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यंगून में भारतीय समुदाय के स्वागत समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

यंगून : 12.12.2018

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1. आपके द्वारा किये गए हार्दिक स्वागत के लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं।वैसे तो गांधीजी के पसंदीदा भजन का अर्थ हमेशा प्रेरणादायक और बॉलीवुड का मधुर संगीत हमेशा सुखद होता है, लेकिन इसके मायने तब और अधिक बढ़ जाते हैं जब ये हमारी एक जुटता और हमारे आपसी संबंधों के जश्न में गाए जाएं।

2. मैं भगवान बुद्ध की धरती से आपके लिए शुभकामनाएं लेकर आया हूं।मेरी कामना है कि उनकी महान शिक्षा और ज्ञान से हमें आपके दैनिक जीवन में मार्गदर्शन प्राप्त हों, और हम आत्मज्ञान की राह पर आगे बढ़ सकें।

3. मैं आपको दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के 130 करोड़ नागरिकों और भारत में रह रहे आपके मित्रों और परिवारों की शुभकामनाएं भी सौंपता हूं।म्यांमार ने एक रोमांचक लेकिन चुनौतीपूर्ण यात्रा शुरू की है।मैं यहां म्यांमार को आश्वस्त करने आया हूं कि उज्ज्वल भविष्य के आपके सपनों को पूरा करने में भारत आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार है।

4. मुझे भारतीय मूल के लोगों और भारतीय प्रवासियों के बीच आने पर खुशी हुई है।आप सभी ने अपनी मेहनत और समर्पण से अपने लिए एक मुकाम बनाया है।आप इस राष्ट्र के गौरवशाली नागरिक हैं और इस राष्ट्र के निर्माण तथा प्रगति में योगदान दे रहे हैं।और, आपने स्थानीय रीति-रिवाजों का पालन करते हुए भी अपनी संस्कृति, मूल्यों और लोकाचार को बरकरार रखा है।ऐसा करते हुए, आपने इस खूबसूरत देश और इसके लोगों के सांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध किया है।अपनी परंपराओं के संरक्षण में, आप भारतीय संस्कृति और मूल्यों के ध्‍वज वाहक रहे हैं।कभी लोगों को जोड़कर, कभी व्यापार को सुगम बनाकर और कभी भारत की आध्यात्मिक यात्रा पर जाने वाले धर्मपरायण लोगों का मार्गदर्शन करके, वास्तव में आपने इस देश के साथ भारत के संबंधों को बेहतर बनाया है।

देवियो और सज्जनो,

5. म्यांमार की यह मेरी पहली यात्रा है।एक तीर्थ यात्रा के साथ-साथ यह अपने घर आने जैसा भी है।इस देश में बौद्ध मत और दर्शन की सैकड़ों वर्ष पुरानी गौरवशाली परंपरा है।यह देश, बौद्ध धर्म के प्रमुख सम्प्रदायों में से एक का पोषणकर्ता है।

6. साथ ही, भारत की ही तरह, म्यांमार एक विशाल विविधता वाला देश है, जहाँ भिन्‍न-भिन्‍न जातीयताएं और आस्थाएँ एक साथ विद्यमान हैं।और हमारे साझे सभ्यतागत लोकाचार से हमें पता चलता है कि सभी धर्मों में एक ही मौलिक सत्य विद्यमान है, जो हम सभी का मार्गदर्शन करता है।हमने हमेशा किसी धार्मिक विचारक का यह संदेश आत्‍मसात् किया है कि -"जीवन रुपी पर्वत पर किसी भी ओर से चढ़ना संभव है, लेकिन शीर्ष पर पहुंचने के बाद दिखाई देता है कि सभी रास्ते एक ही जगह जाकर मिलते हैं"।

देवियो और सज्जनो,

7. आज म्यांमार लोकतंत्र, शांति और आर्थिक विकास की दिशा में एक साथ और बहुविध परिवर्तनों से गुजर रहा है।स्टेट काउंसलर दॉ आंगसानसू की के साहसी नेतृत्व में इन प्रयासों में मिली सफलता, इस देश के लिए, दक्षिण एशिया और ‘आसियान’ परिवार के लिए और पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है।

8. एक सहयोगी लोकतंत्र और सैकड़ों वर्ष पुराने मित्र के रूप में, म्यांमार के समक्ष आई चुनौतियों से भारत पूरी तरह से अवगत है।70 वर्षों में, हमने अपने यहां ऐसी शासन की प्रणालियां और संरचनाएं स्थापित की हैं जिनसे विविधता की स्थिति में भी राष्ट्रीय प्रगति संभव हो पाई है।और चूंकि यह हमारे सभ्यतागत लोकाचार पर आधारित है, इसलिए हमने इस संबंध में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

9. एक अच्छे पड़ोसी होने के नाते हम म्यांमार को उसके राष्ट्रीय समाधान, पुनर्निर्माण और आर्थिक विकास की चुनौतियों का सामना करने में किसी भी तरह की सहायता देने के लिए तैयार हैं।

देवियो और सज्जनो,

10. आज, हम सभी पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों को चुनौतीपूर्ण संयोजन का सामना कर रहे हैं।आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद, मानव जाति के लिए सबसे बड़े खतरे बनकर उभरे हैं।और लोकतांत्रिक देश, और लोकतांत्रिक विशेष रूप से विविधता पूर्ण लोकतंत्र, अधिक संकट का सामना कर रहे है।

11. दुनिया को अपनी ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, महामारी और बार-बार आने वाली मानवीय आपदाओं के खतरों का भी सामना करना पड़ रहा है।वैश्विक रूप से उभय गामी क्षेत्र, जैसे बाहरी अंतरिक्ष, गहरे समुद्र और साइबर स्पेस में अधिक प्रतिस्पर्धा दिखाई दे रही है।

12. कोई भी देश इन चुनौतियों से अभेद्द नहीं है।इसी प्रकार, कोई भी देश इनका समाधान अकेले नहीं कर सकता है।हम सभी को अपनी क्षमताओं को एकजुट करते हुए टकराव के बजाय सहयोग से कार्य करना चाहिए।हमें ऐसे मतभेदों को भुलाना होगा जो हमें विभाजित करते हों।और हमें यह भी समझने की जरुरत है कि मानवता, समानता और करुणा के भाव हमें एकजुट करते हैं और हमें सार्थक सहयोग की ओर ले जाते हैं।

13. ये मूल्य बौद्ध मत का सार हैं, और हमारी साझा संस्कृतियों का हिस्सा हैं।इनकी गूंज महाभारत में भी सुनाई देती है, जो शांति से क्रोध पर, अच्छाई से बुराई पर और सच्चाई से झूठ पर विजय प्राप्त करने का आह्वान करता है।भारत में, इस प्राचीन ज्ञान की शक्ति को महात्मा गांधी द्वारा "सत्याग्रह" की ओर मोड़ा गया, जिसने स्वतंत्रता के लिए हमारे अहिंसात्मक संघर्ष को प्रेरित किया।गांधीजी, जिनकी 1 50वीं जयंती समारोह का हमने हाल ही में शुभारम्भ किया है, ने यह दर्शाया था कि अहिंसक साधनों से राजनीतिक परिवर्तन कैसे किया सकता है।दरअसल, स्वतंत्र भारत ने शांति और मैत्री को केन्‍द्र में रखते हुए हिंसा के त्याग को रेखांकित करते हुए इसी विचार पर अपनी विदेश नीति बनाई।

14. आज, हमारी विदेश नीति के प्रमुख सिद्धांतों को इस विचार से मार्गदर्शन मिल रहा है कि विकास का मार्ग इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है।इसी कारण "एक्ट ईस्ट" और "नेबरहुड फर्स्ट"-दोनों नीतियां हमारी विदेश नीति के प्रमुख आयाम बनी हुई हैं।ये दोनों ही हमारे संबंधों में प्राथमिकता पा रही हैं, और म्यांमार दोनों ही मामलों में प्रमुखता प्राप्‍त देश है।इन नीतियों ने भारत को एक ऐसी दुनिया में स्‍थान पाने में मदद की है, जहां हमारा देश न केवल अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना है, बल्कि अपने पड़ोसियों को भी तरक्की और विकास में भागीदारी करने में सक्षम बनाता है।इन अवसरों का विस्‍तार व्यापार और निवेश से कहीं आगे ऊर्जा और विद्युत ग्रिड, संचार और परिवहन, और लोगों के बीच आपसी संबंधों में हुआ है।

15. हाल ही में, खासकर पड़ोसी देशों के साथ विकासात्मक सहयोग भारत के संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।आज हम पड़ोसियों और अन्य देशों के साथ बुनियादी ढांचे के निर्माण, क्षमता निर्माण और संस्थानों की स्थापना के बारे में अपनी विशेषज्ञता साझा करते हैं।हम ऐसा इस विचार से करते हैं कि एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर पड़ोस सभी के हित में होता है।

16. और ऐसी परियोजनाओं को कार्यान्वित करते समय, हमारा दृष्टिकोण आधारित होता है :-
· यह सुनिश्चित करने पर कि ये परियोजनाएं हमारे भागीदारों की प्राथमिकताओं के अनुरूप हों;
· यह सुनिश्चित करने पर कि ये कानून के शासन और सुशासन का सम्मान करती हों;
· पारदर्शिता पर जोर देने, और स्थानीय समुदायों को कौशल और प्रौद्योगिकी का हस्‍तांतरण करने के लिए प्रतिबद्ध हों;
· यह सुनिश्चित करने पर कि वे पर्यावरण और सामाजिक सरोकारों के अनुकूल हों; और सबसे महत्वपूर्ण रूप से,
· यह सुनिश्चित करने पर कि वे इन देशों पर असाध्‍य बोझ न बनें।

ये नियम, जिम्मेदार परियोजना विकास के आवश्यक मानदण्ड हैं।मुझे खुशी है कि हमारा द्विपक्षीय सहयोग इन सिद्धांतों के आधार पर ही बनाया गया है।

देवियो और सज्जनो,

17. राष्ट्रपति और स्टेट काउंसलर के साथ कल हुई मेरी बैठकों के दौरान, मैंने म्यांमार की शांति, राष्ट्रीय सुलह और आर्थिक विकास के प्रयासों में भारत के पूर्ण समर्थन की बात दोहराई।

18. भारत राष्ट्रव्यापी युद्धविराम समझौते का गवाह है; हम इसे और अधिक समावेशी बनाने के प्रयासों के पूर्ण समर्थन में हैं।हम न्याय, समानता और गरिमा के आधार पर सभी हितधारकों के बीच शांतिपूर्ण बातचीत का समर्थन करते हैं।हम म्यांमार संघीय गणतंत्र की एकता और क्षेत्रीय अखंडता का भी पूरा सम्मान करते हैं।हम इस सोच पर यकीन करते हैं कि म्यांमार की सुरक्षा में हमारी अपनी सुरक्षा और समूचे क्षेत्र की सुरक्षा निहित है।

19. मैंने म्यांमार की विकास प्राथमिकताओं और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को कार्यान्वित करने के भारत के प्रयासों पर भी चर्चा की।इन मामलों में अच्छी वास्‍तविक प्रगति हो रही है और हम म्यांमार के प्राधिकरणों की निरंतर सहायता की उम्‍मीद करते हैं ताकि उन्हें निर्धारित समय पर पूरा किया जा सके।इन परियोजनाओं द्वारा निर्मित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आर्थिक अवसरों से क्षेत्र विकास के गलियारों में बदल जाएंगे, जिससे पूरे क्षेत्र में समृद्धि आएगी।

20. दरअसल, हमारे उत्तर पूर्व के क्षेत्र और म्यांमार के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में संस्कृति, भाषा और परंपराओं के संदर्भ में गहरी समानताएं विद्यमान हैं।ये क्षेत्र विकास, समृद्धि और सुरक्षा के हमारे द्विपक्षीय विज़न के केन्द्र में हैं।आखिरकार, बेहतर कनेक्टिविटी से लोगों के बीच परस्‍पर संबंध बेहतर बनते हैं, व्यापार का विस्तार होता है और समृद्धि आती है।और इसीलिए, हमारे सीमा क्षेत्र, केवल परिधीय क्षेत्र न होकर हमारी साझेदारी के प्रथम पंक्ति के रक्षक बन गए हैं।

21. फिर भी, इसके सफल होने के लिए, हमारी सीमाओं पर शांति का होना एक आवश्यक शर्त है।हम लोगों को, कानूनी ढंग से और आसानी यात्रा के लिए, मोटर वाहन समझौते जैसी कानूनी व्यवस्था के नरम बुनियादी ढांचे के साथ सड़क निर्माण की अवसंरचना के मुद्दे को जोड़ना चाहिए।इससे हमारी परियोजनाओं की पूरी क्षमता का दोहन करने में मदद मिलेगी।

देवियो और सज्जनो,

22. आज हमारी दोस्ती और हमारे जुड़ाव को पुनः जागृत करने के 25 साल के द्विपक्षीय प्रयासों का असर दिखाई दे रहा है।यहाँ, प्रवासी भारतीय और भारतीय मूल के बड़े समुदाय द्वारा इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है।आप में से कई ऐसे भारतीय मूल के लोग हैं जो पाँचवीं या छठी पीढ़ी के भारतीय प्रवासी हैं। आपका समुदाय अपनी शांति-प्रियता और कानून का पालन करने वाले स्वभाव के लिए जाना जाता है।आप अपनी कड़ी मेहनत के माध्यम से म्यांमार के विकास में अपना योगदान करते हैं।

23. मैं आपके हौसले, बहुलवाद, उद्यमिता और निष्‍ठा के लिए और सबसे बढ़कर, आपके प्रगतिशील रवैये के लिए आपको सलाम करता हूं।इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारतीय मूल के लोग किस देश के नागरिक हैं, और जहां कहीं भी भारतीय मूल के लोग रहते हैं, उनके कार्य भारतीयता के आधारिक मूल्यों अर्थात् परिवार-भावबिरादरी, संवाद, कड़ी मेहनत, शिक्षा और सेवा पर आधारित होते हैं।

24. लेकिन आज की स्थिति में म्यांमार में, हमें और बेहतर करना है।हमारे युवाओं को हमारे सभ्‍यतागत जुड़ावों को सराहने की जरूरत है।उन्हें उपनिवेशवाद के खिलाफ हमारे संघर्षों को जानने-समझने की जरूरत है।उन्हें सतगुरुराम सिंह, बालगंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और नेताजी सुभाष चंद्र बोस केबारे में बताया जाना चाहिए, जिन्हें अंग्रेजों ने यहां के जेलों में बंद किया था।उन्हें यह जानने की जरूरत है कि म्यांमार के स्वतंत्रता आंदोलन को महात्मा गांधी की दूरदृष्टि ने कैसे प्रभावित किया।और उन्हें यह भी बताए जाने की जरूरत है कि कैसे श्री सत्यनारायण गोयनका ने सयागी ऊ बा खिन से शिक्षा लेकर विपस्‍सना को पूरी दुनिया में प्रसारित किया।

25. जब तक हम अपने इतिहास को नहीं समझते तब तक हम एक दूसरे की क्षमताओं का पूरा लाभ नहीं उठा सकते हैं।हमें एक साथ काम करने के बेहतर संकल्प के साथ एक दूसरे की ओर रुख करना चाहिए।और भारत के विकास की बढ़ती धारा से इस कार्य को करने की हमारी क्षमता में भी इज़ाफा होता है।आपको भारत में हो रहे परिवर्तनकारी बदलावों से जुड़ना होगा और देखना होगा कि आप इसकी ऊर्जा और मूल्य म्यांमार तक कैसे पहुंचा सकते हैं, और इस प्रक्रिया से दोनों ही देशों को तरक्की करने और विकसित होने में मदद मिलेगी।

26. लगभग एक माह में, हम प्रवासी भारतीय दिवस मनाएंगे, जहाँ हम आप सभी के महान योगदानों के लिए आप का सम्मान करतेहैं।मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप, वाराणसी के ऐतिहासिक शहर में 21 से 23 जनवरी, 2019 तक आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए आप सभी से आग्रह करता हूं। आज भारत व्यापार, सामाजिक उद्यम और सांस्कृतिक जुड़ाव के अवसरों से भरपूर है।भारत परिवर्तनकारी बदलाव के मुहाने पर है।मैं आप सभी को इस यात्रा में शामिल होने और इस साझेदारी को और अधिक सार्थक बनाने के लिए आमंत्रित करता हूं।

शेज़ू तिन बादे!आपको धन्‍यवाद।