भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सेवा कुंज आश्रम सोनभद्र में वनवासी समागम व नवनिर्मित भवनों के लोकार्पण के अवसर पर सम्बोधन
सोनभद्र: 14.03.2021
सबन भाई-बहिनी को जोहार !
माई बिंध्यवासिनी अउर ज्वाला देवी के आसीरबाद लेवे के खातिर अउर अपने बनवासी समाज के भाई-बहिनी से मिले हम ई सोनाञ्चल में आज आइल हई।
मैं पिछले वर्ष ही आप सबके बीच आना चाहता था। किन्तु अपरिहार्य कारणों से उन कार्यक्रमों का आयोजन स्थगित होता रहा। मां विंध्यवासिनी और ज्वाला देवी के आशीर्वाद से आज आप सबके बीच आने की मेरी इच्छा पूरी हुई है। कोविड की महामारी के कारण हुई कठिनाइयों और सीमाओं के बावजूद यहां बड़ी संख्या में आए आप सभी वनवासी भाई-बहनों को देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।
प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण और भारत की ऊर्जा राजधानी के रूप में प्रसिद्ध, सोनभद्र की धरती पर आप सभी का यह समागम अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आज मुझे भगवान बिरसा मुंडा जी का स्मरण हो रहा है। उन्होंने अंग्रेजों के शोषण से वन संपदा और वनवासी समुदाय की संस्कृति की रक्षा के लिए अनवरत युद्ध किया और शहीद हुए। उनका जीवन केवल जनजातीय समुदायों के लिए ही नहीं बल्कि सभी देशवासियों के लिए प्रेरणा और आदर्श का स्रोत रहा है। उनमें से कुछ लोगों ने भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों को कार्यरूप देने के लिए असाधारण प्रयास किए हैं। वन योगी बाला साहब देशपांडे जी ऐसे ही एक समाज-सेवक थे। उन्होंने आज से लगभग 70 वर्ष पूर्व, ‘अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम’ की स्थापना की थी। और लगभग 40 वर्ष पहले, देशपांडे जी के सहयोगी, श्री अवध बिहारी ने उत्तर प्रदेश में‘अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम’ के सेवा संगठन के रूप में‘सेवा समर्पण संस्थान’ का गठन किया। मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि यह संस्थान ‘सेवा कुंज आश्रम’ से विभिन्न सेवा प्रकल्पों को निरंतर आगे बढ़ा रहा है।
सेवा समर्पण संस्थान के प्रकल्पों से मेरा बहुत पुराना जुड़ाव रहा है। सन 1998 में यहां विद्यालय की स्थापना के लिए जमीन ली गई थी। उस अवसर पर मैं यहां आया था। उसके बाद से मेरा संपर्क निरंतर बना रहा है। मुझे इस बात का संतोष है कि मेरी सांसद निधि की राशि का उपयोग आपके संस्थान व आश्रम के शिक्षा संबंधी प्रकल्प में हुआ है। किसी भी धनराशि का इससे बेहतर उपयोग नहीं हो सकता है। मैं आभारी हूं कि आप सबने मुझे योगदान करने का अवसर दिया और कल्याणकारी प्रकल्पों से जोड़े रखा।
जनजातीय एवं वनवासी समुदाय के भाई-बहनों से मिलना मुझे बहुत अच्छा लगता है। एक सप्ताह पहले ही, 7 मार्च को मुझे मध्य प्रदेश के दमोह जिले में आयोजित राज्य-स्तरीय जनजातीय सम्मेलन में भाग लेने का सुअवसर मिला और आज इस समागम में शामिल हो रहा हूं। उस समारोह में मुझे बुंदेलखंड व गोंडवाना की अमर वीरांगना रानी दुर्गावती के सिंग्रामपुर स्थित किले के विकास व जीर्णोद्धार का शुभारंभ करने का अवसर मिला। जनजातीय समाज के गौरव से जुड़े ऐसे स्थान, हम सबके लिए तीर्थ-स्थल की तरह पवित्र होते हैं। संयोग से, राज्यपाल महोदया ने दमोह में आयोजित उस जनजातीय सम्मेलन की भी शोभा बढ़ाई थी क्योंकि वे मध्य प्रदेश के राज्यपाल का पदभार भी संभाल रही हैं।
उत्तर प्रदेश में सोनभद्र का यह क्षेत्र जनजातीय एवं वनवासी समाज की विविधता तथा बहुलता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज यहां आयोजित पूजा में, वनवासी समाज की विविधता में एकता और भूमि तथा प्रकृति को देवत्व प्रदान करने की भावना देखने को मिली। जो सुन्दर नृत्य प्रस्तुत किया गया उसमें, सामूहिकता पर आधारित जनजातीय संस्कृति की जीवन्तता का अनुभव हुआ। इस परंपरागत समूह नृत्य में भाग लेने वाले सभी कलाकारों व सहयोगियों को मैं बधाई देता हूं। आज आश्रम-भ्रमण के दौरान मैंने देखा कि जब मैं पहली बार यहां आया था तब की तुलना में अनेक सुविधाएं विकसित की गई हैं। एक छोटी सी शुरुआत से आगे बढ़ते हुए अपने सेवा-संकल्प के बल पर आप सबने अब तक जो यात्रा सम्पन्न की है उसकी मैं सराहना करता हूं।
आज इस ‘सेवा कुंज संस्थान’ में नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण करके मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। मुझे बताया गया है कि यहां के विद्यालय एवं छात्रावास के भवनों का निर्माण, केन्द्र सरकार की विद्युत कंपनी, एन.टी.पी.सी. द्वारा कराया गया है। सामाजिक कल्याण के इस कार्य में योगदान के लिए मैं एन.टी.पी.सी. की सराहना करता हूं। मुझे विश्वास है कि नवनिर्मित भवनों और अन्य सुविधाओं से वनवासी समाज के प्रतिभावान विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को और बल मिलेगा।मुझे बताया गया है कि बच्चों के रहने और पढ़ने के अलावा कंप्यूटर लैब और खेल के मैदान की सुविधाएं भी यहां उपलब्ध हैं।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस आश्रम परिसर में शिक्षा प्राप्त करने के बाद, अनेक विद्यार्थी समाज एवं राष्ट्र-निर्माण के विभिन्न कार्यों में अपना योगदान दे रहे हैं। मैं उन सभी पूर्व-विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देता हूं। साथ ही, मैं सभी शिक्षकों और सहयोगियों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने वनवासी समुदाय के बच्चों को निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रशिक्षित और प्रेरित किया है।पिछले दो दशकों से वनवासी युवकों की इस पौध को तैयार करने में सक्रिय ‘सेवा कुंज आश्रम’ की पूरी टीम की मैं सराहना करता हूं।मुझे बताया गया है कि लगभग 250 वनवासी बच्चे इस आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।मैं उन सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
देवियो और सज्जनो,
मेरा मानना है किहमारे देश की आत्मा, ग्रामीण और वनवासी अंचलों में बसती है। यदि कोई भी भारत की जड़ों से परिचित होना चाहता है, तो उसे सोनभद्र जैसे स्थान में कुछ समय बिताना चाहिए।
वनवासी समुदाय के विकास के बिना देश के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। सही मायनों में, आप सबके विकास के बिना देश का विकास अधूरा है। इसलिए केंद्र सरकार व राज्य सरकारें वनवासी समुदाय के समग्र विकास के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही हैं। मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि वनवासी क्षेत्रों से सफलता की अनेक कहानियां हमारे सामने आ रही हैं। देश भर के हमारे आदिवासी बेटे-बेटियां खेल-कूद, कला, और टेक्नॉलॉजी सहित अनेक क्षेत्रों में अपने परिश्रम और प्रतिभा के बल पर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं।
मेरे प्यारे वनवासी भाइयो और बहनो,
आप सब अपने पूर्वजों से प्राप्त सहज ज्ञान की परंपरा को जीवंत बनाए हुए हैं और उसे निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। कृषि से लेकर शिल्प व कला के क्षेत्र तक, आप सबने प्रकृति के साथ जो सामंजस्य बनाए रखा है वह सबको प्रभावित करता है।
मुझे विश्वास है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश को झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और मध्य प्रदेश से जोड़ने वाला यह क्षेत्र एक दिन आधुनिक विकास का प्रमुख केंद्र बनेगा। हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि आधुनिक विकास में आप सभी वनवासी भाई-बहन भी भागीदारी करें; साथ ही आपकी सांस्कृतिक विरासत और पहचान भी संरक्षित और मजबूत बनी रहे।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि विलुप्त होती जा रही वनवासी लोक-कलाओं को पुनर्जीवित करने के प्रयास, ‘सेवा समर्पण संस्थान’ द्वारा किए जा रहे हैं। साथ ही, वनवासी महापुरुषों की स्मृतियों, लोक भाषाओं और गीतों के संरक्षण का कार्य भी किया जा रहा है।
मुझे यह बताया गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी वन ग्रामों को राजस्व गांव घोषित करने का निर्णय लिया है। मैं आशा करता हूं कि इस निर्णय को प्रभावी ढंग से अमल में लाया जाएगा जिससे वन ग्रामों का तेजी से विकास हो और हमारे आदिवासी भाई–बहनों का जीवन भी बेहतर बने।
हम सबने राज्यपाल महोदया और मुख्यमंत्री महोदय का सम्बोधन सुना। इन दोनों के मार्गदर्शन और नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में हो रहे विकास व कल्याण-परक प्रयासों की मैं सराहना करता हूं।
आज यहां आकर मेरा यह विश्वास और दृढ़ हुआ है कि सनातन काल से चली आ रही हमारी संस्कृति के मूल तत्व हमारे जनजातीय और वनवासी भाई-बहनों के हाथों में सुरक्षित हैं। मैं‘सेवा समर्पण संस्थान’ के सदस्यों की कर्मनिष्ठा की सराहना करता हूं। मेरी शुभकामना है कि वनवासी समाज के समग्र विकास के अपने प्रकल्पों में आप सब उत्तरोत्तर सफलताएं प्राप्त करते रहें। मुझे विश्वास है कि हमारे वनवासी भाई-बहनों का जीवन, प्रगति और परंपरा के समन्वय की मिसाल बनेगा।
धन्यवाद,
जय हिन्द!