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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का राज्यपाल सम्मेलन-2021 में आरम्भिक उद्बोधन

राष्ट्रपति भवन: 11.11.2021

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1. आज इस सम्मेलन के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आप सबकी उपस्थिति से मुझे अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। कोरोना महामारी के कारण सम्मेलन का आयोजन दो वर्षों के अंतराल पर सम्पन्न हो रहा है। नवंबर 2019 में आयोजित पिछले राज्यपाल सम्मेलन के बाद नियुक्त हुए सभी राज्यपालों और उप–राज्यपालों को मैं बधाई देता हूं।

2. इसी दौरान, राज्यपाल के रूप में, हम सबके सहयोगी रह चुके, श्री कल्याण सिंह, श्री लालजी टंडन और श्रीमती मृदुला सिन्हा जैसे मूर्धन्य जन-सेवक अब हमारे बीच नहीं रहे। सार्वजनिक जीवन में अपने योगदान और व्यक्तित्व से राज्यपाल के पद को विशेष गौरव प्रदान करने वाली उन सभी विभूतियों का मैं सादर स्मरण करता हूं।

3. कोविड की महामारी का सामना करने में, विश्व का सबसे व्यापक और प्रभावी अभियान भारत में, प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में चलाया गया है। हमारे सभी कोरोना योद्धाओं ने असाधारण त्याग और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है। सरकार की अभूतपूर्व पहल तथा हमारे वैज्ञानिकों और उद्यमियों के प्रयासों के बल पर, देश में वैक्सीन का विकास और विशाल पैमाने पर उत्पादन संभव हो सका है। आज 108 करोड़ से अधिक वैक्सीनेशन करके, देशवासियों को महामारी से बचाने के अभियान में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही, हम विश्व समुदाय की सहायता भी कर रहे हैं। भारत की ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल की सराहना विश्व स्तर पर हो रही है।

4. इस सम्मेलन के प्रतिभागियों के लिए यह संतोष का विषय है कि कोविड की आपदा का सामना करने में राज्यपालों ने सक्रिय योगदान किया। लॉकडाउन के आरंभ होने के दो दिन बाद ही 27 मार्च, 2020, और उसके बाद, 3 अप्रैल को मैंने और उप-राष्ट्रपति जी ने राज्यपालों के साथ राज्य स्तर पर किए जा रहे उपायों पर चर्चा की। विभिन्न राज्यों द्वारा जन-सामान्य की कठिनाइयों को कम करने के उद्देश्य से अलग-अलग राज्यों में अपनाई जा रही ‘best practices’ को साझा किया गया। अनेक राज्यों ने, दूसरे राज्यों के अच्छे प्रयासों को अपनाया। इन समग्र प्रयासों के परिणामस्वरूप, हमारे देश ने, अनेक विकसित देशों की तुलना में, कोविड की आपदा का सामना बेहतर ढंग से किया है।

5. अनेक वैश्विक मुद्दों पर, भारत की संकल्पबद्धता और क्षमता की सराहना विश्व समुदाय द्वारा की जा रही है। हाल हीमें, ग्लासगो मैं आयोजित ‘कॉप 26 शिखर सम्मेलन’ में विश्व समुदाय के सम्मुख यह स्पष्ट किया गया कि भारत एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने ‘पेरिस कमिटमेंट’ के तहत ठोस प्रगति की है और नियत समय पर लक्ष्यों को प्राप्त करने की स्थिति मेंहैं। साथ ही, क्लाइमेट चेंज की वैश्विक समस्या से निपटने की दिशा में, भारत ने, विश्व समुदाय के हित में, अपना योगदान देने के लिए, पांच प्रमुख लक्ष्य तय किये हैं: वर्ष 2030 तक देश की

· नॉन-फॉसिल ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाना,

· आधी ऊर्जा आवश्यकताओं को रिन्युएबल एनर्जीसे पूरा करना,

· प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करना, और

· अर्थ-व्यवस्था की कार्बन इन्टेन्सिटी 45 प्रतिशत से भी कम करना।

वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो एमिशन का लक्ष्य हासिल करना।

विश्व पटल पर व्यक्त किए गए इन राष्ट्रीय लक्ष्यों को कार्यरूप देने में आप सभी अपनी प्रेरक भूमिका निभा सकते हैं। राज्य सरकार तथा सभी जनप्रतिनिधियों के बीच जागरूकता बढ़ाकर आप इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। कुलाधिपति के रूप में आप राज्य के विश्वविद्यालयों में टास्क फोर्स गठित करके युवा पीढ़ी को क्लाइमेट एक्शन से सीधे जोड़ सकते हैं।

6. जैसा कि हम जानते हैं कि सन 2019 में आरंभ किए गए ‘जल जीवन मिशन’ के तहतसन 2024 तक ‘हर घर, नल से जल’ उपलब्ध कराने का राष्ट्रीय अभियान हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। यह उल्लेखनीय है कि जल जीवन मिशन के आरंभ होने तक पिछले 7 दशकों में जितना काम हुआ था उससे अधिक काम मिशन के तहत केवल 2 वर्षों में पूरा कर लिया गया है। संवेदनशील केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि शुद्ध पेयजल की सुविधा से कोई भी वंचित न रहे और पानी की कमी किसी भी क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में बाधा न बने। स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता के जरिए Aspirational districts, आदिवासी बहुल क्षेत्रों, कमजोर वर्ग के लोगों, बच्चों और महिलाओं सहित हमारे देशवासियों का अनेक रोगों से बचाव हो सकेगा।जल का संचय व संरक्षण करने और गुणवत्ता बनाए रखने के प्रति गांव-गांव में लोगों को जागरूक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सबकी भागीदारी और सबकी ज़िम्मेदारी के जरिए सभी ग्रामवासियों को‘सेनिटेशन–हाइजीन–वाटर–एनलाइटेन्ड’ यानि स्वच्छता, साफ-सफाई तथा जल के प्रति जागरूक बनाना आवश्यक है।‘स्वच्छ भारत मिशन’ की तरह ‘जल जीवन मिशन’ भी एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है। शिक्षण संस्थानों तथा सरकारी और गैर सरकारी संगठनों की ‘जल जीवन मिशन’ में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करके आप सभी इस जन-आंदोलन को और मजबूत बना सकते हैं।

7. हमारे देश में अनुसूचित जनजातियों के विकास पर विशेष ध्यान देने के उद्देश्य से कुछ क्षेत्र संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची में उल्लिखित हैं। इन क्षेत्रों के विकास में राज्यपालों की विशेष संवैधानिक भूमिका है। इन जनजातियों की प्रगति में योगदान देकर आप सब देश के समावेशी विकास में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

8. पिछले वर्ष ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ पर आयोजित वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में मैंने और उप-राष्ट्रपति ने राज्यपालों के साथ विचार-विमर्श किया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अनुशंसाओं को कार्यरूप देने में आप सभी राज्यपालों की महत्वपूर्ण भूमिका है। कुलाधिपति के रूप में आप सब लोग, युवा भारत के निर्माण की प्रक्रिया से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। राष्ट्र-निर्माण की दृष्टि से यह बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। मुझे विश्वास है कि शिक्षा के क्षेत्र में आपके योगदान के बल पर भारत को ‘नॉलेज सुपर पावर’ बनाने का हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य अवश्य सिद्ध होगा।

9. आज के सम्मेलन में चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय है ‘Best Practices at Raj Bhavan’. इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि टीबी के उन्मूलन, रेड क्रॉस संस्था से सम्बद्ध गतिविधियों तथा ‘सैनिक वेलफेयर बोर्ड’ की जिम्मेदारियों से आप सभी सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। मैं आशा करता हूं कि अपनी रिपोर्ट तथा प्रस्तुतियों में आप सब इन विषयों पर विशेष प्रकाश डालेंगे तथा अपनी best practices साझा करेंगे। साथ ही कोरोना की आपदा का सामना करने के दौरान जन-कल्याण कार्यों तथा वैक्सीनेशन में तेजी लाने के प्रयासों को भी आप रेखांकित करें। व्यापक स्तर पर मनाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में राज्य स्तर पर हो रहे कार्यक्रमों की भी जानकारी आप सब साझा करें। इसके अलावा आपके मार्ग-निर्देशन में संचालित शिक्षण संस्थानों की नई पहलों तथा विशिष्ट उपलब्धियों पर भी जानकारी प्रदान करेंगे।

10. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अपनाए गए ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स’ के तहत वर्ष 2030 तक ट्यूबरक्यूलोसिस यानि टीबी के उन्मूलन का वैश्विक लक्ष्य तय किया गया है। परंतु भारत ने यह तय किया है कि इस लक्ष्य को हम पांच वर्ष पहले ही अर्थात वर्ष 2025 तक हासिल कर लेंगे। इसके लिए ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ चलाया जा रहा है। राज्य स्तर पर इसजन-कल्याणकारी अभियान के संरक्षक के रूप में, टीबी का शीघ्रता से उन्मूलन करने के प्रयासों को आप प्रभावी नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं।

11. राज्यपालों के दायित्व पर चर्चा करते हुए हमारे सुविज्ञ संविधान निर्माताओं ने यह मत व्यक्त किया था कि राज्यपाल, जन-सामान्य और सरकार के ‘Friend, philosopher and guide’ की भूमिका भी निभायेंगे। राष्ट्रीय लक्ष्यों के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने तथा जन भागीदारी सुनिश्चित करने में आप सबकी यह भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

12. मैं आप सभी राज्यपालों को स्मरण कराना चाहता हूं कि आप सब अपने राज्य की जनता के कल्याण और सेवा में समर्पित रहने के लिए वचनबद्ध हैं। इस वचनबद्धता को पूरा करने के लिए आपको अपने राज्य में अधिक से अधिक समय देना और लोगों से जीवंत संपर्क बनाए रखना आवश्यक है। वैसे भी लोकतन्त्र में हम सबको आम जनमानस के साथ कन्टिन्यूड कनेक्टिविटी बनाए रखनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि आप सभी ने अपने-अपने राज्यों के सभी जिलों और उन जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में, किसी न किसी कार्यक्रम के माध्यम से, प्रवास अवश्य किया होगा।

13. इस सम्मेलन में, उप-राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री एवं गृह मंत्री का उपयोगी मार्गदर्शन प्राप्त होगा। मैं आशा करता हूं कि आज के सम्मेलन में किए जाने वाले विचार-विमर्श से हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओं और लक्ष्यों की पूर्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।

धन्यवाद,

जय हिन्द!