58वें एनडीसी पाठ्यक्रम के संकाय सदस्यों और पाठ्यक्रम प्रतिभागियों से भेंट के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द द्वारा संबोधन
राष्ट्रपति भवन : 12.11.2018
1. मुझे राष्ट्रपति भवन में आप सब का स्वागत करते हुए बड़ी प्रसन्नता हो रही हैlमुझे यकीन है कि एनडीसी का 58वां पाठ्यक्रम आप सभी के लिए लाभप्रद और शिक्षाप्रद रहा है।वास्तव में यह एक अनूठा पाठ्यक्रम है क्योंकि इसमें हमारे सशस्त्र बलों और लोक सेवाओं के अधिकारी एक मंच पर आते हैं। मुझे यकीन है कि जितना आपने संकाय सदस्यों से सीखा है उतना ही एक दूसरे से भी सीखा होगा।मैंने यह भी नोट किया है कि यहाँ 22 सहभागी देशों के 25 प्रतिभागी अधिकारी भी उपस्थित हैं।मुझे आशा है कि आपने अपने पाठ्यक्रम के साथ साथ भारत के अपने प्रत्यक्ष अनुभव से लाभान्वित होने के काफी अवसर प्राप्त किए होंगे।मैं आज यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों, संकाय सदस्यों और अधिकारियों केपतियों/पत्नियों का भी स्वागत करता हूं।
2. जिस वैश्विक वातावरण में हम रह रहे हैं,वह बहुत चुनौतीपूर्ण और गतिशील हैlएक ऐसा समय था जब किसी राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की आवश्यकता के लिए सुरक्षा और प्रतिरक्षा समानार्थी थेlपरआज ऐसा नहीं हैl
3. आज, सुरक्षा की अवधारणा मेंआर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य, भोजन,नवीन प्रौद्योगिकीऔर वातावरण भी शामिल है। लगातार निकट संपर्क स्थापित करती दुनिया में, हमारी राष्ट्रीय सीमाओं से बाहर हो रही राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिकउथल-पुथल से हमारी सुरक्षा पहले के मुकाबले कहीं अधिक प्रभावित होती हैl
4. उपर्युक्त में से प्रत्येक क्षेत्र में सामने आ रही चिंताओं पर सफलतापूर्वक नियंत्रण पाने और निपटने की किसी देश की क्षमता से इसकी राष्ट्रीय शक्तिका पता चलता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इनसभी क्षेत्रों में विशेषज्ञता और विश्लेषण की आवश्यकता होती हैlतथापि, ये क्षेत्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और हमारी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार तत्वों द्वारा इनके प्रति एकीकृत दृष्टिकोण साथ साथ सतत शिक्षण और ज्ञान अद्यतन करने की प्रक्रिया की जरूरत है।
5. एकीकृत तरीके से कार्य करने के लिए भिन्न-भिन्न कार्यक्षेत्रों को एक साथ लाना एक जटिल कार्य है।भारत जैसी लोकतांत्रिक प्रणाली में, इसके लिए शासन की भिन्न-भिन्न एजेंसियों और विभागों-याखुले तौर पर कहा जाए तो निजी क्षेत्र -को भी समन्वयपूर्वक कार्य करने की आवश्यकता होती हैlऔर एक दूसरे के कार्यकरण की शक्तियां और बाधाएं समझने की आवश्यकता होती हैl
6. इसका अर्थ यह है किराजनीतिक कार्यकर्ताओंऔर लोक सेवाओं केअधिकारियों को प्रतिरक्षा बलों की क्षमता और विचारधारा से परिचित होना चाहिए। इसी प्रकार सैन्य अधिकारियों को उन संवैधानिक और प्रशासनिक ढांचों के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है जिसके तहत कार्यपालिका कार्य करती है। ये सभी तत्व, राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण के निर्माण के घटक तत्वहैंl
7. इस मामले में किसी राष्ट्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने संबंधित मानव संसाधनों के विकास में कितना प्रभावी है। इसे देखते हुए ही एनडीसी पाठ्यक्रम अति महत्वपूर्ण हो जाता है। लोक सेवा और सेना के आप सभी अधिकारी-लगभग11 महीनों की अवधि के लिए एक साथ आते हैं। मुझे विश्वास है कि अपने सहपाठियों के साथ विशेषज्ञता और संबंधित परिप्रेक्ष्य को साझा करने के पर्याप्त अवसर इसमें मिलते हैंlपाठ्यक्रम से एक दूसरे की शक्तियों और सीमाओं की तथा सहकार के लिए संभावित अवसरों की समझबढ़ी होगीl अंततः,ये 11 महीने विशेष रूप से कुशल अधिकारियों के समूह के निर्माण के लिए एक निवेश है जिनमें समग्र सुरक्षा दृष्टिकोण की समझ, निर्माण और कार्यान्वयन की सामर्थ्य हो। इस पाठ्यक्रम से न केवल किसी देश विशेष की आवश्यकताएं पूरी होती हैं,अपितु हमारी साझा सुरक्षा चिंताओं की प्रबुद्ध समझ के लिए मार्ग प्रशस्त होता हैl
8. मुझे बताया गया है कि एनडीसी की पाठ्यचर्या में 6 घटक अथवा अध्ययन क्षेत्र शामिल हैं।सामाजिक-राजनीतिक अध्ययन से भारतीय समाज और राजनीतिक व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं समझने में सहायता मिलती हैlआर्थिक सुरक्षा अध्ययन में आपका परिचय ऐसे सिद्धांतों और व्यवहारों से कराया जाता है जिनसे आर्थिक प्रवृत्तियों और व्यापक सुरक्षा पर इनके प्रभाव की रूप-रेखा तैयार होती है।
अगले 3 अध्ययन और कराए जाते हैं। ये हैं:-
I. अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण
II. प्रौद्योगिकी और पर्यावरण सहित वैश्विक मुद्दे
III.अपने पड़ोसी देश के संदर्भ में भारत की सामरिक स्थिति
9. इन सभी में ऐसे घटकों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जिनसे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण का निर्माण होता है- और जो भारत की विदेश नीति को प्रभावित करते हैंl
10. अंतिम अध्ययन, राष्ट्रीय सुरक्षा की रणनीति और संरचनाओं का किया जाता है।इसमें उन सभी चीजों का संशलेषण होता है जो आपने वर्ष के दौरान सीखा और अनुभव किया हैl
11. मुझे विश्वास है कि इस पाठ्यक्रम और अनुभव से आपने बेहतर ज्ञान अर्जन किया है और अपने देश के सुरक्षा परिदृश्य में सहयोग की आपकी क्षमता बढ़ी हैl
12. भारत और उसके पड़ोसी देश-तथा वृहत रूप से पूरा एशिया महाद्वीप बहु-विध सुरक्षा खतरों और जोखिमों का सामना कर रहा है जिनका महत्व अब वैश्विक स्तर पर दिखाई देता है।आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद ऐसी सर्वव्यापी चुनौतियां हैं जो राज्य-आधारित भी हैं और एक-दूसरे से भिन्न भी। चूंकि, एशिया महाद्वीप अब वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के महत्वपूर्ण क्षेत्र और विकास के केन्द्र के रूप में उभर रहा है, ऐसी स्थिति में सुरक्षा संबंधी चिंताएं हमारे आर्थिक हितों और विकास उद्देश्यों की सुरक्षा पर अधिक केंद्रित होंगी।समुद्री क्षेत्र से लेकर साइबर स्पेस-तक सभी क्षेत्रों से खतरेसामनेआएंगे।हमें तैयार रहना होगा।
13. हमें भारत की और अपने संबंधित देशों-दोनों की सुरक्षा के संबंध में ‘रणनीतिक संस्कृति’विकसित करने की आवश्यकता हैlएनडीसी के स्नातक और पूर्व छात्र के रूप में,अब आप एक ही परिवार का हिस्सा हैंlऔर एनडीसी के संकाय सदस्यों के साथ,मैं आश्वस्त हूं कि आप आने वाले वर्षों में सुरक्षा के बहुआयामी दृष्टिकोण की हमारी समझ को सुदृढ़ करने में अपना योगदान करेंगे।
14. मैं एनडीसी और इस पाठ्यक्रम के सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देता हूंlहमारे अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियोंके लिए मुझे यही आशा है कि उनके लिए यह समय भारत को समझने और मित्र बनाने का भी रहा होगाlआप जहां कहीं भी जाएंगे, आप अपने साथ थोड़ी भारतीयता लेकर जाएंगे।