Back

नवाचार और उद्यमशीलता महोत्सव के उद्घाटन और 10वें द्विवार्षिक राष्ट्रीय तृणमूल नवाचार पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

गांधीनगर : 15.03.2019

Download PDF

1. मैं नवाचार और उद्यमशीलता महोत्सव – ‘फाइन 2019’ में आप सभी के पास यहां आकर बहुत खुशी का अनुभव कर रहा हूं। यह महोत्सव रचनात्मकता, नवाचार और उद्यमशीलता का पर्व है। वर्ष 2018तक, इसका आयोजन राष्ट्रपति भवन में किया जाता था। इस वर्ष इसे राष्ट्रपति भवन के बाहर आयोजित करने का निर्णय लिया गया। पहले लोग इस पर्व में आते थे, इस साल यह पर्व स्वयं लोगों के पास पहुंचा है। और वास्तव में इस महोत्सव के गुजरात में आयोजन से मुझे बहुत खुशी हो रही है, इसके दो कारण हैं। पहला, गुजरात नवाचार और उद्यमशीलता की भूमि के रूप में प्रसिद्ध है। और दूसरा, यह महोत्सव यहां उस वर्ष आयोजित किया जा रहा है जब हम अब तक की संभवत: सबसे महान गुजराती विभूति, अपने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं।

2. गांधीजी ने स्थानीय समस्याओं के स्थानीय समाधान खोजने की पुरजोर वकालत की। यह विचार ग्राम स्वराज के उनकी धारणा में निहित था। यह बहुत संतोषजनक बात है कि इस महोत्सव में जमीनी स्तर के कई नवप्रवर्तकों की भागीदारी होती है, जो उन समस्याओं के प्रभावी समाधान खोजने के लिए प्रेरित हैं जिनका अनुभव उन्होंने अपने-अपने समुदायों में किया है। मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कि वे समाज के लिए प्रेरणादायी बने रहेंगे। रोजमर्रा की समस्याओं के व्‍यावहारिक समाधान के लिए उन्होंने जो रचनात्मकता प्रदर्शित की है और जो प्रयास किए हैं, वे सराहनीय हैं।

3. इस महोत्सव में भाग लेने वाले प्रतिभागी भारत के भिन्न- भिन्न हिस्सों से आते हैं। यह स्‍पष्‍ट है कि नवाचार की भावना देश भर में देखी जा रही है। यह एक स्वागत योग्य रुझान है और मैं इस महोत्सव के आयोजन के लिए नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की सराहना करता हूं जो देश भर के नवप्रवर्तकों को अपने अनुभव साझा करने और विचारों का आदान-प्रदान करने के अवसर प्रदान करता है।

4. भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की सहायता से, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की स्थापना वर्ष 2000 में की गई थी। तब से, इसने देश में प्रौद्योगिकीय नवाचारों और उत्कृष्ट पारंपरिक ज्ञान को सुदृढ़ बनाने के लिए बहुत योगदान दिया है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि एनआईएफ ने देश भर में व्‍याप्‍त विचारों, नवाचारों और पारंपरिक ज्ञान प्रथाओं का विशाल डेटाबेस तैयार किया है। इसने पुरस्कारों के माध्यम से जमीनी स्तर के 800 से अधिक नवप्रवर्तकों को पहचान दी है। और, इसमें हमारी संस्थाओं के माध्यम से सैकड़ों नवाचारों का सत्‍यापन कराया है। इसके अलावा,एनआईएफ के पास दर्जनों पेटेंट, डिजाइन पंजीकरण और ट्रेडमार्क एप्लिकेशन हैं। एनआईएफ ने जमीनी स्तर पर नवप्रवर्तकों को जो समर्थन दिया है, वह प्रशंसनीय है और स्वयं नवप्रवर्तकों ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे सराहनीय हैं।

5. यह कार्य इस तथ्य से प्रतिबिंबित होता है कि एनआईएफ की सहायता से कार्य आरम्भ करने वाले तीन नवाचारियों को इस वर्ष पद्म श्री के लिए चुना गया है। ये नवोन्मेषक हैं- श्री जगदीश प्रसाद पारिख, जिन्होंने फूलगोभी की एक नई किस्म विकसित की है, श्री उद्धब कुमार भराली जिन्होंने अनार से बीज निकालने की मशीन, सुपारी तोड़ने की मशीन और बांस को बीच से फाड़ने की मशीन विकसित की है तथा श्री वल्लभभाई वसरामभाई मारवाणिया जिन्‍होंने गाजर की उन्नत किस्म विकसित की है। मुझे बताया गया है कि इनके नवाचारों से हजारों किसान और नागरिक लाभान्वित हुए हैं। संयोगवश, जैसे आप में से कुछ ने आज पुरस्कार प्राप्त किए हैं, इन तीनों नवप्रवर्तनकर्ताओं को भी पिछले दिनों द्विवार्षिक राष्ट्रीय तृणमूल नवाचार पुरस्कार प्रदान किया गया था। वास्तव में, एनआईएफ के पुरस्कार के माध्‍यम से ही उनके नवाचारों को पहले-पहल मान्यता प्राप्‍त हुई थी।

देवियो और सज्जनो,

6. अपने महत्वपूर्ण विकास लक्ष्यों को प्राप्‍त करने और एक संवेदनशील, समावेशी तथा खुशहाल समाज का निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए, हमें स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुगमता, पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विविध क्षेत्रों में भारत की चिंताओं के समाधान खोजने के लिए नवाचार की शक्ति का उपयोग करना होगा। हमें नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने और नवाचारी समाज के निर्माण के लिए सभी प्रयास करने होंगे। इससे हमें यह सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा अवसर प्राप्त होगा कि प्रत्येक भारतीय युवा अपनी वास्तविक क्षमता को साकार करने का अवसर प्राप्‍त कर सके। व्यापक अर्थों में, नवाचारी संस्कृति समाज और राष्ट्र के रूप में, अपने लक्ष्यों तक पहुँचने में हमारी मदद के लिए उत्प्रेरक का कार्य कर सकती है।

7. इस तरह की संस्कृति को अपनाने के लिए नवाचार मूल्य श्रृंखला में हर कड़ी को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। हमें ऐसे स्कूलों की जरूरत है जहां बच्चे केवल पाठ याद करने के बजाय उस पर जिज्ञासापूर्वक जानकारी जुटाएं। हमें ऐसी कार्य संस्कृतियों की आवश्यकता है जहाँ युवा प्रतिभाएँ केवल सर झुकाकर हामी भरने के बजाय सर उठाकर सवाल पूछें। और सरकार निश्चित रूप से सुविधाजनक वातावरण मुहैया कराना जारी रखेगी।

8. हालाँकि, अभिनव विचार मात्र अपने आप में पर्याप्त नहीं है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उस रचनात्मक विचार को वास्तविक स्तर पर परिपक्व होने, प्रचारित और प्रसारित होने तथा जमीनी स्तर पर कार्यान्वित होने के लिए आवश्‍यक अवलम्‍ब मिल सके। नवाचार स्‍वयं में, उन दो प्रमुख वाहकों में से पहला वाहक है जो यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी नवाचार मूर्त रूप लेने योग्य बन सके। दूसरा प्रमुख वाहक है – उद्यमशीलता। उद्यमशीलता का स्‍वरूप नवाचार को पूरकता प्रदान करने वाला होना चाहिए ताकि इनके लाभ हमारे देशवासियों तक पहुंचाए जा सकें।

9. हमें नवाचार को उद्यम में परिवर्तित करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने की आवश्यकता है। ये उद्यम वाणिज्यिक या सामाजिक हो सकते हैं; जब तक उद्यम नवाचार को वास्तव में प्रभावी बनने में मदद करता है, तब तक इसकी रूपरेखा कैसी है इससे कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता। इसके लिए यह जरूरी है कि स्टार्ट-अप और युवा नवाचारियों के विचारों को परिपक्‍व होने में सहायता प्रदान की जाए। वित्तीय, मार्गदर्शी और नीतिगत समर्थन प्रदान करके उद्यमों में आरंभिक नवाचारों की सभी कड़ियों को जोड़ना महत्वपूर्ण है।

10. निश्चित रूप से, एनआईएफ ने कई विशिष्‍ट मामलों में ऐसा कर दिखाया है। लेकिन, सभी उपस्थित लोगों के विचारार्थ मेरा सुझाव है कि आप सभी लोग यह पक्‍का करें कि हमारे नवाचारों का प्रभाव राष्ट्रीय और यहाँ तक कि संभवतः वैश्विक स्तरों तक भी पहुंचे। हम आरंभिक अवस्थाओं में विचारों को परिपक्‍व होने देने और उनका मार्गदर्शन करने में सफल रहते हैं, वहीँ, हमें एक ओर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को बाजार से जोड़ने के लिए अपनी क्षमताओं को मजबूत करना होगा, और दूसरी ओर, वाणिज्यिक सफलता और सार्वजनिक हित को भी जोड़ना होगा। इस तरह की क्षमता वृद्धि सम्बंधित क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले संस्थानों के बीच परस्‍पर सक्रिय सहयोग पर आधारित हो सकती है।

11. ऐसा करके, सामने आने वाले उन हजारों नवीन विचारों को परखा और अभिनिर्धारित किया जा सकता है जिन्‍हें बाजार के अनुरूप आगे बढ़ाया जा सके,ताकि उनसे अधिक से अधिक सामाजिक और आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सके। जब कोई नवाचार उद्यम के रूप में परिपक्व होता है तो इससे न केवल नवाचार का लाभ अधिक लोगों को मिलता है, बल्कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार का भी सृजन होता है।

देवियो और सज्जनो,

12. मुझे बताया गया है कि ‘फाइन 2019’के दौरान पांच दौर की सभाओं का आयोजन किया जाएगा, जिसमें नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने और उनका व्यावसायीकरण करने, किफायती स्वास्थ्यचर्या, संतुलित पोषण और समावेशी विकास के लिए नवाचारी प्रौद्योगिकियों का सहारा लेने और धन अर्जन के लिए कचरे को उपयोगी उत्पादों में परिवर्तित करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इन मुद्दों में से हर मुद्दा बहुत प्रासंगिक और महत्वपूर्ण है। मुझे विश्वास है कि प्रत्येक दौर में विशेषज्ञों द्वारा गहन और रुचिकर विचार-विमर्श किया जाएगा - और इसके परिणामस्वरूप ठोस अनुशंसाएं और कार्रवाई बिंदु सामने आयेंगे।

13. इस महोत्सव के आयोजन में अपने प्रयासों के लिए मैं एनआईएफ को और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की सराहना करता हूं। गांधीनगर में ‘फाइन 2019’ का आयोजित करने से, लोगों का वृहत्‍तर समूह इस महोत्सव को स्वरुप प्रदान करने वाली चर्चाओं-परिचर्चाओं से अवगत हो पाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि पहले से ही अलग-अलग रूपों में नवाचार को स्‍वयं भिन्‍न-भिन्‍न तरीकों से पोषित करती रहने वाली गुजरात की जनता,इस महोत्सव से और भी लाभान्वित होगी।

14. अन्त में, मैं अनौपचारिक या औपचारिक क्षेत्र से आए सभी नवोन्मेषकों, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों, शिक्षकों, मार्गदर्शकों, नीति निर्माताओं, सरकारी अधिकारियों, उद्योगों और शैक्षिक क्षेत्र से आए मित्रों और इस महोत्सव में उपस्थित जनता को, उनकी उत्साही प्रतिभागिताके लिए बधाई देता हूं। मुझे यकीन है कि आप में से प्रत्येक ने यहाँ कुछ न कुछ सीखा होगा यहाँ से बहुत कुछ लेकर जा रहे होंगे। मैं ऐसी ही एक सीख का उल्‍लेख करना जरूरी समझता हूं। वह सीख यह है कि हमारे लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो गया है कि नवप्रवर्तन के विचार स्थायी उद्यमों के रूप में परिपक्व हों ताकि समाज और राष्ट्र को नवाचार का अधिक से अधिक लाभ मिल सके। मेरी कामना है कि प्रत्येक नवाचार एक दूसरे से प्रेरणा प्राप्त करे - और नवाचार का यह सफ़र यूं ही जारी रहे!

धन्यवाद,

जय हिन्द!