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कर्नाटक लॉ सोसायटी और राजालखम गौड़ा लॉ कॉलेज के प्‍लेटिनम जयंती समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

बेलगावी : 15.09.2018

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1. भारत के राष्ट्रपति के रूप में पद ग्रहण करने के बाद बेलगावी की मेरी यह पहली यात्रा है और मुझे खुशी है कि यह यात्रा कर्नाटक लॉ सोसायटी और राजालखम गौड़ा लॉ कॉलेज के प्लेटिनम जयंती समारोह के अवसर पर हो रही है। उच्च शिक्षा एक ऐसा विषय है जो मेरे दिल के बहुत नज़दीक है और मेरे राष्ट्रपति कार्यकाल की प्राथमिकता है। मेरी अपनी पृष्ठभूमि भी विधि एक समुदाय की है और मेरे लिए विधि एक प्रफेशन मात्र नहीं है बल्कि एक जुनून है।

2. आज के समारोह में विख्यात विधिक और प्रबुद्ध वर्ग शामिल है। राज्य के राज्यपाल श्री वजूभाई वाला स्वयं भी वक़ालत पढ़े हुए हैं। मैं मुख्यमंत्री श्री एच.डी. कुमार स्वामी के प्रयासों की भी सराहना करता हूं। वह इस समारोह का निमंत्रण देने के लिए व्यक्तिगत रूप से मुझसे मिले और वे बड़े उत्सुक थे कि मैं इसमें भाग लूं।

3. यह उपयुक्त ही है कि कर्नाटक लॉ सोसायटी और यह कॉलेज बेलगावी में स्थित है। यह एक ऐसा शहर है जिसका शिक्षा और ज्ञान का समृद्ध इतिहास है। हजारों वर्ष पहले यह उन जैन भिक्षुओं का स्थान था जो अपने साथ आध्यात्मिकता और विद्वत्‍ता लेकर आए। 1892 में स्वामी विवेकानंद ने बेलगावी की यात्रा की थी। मुझे बताया गया है कि उनके मन में शिकागो की विश्व धर्म संसद में भाग लेने का विचार यहीं पर आया था और जैसा कि सभी जानते हैं कि स्वामी जी ने शिकागो में बड़ा प्रभाव डाला और हमने हाल ही में वहां उनके संबोधन की 125वीं वर्षगांठ मनाई है। धर्म संसद में स्वामीजी ने कहा था,‘‘व्यक्ति असत्‍य से सत्‍य की ओर नहीं, बल्कि सत्य से सत्य की ओर तथा नीचे से ऊंचे सत्‍य की ओर बढ़ रहा है।’’यह कथन शिक्षा के संदर्भ में अत्‍यंत सार्थक है।

4. दो दिन पहले हमने गणेश चतुर्थी मनाई जो पूरे देश में मनाया जाने वाला प्रिय पर्व है। स्वतंत्रता के हमारे संघर्ष के दौरान इसे माननीय बाल गंगाधर तिलक से जोड़ा गया। मुझे जानकर खुशी हुई कि लोकमान्य तिलक ने 1916 में यहीं पर ‘होमरूल लीग’ की शुरुआत की थी। समय बीतने के साथ बेलगावी हमारे राष्‍ट्र का प्रतीक और हमारे सैन्य समुदाय, हमारी आर्थिक परिसंपत्तियों और हमारी सांस्कृतिक और शास्त्रीय संगीत परंपरा के भी उल्लेखनीय स्थान के रूप में उभरा है।

5. 1939 में कर्नाटक लॉ सोसायटी की स्थापना, इसी विख्यात विरासत का हिस्सा थी। यह सोसायटी उन राष्ट्रवादी और सामाजिक रूप से समर्पित वकीलों की सूझ-बूझ का प्रतिफल थी जो देश के बारे में सोचा करते थे। उन्होंने प्रतिभावान युवाओं और उभरते हुए वकीलों के प्रशिक्षण की दृष्टि से तथा विधि के शासन को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ विधि द्वारा शासन को प्रोत्साहन देने के नेक इरादे के साथ इस सोसाइटी और लॉ कॉलेज का निर्माण किया। जैसा कि उल्लेख किया गया है, इन संस्थाओं के संस्‍थापक स्‍वयं कुशल वकील थे और उनकी वकालत बहुत अच्छी चला करती थी। तथापि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र को निस्वार्थ भाव से समय दिया और यहां तक कि लॉ कॉलेज में निशुल्क पढ़ाया भी। मैं वंतामुरी के श्रीमंत राजा लखम-गौड़ा सरदेसाई के प्रति भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहूंगा। उन्होंने उस समय कर्नाटक लॉ सोसायटी कोएक लाख रुपये की बड़ी राशि दान में दी और इसके सपनों को साकार करने का मार्ग प्रशस्‍त किया। लॉ कॉलेज का नामकरण उन्हीं के नाम पर किया गया है।

6. प्रकृति का नियम हमें सिखाता है कि अनुशासन और व्यवस्था बनाए रखी जानी चाहिए। मनुष्य जिस विधि का निर्माण करता है वह सभ्यता का आधार बन जाती है। विधि, कोई प्रफेशन नहीं बल्कि समाज सेवा है। जीविकोपार्जन का साधन होने से बहुत आगे जाकर न्याय हित में मदद करने, गरीब-से-गरीब का और अभागे-लोगों की सहायता करने तथा नियमों, माननंडों और निष्‍पक्षता का पालन करने वाले समाज और राष्ट्र का निर्माण करने का तंत्र है। व्यापक विश्लेषण करके देखें तो, वकील और न्यायाधीश ‘सत्य के अन्वेषक’ होते हैं। इसीलिए, राष्ट्रीय आंदोलन में इतनी बड़ी संख्‍या में वकीलों ने सहभागिता की थी। हम सभी जानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और हमारे संविधान के मुख्य सूत्रधार बाबासाहब भीमराव अंबेडकर- दोनों ही जनसेवा की भावना से लबरेज वकील थे। और बाबासाहेब अंबेडकर ने हमें जो संविधान दिया, वह हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का एक आधुनिक पावन ग्रंथ बना हुआ है।

7. कर्नाटक लॉ सोसायटी ने अब तक एक लंबा सफर तय कर लिया है। प्रौद्योगिक संस्थान से लेकर प्रबंधन कॉलेज आदि कुल मिलाकर 14 संस्थानों का संचालन यह सोसायटी कर रही है और इसके विद्यार्थियों की संख्या 14000 है। इसके पूर्व छात्रों का दायरा प्रभावी और व्यापक है। इसके 50000 पूर्व विद्यार्थी दुनिया भर के देशों और गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। लॉ कॉलेज से पढ़े बहुत से विद्यार्थी आगे चलकर विधिक क्षेत्र की शोभा बने। इनमें भारत के उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ई.एस. वेंकटरमैया और न्यायाधीश एस. राजेंद्र बाबू तथा भारत के अटॉर्नी जनरल श्री के. के. वेणुगोपाल शामिल हैं। किसी भी विधि कॉलेज को ऐसे विख्‍यात विद्यार्थियों पर गर्व होगा और किसी भी विद्यार्थी को ऐसे विख्यात विधि कॉलेज पर गर्व होगा।

देवियो और सज्जनो,

8. हमारा देश परिवर्तनकारी बदलाव के दौर से गुजर रहा है। आज हम जो निर्णय ले रहे हैं, वे न केवल हमारे आसन्‍न भविष्य को, अपितु संभवत: शेष शताब्दी को भी प्रभावित करेंगे। हमारी आबादी युवा और प्रतिभावान है और हमारी उत्‍साहपूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था अवसरों से भरपूर है। विगत तिमाही के दौरान हमारे सकल घरेलू उत्पाद में 8.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है और इससे हमारी गति और हमारी क्षमता का संकेत मिलता है। हम प्रौद्योगिकी और उद्यमिता के युग में जी रहे हैं। चौथी औद्योगिक क्रांति हमारे सामने है। यह हमारे रहन-सहन और कार्य में बदलाव ला रही है। यह हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को भी बदल रही है। हमारे शैक्षिक संस्थानों को नवाचार और उत्कृष्टता की इस तलाश के साथ सामंजस्य बैठाना होगा। उन्हें 21वीं शताब्दी के भी अनुरूप बनाना होगा।

9. सरकार इसमें सहयोग करने के उपाय कर रही है। उच्चतर शिक्षा के विनियामक ढांचे में सुधार की प्रक्रिया और समसामयिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इसके उन्नयन का कार्य जारी है। मुझे विश्वास है कि शीघ्र ही इसके सुपरिणाम सामने आएंगे। 60 सर्वोच्च विश्वविद्यालयों को क्रमिक स्वायत्तता प्रदान की गई है। 20 उच्च शिक्षा संस्थानों का उन्‍नयन ‘उत्कृष्ट संस्थानों’ के रूप किए जाने की दृष्टि से सर्वोत्‍तम वैश्विक मानकों तक पहुंचने हेतु भर्ती और पाठ्यचर्चा निर्माण में लचीलापन उपलब्‍ध कराने का भी निर्णय लिया गया है।एक प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के बाद हाल ही में, इनमें से कुछ संस्‍थानों को ‘उत्कृष्ट संस्थानों’ का दर्जा दिए जाने की घोषणा कर दी गई है।

10. कर्नाटक लॉ सोसाइटी के संस्थानों को इन अवसरों से फायदा उठाना चाहिए। बेलगावी एक प्रसिद्ध औद्योगिक केन्द्र है। सौ साल पहले, यह रोग प्रतिरोधक टीके बनाने के लिए प्रसिद्ध हुआ था। 20 वीं शताब्दी के मध्य में, इसकी फाउंड्री और धातु उद्योग ने हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान दिया। आज, एक उभरते हुए एयरोस्पेस उद्योग से यहां नौकरियों और समृद्धि की संभावना पैदा हो रही है। यहां शैक्षिक संस्थानों को इस आर्थिक माहौल में घुलना-मिलना होगा और एक अनुकूल ज्ञान-सम्‍पन्‍न माहौल तैयार करना होगा।

11. किसी विधि महाविद्यालय में और विख्‍यात कानूनी और न्‍यायिक शख्सियतों की उपस्थिति में अभिभाषण देते हुए यह उचित होगा कि मैं कानूनी शिक्षा के विषय पर विचार व्‍यक्‍त करूं। तेज प्रौद्योगिकीय विकास के बीच कानून की शिक्षा और स्‍वयं का कानून निर्माण अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है। किसी नवाचार के घटित होने और समाज में इसके बड़े पैमाने पर अनुप्रयोग की समयावधि बहुत तेजी से कम हो रही है। जेनेटिक इंजीनियरिंग, बायो-एथिक्‍स और कृत्रिम बुद्धि के साथ-साथ अन्‍य क्षेत्रों में कानून के समक्ष असंख्‍य चुनौतियां इससे पैदा होंगी। कानूनी के पेशे तुरंत हरकत में आना होगा।मुझे विश्वास है कि हमारे अग्रणी कानूनी विशेषज्ञ इस तरह के मामलों पर ध्‍यान देंगे। एक विशिष्‍ट कॅरियर पूरा करने के बाद कुछ समय में ही भारत के मुख्य न्यायाधीश,श्री दीपक मिश्रा सेवानिवृत हो रहे हैं। मैं उनकी सुखद सेवानिवृत्ति की कामना करता हूं, वहीं यह भी आशा करता हूं कि वह ऐसे उभरते हुए मामलों पर जन-सामान्‍य के नजरिए को भी दिशा देते रहेंगे।

12. इन्‍हीं शब्दों के साथ, मैं प्लैटिनम जुबली की उपलब्धि तक पहुंचने के लिए एक बार फिर कर्नाटक लॉ सोसाइटी और इसके सभी हितधारकों, विशेष रूप से पूर्व और वर्तमान दोनों विद्यार्थियों को बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है, सच कहूं तो मुझे विश्‍वास है कि सर्वोत्‍तम अवसर अभी आपको प्राप्‍त होने हैं।

धन्यवाद

जय हिन्द!