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स्वाजी संसद में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण

स्वाजी : 10.04.2018

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1. इस गरिमापूर्ण सदन को संबोधित करना वास्तव में मेरे लिए एक विशेष सम्मान का विषय है। मुझे ज्ञात है कि मैं प्रथम विदेशी राष्ट्राध्यक्ष हूं जिसे यह विशेषाधिकार प्रदान किया गया है, और मैं, संसद के सभी माननीय सदस्यों को आज उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद देता हूं।

2. महिमहिमण, किसी देश का एक विधान-निर्माता होना एक विशेष दायित्व का सूचक है। मैं बारह वर्ष के लम्बे समय तक सांसद रहा हूं और मैं इससे जुड़ी प्रतिबद्धता और समर्पण की आवश्यकता से अवगत हूं। आप सभी लोग गौरवपूर्ण स्वाजी लोगों का सामूहिक स्वर हैं। आप उनके कल्याण के संरक्षक हैं। इस सदन में अपने कार्यों के ज़रिए आप न केवल विधान-निर्माण और शासन के दिन-प्रतिदिन के कार्यों में बल्कि राजशाही के दीर्घकालिक नीतिगत दिशाओं पर विचार-विमर्श करने में भी महामहिम किंग की मदद करते हैं; मैं कहना चाहूंगा कि आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं।

3. महामहिमगण, हम इस समय तेजी से बदल रही दुनियां में रह रहे हैं। डिजिटल और गहन-संयोजित विश्व में सांसदों से असीम अपेक्षाएं पैदा हो गई हैं। तरक्की, विकास और रोजगार से संबंधित स्थानीय व दैनिक मुद्दों पर वैश्विक खाद्य कीमतों, जलवायु परिवर्तन या विभिन्न प्रकार के सुरक्षा खतरों के रूप में अन्यत्र घट रही घटनाओं का प्रभाव पड़ता है। वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी के प्रभाव तथा लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं ने जन-नीति में नए आयाम जोड़ दिए हैं। ऐसे परिवर्तनशील दौर में कानून बनाने के लिए वृहत्तर जागरूकता व दक्षता की जरूरत है। लेकिन चुनौतियों के साथ ही अवसर भी सामने आते हैं। आज हमें बहस और परिचर्चाओं में लोगों की ज्यादा भागीदारी दिखाई देती है। विधान-निर्माता, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय महत्व के प्रमुख मुद्दों पर तुरंत प्रति पुष्टि प्राप्त कर सकते हैं। संसदों के लिए ये शुभ संकेत हैं।

4. इन साझी चुनौतियों को देखते हुए अलग-अलग देशों के विधान निर्माता एक दूसरे के साथ विचार-विनिमय से काफी लाभान्वित हो सकते हैं। हमारी स्वतंत्रता के विगत सात दशकों में, भारत ने संसदीय लोकतंत्र का सुदृढ़ संस्थागत शिल्प तैयार कर लिया है। हमें स्वाजीलैंड के इस माननीय सदन के साथ अपने अनुभव साझा करने में खुशी होगी। इस संबंध में शुरुआत के लिए, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हम स्वाजीलैंड में नए संसद भवन के निर्माण के लिए भारत की ओर से रियायती वित्तपोषण की पेशकश करते हैं।

5. महामहिमगण, यह राजशाही की मेरी प्रथम यात्रा है, और मैं इसके प्राकृतिक सौंदर्य, इसकी स्वास्थ्यवर्धक जलवायु, इसकी उत्कृष्ट अवसंरचना और इसके मैत्रीपूर्ण लोगों से प्रभावित हुआ हूं। आपके देश की दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका में अवस्थिति सामरिक महत्व की है और महाद्वीप के इस हिस्से के साथ भारत के ऐतिहासिक संपर्क रहे हैं। यहां से निकट में ही, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने न्याय के लिए संघर्ष किया और लड़ाई लड़ी। मुझे खुशी है कि उनकी चिरकालीन विरासत यहां के अधिकांश लोगों को प्रेरित करती रहती है। अपके फायदों की चर्चा की जाए तो यह राजशाही अनेक क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों की सदस्य है। मुझे, भारतीय निवेशकों द्वारा इन सुविधापूर्ण स्थितियों से लाभ उठाने और राजशाही का उपयोग, वस्तुओं और सेवाओं के विनिर्माण के एक क्षेत्रीय केन्द्र के रूप में करने की अच्छी संभावनाएं दिखाई देती हैं।

6. महामहिमगण, मुझे ज्ञात है कि हाल ही में सरकार के बजट पर बहस के दौरान, इस सदन ने स्वाजी अर्थव्यवस्था का विविधीकरण करने, इसे नई अंतरराष्ट्रीय मूल्य शृंखलाओं से जोड़ने, नए बाजार खोजने तथा प्रौद्योगिकी और वित्त के नए स्रोतों का लाभ उठाने की आवश्यकता की पहचान की है। इन सभी क्षेत्रों में भारत, स्वाजीलैंड का एक व्यावहारिक साझेदार बन सकता है। आज भारत विश्व में सबसे अधिक तेजी से विकास कर रही प्रमुख अर्थव्यवस्था है। भारत आपके कृषि उत्पादों और खनिज संसाधनों के एक विश्वसनीय और बढ़ते हुए बाजार के रूप में भारत के बाजार की पेशकश करता है।

7. महामहिमगण, किफायती नवाचार द्वारा भारतीय विकास को गति प्राप्त हुई है। हमारी प्रौद्योगिकियों और संस्थागत मॉडलों से स्वाजीलैंड में उत्पादन की लागत को कम करने में मदद मिल सकती हैं। हम स्वाजीलैंड के साथ ही नहीं अपितु समूचे अफ्रीका महाद्वीप के साथ अपनी विशेषज्ञता और अनुभव साझा करने के लिए उत्सुक हैं। इस संबंध में हमारा नज़रिया अफ्रीकी भाइयों और बहनों के साथ एकजुट होकर और साझेदारी के साथ कंघे से कंघा मिलाते हुए स्थानीय क्षमता विकसित करने का रहा है। महात्मा गांधी ने कहा है, ‘‘खुशी तभी मिलेगी, जब आपकी सोच, कथनी और करनी एक हो जाएगी’’

8. महामहिमगण, हमारे दोनों देशों की आबादी युवा है। यह हमारे देशों के लिए शक्ति का स्रोत है। परंतु इससे हमारे विधान-निर्माताओं के समक्ष ऐसी नीतियां बनाने की चुनौतियां भी दरपेश हैं जिनसे हमारे युवा उपयुक्त कौशल से लैस हो सकें और उनके लिए पर्याप्त रोजगार पैदा हो सकें। इसलिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण भारत की विकास सहायता के सबसे महत्वपूर्ण तत्व रहे हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि स्वाजी विद्यार्थियों और सरकारी अधिकारियों को पहले से ही हमारी छात्रवृत्तियों का लाभ मिल रहा है।

9. आज सुबह, मुझे महामहिम के साथ भारतीय सहायता से निर्मित सूचना प्रौद्योगिकी केन्द्र का उद्घाटन करने का सम्मान प्राप्त हुआ। सूचना प्रौद्योगिकी संयोज्यता को बढ़ाने के अपने कार्य में हमें साइबर जोखिमों के खिलाफ भी खुद की रक्षा करनी होगी। इसलिए भारत ने आपके नेशनल डाटा सेंटर में डाटा बैकअप के लिए ‘डिसास्टर रिकवरी साइट’ के निर्माण में वित्तीय सहायता की पेशकश की है।

10. महामहिमगण, नई प्रौद्योगिकियों में उन्नति के बावजूद, खेती-बाड़ी अभी भी हम दोनों देशों की आबादी के बड़े हिस्से के लिए प्रमुख आधार बनी हुई है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि भारत ने पहले ही स्वाजी किसानों के साथ अपने कुछ अनुभवों को साझा किया है। इससे उन्हें मक्के की पैदावार को कई गुना बढ़ाने में मदद मिली है। अपने सहयोग को अग्रसर करते हुए, मुझे खुशी है कि भारत इस सफलता को और ऊंचा उठाने के लिए स्वाजीलैंड में ‘सेंटर ऑफ एग्रीकल्चरल एक्सीलेंस’ की स्थापना में मदद करेगा।

मैं, इस अवसर पर इस माननीय सदन को बताना चाहूंगा कि भारत ने लुबुयाने क्षेत्र में एक सिंचाई प्रणाली विकसित करने का भी फैसला किया है।

11. स्वास्थ्य एक अन्य क्षेत्र है जिसमें भारत स्वाजीलैंड के साथ अपने विकास सहयोग का विस्तार करना चाहेगा। मुझे खुशी है कि अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त करने के लिए, भारतीय प्रतिष्ठानों ने मेरी यात्रा के दौरान आपकी सरकार के सहयोग से एक निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया है। महामहिमगण, आपको ज्ञात होगा कि भारत एचआईवी से लड़ने के लिए एंटीरेट्रोवायरल दवाओं सहित कम खर्चीली जेनरिक दवाओं का मुख्य स्रोत है। स्वाजीलैंड राजशाही ने एचआईवी के फैलाव को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। महामहिमगण, भारत, यहां के नागरिकों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में राजशाही की मदद करने के लिए तत्पर है।

12. महामहिमगण, जलवायु परिवर्तन हमारी दुनिया की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक है। स्वाजीलैंड ने स्वयं भी ‘अल नीनो’ परिघटना, जिसके कारण दो वर्षों तक सूखा पड़ा, को झेला है। भारत ने स्वाहजीलैंड की नेशनल डिसास्टर मैनेजमेंट ऐजेंसी को सहयोग देने के लिए 1 मिलियन अमरीकी डॉलर तथा खाद्यान्न भेंट करने की पेशकश की है। फिर भी, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए आने वाले लम्बे समय में हम सभी के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। पिछले महीने ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के प्रथम शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की थी, जिसका लक्ष्य वैश्विक रूप से सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने का है। मैं राजशाही को एक साझेदार देश के रूप में गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं।

13. महामहिमगण, आज मानवता के सम्मुख सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद का है। स्वाजीलैंड राजशाही भाग्यशाली है कि उसे अभी तक इस बुराई का सामना नहीं करना पड़ा है। परंतु कोई भी देश इस खरते के प्रति लापरवाह बने रहने का जोखिम नहीं ले सकता। भारत लंबे समय से ‘‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के विरुद्ध व्यापक समझौते’’ को अंतिम रूप देने का आग्रह करता आ रहा है और हम इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए स्वाजीलैंड के समर्थन की आाशा करते हैं। सुरक्षा से हटकर वैश्विक शासन पर चर्चा की जाए, तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् और अन्य बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की तात्कालिक आवश्यकता है। आइए, हम इनमें नई शक्ति का संचार करने के लिए कार्य करें।

14. महामहिमगण, अंत में आप सभी को संबोधित करने के विशेष अवसर को लिए मैं एक बार फिर आपका धन्यवाद देता हूं और सराहना करता हूं। स्वाजीलैंड और भारत ऐसे देश हैं जो अपनी-अपनी परंपराओं और संस्कृतियों से गहराई से जुड़़े हुए हैं। हमारी दोनों संसद में हमारे विधान-निर्माता आधुनिक परिपाटियों को अपनाने और हमारी पारंपरिक प्रथाओं के संरक्षण के बीच एक नाजुक संत़ुलन स्थापित करने का प्रयास करते हैं। हमें इस साझेपन पर गर्व करना चाहिए। मैं आगामी संसदीय चुनाव के लिए आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद। गियाबोंग !