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अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण

नई दिल्ली : 10.01.2018

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1. मुझे भारतवंशी वाणिज्य और उद्योग परिसंघ और विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद्-भारत द्वारा आयोजित किए जा रहे भारतवंशी सांसदों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के लिए यहां उपस्थित होने पर खुशी है। यह समारोह एक मील का पत्थर है। इस आयोजन से विश्वभर के देशों के भारतवंशी सांसद और जनप्रतिनिधि एकजुट हो सकें। प्रवासी भारतीय दिवस समारोह में यह एक नयी और स्वागत योग्य प्रगति है। यह दिवस 9 जनवरी, 1915 में महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

2. प्रवासी भारतीय दिवस, ऐतिहासिक वर्षगांठ की स्मृति मात्र नहीं है। यह अति सम-सामयिक, अति प्रवीण और अति उच्च उपलब्धियां प्राप्त करने वाले समुदाय यानि कि भारतीय प्रवासियों का समारोह है। यह लगभग 3 करोड़ की संख्या वाले प्रवासी भारतीय समुदाय के प्रति सम्मान है जो त्रिनिडाड से लेकर फिजी तक , अर्जेन्टीना से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक और संयुक्त राज्य अमेरिका से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक 100 से ज्यादा देशों में बसे हुए हैं। इन लोगों में से, लगभग 01 करोड़ 30 लाख वे लोग हैं जिन्हें हम भारतवंशी कहते हैं, और 1 करोड़ 70 लाख के लगभग अप्रवासी भारतीय हैं।

3. प्रवासी भारतीय समुदाय ने अपने निवास के लगभग सभी गृह देशों में सराहनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। इसने अर्थव्यवस्था को समृद्ध और बौद्धिक संपदा तथा स्थानीय संस्कृति को संवर्धित करते हुए, उस देश और समाज की बेहतरी में योगदान दिया है। प्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्य इटली,बोलिविया और तंजानिया जैसे सुदूर देशों के खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं। वे सिलिकॉन वैली की स्टार्ट-अप प्रणाली में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे खाड़ी क्षेत्र के दुबई और अन्य प्रमुख कारोबारी शहरों की अर्थव्यवस्था का आधार हैं। न्यूयॉर्क, लंदन और सिंगापुर के वैश्विक वित्तीय केन्द्र प्रवासी भारतीय समुदाय के बिना आज जैसी स्थिति में नहीं होते। भारत के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने के बाद अपनी पहली राजकीय यात्रा के दौरान मैंने पाया कि प्रवासी भारतीय शिक्षकों ने इथियोपिया की अनेक पीढ़ियों को शिक्षित बनाने में मदद की है।

4. वास्तव में, मैंने केवल कुछ उदाहरण दिए हैं। यदि मैं विभिन्न देशों के भारतीय समुदाय की उपलब्धियों के उदाहरणों का उल्लेख करने लगूं तो मुझे कुछ मिनट की बजाय कुछ घंटे चाहिए। एक देश के तौर पर, हमें अपने प्रवासी भारतीय भाइयों और बहिनों के कृतित्व पर गर्व है। उन्होंने पूरी दुनिया में भारत और भारतीय लोगों की अस्मिता में चार-चांद लगाए हैं। हजारों मील दूर रहते हुए भी हमारी भारतीय संस्कृति के प्रति वे सच्चे भाव से समर्पित बने रहे हैं और उन्होंने अपनी जड़ों के साथ एक मजबूत और प्रशंसनीय संबंध बनाए रखा है। मैं तो यहां तक कहूंगा कि यदि भारतीय व्यंजनों और भारतीय फिल्मों का कोई आज विश्व बाजार बना है तो इसका श्रेय प्रवासी समुदाय को जाता है, जो इन्हें सुदूर देशों तक लेकर गया।

देवियो और सज्जनो,

5. हम भारतीयों को अपने लोकतंत्र, बहुलतावाद के ताने-बाने और विविधता पर गर्व है। यह हमारी सबसे बड़ी ताकत है। भारतीय समुदाय अपने साथ ऐसे ही उदारवादी और सभ्य मूल्यों को लेकर गया है। इसी वजह से, भारतीय समुदाय के सदस्यों ने उन देशों के सार्वजनिक जीवन में योगदान दिया जिसके वे नागरिक हैं। मुझे बताया गया है कि भारतवंशी सांसदों की संख्या लगभग 300 है। उनमें से कुछ राज्य प्रमुखों, सरकार के मुखियाओं और वरिष्ठ मंत्रियों के पद तक पहुंचे हैं।

6. इस सम्मेलन में ही, 23 देशों से आए सांसदों से लेकर मेयर तक लगभग 140 निर्वाचित जनप्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह काफी बड़ी संख्या है। नवम्बर, 1998 में, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद्-भारत ने भारतवंशी सांसदों का ऐसा प्रथम सम्मेलन आयोजित किया था। उस सम्मेलन का उद्घाटन भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री, श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। जिसमें आठ देशों के 34 भारतवंशी सांसदों ने भाग लिया था। दो दशकों में, इस सम्मेलन का आकार चार गुना बढ़ गया है। यह हम सभी के लिए खुशी और संतोष का विषय है।

7. विभिन्न देशों के भारतवंशी समुदाय के साथ नियमित संपर्क और पहुंच बनाए रखना, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय का एक प्रमुख मन्तव्य है। प्रवासी भारतीयों के प्रति हमारे वाणिज्य दूतावासों और दूतावासों के कार्य-करण में विशेष स्थान है और प्रवासी भारतीय समुदाय को त्वरित सहायता एवं सेवाएं देने के प्रयास वे कर रहे हैं। भारतवंशी सांसदों और जनप्रतिनिधियों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखना इस प्रक्रिया का एक अंग है।

8. भारत सरकार के लिए, भारतवंशी सांसदों या वास्तव में वृहद प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ संबंध कोई चलताऊ या निष्फल संबंध नहीं हैं। इसकी बजाय, हम इस समुदाय से आप भारतवंशी सांसदों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को-एक सजीव सेतु के रूप में देखते हैं। अपने देशों और अपने माता-पिता व पूर्वजों के देश के बीच सद्भावना बढ़ाने में तथा दोनों देशों और हम सबके लिए लाभकारी आर्थिक, जन आपसी और कार्यनीतिक संपर्क बनाने में आपकी महती भूमिका है।

9. आज, भारत विश्व की तीव्रतम गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आगामी कुछ दशकों में हमारी अर्थव्यवस्था के बहुत आगे बढ़ जाने की उम्मीद है। हम एक ऐसे नए भारत के मुकाम पर हैं; ऐसे भारत के जो 2022 तक-जब हम अपनी स्वतंत्रता के 70 वर्ष का जश्न मना रहे होंगे- अपनी जनता के लिए कुछ और विशेष उपलब्धियां हासिल कर लेगा। ऐसे मौके पर, भारत में निवेश, व्यापार और विकास के व्यापक अवसर उपलब्ध हैं। भारत की प्रगति केवल 1.3 अरब लोगों के लिए ही लाभकारी नहीं होगी बल्कि भारत, हमारे साझे विश्व और उन देशों जिनका आप प्रतिनिधित्व करते हैं, की आशा और समृद्धि तथा शांति और स्थिरता की आवाज भी बनेगा।

10. मैं अकसर कहता रहा हूं कि सम्पूर्ण विश्व समुदाय को, बल्कि कहूं तो संपूर्ण मानव सभ्यता की, भारत के विकास में हिस्सेदारी है। अपनी-अपनी राजनीतिक व्यवस्थाओं के तहत सार्वजनिक जीवन में भारतवंशी सांसदों के रूप में, आपको भारत की पूरी समझ है, ऐसे में आपके लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि अपने-अपने देशों की प्राथमिकताओं को आप भारत के विकास के साथ जोड़ें और यह गौर करें कि इनका मेल परस्पर किस प्रकार हो सकता है। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन के बाकी सत्रों में यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

11. इसी के साथ, मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं और इस सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं। यदि आपके पास समय हो तो मैं आपको राष्ट्रपति भवन आने का निमंत्रण देता हूं। यह भवन सभी भारतीयों का, प्रवासी भारतीय समुदायों का और आप सभी भारतवंशियों का है।


धन्यवाद,

जय हिन्द !