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भारतीय नौसेना की सबमरीन आर्म को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश : 08.12.2017

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1. भारत के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हाने के बाद विशाखापत्तनम की मेरी यह पहली यात्रा है। यह सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमाण्डर के तौर पर सशस्त्र सेना बेड़े की भी मेरी पहली यात्रा है। मुझे यहां इस सप्ताह, जिसमें हम नौसेना दिवस (4 दिसम्बर) मना रहे हैं आकर प्रसन्नता हुई है। मुझे भारतीय नौसेना की सबमरीन आर्म को राष्ट्रपति घ्वज प्रदान करने पर विशेष खुशी हुई है।

2. भारत एक समुद्रवर्ती राष्ट्र है और हजारों वर्षों से रहा है। लोथल का पत्तन नगर हड़प्पा सभ्यता में पाया जाता है जिसमें समुद्री व्यापार की प्राचीन परम्परा की शुरुआत का पता चलता है। बाद की शताब्दियों के दौरान चोल साम्राज्य और तत्पश्चात शिवाजी के नेतृत्व में मराठा शासकों के पास एक सुगठित नौसेना और एक समुद्री रक्षा रणनीति थी। वास्तव में, ये अनेक उदाहरणों में से दो हैं, जिन्हें बताया जा सकता है।

3. हमारे समुद्री हित भारत की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा तथा हमारी जनता की बेहतरी से सीधे जुड़े हुए हैं। भारत का 90 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्ग से होता है। इसलिए भारतीय नौसेना की भूमिका न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा बल्कि राष्ट्रनिर्माण की व्यापक प्रक्रिया के अंतर्गत बढ़ जाती है। नौसेना, भारत की समुद्री शक्ति का प्रमुख माध्यम है। यह सैन्य और नागरिक दोनों समुद्री हितों का संरक्षक भी है।

4. वर्ष 2017 को, भारतीय नौसेना की सबमरीन आर्म की स्वर्ण जयंती के रूप में मनाया जा रहा है। 1967 में इसी दिन प्रथम नौसेना पनडुब्बी, कलवरी पर नौसेना का निशान और राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। नए अवतार में कलवरी का निर्धारित लोकार्पण ‘कलवरी’ से ‘कलवरी’ तक की यात्रा पूरी करेगा। यह नौसेना की सबमरीन आर्म के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।

5. पिछले 50 वर्षों के दौरान, विभिन्न स्थलों पर 25 पनडुब्बियां तैनात की गईं हैं। ये सबमरीन और उनके दल के सदस्य भारतीय नौसेना अभियानों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। पनडुब्बियां जटिल उच्च प्रौद्यागिकी आधार मंच हैं। गोपनीयता इनकी ताकत है। खामोश और निस्तब्ध होकर, हमारी पनडुब्बियों ने 1971 के युद्ध, 1999 के ऑपरेशन विजय तथा 2001 में ऑपरेशन पराक्रम जैसे प्रमुख अभियानों में उपलब्धियां हासिल की हैं। अब तक नौसेना की 17 पनडुब्बियों को असाधारण सेवा के लिए नौसेना प्रमुख के ‘यूनिट साइटेशन’ से पुरस्कृत किया गया है।

6. मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि पनडुब्बी प्रौद्योगिकी, सरकार के ‘‘मेक इन इंडिया’’ कार्यक्रम का भाग है। इससे अपने वाले वर्षों में हमारी क्षमता मजबूत होगी।

देवियो और सज्जनो,

7. समुद्र उनके लिए क्रूर है जो उसका सम्मान नहीं करते हैं। इस बात को भारतीय नौसेना के पराक्रमी सबमरीन से ज्यादा कोई नहीं जानता जो अपनी नौका चलाते हैं और लहरों के नीचे अपना कर्त्तव्य निभाते हैं।

8. भारतीय नौसेना के सबमरीन ने खेल और रोमांचक अभियानों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। 2004 में, माऊंट एवरेस्ट के प्रथम सफल भारतीय नौसेना अभियान का नेतृत्व एक सबमरीन ने किया और उसमें मुख्यतया सबमरीन ही शामिल थे। जिस ‘‘सबमरीन गीत’’ पर कुछ देर पहले आप मार्च कर रहे थे, उसे सबमरीन आर्म के एक सेवाकालीन अधिकारी ने संगीतबद्ध किया है। वास्तव में, हमारे सबमरीन बहु प्रतिभावान हैं।

9. पिछले 50 वर्षों के दौरान शांति और युद्ध में राष्ट्र की असाधारण सेवा के सम्मान के रूप में, आज भारतीय नौसेना की सबमरीन आर्म को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किया जा रहा है। मैं इस उपलब्धि के लिए आपको बधाई देता हूं। आप एक विशेष समुदाय हैं और विगत और वर्तमान सभी सबमरीन के बीच एक विशेष संबंध है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारतीय नौसेना की सबमरीन आर्म के प्रथम कैप्टन, कोमोडोर के.एस. सुब्रमणियन जो लगभग नब्बे वर्ष के हैं, आज यहां शामिल होने के लिए संयुक्त राज्य से आए हैं। पचास वर्ष पहले के उनके बहुत से सहकर्मी हमारे साथ हैं। मैं उनका और उनकी अदम्य भावना के लिए सम्मान करता हूं।

10. मैं भारतीय नौसेना के उन सबमरीन के प्रति भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने भारत की सेवा में अपना जीवन उत्सर्ग कर दिया। मैं, विगत और वर्तमान सबमरीन के परिजनों के त्याग की सराहना भी करता हूं। उन सभी ने अपने-अपने तरीकों से राष्ट्र के प्रति योगदान दिया है।

11. अंतत: मैं भारतीय नौसेना की सबमरीन आर्म को भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं। आप सदैव समुद्र के प्रहरी बने रहें। समुद्र के देवता वरुण आप पर सदा कृपा बरसाते रहें।


धन्यवाद

जय हिन्द ।