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उत्कल विश्वविद्यालय के प्लेटिनम जुबली के समापन समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

भुवनेश्वर : 08.12.2019

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1. ओडिशा की सुंदरता अत्यंत मनमोहक है। आज जहां हम खड़े हैंउससे कुछ ही दूरी पर एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल है जो सैकड़ों वर्षों पहले अत्यधिक हिंसा और द्वेष का साक्षी बना और उसकी निरर्थकता की अनुभूति के बाद, जहां से मानव जाति को प्रेम और शांति का शाश्वत संदेश प्राप्‍त हुआ। यह एक ऐसी भूमि है जो संपूर्ण मानवजाति के लिए ही ज्ञान-प्राप्‍ति का स्थल है इसलिए आज मैं आप सबके बीच यहां आकरगौरव का अनुभव कर रहा हूं। उत्कल विश्वविद्यालय के प्लेटिनम जुबली के समापन समारोह में भाग लेकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। मैं इस गौरवशाली अवसर पर आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।

2. आधुनिक ओडिशा के शिल्पकार और महान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा1943में स्थापित यह विश्वविद्यालय यहां के लोगोंकेशिक्षा की आकांक्षाओं का प्रतीक है।‘नब ओडिशा’ के निर्माता के रूप में याद किए जाने वाले बैरिस्टर मधुसूदन दास,गोपाबंधु दास,नीलकंठ दास,गोदावरीश मिश्रा और महाराजा कृष्ण चंद्र गजपति तथा ऐसे ही अन्य महानुभावों को इस शुभ अवसर पर, मैं आप लोगों के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मुझे यह जानकर संतोष हुआ है कि इस परिसर की आधारशिला भारत के प्रथम राष्ट्रपति, डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा 1958 में रखी गई थी। 1963में भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। आधी सदी के अंतराल के बाद, 2013में श्री प्रणब मुखर्जी ने इस विश्वविद्यालय में दीक्षान्त समारोह के अवसर पर संबोधन किया था। उसी विशिष्ट जुड़ाव को जारी रखते हुए,इस विश्वविद्यालय के प्लेटिनम जुबली समारोह का हिस्सा बनकर मुझे प्रसन्नता हो रही है।

3. अपने अस्तित्व के 75 वर्षों के दौरान, यह विश्वविद्यालय विद्या एवं ज्ञान के विकास के लिए समर्पित रहा है। हजारों विद्यार्थी इस अग्रणी संस्‍थान में आकर शिक्षा प्राप्‍त करना चाहते हैं। यहां के शोधार्थियों ने भारत और विदेशों में विभिन्न क्षेत्रों में स्वयं की पहचान स्थापित करने अपनी मातृ-संस्था को गौरवान्वित किया है। इसके अनेक पूर्व-विद्यार्थियों ने देश का नाम रौशन किया है,और आज उनमें से कुछ को यहां देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय की उपलब्धियों ने इसे ख्याति दिलाई है और 2016 में, इसे NAAC द्वारा प्रतिष्ठित A+श ्रेणीप्रदान की गई है।मानव संसाधन विकास मंत्रालय,भारत सरकार ने इसे 2018 में श्रेणी-Iविश्वविद्यालय का दर्जा दिया और इसकी अकादमिक उत्कृष्टता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए इसे वृहत्‍तर स्वायत्तता प्रदान की।

4. मुझे ज्ञात है कि उत्कल विश्वविद्यालय को भारत सरकार द्वारा एक क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र के रूप में मान्यता दी गई है और देश के इस हिस्से के केंद्रीय अनुसंधान संस्थानों का नेटवर्क स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य इसे सौंपा गया है। एक दूसरे के साथ मिलकर और अपने संसाधनों को साथ मिलाकर,ये सभी संस्‍थान अनुसंधान के लिए वातावरण तैयार कर सकते हैं।

5. मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय भविष्य में और भी अधिक ऊंचाइयों को छुएगा और 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार ज्ञान-आधारित समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देगा। अग्रगण्‍य क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए स्‍थापित उत्कृष्टता के इस उद्भवशील केंद्र के माध्यम से इस बुलंद लक्ष्य को साकार करने में मदद मिलेगी।

6. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि विश्वविद्यालय ने ‘प्लेटिनम जयंती समारोह’ के भाग के रूप में गांधीजी की स्मृति में 2 अक्टूबर 2019 को ‘अहिंसा स्थल’ नामक पार्क विकसित किया। राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती पर यह उन्हें उपयुक्‍त श्रद्धांजलि है। हिंसा, असहिष्णुता,और संघर्ष के समय में, यह हमारा कर्तव्य है कि हम सभी लोगों को,विशेष रूप से युवाओं को, उन मूल जीवन-मूल्यों की याद दिलाएं जिनके लिए गांधीजी अपना जीवन समर्पित किया और जिनके लिए उन्होंने अपनी जान दी। इस पार्क की एक विशेष गूंज है क्योंकि यह उस प्रसिद्ध धौली के नज़दीक ही है, जहां पर स्थान सम्राट अशोक ने 261 ई.पू. में कलिंग के युद्ध के दौरान रक्‍तपात के बाद शान्ति और करुणा की अनमोल शिक्षा प्राप्त की थी। विश्वविद्यालय ने महात्मा गांधी के एक अन्य महत्वपूर्ण विचार को मूर्त रूप देने की पहल की है कि वास्तविक भारत,गांवों में बसता है। ओडिशा सरकार ने विश्वविद्यालय को चंडीखोल में 67 एकड़ भूमि आबंटित की, और विश्वविद्यालय ने वहां अपना दूसरा परिसर आरम्भ किया। मुझे विश्वास है कि इससे उस क्षेत्र के बहुत से विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।

7. प्लेटिनम जुबली समारोह के हिस्से के रूप में आरम्भ की गई अन्य पहलों से भी मुझे बहुत संतुष्टि मिली है क्योंकि इनके माध्यम से वह आधार मजबूत होता है जिस पर इस विश्वविद्यालय की स्‍थापना की गई है। मुझे जानकारी मिली है कि समारोह के आरंभ में साहित्यिक उत्सव का आयोजन किया गया था,जहाँ कई भाषाओं का समागम हुआ। विश्वविद्यालय ने विशिष्ट व्याख्यानों की श्रृंखला भी आरम्भ की है। इससे न केवल विद्यार्थियों,शोधार्थियों और संकाय-सदस्यों को, बल्कि एक बड़े समुदाय को विख्यात विद्वानों को सुनने का भी उत्‍तम अवसर मिलेगा। कोई भी विश्वविद्यालय इस प्रकार की परिचर्चा और विचारों के आदान-प्रदान से ही शिक्षण का जीवंत स्थान बनता है। हाल ही में ‘अंतर्ध्वनि’ नामक सम्मेलन के आयोजन के माध्यम से युवा शोधार्थियों को यह अवसर प्राप्‍त हुआ कि वे विद्यार्जन में हुई प्रगति के साथ-साथ अपनी समृद्ध विरासत का प्रदर्शन कर सकें। प्लेटिनम जुबली वर्ष में,विश्वविद्यालय ने अपने पूर्व विद्यार्थियों को उनकी मातृ-संस्था के विकास में शामिल करने की पहल की है। इस सराहनीय कदम के लाभदायी परिणाम भविष्य में सामने आएंगे।

8. ‘प्लैटिनम जुबली’जैसे अवसर बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। एक लंबी यात्रा के दौरान,जब हम ऐसे ‘मील के पत्थर’अर्थात् महत्वपूर्ण उपलब्धि तक पहुंचते हैं,तो कुछ क्षण रुकते हैं; एक बार पीछे मुड़कर अपनी उपलब्धियों पर नज़र डालते हैं, और फिर आगे की राह पर सधे कदमों से निकल पड़ते हैं। यह अवसर जहां उपलब्धियों की सराहना का होता है, वहीं उन क्षेत्रों पर मंथन करने का भी होता है, जहां और सुधार संभव हैं। पूरे उत्कल समुदाय के लिए, यह समय यहाँ के संस्थापकों के स्वप्न को साकार करने के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करने का समय है। मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा और अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध बना रहेगा।

देवियो और सज्जनो,

9. शिक्षा सामाजिक सशक्तिकरण का सबसे अच्छा साधन है। मैं न केवल इस विश्वास का हृदय से पैरोकार हूं,बल्कि इसके प्रमाण के रूप में आपके सामने खड़ा हूं। विश्वविद्यालय विचारों के महान केन्द्र होते हैं,किन्तु उनकी कोई एकान्त सत्ता नहीं हैं –वे समाज का हिस्सा होते हैं और इसलिए सामाजिक परिवर्तनों से उनका सरोकार बना रहता है। अकादमिक समुदाय को उन क्षेत्रों में अनुसंधान कार्यों में संलग्न रहना चाहिए जो न केवल ज्ञान का नया आधार निर्मित करते हैं बल्कि ऐसे ज्ञान का आधार भी बनें,जिससे मानव समाज को आगे बढ़ने का अवसर मिले। विद्यार्थियों और शिक्षकों को गरीबों व पिछड़े वर्गों के सशक्तीकरण के विषयों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। पर्यावरण, स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति पूरे जोश से कार्य किया जाना चाहिए।‘उत्कल विश्वविद्यालय’जैसे विश्वविद्यालय जो बहु-विषयक संकाय सदस्यों की मौजूदगी से समृद्ध हैं,इस कार्य को करने में अधिक सक्षम हैं।इसके अलावा पूरा विश्व भारत की प्राचीन ज्ञान प्रणालियों की समृद्धि के प्रति रुचि दिखा रहा है। हमारे विश्वविद्यालयों को इसका लाभ लेने की आवश्यकता है तथा उत्कल विश्वविद्यालय इस संबंध में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। मैं चाहता हूं कि अगले 5 से 7 वर्षों में उत्कल विश्वविद्यालय हमारे देश में प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में स्थापित हो। प्रतिष्‍ठा के उस स्तर पर पहुंचने के बाद आपको केवल पहचान ही नहीं अपितु इसके साथ-साथ अधिक स्वायत्तता और अधिक वित्तपोषण भी प्राप्त होगा। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि विश्वविद्यालय ने दो प्रतिष्ठितविदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। मुझे विश्वास है कि उत्कल विश्वविद्यालय सुदृढ़ अंतरराष्ट्रीय पहचान के साथ उत्कृष्ट संस्थान के रूप में उभरेगा।

10. यदि मुझे आपको कोई सलाह देनी हो तो मैं हितोपदेश का यह श्लोक को आप लोगों तक पहुँचाना चाहूंगा:

शास्त्राणि अधीत्य अपिभवन्तिमूर्खाः

यस्तुक्रियावान्पुरुषःसविद्वान्।

11. इसका अर्थ है: कोई व्यक्तिअनेक शास्त्रों का अध्ययन कर लेने के बाद भी मूर्ख बना रह सकता है। वास्तविक विद्वान वह है जिसने अपनी शिक्षा को व्यवहार में उतारा हो। इसलिए, ज्ञान की अपनी खोज में आप कभी भी यह न भूलें कि अपने आसपास की दुनिया के हित में इसे व्यवहार रूप में परिणित करना है और अपनी दक्षता से इसमें सुधार लाते रहना है।

12. मैं एक बार पुनःआप सभी को इस विश्वविद्यालय की दीर्घकालिक यात्रा में इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने पर बधाई देता हूं। और मेरा विश्वास है कि उत्कृष्टता के प्रति अपनी ललक के बल पर यह विश्वविद्यालय नित नई ऊंचाइयों को प्राप्‍त करे।

धन्यवाद, जय हिंद!