महात्मा गांधी संस्थान, मॉरिशस में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण
मॉरिशस : 11.03.2018
1. मैं मॉरिशस के इतिहास के महत्वपूर्ण पड़ाव अर्थात् औपनिवेशिक शासन से आजादी की 50वीं वर्षगांठ पर मॉरिशस आने पर अपने आपको सम्मानित महसूस कर रहा हूं। कल 12 मार्च न केवल मॉरिशस की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती है बल्कि ऐसे भव्य सौंदर्य वाले राष्ट्र के गणराज्य बनने की 26वीं वर्षगांठ भी है। भारत के राष्ट्रपति के रूप में पद ग्रहण करने के बाद यह मेरी दूसरी राजकीय यात्रा है। यह अकारण नहीं है कि मेरी दोनों यात्राएं अफ्रीका की ही रही हैं। हम भारतीयों के लिए यह एक विशेष महाद्वीप है और मॉरिशस एक विशेष देश है। जबसे मैं यहां आया हूं, मैं आपके प्यार से पूर्णत: अभिभूत हो रहा हूं। हवाई अड्डे पर किया गया स्वागत शानदार था। प्रधान मंत्री और उनकी कैबिनेट के सदस्य, आपके देश के हजारों मुस्कुराते हुए नागरिकों के साथ वहां हमारा स्वागत करने और हमें अपनापन प्रदान करने के लिए उपस्थित थे। आपके राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के साथ मेरी संक्षिप्त बातचीत ने मुझे यह गर्मजोशी प्रदान की जो केवल घनिष्ठ मित्रों के बीच अनुभव की जा सकती है।
2. मैं भारत गणराज्य की ओर से, मॉरिशस की जनता और सरकार को बधाई देता हूं। यहां के लोगों के उत्साह और गर्व को देखकर, मेरी 15 अगस्त, 2017 की स्मृतियां ताजा हो गईं, जब हमने भारत में अपनी स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ मनाई। सच में, मुझे मॉरिशस अपने घर जैसा लगता है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
3. आपमें से अनेक लोगों के, भारत के साथ पैतृक संबंध रहे हैं। 200 वर्ष पहले, 1820 के दशक में भारत के लोग पहली बार मॉरिशस पहुंचे। 1834 में, भारत के पहले गिरमिटिया मजदूर इन तटों पर पहुंचे। उन शुरुआती चुनौतियों के बाद से, भारतीय समुदाय ने एक लंबा सफर तय किया है। इसने, अपनी-अपनी विविध प्रैस पृष्ठभूमि वाले नागरिकों के साथ मॉरिशस को समृद्ध देश और इस क्षेत्र का एक आदर्श देश बनाने में अपना योगदान दिया है। एक पक्के मित्र के रूप में भारत को आपके प्रयासों में सहयोग देकर गर्व होता रहा है। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि हम केवल अतीत से ही एक सूत्र में नहीं बंधे हैं, हमारी एक साझी नियति और एक साझा भविष्य है। सबसे बढ़कर, हम स्वतंत्रता और पारदर्शिता, लोकतंत्र और मानव गरिमा के एक जैसे मूल्यों को पोषित करते हैं।
4. इन मूल्यों ने हमें औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक साझे संघर्ष के दौरान प्रेरित किया है। उन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों के जरिए हमें प्रेरित किया है। और यह बापू को उपयुक्त श्रद्धांजलि है कि मॉरिशस में मेरा पहला कार्यक्रम उनके नाम पर रखे गए इस संस्थान में आयोजित किया जा रहा है। 1901 में, महात्मा गांधी जलयान से भारत से दक्षिण अफ्रीका यात्रा के दौरान मॉरिशस आए थे। छह वर्ष बाद, उन्होंने बैरिस्टर मणिलाल डॉक्टर से मॉरिशस की यात्रा करने और भारतीय समुदाय को एकजुट करने के लिए कहा। यह राजनीतिक और सामाजिक स्वतंत्रता संघर्ष की शुरुआत थी।
5. मॉरिशस की मेरी यात्रा द्विपक्षीय यात्राओं की एक लम्बी शृंखला में नवीनतम यात्रा है। मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति, प्रणब मुखर्जी 2013 में यहां आए थे। और हमारे प्रधान मंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी मार्च, 2015 में मॉरिशस आए थे। मई, 2017 में प्रधान मंत्री प्रविन्द जगन्नाथ ने भारत की राजकीय यात्रा की। मॉरिशस के प्रधान मंत्री के रूप में पद ग्रहण करने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा थी और यह हमारे संबंधों की घनिष्ठता का एक और संकेतक थी। हमारे राजनयिक और कारोबारी कार्यक्रम बहुत व्यस्त रहे हैं परंतु मैं दो नवीनतम घटनाओं का यहां विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूंगा।
6. कुछ हफ्ते पहले ही फरवरी, 2018 में मॉरिशस भारत के सबसे अधिक घनी आबादी वाले राज्य, उत्तर प्रदेश जहां आप में से अधिकतर लोगों का मूल परिवार रहता था और संयोगवश, मेरा जन्म भी इसी राज्य में हुआ है, मैं आयोजित अग्रणी व्यापार एवं निवेशक शिखर सम्मेलन के रूप में आयोजित उत्तर प्रदेश निवेशक शिखर सम्मेलन में एक सहभागी राष्ट्र था। विदाई समारोह में, मुझे मंत्री परामर्शक और रक्षा मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ के साथ मंच साझा करके बहुत खुशी हुई थी।
7. मेरा दूसरा संदर्भ नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने तथा जलवायु परिवर्तन के साझे खतरे का मुकाबला करने की भारत सरकार और अनेक साझीदार देशों की प्रमुख पहल के तौर पर गठित अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन से संबंधित है। आरंभिक अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन शिखर सम्मेलन की नई दिल्ली में औपचारिक शुरुआत पिछली शाम मेरे द्वारा राष्ट्रपति भवन में की गई है। और वहां मुझे मॉरिशस के उप प्रधान मंत्री से मिलकर खुशी हुई।
देवियो और सज्जनो,
8. भारत आज विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती हुई विशाल अर्थव्यवस्था है। जो ऊर्जा भारत के आर्थिक विकास और विकास के परिणामों को संचालित कर रही है, वह घरेलू स्तर पर आकांक्षाओं को स्वरूप प्रदान कर रही है तथा अंतरराष्ट्रीय तौर पर भारत की भूमिका का पुनर्विन्यास कर रही है।
9. चार व्यापक क्षेत्रों-बढ़ती अर्थव्यवस्था; अनेक कारोबारी, सामाजिक और नागरिक-अनुकूल पहलों के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने और कार्यान्वित करने; भारत के राज्यों की आर्थिक स्वायत्तता और पुनरुत्थान को बढ़ाने और अन्तत: हमारे युवाओं को प्रभावित कर रही और उन्हें कड़ी मेहनत करने व ऊंचा लक्ष्य प्राप्त करने की प्रेरणा देने वाली आकांक्षा व अवसर की भावना के क्षेत्र में भारत की नई गतिशीलता प्रत्यक्ष देखी जा सकती है।
10. 21वीं शताब्दी की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की आत्म-विश्वास से भरी यात्रा में अभूतपूर्व कारोबार अवसर पैदा करने के लिए डिजिटल मंचों के प्रयोग के माध्यम से ‘मेक इन इंडिया’ के कार्यक्रम के अंतर्गत आधुनिक विनिर्माण शामिल है। डिजिटल इंडिया मिशन इंटरनेट और डेटा संयोज्यता को ग्रामीण भारत के अंदरूनी हिस्सों तक ले जा रहा है। इस आयाम के दूसरे सिरे पर, भारत प्रोद्योगिकी स्टार्ट-अप का एक व्यस्त केन्द्र बन गया है। इस क्षेत्र ने, अन्य क्षेत्रों के साथ भारत को निवेश का एक आकर्षक गंतव्य बना दिया है। पिछले तीन वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में तेज वृद्धि हुई है, यह 2013-14 के 36 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2016-2017 में 60 बिलियन डॉलर हो गया है।
11. भारत अपने ऊर्जा घनत्व को और कार्बन आधारित ईंधन की भूमिका को कम करने के साथ-साथ औद्योगिकीकरण करने वाला पहला प्रमुख देश बनने का प्रयास कर रहा है। अब से पांच वर्ष बाद, मार्च, 2022 तक, भारत ने कुल मिलाकर 175 गीगा वाट्स की सौर व पवन ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य बनाया है। यह लक्ष्य न केवल एक अधिक समृद्ध विश्व बल्कि एक अधिक सतत विश्व के प्रति हमारी वचनबद्धता के अनुरूप है। यह मॉडल, अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए आदर्श के तौर पर पारिस्थितिकी-अनुकूल और इस ग्रह के अनुकूल भारतीय विकासात्मक मॉडल प्रस्तुत करता है।
12. हमारे सामने दोहनकारी और भारी ऊर्जा खपत वाले मॉडलों का प्रयोग किए बिना अपने समाज और अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने की चुनौती है। भारत इस चुनौती का मुकाबला करने का भरसक प्रयास कर रहा है परंतु यह भारत की अकेले चुनौती नहीं है। यह चुनौती प्रत्येक देश और प्रत्येक विश्व नागरिक के लिए है। एक द्वीपीय राष्ट्र होने के कारण मॉरीशस वास्तव में इस चुनौती के प्रति अत्यंत सतर्क है।
13. हमारे बहुत से प्रयासों की तरह, इस प्रयास में भी प्रौद्योगिकी भारत के लिए शक्ति बहुलक साबित हो रही है। उदाहरण के लिए, भारत में अपने इतिहास की सर्वाधिक तेज गति से शहरीकरण हो रहा है। हमारे स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के अन्तर्गत, नए शहर बनाए जा रहे हैं और मौजूदा शहरी केन्द्रों को नवीकृत और समुन्नत किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी से स्वच्छता, और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार लाने, जल के पुन:प्रयोग और ऊर्जा व डेटा संयोज्यता को बढ़ाने में मदद मिल रही है। इलैक्ट्रिक बसों और मेट्रो रेल लाइनों के माध्यम से यात्रियों के आवागमन को भी यह आसान बना रही है।
14. दूसरी ओर, हमारे किसान इन प्रौद्योगिकियों का भरपूर लाभ उठा रहे हैं जो किसी विशेष जोत भूमि में मृदा की संरचना और ऐसी मिट्टी के लिए आवश्यक सही पोषक तत्वों को समझने में मदद कर रही है। उदाहरण के लिए ड्रिप सिंचाई और ऐसे ही अन्य नवाचार, जल के प्रयोग में कटौती करते हुए, गन्ने की पैदावार बढ़ाने में हमारे किसानों की मदद कर रहे हैं।
15. अब ऐसे क्षेत्रों में ज्यादा स्फूर्तिदायक कार्य भारत के 29 ऊर्जावान और निरंतर बढ़ रही व्यवहार्य अर्थव्यवस्थाओं वाले राज्यों द्वारा किया जा रहा है। आज हमारे राज्यों के पास अपनी-अपनी स्थानीय प्राथमिकताओं के अनुसार विकासात्मक कार्यक्रम बनाने की नीतिगत गुंजायश और राजकोषीय साधन मौजूद हैं। मॉरिशस और हमारे अनेक राज्यों के बीच साझेदारी की अपार संभावनाएं हैं। कुछ ही मिनट पहले मैंने उत्तर प्रदेश निवेशक शिखर सम्मेलन में मॉरिशस शिष्टमंडल की भागीदारी का जिक्र किया था परंतु स्पष्ट तौर पर ऐसे अन्य अनेक अवसर भी मौजूद हैं। कृषि व डेयरी फार्मिंग, पर्यटन और वस्त्र निर्माण, तटीय क्षेत्रीकरण तथा शहरीकरण और कौशल निर्माण एवं शिक्षा में विकासात्मक और आर्थिक अनुभवों को मॉरिशस और भारत के अलग-अलग राज्यों के बीच साझा किया जा सकता है।
16. यहां उपस्थित भारतीय समुदाय में वे लोग भी शामिल हैं जिनकी जड़ें बिहार से लेकर तमिलनाडु, गुजरात और अनेक दूसरे विभिन्न राज्यों में हैं। मैं आप सभी से अपने-अपने पैतृक राज्यों और क्षेत्रों के नेटवर्कों में शामिल होने और उन्हें यहां की विकासात्मक प्रक्रिया के साथ जोड़ने का आग्रह करता हूं। आप मॉरिशस और भारत के बीच तथा भारत और मॉरिशस के राज्यों के बीच एक सजीव सेतु से कहीं ज्यादा बनें। हम एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। मैं यहां कहना चाहूंगा कि आपका स्वच्छता रिकार्ड अत्यंत प्रभावशाली है और स्वच्छ मॉरिशस बहुत से तरीकों से तेजी से प्रगति कर रहे ‘स्वच्छ भारत कार्यक्रम’ के लिए एक मॉडल की तरह है।
17. मॉरिशस की तरह, भारत की महत्वपूर्ण शक्ति हैं-इसके युवा लोग। कुछ लोग कहते हैं कि वर्तमान भारत की आशावाद की भावना 1947 की स्वतंत्रता के तात्कालिक परिणाम की भावना से मिलती-जुलती है। साधारण जन भी मोबाइल फोन, रचनात्मक विचार और एक छोटे से कमरे या बगीचे के हिस्से का प्रयोग करके अपने छोट-छोटे उद्यम स्थापित कर रहे हैं जिससे समाज के सबसे निचले स्तर पर भी उद्यमिता की लहर चल पड़ी है। घर में उगाए फलों व सब्जियों से अचार और जैम बनाने तथा खाद्य मूल्य शृंखला के भाग के तौर पर वृहत्तर बाजार खोजने जैसे सामान्य कार्य भी इस उद्यमिता में शामिल हो सकते हैं। आशा और साहस की यह भावना भारतीय आकांक्षाओं को ऊर्जस्वित कर रही है। हम विश्व के समक्ष यही भावना पेश करना चाहते हैं। हम मॉरिशस के अपने बहिनों-भाइयों के साथ इसी भावना को साझा करना पसंद करेंगे।
मित्रो
18. मॉरिशस के प्रति भारत के प्रेम और स्नेह की भावना अफ्रीका और हिन्द महासागर क्षेत्र के लिए हमारी साझी आकांक्षाओं की प्रतीक है। सबसे बढ़कर, हमारी जनता हमें एकजुट करती है। मॉरिशस भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के सबसे बड़े प्रतिभागी देशों में से एक है। यहां के 300 से ज्यादा युवा प्रत्येक वर्ष भारत में असैन्य और रक्षा संबंधी प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन पहल के भाग के रूप में, भारत के अफ्रीका छात्रवृत्ति कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष मॉरिशस के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए 97 छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा 200 अन्य विद्यार्थी स्ववित्त पोषण आधार पर भारतीय विश्वविद्यालयों में स्वयं दाखिला लेते हैं। वे प्रिय मित्रों के रूप में भारत आते हैं। और हम यह मानते हैं कि हम उन्हें भारत के राजदूतों के रूप में और हमारी साझेदारी के आजीवन समर्थकों के रूप में वापस भेजते हैं।
19. सामाजिक आवास परियोजना और ईएनटी अस्पताल जिसका मैं शिलान्यास करूंगा तथा मेट्रो रेल का निर्माण इस बात का संकेत मात्र है कि भारत और मॉरिशस मिलकर कितना कुछ कर सकते हैं। हिन्द महासागर क्षेत्र के लिए भारत की संकल्पना सतत, परस्पर लाभकारी विकासात्मक कार्यक्रमों में सहयोग करने तथा स्थानीय समुदाय के रोज़गार और बेहतरी में योगदान करने की है। यह समय सहयोगात्मक तरीके से संस्कृतियों व लोगों को एकताबद्ध करने के लिए समुद्रों और हमारे महासागर के संसाधनों को बुद्धिमत्तापूर्वक और मानवीयतापूर्वक प्रयोग करने का है-संयोज्यता और समुद्री क्रांति का समय है। यह समय उभयपक्षी चुनौतियों चाहे वे सुरक्षा से जुड़ी हों या मानवीय आपदाओं से संबंधित हों, की पहचान करने और उनके लिए तैयारी करने की दृष्टि से लिए संस्थानों और मंचों के निर्माण का भी है।
20. इन सबमें, इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन के मुख्यालय के तौर पर मॉरिशस की एक प्रमुख भूमिका है। भारत मॉरिशस को हिन्द महासागर क्षेत्र के उभरते हुए संस्थागत ढांचे में केन्द्रीय भूमिका में देखता है और हम इस शानदार जलराशि में एक-दूसरे के साथ बहुत दूर तक जाना चाहते हैं। मॉरिशस के लिए हमारी आकांक्षा है कि यह एक अग्रणी अर्थव्यवस्था और समूचे हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आवाज़ के रूप में उभरे।
21. इन्हीं शब्दों और इस विश्वास के साथ कि हमारे बीच सर्वोत्तम संबंधों का समय आने वाला है, मैं एक बार फिर आप सभी को आपके देश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर बधाई देता हूं और इस हार्दिक स्वागत के लिए पुन: धन्यवाद देता हूं।