आईएनएस शिवाजी को ध्वज प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
लोनावाला : 13.02.2020
1. सह्याद्री पर्वत माला के हरे-भरे वातावरण के बीच यहां आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। वनों, झरनों, झीलों और इसके आसपास की पहाड़ियों से निर्मित सुन्दर वातावरण में प्रकृति में लीन होने का शांतिप्रिय अनुभव प्राप्त होता है।
2. मैं सभी अधिकारियों और नाविकों को बधाई देना चाहूंगा कि परेड में उनकी शानदार वस्त्रसज्जा, स्मार्ट ड्रिल और उनकी सधी हुई हरकत बहुत प्रभावी रही। आज की सुबह, ऊर्जा से लबरेज परेड और आपके प्रदर्शन को देख कर यह पता चलता है कि भारतीय नौसेना के इस अग्रणी तकनीकी प्रशिक्षण प्रतिष्ठान में उच्च स्तर का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
3. आईएनएस शिवाजी को ‘राष्ट्रपति ध्वज’ प्रदान करना मेरे लिए गर्व का क्षण है। यह प्रतिष्ठान 1945 में ‘एचएमआईएस शिवाजी’ के रूप में आरम्भ हुआ था। तब से लेकर अब तक यह प्रतिष्ठान,अत्याधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं के साथ भारतीय नौसेना की अग्रणी प्रमुख तकनीकी प्रशिक्षण संस्था के रूप में विकसित हुआ है। संस्था ने ‘मरीन इंजीनियरिंग’ के सभी पक्षों में तेजी से बदलती हुई प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बनाए रखा है।
4. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि नौसेना, तट रक्षक बल और अन्य मित्र देशों से आए समुद्री इंजीनियरिंग शाखा के कुल दो लाख से अधिक अधिकारियों और नाविकोंने अब तक इस उत्कृष्ट संस्था से प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
5.जैसा कि आप जानते हैं,राष्ट्रपति ध्वज शांति या युद्ध के समय, किसी सैन्य इकाई द्वारा की गई राष्ट्र की असाधारण सेवा के लिए दिए जाने वाले उच्च सम्मानों में से एक है। आईएनएस शिवाजी ने वर्षों से देश की उत्कृष्ट सेवा करते हुए अपने लिए विशिष्ट स्थान बनाया है। इसकी पेशेवर उत्कृष्टता का शानदार रिकॉर्ड रहा है और इसने अपने दायित्वों का निर्वहन गौरवशाली तरीके से किया है। अपने समर्पण और कर्तव्य के प्रति निष्ठा के लिए राष्ट्र इसे नमन करता है। आईएनएस शिवाजी की उपलब्धियों पर हम सभी को गर्व है और हम भारतीय नौसेना में आप उल्लेखनीय योगदान की सराहना करते हैं।
6. आज इस महत्वपूर्ण अवसर पर, आइए हम उन लोगों को याद करें जिन्होंने इस बेहतरीन संस्था के निर्माण के लिए दशकों से अथक प्रयास किया है। उनका स्मरण करते हुए हमें अपने सभी प्रयासों में उत्कृष्ट प्रदर्शन जारी रखने के लिए अपना कर्तव्य याद रखना चाहिए ताकि भारतीय नौसेना इसी प्रकार से स्वर्णिम ऊंचाइयों और गौरव की ओर आगे बढ़ती रहे।
7. आज जब आईएनएस शिवाजी ने उत्कृष्टता के 75 वर्ष पूरे किए हैं, तब हमें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और अब तक की यात्रा पर विचार करने के साथ-साथ भविष्य की ओर भी निहारना चाहिए। स्वायत्त जहाजों के निर्माण की प्रौद्योगिकी में तीव्र विकास हो रहा है। निर्णय लेने और युद्ध करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग किया जा रहा है। कोर इंजीनियरिंग पेशे में दक्षता बनाए रखते हुए मरीन इंजीनियरों के प्रशिक्षण की संरचना इस प्रकार से कननी होगी कि वे नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी के साथ काम करने में प्रशिक्षित हो सकें। मुझे विश्वास है कि आईएनएस शिवाजी अपने संस्थान से उतीर्ण होकर जाने वाले सभी प्रशिक्षुओं को उनके भावी जीवन में जरूरी सिद्ध होने वाले कौशलों में दक्ष करेगा।
8. किसी राष्ट्र के समुद्री हित, आमतौर पर इसकी अर्थव्यवस्था और इसके लोगों की भलाई से भी जुड़े होते हैं। मुझे बताया गया है कि हमारे व्यापार की कुल मात्रा का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा समुद्री मार्गों से संचालित किया जाता है। इस वास्तविकता को देखते हुए न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के सन्दर्भ में बल्कि आर्थिक सुरक्षा के मामले में भी भारतीय नौसेना की भूमिका बढ़ जाती है, और इस प्रकार राष्ट्र निर्माण की व्यापक प्रक्रिया में भारतीय नौसेना की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। नौसेना भारत की समुद्री शक्ति का प्रमुख साधन है। यह सैन्य और नागरिक दोनों क्षेत्रों में राष्ट्रीय समुद्री हितों का संरक्षक है। हमारे समुद्री सीमाओं की रक्षा करने, हमारे व्यापार मार्गों को सुरक्षित रखने और आपात स्थिति के समय नागरिकों की ओर सहायता का हाथ बढ़ाने वाली नौसेना की प्रतिबद्धता पर राष्ट्र को गर्व है।
9. पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हुए और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’की भावना के साथ आगे बढ़ते हुए,अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों को भारत निरंतर पूरा करता आ रहा है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि हाल ही में, साइक्लोन‘डायने’ के कारण मेडागास्कर में हुई तबाही से प्रभावित आबादी को मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान करने के लिए भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन‘वनीला’संचालितकिया। भारत और मेडागास्कर हिन्द महासागर क्षेत्र के माध्यम से जुड़े हुए हैं। मुझे 2018 में इस राष्ट्र की यात्रा पर जाने का अवसर मिला था। मुझे विशेष प्रसन्नता है कि भारत हमारे मालागासी भाइयों और बहनों के रक्षा के लिए सबसे पहले सामने आने वाले देशों में से एक था।
10. एक प्रमुख शक्ति के रूप में, भारत अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, व्यापार और वाणिज्य के संबंध में वैश्विक प्रतिमानों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भारत का उदय,हमारे सशस्त्र बलों की क्षमताओं और शौर्य सहित अनेक कारकों से ऊर्जा प्राप्त करके हुआ है।
11. आज, पूरे विश्व और विशेष रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनीतिक स्थिति में अधिक सतर्कता की आवश्यकता प्रतीत होती है। मुझे ज्ञात है कि हिन्द महासागर क्षेत्र में नौसेना ने मिशन-आधारित तैनाती की है। हमारे हित साधन वाले क्षेत्रों में तैनाती और निरंतर उपस्थिति के लिए समुद्री इंजीनियरों का उच्च गुणवत्तायुक्त प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। पारंपरिक से लेकर परमाणु प्रणोदन प्रणाली और इलेक्ट्रिक तथा हाइब्रिड प्रणोदन के क्षेत्र में भी भविष्य में अत्यधिक विविधता देखने को मिलेगी। नौवहन प्लेटफार्मों की प्रचालन की उपलब्धता संबंधी बढ़ती जरूरतों के साथ रखरखाव की अवधारणा में भी क्रांतिकारी बदलाव होने की उम्मीद है। आईएनएस शिवाजी से अपेक्षित होगा कि सभी प्रशिक्षुओं को आवश्यक कौशल प्रदान करके उन्हें वे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने योग्य बनाना होगा।
12. आईएनएस शिवाजी का ध्येय वाक्य, 'कर्मसु कौशलम्' है। इसका अर्थ है "कार्यों में कुशलता प्राप्त करना।" यह वास्तव में एक उपयुक्त ध्य’य वाक्य है। मुझे विश्वास है किआईएनएस शिवाजी अपने पेशेवर रवैये और पूरी दक्षता के साथ अपनी भूमिका और उतरदायित्व का निर्वहन करते हुए अपने कद में बढ़ोतरी और उपलब्धियों में उत्कृष्टता हासिल करना जारी रखेगा।
13. इस गौरवपूर्ण अवसर पर, भारतीय नौसेना और आईएनएस शिवाजी की पुनः सराहना करता हूं और सभी पुरुष और महिला अधिकारियों से आग्रह करता हूं कि वे राष्ट्र के लिए अपनी निस्वार्थ और समर्पित सेवा जारी रखें। मैं आपके तथा आपके परिवार के सुखद भविष्य की कामना करता हूं और भारत के प्रत्येक नागरिक को शुभकामनाएं देता हूं।
मेरी शुभकामना है कि सागर पर आपका परचम सदा फहराता रहे!