‘‘काउंटरिंग रेडिकलाइजेशन: चैलेंजिस बिफोर मॉडर्न सोसायटी’ विषय पर ताजिक नेशनल यूनिवर्सिटी में भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
दुशान्बे : 08.10.2018
1. मुझे ताजिक नेशनल यूनिवर्सिटी आकर बहुत प्रसन्नता हुई है। शिक्षा की इस पीठ ने ताजिकिस्तान के निर्माण में एक निर्णायक भूमिका निभाई है और अब भी तजाकिस्तान संकल्पना और प्रगति का मार्गदर्शन कर रही है। आपके देश और मध्य एशिया ने शिक्षा और संस्कृति के महान केन्द्रों समरकंद और खुजंद ने सदियों से सर्जनात्मकता और जिज्ञासा की भावना को पोषित किया है। आप उस प्रबुद्ध विद्वत्तापूर्ण परम्परा के, रूदाकी और बेदिल के स्वर के गौरवान्वित ध्वजवाहक हैंजिनसे न केवल यह क्षेत्र बल्कि पूरी दुनिया को सातत्य और प्रेरणा प्राप्त होती आ रही है।
2. मैंने दो कारणों से ‘काउंटरिंग रेडिकलाइजेशन: चैलेंजिस बिफोर मॉडर्न सोसायटी’विषय पर विचार व्यक्त करने का निर्णय किया है। पहला कारण है कि आपके देश ने इस वैश्विक संकट का मुकाबला करने और सभी के लिए शांति को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय कार्य किया है। और दुनिया को इसकी सराहना करनी ही चाहिए। दूसरा कारण यह है कि आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरतावाद के विरुद्ध लड़ाई सबसे पहले और सबसे ज्यादा उनलोगों के दिमाग में लड़ी जानी चाहिए जो शांति, प्रेम और मानवता में विश्वास करते हैं और जो नफरत, मौत और ध्वंस का सहारा लेते हैं। यह परस्पर विरोधी विचारों की लड़ाई है जिसमें एक ओर मानवता है तो दूसरी ओर कपट और झूठ है। इसलिए हमारे भविष्य के रूप में युवाओं से और मार्गदर्शकों और पथ-प्रदर्शकों के रूप में विद्वानों से बातचीत करना अत्यंत जरूरी है। भारत के राष्ट्रपति के रूप में, मैं 160 विश्वविद्यालयों और उच्चतर शिक्षा संस्थानों का कुलाध्यक्ष हूं। इससे मुझे अपने देश के युवाओं से भी लगातार बातचीत करने का अवसर मिलता रहता है।
मेरे प्यारे विद्यार्थियो,
3. हमारे दोनों देशों के बीच में बहुत कुछ एक समान है। हमारे इतिहास समावेशी और सहिष्णुतापूर्ण मूल्यों पर आधारित हैं। सभी धर्म और विचारधाराएं पामीर और हिमालय की जमीन पर समृद्ध हुई और फले-फूली हैं। आज हमारा टकराव उन लोगों से हो रहा है जो हमारी आस्थाओं और हमारी एकता के स्नेहपूर्ण सूत्रों को नष्ट-भ्रष्ट करना चाहते हैं।
4. इस देश के लोगों ने कट्टरपंथी और आस्था-आधारित प्रतिगामी विचारों को हावी होने से रोकने के लिए प्रभूत बलिदान दिया है। इसने न केवल 1990 के दशक में आपके उभरते हुए गणराज्य को बचाया,बल्कि आपके पड़ोसी मध्य एशियाई गणराज्यों की भी रक्षा की। उनके सामने भी तब, युवा राष्ट्रों के सामने आने वाली चुनौतियां सिर उठाए खड़ी थीं। हम गहराई से उम्मीद करते हैं कि ताजिक गृह युद्ध के भू-राजनीतिक महत्व की बेहतर समझ आज आपमें मौजूद है।
देवियो और सज्जनो,
5. आज, जैसा कि आप अपने आस-पास देख सकते हैं, शांतिपूर्ण समाजों पर दकियानूसी विचारों को लादने के प्रयास नए सिरे से किए जा रहे हैं। इससे मानव सभ्यता की नींव को ही खतरा पैदा हो गया है। उनके निशाने पर वे लोग और समाज हैं, जो प्रगतिशील जीवन को महत्व देते हैं तथा विविध आस्थाओं और संस्कृतियों का सम्मान करते हैं।
6. गृह युद्ध में आपके ऐतिहासिक संघर्ष और उसके बाद आपकी जीत के बावजूद,लंबे समय से चल रहा युद्ध अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसका पता,हर दिन होने वाली बर्बरतापूर्ण हत्याओं और मूर्खतापूर्ण हिंसा से चलता है। इस दुष्चक्र के कर्ता-धर्ता धार्मिक ग्रंथों में इसका औचित्य खोजते हैं, जबकि इसका औचित्य उनमें मौजूद ही नहीं है। चाहे हिंदू धर्म हो, इस्लाम, बौद्ध धर्म, ईसाई धर्म, सिख धर्म या यहूदी धर्म हो- किसी भी धर्म में हिंसा को और एक इंसान द्वारा दूसरे इंसान की हत्या को न्यायसंगत नहीं ठहराया है। वे सभी एक भाषा में बात करते हैं और वह भाषा शांति, सद्भाव, करुणा और दयालुता की भाषा है। आतंक और कट्टरता के खिलाफ युद्ध किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है,और कभी होना भी नहीं चाहिए। इसके उलट, यह युद्ध उन लोगों के खिलाफ है जो सर्वशक्तिमान ईश्वर की सृष्टि को नष्ट करने में विश्वास करते हैं।
7. हम आतंकवाद से लड़ने और कट्टरपंथ का मुकाबला करने में राष्ट्रपति रहमोन के नेतृत्व की सराहना करते हैं। आप आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध के सबसे आगे के मोर्चे पर डटे हुए हैं और दुनिया आपके साहस की दाद देती है और आपका सम्मान करती है। हमें पता है कि ताजिक सुरक्षा बलों को हर दिन भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आपको आतंकवादियों से लड़ना होगा और उन लोगों से निपटना होगा जिनके दिमाग में कट्टरपंथी विचार भर दिए गए हैं। मृत्यु और विनाश की पौधशाला से बहुत दूरी पर नहीं है। आपको युवाओं को उकसाए जाने के माध्यमों पर भी नियंत्रण करना होगा, क्योंकि इनमें से कई प्रकार के उकसावे इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से अमल में लाए जाते हैं।
देवियो और सज्जनो,
8. जिस दुनिया में हम भारतीय रहते हैं वह आपकी दुनिया से बहुत अलग नहीं है। आतंकवाद सीमाओं के अंदर बांधा नहीं जा सकता है। ताजिकिस्तान की तरह भारत भी आतंकवाद और चरमपंथ से सीधी लड़ाई लड़ रहा है। हम भी,कट्टरतावाद की समस्या का सामना कर रहे हैं, लेकिन हम इससे निपटने में सफल रहे हैं। सवाल यह नहीं है कि हमने यह काम कैसे किया है, सवाल यह है कि हम यह काम करने में सफल क्यों हुए। इस बारे में, अपने कुछ अनुभव मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं।
9. हमारे समावेशी समाज में जहां सामाजिक-आर्थिक साझेदारी और प्रतिभागितापूर्ण राजनीति से प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्र के साथ अपनेपन की एक सहज भावना पैदा होती है, वह इस कट्टरतावाद के विरुद्ध सर्वाधिक प्रभावी प्रतिरोधक रहा है। बहुलवाद, लोकतंत्र और पंथनिरपेक्षता में हमारा विश्वास, नफरत और अलगाववाद की विचारधारा पर विजय प्राप्त करने में कामयाब रहा है। फिल्म उद्योग से लेकर भारत की क्रिकेट टीम तक और पेशेवर क्षेत्र से लेकर राजनीति तक भारत सभी के लिए समान अवसर और बराबर सम्मान देने वाल देश रहा है। एक विकासशील अर्थव्यवस्था में सभी को तरक्की मिली है और इससे समावेशी विकास संभव हुआ है।
10. हमारे समाज ने हमेशा हमारे इतिहास, सभ्यता और संस्कृति से प्राप्त विचारों की ताकत पर भरोसा किया है। सूफीवाद, मानवतावाद के युगों पुराने मूल्यों ने घृणित और कुत्सित विचारों से हमारी रक्षा की है। हमारे श्रद्धेय सूफी संत हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया का कथन''खुदा से इश्क तभी हो सकता है जब खुदा के बन्दों से भी इश्क हो''हमारे सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखता है।
11. बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि हम सब एक हैं;इंसानियत ही हमारी नस्ल है और कि 'वसुधैव कुटुंबकम'अर्थात् पूरी दुनिया एक ही परिवार है।इसलिए यह स्वाभाविक है कि अपनी झूठी परंतु लुभावनी बातों से विनाश का निमंत्रण आम तौर पर भारतीयों के मन को अपनी ओर नहीं खींचता। मैं कहना चाहूंगा कि हमारे जैसे विशाल देश में, अपने घातक विचारों से हमें रात-दिन प्रभावित करने का भरसक प्रयास करने वाले लोग न तो कभी सफल हुए हैं और न कभी होंगे।
12. हमारे देश के युवाओं को कट्टरतावाद से बचाने और उसका मुकाबला करने में परिवार और शिक्षा की सकारात्मक भूमिका पर भी मैं जोर देना चाहूंगा। आपकी तरह हमारा परिवार आधारित सामाजिक ढांचा उग्रवादी विचारों के खिलाफ एक प्रकार से कवच का काम करता है। एक संस्था के रूप में हमारे परिवारों में अतिशय सहनशक्ति पाई जाती है जिससे कट्टरतावाद और आतंकवाद के चक्र में फंसने से संवेदनशील युवाओं को बचाया जा सकता है। ऐसे मामले सामने आए हैं जब माता-पिता और रिश्तेदारों ने युवाओं को कट्टरतावाद से बचाने के लिए प्रशासन को सतर्क किया है। हमारे पारिवारिक और सामुदायिक जुड़ावों के अलावा, हमारे धर्म संबंधों के अलावा, हमारे धर्म-गुरुओं ने भी नफरत और आतंक की विचार-धारा को अस्वीकार करने, उसकी निंदा करने और उसका मुकाबला करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
13. परंतु हमें अलगाववाद की भावना के खिलाफ हमेशा सजग रहना होगा। हमें अपने नजरिए में निष्पक्षता और ईमानदारी को जगह देनी होगी। और हमें भटके हुए लोगों को बचाने के लिए साइबर दुनिया की प्रति भी सचेत रहना होगा। यह निस्संदेह चुनौतीपूर्ण मामला है। परंतु टेक्नोलॉजी के साथ डिजिटल फिंगरप्रिंटिंग और एल्गोरिदम का सहारा लेकर हम दूसरों से आगे निकल सकते हैं।
14. समाज को अस्थिर करने के लिए आतंक और कट्टरतावाद की राजनीति पर केवल गैर-सरकारी तत्वों का एकाधिकार नहीं है। भारत लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद से जूझ रहा है। यदि आप अपने गृह युद्ध के शुरुआती दिनों की याद करेंगे तो मुझे लगता है कि वही कटु स्मृतियां ताजा हो उठेंगी। आप अनावश्यक हस्तक्षेप का सफलतापूर्वक दमन करके उन दिनों को पीछे कर पाने में सफल रहे हैं। हमारा घनिष्ठ मित्र अफगानिस्तान इतना भाग्यशाली नहीं रहा है। भारत और ताजिकिस्तान दोनों को अफगानिस्तान में और इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने के लिए मिलकर कार्य करना चाहिए।
15. मध्य एशियाई गणराज्यों के साथ भारत के घनिष्ठ और विशेष ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। इनमें से प्रत्येक के साथ हमारे रिश्ते फल-फूल रहे हैं। हमारे साझे अतीत और हमारी साझी आकांक्षाओं ने हमें एक सामूहिक बंधन में बांध दिया है। हम अपने सुरक्षा सहयोग कार्यक्रम को मजबूत बना रहे हैं। हमने समरकंद में अभी- अभी'इंडिया-सेंट्रल एशिया डायलॉग'का आयोजन किया है। हम आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने के लिए‘शंघाई को ऑपरेशन संगठन’ जैसे क्षेत्रीय मंचों के माध्यम से भी एक-दूसरे से जुड़ रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मोर्चे को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय रूप से सहयोग करने के लिए भारत कटिबद्ध है।
मेरे प्यारे विद्यार्थियो,
16. आज सुबह मेरी मुलाकात राष्ट्रपति रहमोन से हुई। हमने अपने आसपास की सुरक्षा स्थिति पर अपनी साझी चिंताओं का आदान-प्रदान किया। मैंने कट्टरतावाद का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का सहयोग करने में ताजिकिस्तान की अगुवाई के लिए उनकी सराहना की।हमने इन ताकतों को पराजित करने के लिए स्वयं भी प्रतिबद्धता व्यक्त की। इस प्रयास में चाहे युवाओं की एकजुटता हो, प्रभावी सामाजिक संपर्क हो, शिक्षाप्रदान करना हो या धर्मों के बीच परस्पर संवाद और बातचीत हो, हम एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। हमें आतंकवादियों और उनके जैसे तत्वों के वित्तीय नेटवर्क को ध्वस्त करने में आपसी सहयोग करना चाहिए। हमें अपने सुरक्षा सहयोग को मजबूत बनाना चाहिए और कट्टरतावाद का मुकाबला करने के सर्वोत्तम तरीकों को साझा करना चाहिए।
17. व्यापार और आर्थिक विकास ऐसे दीर्घकालिक आधार होते हैं जिन पर आधारित होकर शांतिपूर्ण समाज समृद्धि प्राप्त कर सकता है। आर्थिक प्रगति और निष्पक्षता कट्टरतावादी विचारों के प्रसार के विरु़द्ध ढाल का काम करती है। हम ताजिकिस्तान और मध्य एशिया के साथ कनेक्टिविटी की कमी को दूर करने के लिए संकल्पबद्ध हैं ताकि हमारे आर्थिक रिश्ते तेजी से विकसित और तेज हो सकें। आपकी प्रगति और समृद्धि में हमारा वास्तविक हित जुड़ा हुआ है।
देवियो और सज्जनो,
18. यहां आने से पहले मुझे भारत के दो महान सपूतों,महात्मा गांधी और रवीन्द्रनाथ टैगोर की मूर्तियों पर पुष्पांजलि अर्पित करने का सम्मान प्राप्त हुआ। महात्मा गांधी ने हमें अहिंसा का पथ दिखाया और टैगोर के शब्दों ने हमें कट्टरतावाद त्यागने की शिक्षा दी। ये ऐसे शाश्वत मूल्य हैं जिन्हें हमें साझा करना चाहिए और जिनका हमें अनुकरण करना चाहिए।
19.मैं आपका ध्यान मानवतावाद की हमारी साझी विरासत की ओर दिलाकर अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा। महान भारतीय कवि मिर्जा अब्दुल कादिर बेदिल जिन्हें अमु और सीर दरिया की सरजमीं पर दिल से याद किया जाता है, ने लिखा था:
चिस्तइंसान? कमाले कुदरते इश्क
मानिये काएनातो सूरते इश्क
इसका अर्थ है, इंसान क्या है?प्रेम की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति। वह ब्रह्मांड का सच्चा अर्थ और प्रेम की असली तस्वीर है।
यदि हम अपने मन में इंसान के प्रति ऐसे ही प्रेम की भावना पैदा करें और इसे दूसरों तक फैलाएं तो शांति और प्रेम का हमारे दिल, हमारे दिमाग और हमारी दुनिया में सर्वत्र दिखाई देने लगेगा।
मैं आप सभी को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद। ईश्वर की कृपा आप पर बनी रहे।