भारतीय विदेश सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से मुलाकात के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन
राष्ट्रपति भवन : 14.05.2019
1. मैं राष्ट्रपति भवन में आप सब का हार्दिक स्वागत करता हूँ। अपने युवा साथियों के साथ बातचीत करते हुए मुझे हमेशा बहुत ख़ुशी होती है, और जब वे युवा, हमारे विदेश संबंधों को बेहतर करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले हों तो यह ख़ुशी और भी बढ़ जाती है।
2. मैं आपको भारतीय विदेश सेवा में, और भूटान के दो प्रशिक्षु अधिकारियों को, रॉयल भूटान विदेश सेवा में शामिल होने पर बधाई देता हूं। अपने देश का प्रतिनिधित्व करना वास्तव में,विशेष सम्मान की बात है। इस विशेषाधिकार में आपसे भारत के लोगों की सेवा के लिए गहरी प्रतिबद्धता की अपेक्षा की जाती है। मुझे उम्मीद है कि आप अपने इस कर्तव्य-पालन में गौरव, विनम्रता और समर्पण के साथ सन्नद्ध होंगे। मुझे खुशी है कि एक समूह के रूप में, आप हर तरीके से भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह भी बहुत संतोषजनक है कि हम भारतीय विदेश सेवा के नए बैचों में उत्तरोत्तर स्त्री-पुरुष संतुलन देख रहे हैं। ये विशिष्टताएं इस सेवा के साथ-साथ हमारे देश के लिए भी अच्छा संकेत है।
प्रिय प्रशिक्षु अधिकारियो,
3. आपने विदेश सेवा संस्थान में 6 महीने का गहन प्रशिक्षण लिया है। इससे आपको भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं के बारे में बहु-आयामी अनुभव प्राप्त हुआ है। इसमें आपने हमारे राष्ट्रीय हितों और बाहरी दुनिया के साथ इसके संबंध के बारे में जाना; साथ ही आपकोहमारे हार्ड-पावर विकल्पों और सॉफ्ट-पावर प्रभाव; हमारे विस्तारशील वैश्विक एजेंडे; और हमारे समक्ष उपस्थित भूराजनीतिक जटिलताओं के बारे में भी जानकारी मिली। आपने अपने कौशल को और प्रखर किया है और अब आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। आप देश के सर्वाधिक कुशल और प्रतिभाशाली लोगों में से हैं और अब आपको यह साबित करना होगा कि आप कूटनीति की कला में भी उतने ही कुशल और प्रतिभाशाली हैं।
4. भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने का यह सर्वोत्तम समय है। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका और प्रभाव का विस्तार हो रहा है। भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्रीय कारणों से एशिया अब वैश्विक शक्ति संबंधों का केन्द्र बन रहा है। और इस ताने-बाने में, वैश्विक विकास के संवाहक के रूप में तथावैश्विक शासन में प्रभावशाली आवाज के रूप में - भारत को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
5. हम तेजी से हो रहे बदलावों के दौर में जी रहे हैं। एक देश के रूप में, हमें 2.5 ट्रिलियन यूएस डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 70 साल लगे हैं, लेकिन इस आंकड़े को दोगुना करने में सिर्फ 7 साल लगेंगे! यदि ऐसा अनुमान हमारे समक्ष है, तो आप अपने सामने आने वाली जिम्मेदारी के उस स्तर की कल्पना कर सकते हैं –जिसमें आपको शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए; निवेश की संभावनाएं तलाशने के लिए; प्रौद्योगिकी भागीदारियों की खोज के लिए; नए बाजार के निर्माण के लिए और साइबर सुरक्षा से लेकर ऊर्जा सुरक्षा और भी बहुत से क्षेत्रों में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने हेतु ढांचा तैयार करने के लिए कार्य करना है।
प्रिय प्रशिक्षु अधिकारियो,
6. विदेश में आपका काम मुख्य रूप से हमारे राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करना और भारत की छवि को बढ़ावा देने का है। लेकिन, इसके साथ ही आप देश में जमीनी स्तर पर तरक्की और विकास को बढ़ावा देने के लिए भी जिम्मेदार हैं। उदाहरण के लिए, यदि हम अपने किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, तो आपको हमारे निर्यात के नए बाजारों की तलाश के लिए पहल करनी होगी और इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। इसी तरह, अगर हम देश में विश्व स्तरीय हाई स्पीड ट्रेन का निर्माण कर रहे हैं, तो आपको इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए संबंधित वैश्विक वित्तीय और प्रौद्योगिकी संस्थाओं के साथ तालमेल बनाकर काम करना होगा। भारत की प्रगति और समृद्धि में आपकी भूमिका और योगदान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि सिविल सेवा की अन्य शाखाओं में आपके सहयोगियों का है और हमारे इस व्यापक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपको उनके साथ काम कंधे से कंधा मिलकार काम करना होगा।
7. विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ, हमने अपने विदेशी संबंधों के मामले में, प्रवासी भारतीयों को केन्द्र में रखा है। इस वर्ष हम अपने महानतम प्रवासी, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं। विदेशों में अपने अथक संघर्षों में, उन्होंने हमारे लोगों की भलाई के लिए लगातार लड़ाई लड़ी। जब आप विदेश में हमारे समुदाय की सेवा का कार्य करेंगे तो उस कार्य में गांधीजी आपके प्रेरणास्रोत होने चाहिए। अपनी विदेश यात्राओं में, मैंने विदेश में रहने वाले अपने भाइयों और बहनों से मुलाकात को उच्च प्राथमिकता दी है। हमारी विदेश मंत्री ने हमारी कोंसुलर सेवाओं और समुदाय तक पहुँच को सेवा-उन्मुख बनाने के लिए असाधारण काम किया है। उन्होंने सार्वजनिक सेवा में मानवीय संवेदना का संचार किया है। इसकी चारों ओर से,सभी ने सराहना की है और इसी प्रकार से हमारे मिशनों को भी सराहना मिली है जो कि हमारे लोगों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील रहे हैं। पेशेवर राजनयिकों के रूप में, आपको अपने अन्दर लोगों की सेवा का भाव और मानसिकता विकसित करनी चाहिए। कभी-कभी, आपको उनकी मदद करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता हो सकती है। आपके काम में समाविष्ट इस तरह की संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण से हमारी सार्वजनिक-सेवा को बेहतर ढंग से उपलब्ध कराने में हमें बहुत सहायता मिलेगी। मैं आपसे यह भी आग्रह करूंगा कि आप हमारे समुदाय सदस्यों से नियमित रूप से मिलते रहें और उनके हित में कार्य करते रहें।
8. मैंने कई देशों की राजकीय यात्रा की है, और अपने कुछ अनुभव मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं। आज, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में, वास्तव में, भारत और इसकी वैश्विक स्थिति की सराहना का भाव पहले की तुलना में ज्यादा है। दुनिया भर के नेता भारत का दौरा करने और हमारे साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उत्सुक हैं। चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, साइबर सुरक्षा हो, मानवीय आपदाएं हों या चरमपंथ और आतंकवाद का मुकाबला हो –सभी राष्ट्र हमसे वैश्विक चुनौतियों के समाधान की अपेक्षा कर रहे हैं। इससे अभूतपूर्व अवसर उत्पन्न हुए हैं, लेकिन हमारी कूटनीति के क्षेत्र में नई चुनौतियां भी सामने आई हैं। ऐसे परिदृश्य में, एक देश के रूप में और राजनयिकों के रूप में अपने काम के केन्द्र में हमें पहले से कहीं अधिक"रणनीतिक सोच" लानी होगी। भविष्य के बारे में सोचने और दुनिया को साकल्यवादी रूप से देखने से हमें अपने हितों को बेहतर ढंग से सुरक्षित करने में मदद मिलेगी।
9. मेरा यह निजी अनुभव भी रहा है कि बातचीत और सांस्कृतिक जुड़ावों के उपयोग से हमारे विदेश संबध बेहतर होते हैं। आप जैसे ही अपने वार्ताकार से उसकी भाषा में बात करते हैं तो आप तुरंत एक विशेष जुड़ाव विकसित होते हुए देखते हैं। मैं समझता हूं कि आप जल्द ही अपनी भाषा-गत पोस्टिंग के लिए रवाना होंगे। आप जिन भाषाओं का अध्ययन करें,उन में महारत हासिल करने की पूरी कोशिश करें। अपनी विदेश यात्राओं में, मुझे यह देखने का अवसर मिला है कि आपके कुछ सहयोगियों ने विदेशी भाषाओं में बहुत ही अच्छे ढंग से उच्च स्तरीय विशेषज्ञता हासिल की है। इससे हमारा गौरव बढ़ता है। मैं आपको उनका अनुसरण करने और उनसे भी बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं। और भाषा कौशल के साथ, आपको संस्कृतियों, लोगों और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए भी तत्पर रहना चाहिए। इन कौशलों से और संवेदनशीलता से आपके लिए एक नई दुनिया के द्वार खुल जाएंगे।
10. जैसा कि आप सभी जानते हैं, हमारे साथ भूटान के दो होनहार प्रशिक्षु अधिकारी मौजूद हैं।मैं उनसे कहना चाहता हूं किहमें भारत-भूटान की मैत्री पर गर्व है। मुझे आशा है कि अपने सहपाठियों के साथ आपकी दोस्ती और जुड़ाव से हमारी यह अनूठी एवं विशेष मैत्री और मजबूत होगी।
11. भारतीय विदेश सेवा केप्रशिक्षु अधिकारियों के लिए, मैं कहना चाहूंगा कि आप एक बहुत ही प्रतिष्ठित सेवा के सदस्य हैं। आईएफएस ने हमें कई उपलब्धियां दिलाई हैं। देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक भागीदारियों को मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी आप पर है। इस प्रयास में, आपको राजनीतिक और सुरक्षा संबंधों को बेहतर बनाना होगा, व्यापार और आर्थिक सहयोग का विस्तार करना होगा और लोगों से लोगों के बीच निकटतर संबंधों को बढ़ाना होगा। मुझे विश्वास है कि सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के साथ देश में अधिक से अधिक शांति और समृद्धि लाने के लिए आप पूरे समर्पण के साथकाम करेंगे। और मैं आपसे यह आग्रह करता हूं कि ऐसा करते हुए, आप लोगों के प्रति,और विशेष रूप से कमज़ोर वर्गों के प्रति संवेदनशील रहें। भारत के लोगों को आपसे बहुत अधिक उम्मीदें हैं और आपको उन उम्मीदों पर खरा उतरना है।
12. मैं आपके आगे के करियर में आप सब की सफलता की कामना करता हूं।