भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र के अनावरण के अवसर पर सम्बोधन
नई दिल्ली : 12.02.2019
1. आधुनिक भारत के इतिहास के अनेक निर्णायक अवसरों के साक्षी रहे इस सेन्ट्रल हॉल में आज हम एक महान विभूति को स्मरण करने के लिए एकत्र हुए हैं। सन 2015 में अटल जी को भारत रत्न से अलंकृत करके कृतज्ञ राष्ट्र ने उनके प्रति अपना आदर व्यक्त किया था। आज, इस सेन्ट्रल हॉल में,देश की अन्य विभूतियों के चित्रों के साथ उनके चित्र को स्थान देने के निर्णय के लिए मैं दोनों सदनों के सांसदों की बहुदलीय ‘पोर्ट्रेट कमिटी’के सभी सदस्यों को साधुवाद व बधाई देता हूँ।
2. भारतीय राजनीति के महानायकों में अटल जी को हमेशा याद किया जाएगा। उनके महान व्यक्तित्व में परस्पर विरोधी प्रतीत होने वाली विशेषताएँ सहज ही घुली-मिली थीं। यह समन्वय और सामंजस्य उनके नाम में ही समाहित था और वे अपने नाम को चरितार्थ करते थे। वे जितने अटल, अविचल और दृढ़-प्रतिज्ञ थे उतने ही विहारी,गतिशील और सक्रिय थे। युद्ध-क्षेत्र में भी स्थितप्रज्ञ रहने की जो शिक्षा हमारी परंपरा में दी जाती है, उसके उदाहरण के रूप में अटल जी ने सक्रिय राजनीति में अपना अलग स्थान बनाया। राजनीति में विजय और पराजय को स्वीकार करने में जिस सहजता और गरिमा का परिचय उन्होंने दिया है, वह अनुकरणीय है। वे विपरीत परिस्थितियों में धैर्य की मिसाल थे। अपने जीवन के कठिनतम क्षणों में अटल जी ने यह पंक्ति लिखी थी:
उनकी यह पंक्ति सार्थक हुई और वे स्वयं भी सूर्य की तरह भारतीय राजनीति के क्षितिज पर चमकते रहे।
3. यहाँ बैठे हुए अनेक सदस्यों का अटल जी से व्यक्तिगत परिचय और संबंध रहा है। आप सब जानते हैं कि जितनी प्रखर उनकी बुद्धि थी, उतनी ही व्यापक थीं उनकी संवेदनाएँ। उनमें जितनी गंभीरता थी, उतनी ही विनोदप्रियता भी। उनमें हँसते-हँसते गहरी बातें कह जाने की विलक्षण क्षमता थी। वे जितने उदार और क्षमाशील थे, उतनी ही स्पष्टता और दृढ़ता के साथ राष्ट्र-हित में निर्णय लिया करते थे।
4. मेरे निजी जीवन पर भी उनका गहरा प्रभाव पड़ा है। उनके अद्भुत व्यक्तित्व ने मुझे सार्वजनिक जीवन के प्रति आकर्षित किया। मुझे उनके साथ संसद में एक सहयोगी के रूप में काम करने का सुअवसर भी मिला। उनसे जुड़े अनेक संस्मरण मेरी स्मृतियों में अंकित हैं। अटल जी की ओजस्वी वाणी के असाधारण प्रभाव से तो हम सभी परिचित हैं ही, उनका मौन भी उतना ही मुखर और प्रभावी होता था। भारत का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मैं उनसे मिलने गया। काफी अस्वस्थ होने के बावजूद उन्होंने अपनी आँखों के इशारे से मेरा अभिवादन स्वीकार किया। उनके उस मौन संवाद में जो आत्मीयता, शुभेच्छा और गहराई मैंने महसूस की, वह मुझे हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
5. यह कहा जा सकता है कि अटल जी अपने आप में सार्वजनिक जीवन की एक पाठशाला थे। उनसे हमारे असंख्य समकालीनों ने बहुत कुछ सीखा है।
6. अटल जी की सबसे बड़ी विशेषता जो उन्हें सबसे अलग और ऊपर प्रतिष्ठित करती थी,वह थी उनकी गहरी संवेदनशीलता। अटल जी कहा करते थे कि यदि किसी राजनेता की आस्था कविता में है तो उसकी राजनीति भी मानवीय संवेदनाओं पर आधारित होगी। जब एक अच्छा कवि,सार्वजनिक जीवन में आकर एक कर्मयोगी लोक-सेवक बनता है तब अटल बिहारी वाजपेयी जैसे कालजयी कवि-राजनेता का उदय होता है।
7. एक पत्रकार के रूप में भी,अटल जी ने श्रेष्ठ चिंतन, लेखन और सम्पादन के प्रभावशाली मानदंड स्थापित किए। एक सांसद के रूप में अटल जी दो बार राज्यसभा और दस बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। विपक्ष के सांसद के रूप में और विदेश मंत्री तथा प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपनी अलग और अमिट छाप छोड़ी है। दलगत राजनीति की अनिवार्यता में भी वे सदैव संकीर्णताओं से ऊपर रहते थे। राष्ट्र-हित ही उनके लिए हमेशा सर्वोपरि था। उन्होंने संसद से संयुक्त-राष्ट्र तक सदैव एक ही संदेश मुखरित किया,वह था भारत की संस्कृति में निहित ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’का संदेश,भारत के आत्म-गौरव का संदेश। इस आत्म-गौरव का परिचय देते हुए उन्होंने सन 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में विदेश मंत्री के रूप में अपना भाषण हिन्दी में दिया। संयुक्त राष्ट्र में एक भारतीय भाषा में भाषण देने वाले वे पहले राजनेता थे।
8. राष्ट्र हित को सबसे ऊपर रखने वाले अटल जी सन 1971 के युद्ध में तत्कालीन सरकार के समर्थन में दृढ़ता के साथ खड़े रहे। सन 1994 में,उन्हें तत्कालीन सरकार द्वारा कश्मीर के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मुख भारत का पक्ष प्रस्तुत करने की ज़िम्मेदारी दी गयी थी जो उन्होने बखूबी निभाई। इस प्रकार अटल जी लोकतान्त्रिक आदर्शों और राष्ट्र प्रेम की शानदार मिसाल प्रस्तुत करते थे। उन्होंने सत्ता हासिल करने या बचाने के लिए मूलभूत सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया।
9. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में निर्णायक नेतृत्व प्रदान किया। पोखरण में 1998 का परमाणु परीक्षण और 1999 का कारगिल युद्ध, राष्ट्र-हित में लिए गए उनके दृढ़तापूर्ण निर्णयों के उदाहरण हैं। उनकी दूरदर्शिता, नीतियों और नेतृत्व के फलस्वरूप भारत ने इक्कीसवीं सदी में एक नई गतिशीलता के साथ प्रवेश किया और विश्व-पटल पर अपनी शक्तिशाली पहचान बनाई।
10. देश की नदियों और जल-संसाधनों के उपयोग के लिए पहल करना;स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से पूरे राष्ट्र को जोड़ने में सुगमता प्रदान करना;आवास निर्माण को प्रोत्साहन देकर साधारण आय-वर्ग के लोगों के लिए घर सुलभ कराना;इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी और टेलिकॉम क्षेत्रों में तेज गति से विकास का वातावरण उपलब्ध कराना;हमारे बहादुर जवानों, मेहनती किसानों और निष्ठावान वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएँ लागू करना;और पूरे विश्व में भारत को शांतिप्रिय परंतु शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करना अटल जी के अनेक बहुमूल्य योगदानों में शामिल हैं।
11. अटल जी का सपना था कि इतिहास में इक्कीसवीं सदी को भारत की सदी के रूप में पहचाना जाए। उनके सम्मान में, मैं आप सबके सम्मुख उनके स्वप्न और संकल्प को उन्हीं के शब्दों में व्यक्त करना चाहूँगा। अटल जी ने कहा था: