाद से अपनी स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, इसलिए यहां इस वर्ष आकर मुझे खास तौर से खुशी हुई है। हम भारतीय आपकी भावनाओं को समझ सकते हैं। कुछ वर्ष पहले ही, अगस्त, 2017 में भारत ने साम्राज्यवादी शासन से अपनी स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ मनाई थी। यह हमारे लिए एक अविस्मरणीय और भावनात्मक क्षण था। हमें यह क्षण ऐसा था जब स्वतंत्रता दिलाने के लिए पुरानी पीढ़ियों द्वारा झेली गई चुनौतियों और संघर्ष को मुड़कर देखने का अवसर मिला।
4. मुझे विश्वास है कि ऐसी स्मृतियां और ऐसे अनुभव आप सबके और इक्वेटोरियल गिनी के लोगों के मन पर अभी भी ताजा अंकित हैं। और मुझे विश्वास है कि आपको सभी नागरिकों के सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत से हासिल की गई आजादी को कायम रखने और उसे आगे बढ़ाने के लिए और अधिक परिश्रम करने की प्रेरणा मिलेगी। इस प्रयास में, मैं भारत के 1.3 अरब लोगों की शुभकामनाएं, मैत्री और वचनबद्धता लेकर आया हूं। समुद्रों के जल ने हमारी सभ्यताओं को एक सूत्र में बांधा है। राजनयिक संबंध गति पकड़ रहे हैं। मुझे यह घोषित करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि बहुत जल्द भारत इक्वेटोरियल गिनी में, बल्कि इसी शहर में अपना दूतावास खोलेगा।
माननीय सदस्यगण
5. हमारे इतिहास एक जैसे हैं; हमारे हाल के आदान-प्रदान भी उद्देश्यपूर्ण रहे हैं। मुझे अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के अवसर पर मार्च, 2018 में भारत की यात्रा पर आए इक्वेटोरियल गिनी के महामहिम राष्ट्रपति की मेजबानी करने का सम्मान प्राप्त हुआ। इस राजभोज में हम साथ-साथ बैठे थे और हमारे बीच सार्थक बातचीत हुई थी। स्वच्छ ऊर्जा के उद्देश्य के प्रति आपके राष्ट्रपति की निष्ठा प्रभावशाली और सराहनीय है। हमारी पृथ्वी के सीमित संसाधनों के समझदारीपूर्ण प्रयोग से ही सतत विकास संभव है। ऐसा करने हेतु केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की जरूरत है। अपनी समुद्री अवस्थिति के कारण, इक्वेटोरियल गिनी बहुत से दूसरे देशों की अपेक्षा इसे बेहतर ढंग से समझता है।
6. मुझे विशेष खुशी है कि इक्वेटोरियल गिनी ने नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति और जलवायु परिवर्तन का समाधान करने के प्रति ऐसी वचनबद्धता व्यक्त की है। आपका देश कच्चे तेल का महत्वपूर्ण उत्पादक और निर्यातक देश है, इसकेबावजूद आपने यह संकल्प दर्शाया है। आपने अपनी दीर्घकालिक वैश्विक दृष्टि को अल्पकालिक लाभ से ऊपर रखा है। यह इस बात का प्रमाण है कि इक्वेटोरियल गिनी के पास अफ्रीका और उससे भी आगे के एक अगुआकार राष्ट्र के रूप में प्रबुद्धता और कार्यनीतिक सदाशयता मौजूद है।
7. इस संदर्भ में, मैं इक्वेटोरियल गिनी को इस वर्ष जनवरी में शुरू हुई दो वर्ष की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में चुने जाने के लिए बधाई देता हूं। भारत संयुक्त राष्ट्र को और अधिक प्रभावी, समतापूर्ण तथा वर्तमान वास्तविकताओं को बेहतर प्रतिबिम्बित करने वाला मंच बनाने के लिए इक्वेटोरियल गिनी के साथ मिलकर कार्य करने का इच्छुक है। हमें विश्वास है कि आप अफ्रीका के साथ-साथ आम तौर पर विकासशील देशों से संबंधित मुद्दों तथा वैश्विक किस्म की चुनौतियों को रेखांकित करने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
8. आतंकवाद और उससे जुड़ी हुई नशीले पदार्थों की तस्करी और कालेधन को सफेद करने जैसी बुराई हमारे युग की एक दुखद वास्तविकता है। आतंकवाद एक वैश्विक चुनौती है परंतु इसका मुकाबला टुकड़ों में किया जा रहा है। इसके लिए, एक व्यापक वैश्विक रणनीति बनाए जाने की जरूरत है। इस संबंध में भारत, संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद संबंधी व्यापक समझौते को शीघ्र लागू अंगीकृत किए जाने के लिए इक्वेटोरियल गिनी का समर्थन चाहता है।
माननीय सदस्यगण
9. इक्वेटोरियल गिनी और भारत की साझी विशेषताएं और चुनौतियां हैं। आप अफ्रीका की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं। भारत विश्व की सबसे तेज गति से विकास कर रही प्रमुख अर्थव्यवस्था है। हमारे दोनों देशों की आकांक्षा विकसित देश बनने, अपने आर्थिक विकास के लाभ हमारे समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने तथा युवाओं को उनकी क्षमता साकार करने का माहौल उपलब्ध कराने के लिए तुरंत व आवश्यक कदम उठाने की है। इस कार्य में भारत इक्वेटोरियल गिनी के द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार और इसके नेतृत्व में इसकी विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप सहयोग करने के लिए तैयार है।
10. ऊर्जा में हमारा मजबूत द्विपक्षीय व्यापार चल रहा है। भारत के लिए इक्वेटोरियल गिनीप्राकृतिक गैस का एक महत्वपूर्ण और विश्वसनीय स्रोत है। अपनी ओर से, भारत के पास कच्चे तेल को शोधित करने और पेट्रोलियम उत्पादों के विनिर्माण की ठोस और स्थापित क्षमताएं मौजूद हैं। आप अपने देश की तेल शोधशालाओं का विकास और निर्माण कर रहे हैं इसलिए हम आपके साथ इस ज्ञान और जानकारी को बांटना चाहते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि इक्वेटोरियल गिनी और यहां के स्थानीय समुदायों को आपके देश में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों के मूल्य संवर्धन से लाभ हासिल हो।
11. आप अपनी अर्थव्यवस्था को विविध बनाना चाहते हैं इस कार्य हेतु भारत एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में मौजूद है। हम कृषि व खनन, मात्स्यिकी और जन स्वास्थ्य, खाद्य प्रसंस्करण तथा दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी में क्षमता निर्माण के लिए मिलकर कार्य कर सकते हैं। भारत के भू-वैज्ञानिक, प्राकृतिक संसाधनों के सर्वेक्षण और मानचित्रण में इक्वेटोरियल गिनी के तकनीकी विशषज्ञों की मदद कर सकते हैं। भारतीय कृषि प्रौद्योगिकी विद् किसी खेत विशेष या क्षेत्र विशेष में मिट्टी की संरचना का विश्लेषण करने में मदद कर सकते हैं। ऐसी जानकारी से किसान मिट्टी के सही पोषक तत्वों की पहचान कर सकेंगे और पैदावार बढ़ा सकेंगे। इससे कृषक परिवारों और समुदायों की आय बढ़ेगी।
12. इक्वेटोरियल गिनी में उपजाऊ भूमि और प्राकृतिक संसाधन बहुतायत में हैं। परंतु आपकी सबसे बड़ी संपत्ति आपके लोग हैं। आपके खूबसूरत देश की समृद्धि और बेहतरी को बढ़ाने और कायम रखने के लिए आम नागरिकों विशेषकर युवाओं की क्षमताओं को बढ़ाना होगा।हजारों अफ्रीकी विद्यार्थी भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं। वे विद्यार्थी के तौर पर आते हैं और अपने-अपने देशों में भारत के मित्र और राजदूत बनकर लौटते हैं। हम चाहते हैं कि इक्वेटोरियल गिनी के अधिक से अधिक विद्यार्थी हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों में जाकर शिक्षा प्राप्त करें।
13. भारत को खासकर लघु और मध्यम उद्यमों में व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और उद्यमिता के पल्लवन में भी सहयोग करके खुशी है। जैसा कि हमने भारत में देखा है, लघु और मध्यम उद्यम बड़े स्तर पर नौकरी पैदा करने और समृद्धि फैलाने का प्रभावी तंत्र बन सकते हैं। अंग्रेजी भाषा केन्द्रों के निर्माण जैसे अन्य क्षेत्रों में भी बहुत संभावनाएं हैं जिसमें भारत खुलकर योगदान कर सकता है।
माननीय सदस्यो,
14. इक्वेटोरियल गिनी और भारत के बीच साझेदारी हमारे दोनों देशों के हित में है परंतु यह विश्व के लिए भी एक हितकारी साझेदारी है। समुद्री यात्रा करने वाले समाजों के रूप में हम अपने समुद्रों की सुरक्षा और संरक्षा तथा समुद्री शासन की पारदर्शी और नियम-आधारित व्यवस्था की निरंतर जरूरत के प्रति समान रूप से जागरूक हैं। अटलांटिक और हिन्द महासागर परस्पर सहजीवी हैं; उनकी समुद्री प्रणालियां आपस में जुड़ी हुई हैं और इसी प्रकार से उनकी सुरक्षा चुनौतियां और प्राय: मानवीय आपदाओं के खतरे भी आपस में जुड़े हैं।
15. इन चुनौतियों का सामना एकजुट प्रयासों से किया जाना होगा। हमारे देशों को अपनी समुद्रीय सुरक्षा पर और अधिक सहयोग करना होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए हमें मिलकर कार्य करना चाहिए कि समुद्रों से सौहार्द फैले, मित्रता पैदा हो तथा व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिले। रक्षा और आपदा नियोजन तथा तत्परता के बारे में इक्वेटोरियल गिनी के साथ सहयोग बढ़ाने तथा अपनी तकनीकी व अन्य क्षमताएं उपलब्ध कराने में भारत को खुशी होगी। ये हमारे समुद्र और हमारी चुनौतियां हैं। आइए हम स्वयं इन पर ध्यान दें और इस स्थान को दूसरों के लिए खाली न छोड़ें जैसा कि हमने कभी दूसरों के लिए कर छोड़ा था।
16. हमारी दुनिया की तुलना कभी-कभी एक गांव से की जाती है। हम सभी हितधारक हैं। ऐसी वैश्विक समानताएं मौजूद हैं जिन पर हमें ध्यान देना चाहिए और ऐसी चिंताएं भी हैं जिनपर हमें स्वयं ही कार्य करना चाहिए। उपनिवेशवाद जमीनी स्तर पर कम हो गया है परंतु यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है कि चाहे अंतरिक्ष हो या साइबर स्पेस, किन्ही भी अन्य रूपों में और अन्य क्षेत्रों में यह उपनिवेशवाद फिर से न पनप न जाए। सुरक्षा परिषद् का सदस्य होने के नाते, इक्वेटोरियल गिनी की इस बारे में एक निश्चित जिम्मेदारी है।
17. यह जिम्मेदारी निभाने के लिए आपके द्वारा किए जा रहे कार्य में और अपने राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों की दिशा में आपकी प्रगति में भारत आपके साथ है। भारत की जनता और सरकार की ओर से, तथा अपनी व्यक्तिगत हैसियत से मैं एक बार फिर इक्वेटोरियल गिनी की जनता और सरकार को हमारी स्थायी साझेदारी का भरोसा दिलाता हूं ।
आप सभी का धन्यवाद।
म्यूचास ग्रासियास