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मॉरिशस गणराज्य के प्रधान मंत्री द्वारा आयोजित राजभोज में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण

मॉरिशस : 11.03.2018

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1. सबसे पहले मैं मॉरिशस की स्वतंत्रता की 50 वीं वर्षगांठ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के लिए मॉरिशस सरकार का गहरा आभार व्यक्त करता हूं।

2. यह सम्मान भारत की 130 करोड़ जनता का विशेष सम्मान है। मुझे और मेरे शिष्टमंडल को प्रदान किए गए असाधारण हार्दिक स्वागत और विनम्र आतिथेय के लिए भी मैं हार्दिक धन्यवाद करता हूं। हवाई अड्डे और उसके बाद स्टेट हाऊस और महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट में मेरा स्वागत अत्यंत भावपूर्ण और स्नेहपूर्ण ढंग से किया गया।

3. भारत-मॉरिशस संबंध अत्यंत विशेष हैं। हमारे संबंध अतीत में जितने गहरे रहे हैं, उतने ही वर्तमान में भी हैं, और ये संबंध पैतृक और पारिवारिक संबंध हैं। फ्रांसीसी राज्य-काल में हजारों भारतीयजन व्यापारी, पुरोहित और कारीगरों के रूप में मॉरिशस पहुंचे। 19 वीं और 20 वींशताब्दी की शुरुआत में, 4,50,000 से अधिक भारतीय उत्तर प्रदेश, बिहार,तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से गिरमिटिया मजदूर के रूप में मॉरिशस पहुंचे। उसके बाद भी महाराष्ट्र, गुजरात और भारत के अन्य भागों से भी लोग यहां आए। क्रिओलियों, चीनी-मॉरिशियाइयों और फ्रेंको-मारिशियाइयों के साथ मिलकर भारतीय मारिशियाइयों ने इस देश के शानदार आर्थिक विकास और बेहतरी में असीम योगदान दिया है। इन सभी ने इस सुन्दर इन्द्र-धनुषी राष्ट्र्र जिसे बहुत से लोग ‘धरती पर स्वर्ग’ कहते हैं, में ऊर्जा और रंग भरे हैं। उन्होंने अपनी जड़ों और भारत से अलग रहते हुए भी 200 से अधिक वर्षों से इस सुदूर धरती पर अपनी परंपराएं कायम रखी हैं और अपनी संस्कृति भी जीवित रखी है।

4. इन सशक्त नींवों पर तथा लोकतंत्र और सहिष्णुता के साझे मूल्यों पर आधारित हमारे संबंध इन वर्षों में लगातार दौरान घनिष्ठ और विकसित हुए हैं।

देवियो और सज्जनो,

5. किसी भी राष्ट्र के इतिहास की शायद ही कोई घटना ऐसी हो जो उस राष्ट्र की स्वतंत्रता की ज्यादा स्मृति, श्रद्धांजलि और उल्लास की ह़कदार होती हो।

6. आज मेरे मन में 1947 की यादें उभरती हैं; जब एक लम्बे और वीरतापूर्ण संघर्ष के बाद भारत ने अपनी आजादी हासिल की थी। वह दिन, हमारे लिए संतुष्टि और नई शुरुआत का दिन था। 12 मार्च को आने वाले, आपके स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, आज मेरे मन में उसी प्रकार की भावनाएं उमड़ रही हैं, क्योंकि यहां भी हमारे अपने लोगों, हमारे अपने भाइयों और बहिनों को इस दिन स्वतंत्रता मिली थी।

7. आपके स्वतंत्रता आंदोलन और हमारे अपने स्वतंत्रता संघर्ष ने एक दूसरे को प्रेरित किया है तथा एक-दूसरे से त़ाकत और ऊर्जा प्राप्त की है। 12 मार्च का दिन ही वह दिन था जब महात्मा गांधी ने औपनिवेशिक शासन की अवज्ञा के रूप में 1930 में अपनी ऐतिहासिक ‘दाण्डी यात्रा’ या ‘नमक यात्रा’ आरंभ की। पिछली शताब्दी के आरंभ में इस देश की यात्रा के बाद वे यहां रह रहे भारतीयों के कल्याण के बारे में गहराई से सोचने के लिए बाध्य हुए। आपकी गहनतम जरूरत के समय आपके साथ खड़े रहने का सौभाग्य पाकर हमें हमेशा ही गौरव का अनुभव हुआ है।

8. महामहिम, आध्यात्मिकता और भारतीय जीवन शैली तथा त्योहारों का एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। यह एक सुखद संयोग है कि हम महान भारतीय आध्यात्मिक नेता स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखे गए इस हाल में आपकी स्वतंत्रता और बलिदान को याद कर रहे हैं। स्वामी विवेकानन्द का करुणा का और अभय रहने का संदेश वैश्विक रूप से और ऐसे मौके पर उससे भी कहीं ज्यादा प्रासंगिक बना हुआ है।

9. इस भावपूर्ण अवसर पर, मैं उन मॉरिशियाई नेताओं की क्रमिक पीढ़ियों के प्रति श्रद्धांजति अर्पित करता हूं जिन्होंने अपने लोगों के लिए स्वतंत्रता अर्जित की और तीव्र आर्थिक विकास किया।

देवियो और सज्जनो,

10. आपकी सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता को समर्थन देने के दिनों से लेकर आज आपकी प्रमुख प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में मदद करने तक, भारत ने हमेशा आपका साथ दिया है।

11. हम मॉरीशसी समाज के सभी वर्गों,बल्कि सम्पूर्ण मॉरिशस के विकास और समृद्धि के लिए मॉरिशस के साथ कार्य करके सम्मानित महसूस करते हैं। आपकी स्वतंत्रता की 50 वीं वर्षगांठ की ‘लामैन दैन्स लामैन’ की भावना के अनुरूप, मैं आपको पुन: विश्वास दिलाता हूं कि भारत कंधे से कंधा, कदम से कदम मिलाकर मॉरिशस के साथ मिलकर चलेगा।

12. महामहिम, मई, 2017 में भारत की आपकी ऐतिहासिक यात्रा हमारे संबंधों में एक मील का पत्थर थी। आप हमारी विकास साझेदारी के एक बड़े सहयोगी रहे हैं। हमें मेट्रो एक्सप्रेस, सोशल हाऊसिंग, ईएनटी अस्पताल से लेकर नए विश्वहिन्दी सचिवालय परिसर और आगालेगा में अवसंरचना विकास जैसी अनेक परिवर्तनकारी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में आपकी मदद करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

14. दोनों देशों की जनता के बीच आपसी घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने का भी हमारा प्रयास है। पिछले वर्ष से भारतीय मूल के या उनसे विवाह करने वाले सभी मारिशसवासी हमारे प्रवासी भारतीय नागरिकता कार्ड योजना के विशेष प्रावधान के अन्तर्गत, प्रवासी भारतीय नागरिकता के योग्य हो गए हैं। 2016 में, भारत और मॉरिशस ने मानवता की अमूर्त विरासत के रूप में भोजपुरी ‘गीत गवई’ और ‘योग’ के लिए यूनेस्को की मान्यता हासिल करने में एक दूसरे की मदद की है।

महामहिम,

15. मॉरिशस हिन्द महासागर क्षेत्र और अफ्रीका महाद्वीप के लिए प्रवेश द्वार के रूप में अवस्थित है। यह देश, मुख्यभूमि अफ्रीका तक पहुंच की तलाश कर रही भारतीय कंपनियों के एक केन्द्र के तौर पर काम आ सकता है। हिन्द महासागर के कहावती सितारे और चाबी के तौर पर, मॉरिशस का भारत के साथ हितों का प्राकृतिक मेल है। समुद्री सुरक्षा में और आतंक के विरुद्ध प्रयासों में हमारा परस्पर सहयोग अनुकरणीय रहा है।

महामहिम,

15. हम हिन्द महासागर क्षेत्र में स्थिरता, शांति और समृद्धि की हमारी साझी संकल्पना को साकार करने में मॉरिशस को एक विश्वसनीय साझीदार मानते हैं। हम आपके साथ पहले से अधिक घनिष्ठता के साथ कार्य करने की उम्मीद करते हैं। मैं इस अवसर पर मॉरिशस के सभी नागरिकों को उनकी स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती की बधाई देता हूं तथा उनकी शांति और समृद्धि की शुभकामनाएं देता हूं।


16. महामहिमगण, देवियो और सज्जनो, आइए हम सब मिलकर;

-मॉरिशस गणराज्य के प्रधान मंत्री और श्रीमती कविता जगन्नाथ के स्वास्थ्य और कुशलता;

-मॉरिशस के लोगों की निरंतर सफलता, समृद्धि और खुशहाली; और

-भारत और मॉरिशस के बीच चिरस्थायी और सार्वकालिक मित्रता की कामना करें।,

धन्यवाद।