म्यांमार के राष्ट्रपति के सम्मान में आयोजित राजभोज पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन
ने पि-तॉ : 11.12.2018
1. राष्ट्रपति महोदय, आपके द्वारा किये गए हार्दिक स्वागत के लिए मैं आपका आभारी हूंl मेरे, मेरी पत्नी और मेरे प्रतिनिधिमंडल का आपके द्वारा खुले दिल से किये गए अतिथि सत्कार की मैं हार्दिक सराहना करता हूँl हम सभी आपके व्यवहार से अभिभूत हैंl यहाँ हमें अपने घर जैसा ही महसूस हो रहा हैl
2. आपके द्वारा म्यांमार के राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद आपका प्रथम राजकीय अतिथि बनने पर मैं विशेष रूप से सम्मानित महसूस कर रहा हूँl
3. आपके खूबसूरत देश के लिए हमारे दिलों में विशेष स्थान है। हम साझा जल, जंगल और पहाड़ियों के माध्यम से, संस्कृति, भोजन, भाषा और इतिहास के माध्यम से एक सूत्र में जुड़े हैं। और इससे भी अधिक गहराई से, हम भगवान बुद्ध के आशीर्वाद के माध्यम से जुड़े हुए हैं। ये जुड़ाव ही, हमारे संबंधों के आधार हैं, जो इसे मजबूती और एक विशेष भावनात्मक सूत्र में जोड़ते हैं।
4. हमारे लोगों के पास हमारे विशेष संबंधों और हमारी मित्रता का जश्न मनाने के लिए बहुत कुछ है। म्यांमार को अपना घर बना लेने वाले भारतीय मूल के लोगों का जीवंत समुदाय, हमारे बीच सहज संबंधों का सेतु हैं। उपनिवेशवाद-विरोधी हमारे संघर्ष और हमारी साझा आकांक्षाएँ भी हमें साथ लाती हैं। ताकत और किस्मत के कारण जब कभी हम हारे, हमने एक-दूसरे को आसरा दिया। राजा थिबाव ने रत्नागिरी में और सम्राट बहादुर शाह जफर ने यंगून में अपने दिन बिताए। असल में, हम समृद्धि औरविपत्ति- दोनों में ही मित्र रहे हैं।
5. स्वयं भगवान बुद्ध द्वारा विकसित और प्रचालित ध्यान की एक तकनीक, जिसे विपश्यना कहते हैं - के आधुनिक युग में प्रचार में सत्य नारायण गोयनका के अग्रणी कार्य का बहुत अधिक योगदान है; उन्होंने इसकी प्रारंभिक शिक्षा सयागी ऊ बा खिन से प्राप्त की थी। और निश्चित रूप से, हम म्यांमार की बेटी, दॉ तिन तिन या उषा नारायणन को भी याद करते हैं, जो भारत की प्रथम महिला बनीं।
6. महामहिम, आज मैं हमारे बीच हुई चर्चाओं से आश्वस्त हुआ हूँ कि हमारे संबंध अब निकटतर और गहनतर हो सकते हैं। दोनों पक्ष बढ़ती हुई कनेक्टिविटी, क्षमता-निर्माण और वाणिज्यिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से हमारे द्विपक्षीय जुड़ाव की घनिष्टता को बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
7. भारत में, हम शांति प्रक्रिया, राष्ट्रीय सामंजस्य और आर्थिक पुनरुद्वार को आगे बढ़ाने में म्यांमार के सामने चुनौतियों से अवगत हैं। मैं आपसे कहना चाहता हूं कि हमारी सरकार और भारत के लोग आपके साथ खड़े हैं। हम आपकी शांति प्रक्रिया के पूर्ण समर्थन में हैं और म्यांमार की एकता और क्षेत्रीय अखंडता का संरक्षण करने के समर्थन में हैं जो कि - मूल रूप से हमारे अपने हित में भी हैं। क्योंकि इसके बिना, भारत पूर्वोत्तर में म्यांमार की सीमाओं से लगे क्षेत्रों में,अपने नागरिकों तक विकास, समृद्धि और कनेक्टिविटी लाने में अपने प्रयास में सफल नहीं हो सकता है।
8. इसलिए महामहिम, जब हमारी नियति एक दूसरे से जुड़ी हुई है, हमारी मित्रता अल्पकालिक लक्ष्यों से नहीं, बल्कि आपसी शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए एक वृहत्तर और स्थायी आकांक्षा से प्रेरित है। और म्यांमार के साथ हमारी साझेदारी दोस्ती, पड़ोस और साझा मूल हितों के महत्वपूर्ण चौराहे पर है।
9. इन शब्दों के साथ मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि हम सब मिलकर :-
- म्यांमार के राष्ट्रपति,प्रथम महिला और स्टेट काउंसलर के अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली की;
- म्यांमार के लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि की; तथा
- भारत और म्यांमार के बीच घनिष्ठ मैत्रीपूर्ण और लगातार बढ़ती निकटता की कामना करें।