Back

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द जी का चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में सम्बोधन

कानपुर : 14.02.2018

Download PDF

1.‘चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय’ द्वारा आयोजित अंतर-राष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी के आयोजन के अवसर पर उपस्थित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। ‘सोसाइटी फॉर एग्रीकल्चरल प्रोफेशनल्स’, ‘दलहन अनुसंधान संस्थान’, ‘भारतीय शर्करा संस्थान’ तथा ‘भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान’ आदि ने मिलकर यह आयोजन किया है और इससे ‘संस्था अनेक-उद्देश्य एक’ की महत्ता प्रमाणित होती है। इस आयोजन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि यहां देश विदेश से आये वैज्ञानिक, छोटी जोत के किसानों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान के साथ-साथ खेती-बाड़ी से जुड़े कई गंभीर विषयों पर चर्चा करेंगे, सुझाव देंगे और समस्याओं के समाधान का प्रयास करेंगे। मुझे यह जानकर प्रसन्नेता हुई कि यहां से शिक्षा प्राप्तक करने वाले Alumni में पद्म भूषण डॉ. आर.बी. सिंह, डॉ. अख्ततर हुसैन, डॉ. आर.एस. द्विवेदी तथा कई विश्वनविद्यालयों के कुलपति, वैज्ञानिक और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं, जिन्होंतने इस ‘पत्थ्र कॉलेज’ का नाम देश के कोने-कोने तक पहुंचाया है।

2. इस अवसर पर उपस्थित होना मेरे लिए सचमुच खुशी की बात है क्योंकि यह संस्थान कानपुर में स्थित है जिसे गंगा नदी पर बसे प्राचीन शहरों में से एक शहर होने का गौरव प्राप्त है। यह कानपुर जनपद मेरी जन्मच-भूमि है, यहीं से मैंने अपनी उच्चे शिक्षा भी प्राप्तव की। यहां की यादें मेरे मन में आज भी ताजा हैं। इस शहर ने साहित्यह, विज्ञान, पत्रकारिता और चिंतन की धाराओं को नई दिशा दी है। यह शहर आज़ादी की लड़ाई का प्रमुख केन्द्रत रहा है। यहां के गांव और गलियां, 1857 के प्रथम स्वितंत्रता आंदोलन के दौरान नाना साहब, तात्या टोपे और उनके साथियों की बहादुरी के गवाह भी रहे हैं।

3. मानवता के संपूर्ण इतिहास में मानव विकास और संस्कृति के लिए समुचित खाद्य उत्पादन की व्यवस्था करना सदैव एक चुनौती रही है। प्राणी-मात्र के लिए भोजन जुटाने की एक बड़ी जिम्मेदारी आज भी कृषि वैज्ञानिकों के सामने मौजूद है। हालांकि आजादी के बाद हमारे कृषि उत्पादन में असाधारण वृद्धि हुई है फिर भी भूख, कुपोषण और गरीबी से मुक्तिे पाने के लिए लगातार प्रयास आवश्यक हैं।

4. भारत सरकार की कृषि-नीति में किसानों के लिए उत्पावदक तथा लाभकारी on-farm और non-farm रोजगार सृजित करने पर बल दिया जा रहा है। आज देश में कृषि विकास हेतु बड़ी संख्या में कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना, खेती में Innovation, मौजूदा संस्थाओं में ढांचागत सुविधाओं का विस्तार, अनुसंधान, किसानों को बेहतर परामर्श, एवं वैज्ञानिक तरीके से क्लास्टअर मॉडल का विकास किया जा रहा है।

5. महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इस बात पर जोर दिया था कि किसान ही भारतीय जीवन का केन्द्र-बिन्दु हैं। किसान हम सबके अन्नदाता हैं, राष्ट्र निर्माता हैं। उनकी उन्नति एवं विकास के लिए कार्य करना ही देश की सच्ची सेवा है।

6.‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत, देश में गंगा का अविरल प्रवाह और निर्मल धारा सुनिश्चित करने की दिशा में काम करते हुए, कृषि विकास को बल दिया जा रहा है। हमारे देश में 60 प्रतिशत खेती आज भी वर्षा पर आधारित है, और लगभग 13 राज्यों को किसी न किसी वर्ष सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ता है। कम पानी से पैदा होने वाली फसलों और पानी का सही इस्तेथमाल करने के बारे में किसानों को जागरूक बनाना है। मुझे बताया गया है कि हरियाणा के करनाल जिले में किसानों के एक समूह ने वैज्ञानिकों की मदद से फसल के अवशेषों से खाद बनाना आरंभ किया है। ‘भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली’ द्वारा विकसित ‘आम्रपाली’ एवं ‘मल्लिका’ नामक आम की हाइब्रिड प्रजातियों से उड़ीसा एवं झारखण्ड के आदिवासी क्षेत्रों के किसानों की आय बढ़ाने में सफलता मिली है।

7. भारत जैसे विशाल देश में अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों की समस्या़एं अलग-अलग हैं। हमें उनकी जरूरत के अनुसार अलग-अलग समाधान खोजने होंगे। भारत सरकार ने ‘per drop, more crop’ का संदेश दिया है और इस संदेश को देश के हर किसान भाई-बहिन तक पहुंचाना है।

8. कृषि विकास हेतु ‘इन्द्रधनुष’ क्रान्ति, देश के किसानों के लाभ की एक नई पहल है। अनाज, दुग्ध उत्पादन, पशुपालन एवं मछली पालन, मुर्गी पालन, बागवानी, रेशमकीट पालन को कृषि के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। साथ ही किसान को उसकी उपज की उचित कीमत दिलाने में मार्केटिंग एवं फूड प्रोसेसिंग उद्योग की भूमिका को प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है।

9. सम्मेालन के साथ ही ‘एग्री एक्सशपो’ का आयोजन भी किया जा रहा है। फूड प्रोसेसिंग करके उपज का अच्छाी मूल्यए प्राप्तप किया जा सकता है। जरूरत इस बात की है कि इस कार्य में किसान की भी हिस्सेअदारी हो। अनेक ‘मेगा फूड पार्क’ स्थाबपित किए जा रहे हैं। इसी के साथ, ऐसे छोटे-छोटे क्लयस्टमर बनाए जा सकते हैं जहां छोटे किसान, कम मात्रा में भी अपना उत्पाथद सीधे फूड-प्रोसेसिंग इकाइयों को दे सकें। यहां ऐसी सुविधाएं जुटाई जाएं जहां किसान अपनी पैदावार का ‘वैल्यूर एडीशन’ करना सीख सके। महिलाओं के स्वंयं-सेवी समूह बनाकर उन्हें इस प्रकार के काम के साथ जोड़ा जा सकता है। आपने देखा होगा कि महिलाओं ने अपने कुशल प्रबंधन से ‘लिज्जरत पापड़’ को एक ब्रांड बना दिया है। ऐसे प्रयासों से कमाने वाले सदस्योंड की संख्या बढ़ेगी और किसान परिवारों का विकास होगा।

10. एक बहुत बड़ा क्षेत्र और भी है जिस पर ध्या़न दिए जाने की जरूरत है। वह क्षेत्र है- पारंपरिक पौष्टि क भोजन का। स्थारनीय जलवायु के अनुकूल, किफायती दाम पर मिलने वाला पारंपरिक भोजन हमारी थाली से गायब होता जा रहा है। जीवन-शैली से जुड़ी बीमारियों का एक बड़ा कारण यह भी है कि मौसमी और स्थाजनीय तौर पर सहज उपलब्धय खाद्य-पदार्थों को छोड़कर आयातित और महंगे खाद्य-पदार्थों का सेवन बढ़ता जा रहा है। मोटे अनाज का सेवन दिनों-दिन कम होता जा रहा है। पारंपरिक पौष्टिनक भोजन को बढ़ावा देकर, ब्रांडिंग करके तथा तैयार भोजन को सही मूल्यर पर बेचकर हम एक ओर तो घरेलू महिलाओं की आमदनी बढ़ा सकते हैं, वहीं दूसरी ओर देश के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।

11. यह याद रखा जाना चाहिए कि जब किसान का उत्पाहद देश के बाहर जाता है तो उसके साथ भारत का नाम जुड़ा होता है, इसलिए गुणवत्तान के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए। वही उत्पाहद टिकाऊ सिद्ध होगा, जिसमें गुणवत्ता का ख्यााल रखा गया हो और उस product की गुणवत्ता पर लोगों का विश्वा स बन चुका हो। भारत से बाहर अपने उत्पाउद भेज पाने के लिए हमें विश्वि स्तवर की गुणवत्ताग कायम करनी होती है।

12. भारत दुनियां के अनेक देशों को बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों का निर्यात करता है। विदेश व्यादपार में खाद्य-पदार्थों का हिस्सां 11 प्रतिशत का है। वर्ष 2025 तक यह व्याशपार एक ट्रिलियन अमरीकी डॉलर तक ले जाने का लक्ष्या भारत सरकार ने तय किया है। इसलिए फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में कार्यरत हर उद्यमी के लिए बेहतर होगा कि वे एफ एस एस ए आई – Food Security and Standards Authority of India के मानकों और दुनियां की दूसरी संस्थाईओं के मानकों के अनुरूप अपने उत्पा द तैयार करने का संकल्प लें।

13. आज के समय में ‘जय जवान-जय किसान’ का सन्देनश पहले से अधिक प्रासंगिक हो गया है। जहां, हमारे जवान सरहदों पर चौकसी रखते हुए, देशवासियों को सुरक्षित रखने के लिए आतंकवादियों से निरन्तार लड़ाई लड़ते हुए अपनी जान की कुरब़ानी भी दे रहे हैं, वहीं देश के किसान देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चिडत करने के लिए पसीना बहा रहे हैं। आज सरकार, जवानों और किसानों को सशक्ता करने के लिए पूरी निष्ठा के साथ कार्य कर रही है। किसानों की आय को लगातार बढ़ाने के लिए जहां सरकार ने बेहतर सिंचाई सुविधाओं की व्यावस्थाा, कृषि निवेश में बढ़ोत्त री, मृदा-परीक्षण के लिए सॉइल हैल्थह कार्ड और न्यू्नतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के रूप में पहल की है, वहीं आप लोगों से मेरी यह अपेक्षा है कि छोटी जोत के किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि के विविधीकरण के लिए, इस सम्मे लन और प्रदर्शनी के माध्येम से, गंभीर चिंतन करके नए रास्ते तलाश करें। मुझे विश्वाछस है कि इस आयोजन में भाग लेने वाले सभी कृषि वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, उद्यमी और किसान भाई पारस्पसरिक रूप से कृषि से संबंधित समस्यााओं को समझेंगे और उनका समाधान निकालेंगे। आपसी सामंजस्यप और सहयोग से कठिन व असम्भओव कार्य भी सम्भनव हो जाते हैं।

14. अंत में, सम्मेंलन और प्रदर्शनी की सफलता के लिए मैं, अपनी शुभ कामनाएं देता हूं।

धन्यवाद,

जय हिन्द।