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भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी का ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के उद्घाटन के अवसर पर सम्बोधन

कानपुर : 15.09.2017

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भारत के राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद यह मेरी पहली कानपुर यात्रा है। कानपुर मेरा जन्म स्थान तो है ही, मेरी शिक्षा भी यहीं हुई। यहाँ की यादें मेरे मन में रची-बसी हैं। जिला कानपुर देहात के एक गाँव से मैंने अपनी जीवन-यात्रा शुरू की थी। आज मैं जहां तक पहुँच सका हूँ उसके पीछे आप सभी की शुभकामनाएँ और इस धरती के आशीर्वाद की शक्ति शामिल हैं।

मुझे कानपुर के गौरवशाली इतिहास का एक अध्याय हमेशा प्रेरणा देता रहा है। इस इलाके की सड़कों-गलियों और गांवों ने सन 1857 की आज़ादी की पहली लड़ाई के दौरान नाना साहब, तात्या टोपे और उनके लड़ाकू दस्तों की बहादुरी देखी है।

आज हमारा देश अस्वच्छता के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है। हमारे पास स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए केवल दो वर्षो का समय है। ‘स्वच्छता ही सेवा' का यह अभियान इस मिशन को ताकत देने का देशव्यापी प्रयास है।

ईश्वरीगंज गाँव के लोगों ने जिस जिम्मेदारी के साथ अपने गाँव को ‘खुले में शौच से मुक्त’ बनाया है उसे देखते हुए मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश अवश्य ही अस्वच्छता पर विजय प्राप्त करेगा। मैं इस गाँव के सभी लोगों को बधाई देता हूँ। स्वच्छता के लिए उदाहरणीय योगदान देने वाले आज के पुरस्कार विजेताओं को भी मेरी हार्दिक बधाई। मैं चाहता हूँ कि इस गाँव से सीख लेकर इस इलाके के सभी लोग सफाई पर जोर दें तथा गंगा नदी को भी साफ करने में योगदान करे।

आज हम सब ने जो शपथ ली है वह सार्वजनिक स्वच्छता, व्यक्तिगत स्वच्छता और पर्यावरण की स्वच्छता के परस्पर जुड़े होने को रेखांकित करती है।

प्यारे देशवासियों,

हमारे घर, सार्वजनिक स्थान, गाँव और शहर हमेशा साफ रहें यह प्रयास हम सब को मिलकर करना है। हमारा उद्देश्य है कि समग्र स्वच्छता हो और सर्वत्र स्वच्छता हो।

स्वच्छता केवल सफाई कर्मियों और सरकारी विभागों की ही ज़िम्मेदारी नहीं है। यह बात लगभग सौ साल पहले महात्मा गांधी ने खुद सफाई करते हुए सबको सिखाने की कोशिश की थी। बापू कहा करते थे कि जब तक आप अपने हाथ में झाड़ू और बाल्टी नहीं उठाएंगे तब तक आप अपने गाँव और शहर को साफ नहीं कर पाएंगे।

सन 2014 की गांधी जयंती के दिन से चल रहे स्वच्छ भारत मिशन के सभी लक्ष्यों को प्राप्त करना ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। केवल लक्ष्यों को प्राप्त ही नहीं करना है बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि स्वच्छता की सुविधाओं का स्थाई रूप से इस्तेमाल होता रहे और स्वच्छता की जड़े मजबूत रहें।

गंदगी किसी भी समाज के लिए अभिशाप है। मल से जो बीमारियाँ होती हैं उनके कारण होने वाला आर्थिक नुकसान देश के जीडीपी के 6.4% के बराबर आँका गया है। ऐसी बीमारियों से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को अधिक परेशानी होती है। उनकी कमाने की क्षमता भी कम हो जाती है। कहा जा सकता है कि स्वच्छता के लिए काम करना सही मायनों में मानवता की सेवा है। स्वच्छता के लक्ष्यों के बारे में किसी भी तरह के समझौते की तनिक भी गुंजाइश नहीं है।

खुले में शौच के कारण होने वाली बीमारियों से छोटे बच्चों की आंतों में सूजन हो जाती है,खाना बदन को लगता नहीं है। बच्चों की लम्बाई कम रह जाती है। उनकी बुद्धि के विकास पर असर पड़ता है। भारी संख्या में बच्चे डायरिया के कारण मौत का शिकार होते हैं। पीने के पानी को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाने का सबसे बड़ा कारण मल से पैदा होने वाले संक्रमण ही है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए सब का एकजुट होकर काम करना जरुरी है।

स्वच्छ भारत मिशन द्वारा स्वच्छता को एक सामूहिक मुद्दा बनाया गया है। गाँव से लेकर केंद्र सरकार तक हर स्तर पर, तथा समाज के हर तबके की भागीदारी तय की गई है। महिलाओं के अनेक स्वयं-सहायता समूह सक्रिय हैं। यहाँ उपस्थित सात विभिन्न समूहों के प्रतिनिधियों की सक्रियता इस मिशन में व्यापक भागीदारी का उदाहरण है। सिविल सोसाइटी, सैन्य बलों, इंटर-फेथ ग्रुप, NCC-NSS जैसे युवा संगठनों, पंचायती राज संस्थाओ और कॉर्पोरेट सेक्टर की निरंतर भागीदारी से इस अभियान को तथा स्वच्छ भारत मिशन को विशेष ऊर्जा प्राप्त होगी। लेकिन आम जनता के सहयोग के बिना यह मिशन पूरा नहीं हो सकता।

स्वच्छ भारत मिशन का एक बहुत बड़ा प्रयास है, पूरे देश में लगभग छ: लाख प्रशिक्षित स्वच्छाग्रहियों की एक सेना तैयार करना। देश के हर गाँव में एक स्वच्छाग्रही इस मिशन की पताका लेकर अपने सभी ग्रामवासियों के साथ स्वच्छता की ओर बढ़ेगा।

स्वच्छता के लिए सदियों पुरानी आदतों को बदलना है। यह समाज की सोच में बदलाव का अभियान है। यह उस निर्दयता को रोकने का अभियान है जिसके दबाव में हमारी माताएँ,बहनें और बेटियाँ खुले में शौच के लिए मजबूर की जाती रही हैं; और उनके सम्मान और सुरक्षा की अनदेखी की जाती रही है। कई ऐसे उदाहरण सामने आ रहे हैं जब हमारी बच्चियों ने अपने होने वाले ससुराल में शौचालय न होने के कारण शादी से इंकार कर दिया है। ऐसी नवयुवतियां हम सब के लिए प्रेरणास्रोत हैं। इन क्रन्तिकारी क़दमों के लिए मैं उनका अभिनन्दन करता हूँ।

स्वच्छता मिशन ने हमारे समाज के कुछ बहुत अच्छे पहलू उजागर किए हैं। अनेक स्थानों पर लोगों ने निगरानी समितियाँ बनाई हैं। जागरूक लोग खुले में शौच करने वाले लोगों को सम्मान के साथ फूल माला देकर ऐसा न करने का अनुरोध करते है। इन प्रयासों का अच्छा प्रभाव देखने को मिल रहा है।

लेकिन अभी भी स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्यों को पाने के लिए कई क्षेत्रों में काफी काम होना बाकी है। कूड़ा, कचरा, मल-मूत्र के निस्तारण पर काफी तेजी से काम करना है।'वेस्ट टू वेल्थ' की सोच के साथ कचरे से बिजली बनाने जैसे कार्यो को तेजी से करना है। सभी पहलुओं पर शीघ्रता से काम करना है। काम करने का समय कम है। हम में से हर एक को यह ठान लेना है कि इस मिशन को हम समय पर पूरा करके ही रहेंगे।

प्रधानमंत्री ने स्वच्छता पर जोर देते हुए कहा है कि शौचालय का निर्माण देवालय से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। सरकार के स्वच्छ भारत मिशन ने लोगों में नई चेतना जगाई है। मिशन के तहतस्वच्छता का कवरेज 39 प्रतिशत से बढकर आज 67 प्रतिशत हो गया है। खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 55 करोड़ से घटकर 30 करोड़ पर आ गयी है।

आप सब जानते हैं कि आज इस अभियान के आरम्भ के साथ ही पूरे देश में जहाँ कहीं भी, विद्यालयों, आंगनवाडियों तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर, यह काम अभी तक अधूरा है, वहां इसको पूरा करने की शुरुआत की जा रही है। हम सब के जीवन में यह क्षण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हम सब इस क्रन्तिकारी अभियान के श्रीगणेश के अवसर पर साक्षी बन रहे हैं।

स्वच्छ भारत की नींव पर ही स्वस्थ भारत और समृद्ध भारत का निर्माण होगा। आइये हम सब भारतवासी मिलकर स्वच्छता की ओर एक और कदम बढ़ाएँ। मुझे विश्वास है कि स्वच्छता का संकल्प लेकर राष्ट्र निर्माता की अपनी-अपनी भूमिका को हम सब सफलतापूर्वक अदा करेंगे।

जय हिंद