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कोरिया गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति,श्री मून जे-इन के सम्मान में आयोजित राजभोज में भारत के राष्ट्रपति,श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 10.07.2018

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महामहिम राष्ट्रपति मून,

कोरिया गणराज्य की प्रथम महिला मादाम किम जुंग-सूक,

माननीय प्रधान मंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी,

विशिष्ट अतिथिगण,

देवियो और सज्जनो,

अन्यों-हा-सेयो और नमस्कार!

1. भारत की पहली राजकीय यात्रा पर राष्ट्रपति महोदय आपका और मादाम प्रथम महिला का मैं हार्दिक स्वागत करता हूं।

2. राष्ट्रपति महोदय, कोरिया गणराज्य का भारत में हमारे लोगों के हृदय में एक विशेष स्थान है। तेजी से प्रगति करने के लिए हमेशा तत्पर,अपने लोगों का जीवन सुधारने के लिए हमेशा प्रतिबद्घ देश के रूप में हमने आपकी उपलब्धियों से हमेशा प्रेरणा प्राप्त की है। हम, आपके देश के कल-कारखानों की विलक्षण सफलता, आपकी प्रौद्योगिकीय उत्कृष्टता और आपके विश्व-स्तरीय उत्पादों के जरिए आपके ऊर्जावान देश और आपकी मेहनती जनता से परिचित हैं।

3. केवल साजो-सामान ही नहीं बल्कि कोरिया की लोक-प्रचलित संस्कृति ने भी हमें आकर्षित किया है। गंगनम स्टाइल से लेकर कोरिया के‘बीटीएस’बैंड तक हमारे युवा इन मशहूर पॉप म्यूजिक की धुनों से सम्मोहित हैं, जबकि उनमें से बहुतों ने कभी गंगनम देखा भी नहीं होगा। सच तो यह है कि संगीत से लेकर खान-पान तक, ड्रमों की थाप से लेकर किमची के तीखेपन तक हमारे लोगों के स्वाद एक जैसे हैं।

4. राष्ट्रपति महोदय, हमारी मैत्री बेमिसाल है। इसकी जड़ें इतिहास की गहराइयों में समाई हुई हैं। लगभग 8 प्रतिशत कोरियाई जनता यह मानती है कि वे अयोध्या की पौराणिक राजकुमारी सूरी-रत्ना के वंशज हैं। इस राजकुमारी ने राजा सुरो से विवाह किया और हमें सदा के लिए एक विशेष बंधन में बांध दिया।

5. राष्ट्रपति महोदय, आज की आपकी यात्रा हमारी ‘स्पेशल स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप’को घनिष्ठ बनाने का एक अवसर है। हमारे द्विपक्षीय संबंधों के प्रति आपकी वचनबद्धता और आपके द्वारा इसे दिए जाने वाले महत्व की हम गहरी प्रशंसा करते हैं। हम जैसे-जैसे अपने साझे भविष्य के मार्ग पर आगे बढ़ें, हमें अपनी साझी नियति पर गर्व होना चाहिए। प्रत्येक 15 अगस्त को जब हम अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं तब हम आपके बारे में, आपके त्याग के बारे में सोचकर गौरवान्वित अनुभव करते हैं और आपके स्वाधीनता दिवस की खुशी मनाते हैं।

6. राष्ट्रपति महोदय, भारत और कोरिया के बीच स्वाभाविक पारस्परिक साझेदारी है और इसके एक नहीं अनेक कारण हैं। हमारी‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’और आपकी ‘न्यू सदर्न कम्युनिटी’नीति, जिसमें हमारी समझ से भारत प्रमुख आधार स्तंभ के रूप में मौजूद है,के बीच सहज ताल-मेल दिखाई देता है। सशक्त और गतिशील लोकतंत्रों के रूप में;नीतिपरक बाजार व्यवस्थाओं की आकांक्षा रखने वाले और समावेशी,समतामूलक, स्थायी,सुरक्षित और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति सम्मान रखने वाले देशों के रूप में, यह उचित ही है कि हम दोनों मिलकर काम करें। राष्ट्रपति महोदय,ऐसा इसलिए भी उचित है क्योंकि आप पूर्वोत्तर एशिया में तनाव कम करने, और उत्तर कोरिया के साथ स्थायी शांति कायम करने के लिए बातचीत के रास्ते पर चलने हेतु आसाधारण प्रयास कर रहे हैं। आपका विश्वास हमें उस दिशा में ले जा रहा है जिसे वास्तव में वैश्विक मामलों में एक ऐतिहासिक परिवर्तन कहा जाएगा। हमारे राष्ट्र-कवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लगभग 90 वर्ष पहले कोरिया के इतिहास के एक विकट दौर में एक लेख लिखा था। उसमें उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि कोरिया एक बार फिर‘पूरब का दीप’बनेगा। उन्होंने कितनी सच्ची बात कही थी!

7. कोरियाई जन सामान्य के मित्र के रूप में, 70 वर्ष पहले आपके राष्ट्र के दुखद विभाजन के साथ सहानुभूति रखने वाले देश के रूप में हम आपकी सफलता की कामना करते हैं।

8. राष्ट्रपति महोदय, व्यापार और आर्थिक सहयोग हमारी मैत्री का प्रमुख आधार है। हमारी नज़र में,हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच बहुत-कुछ पूरकताएं मौजूद हैं; व्यापार हालांकि महत्वपूर्ण है, लेकिन केवल व्यापार के कारण ही नहीं, बल्कि हम ऐसा इसलिए भी मानते हैं कि भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का हिस्सा बढ़ाना चाहता है और हम डिजिटल क्रांति के जरिए शासन में परिवर्तन लाना चाहते हैं। हमें अपने अगले चरण के बुनियादी ढांचे के निर्माण और अपने विकास को तेज करने में कोरियाई इंजीनियरी कौशल, प्रौद्यागिकीय दक्षता और स्मार्ट इनोवेशंस से मदद की आशा है।

9. वैश्विक साझेदारों के रूप में हमारे लिए मिलकर बहुत कुछ करने की गुंजाइश मौजूद है। आपकी हरित विकास पहल और हमारा अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन एक-दूसरे के पूरक के तौर पर काम कर सकते हैं। ऐसा होना भी चाहिए। हम दोनों मिलकर जलवायु-स्मार्ट विश्व का निर्माण करने में मदद कर सकते हैं। हम जिस दुनिया में रह रहे हैं,उस दुनिया के भविष्य को डिजिटल क्रांति के द्वारा आकार दिया जाएगा, इसमें कोई संदेह नहीं। परन्तु अपनी प्रगति को सतत बनाए रखने के लिए हमें अपने गहरे पारंपरिक ज्ञान तथा‘ब्लू इकोनॉमी’की असीम संभावनाओं का उपयोग करना चाहिए। हमें अपनी युवा प्रतिभाओं को आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स और रोबोटिक्स से लेकर कोरियाई पारंपरिक चिकित्सा और आयुर्वेद में स्पर्धा और सहयोग के लिए पे्ररित करना चाहिए। हमें उनकी कल्पनाशीलता और ऊर्जा को एक ऐसे समाज के निर्माण में प्रवृत्त करना चाहिए जो समृद्ध हो, प्रगतिशील हो और शान्ति-प्रिय हो।

10. राष्ट्रपति महोदय, मैं जानता हूं कि आपकी सरकार का नज़रिया यह सुनिश्चित करने का रहा है कि सभी नागरिकों को साथ-साथ प्रगति-पथ पर आगे ले जाया जाए। मुझे विश्वास है कि यही नज़रिया हमारी मैत्री पर भी लागू होता है। जैसा कि आप कोरियाई भाषा में कहते हैं-हामकेहा-म्यों सोंग-गोंग हमनिदा यानि कि आइए, मिलकर आगे बढ़ें, सफलता अवश्य मिलेगी।


11. इसी सकारात्मक भावना के साथ,महामहिमगण, देवियो और सज्जनो,आइए हम सब मिलकर:

राष्ट्रपतिमून और मादाम प्रथम महिला के स्वास्थ्य,सफलताऔर प्रसन्नता की,

कोरिया गणराज्य की निरंतर सफलता और समृद्धि की; तथा

भारत और कोरिया गणराज्य की स्थायी मैत्री की कामना करें।

गोम्प-सुमनिदा !! धन्यवाद!