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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के प्रथम दीक्षांत समारोह में सम्बोधन

समस्तीपुर : 15.11.2018

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1. केन्द्रीय संस्थान के रूप में इस विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत समारोह त्योहारों के उल्लास भरे वातावरण में हो रहा है। दीपावली के बाद, सूर्य पूजन का पर्व, छठ पूजा, कल ही सम्पन्न हुई है।आज छठ पूजा, किसी विशेष प्रदेश या क्षेत्र तक सीमित न होकर, ग्लोबल होती जा रही है।

2. मैं सभी उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देता हूँ। साथ ही, मैं सभी अभिभावकों और शिक्षकों को भी बधाई देता हूँ। आप सब के उत्साह और ऊर्जा को देखकर, मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

3. इस संस्थान में आकर सहज ही, भारत के प्रथम राष्ट्रपति, भारत-रत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद जीकी स्मृति, जीवन्त हो जाती है। उन्होंने अपने संघर्ष और संकल्प से, बिहार और देश का नाम रोशन किया है। उनका विद्यार्थी जीवन, सब के लिए प्रेरणादायी है। आप सभी उनके जीवन के बारे में जानकर, स्वावलंबन और सादगी की प्रेरणा ले सकते हैं।

4. यहाँ, समस्तीपुर में ही, प्रख्यात मैथिल कवि विद्यापति की निर्वाण-भूमि होने के कारण उनके नाम से यहाँ एक ब्लॉक और रेलवे स्टेशन है। शहीद खुदी राम बोस के जीवन से जुड़ा होने के कारण, यहाँ उनके नाम से भी एक रेलवे स्टेशन है। समस्तीपुर के सपूत, कर्पूरी ठाकुरन केवल बिहार के मुख्य-मंत्री बने, बल्कि उन्होने समाज के पिछड़े वर्गों के हित में अतुलनीय योगदान दिया। इस तरह कविता से क्रान्ति तक, और सामाजिक समरसता से कृषि तक, अनेक क्षेत्रों में समस्तीपुर ने अलग प्रतिमान स्थापित किए हैं।कर्पूरी ठाकुर जी के सुपुत्र, राज्यसभा सांसद श्री रामनाथ ठाकुर भी आज यहाँ मौजूद हैं।

5. बिहार के राज्यपाल के रूप में मुझे भी यहाँ के जन-जीवन को बहुत नजदीक से देखने का मौका मिला था। यहाँ के लोग अपने सरल-स्नेही स्वभाव और अतिथि सत्कार के लिए जाने जाते हैं। मेरे हृदय में बिहार के लिए एक विशेष स्थान है। मैंने देखा है, कि छठ के अवसर पर जिस तरह सभी लोग मिलकर राज्य की हर गली, हर सड़क और हर घर को स्वच्छ बना देते हैं, वह पूरे देश के लिए एक मिसाल है। इस दृष्टि से, छठ के त्योहार को, स्वच्छता और सहभागिता का महापर्व भी कहा जा सकता है। मैं जब यहाँ राज्यपाल था, तब भी कहा करता था कि, तीन दिन के इस पर्व की भावना अगर तीन सौ पैंसठ दिन बनी रहे, तो बिहार के प्रतिभाशाली लोग, पूरे देश के लिए समग्र विकास के नए उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं।

6. मैं भी एक ग्रामीण क्षेत्र से आता हूं, जहां मेरा बचपन बीता और प्रारम्भिक शिक्षा मिली। अतः खेत और किसान से जुड़े इस समारोह में भाग लेकर मुझे विशेष संतोष का अनुभव हो रहा है। मुझे देश के किसान बहनों-भाइयों और कृषि वैज्ञानिकों पर गर्व है जिन्होंने विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले हमारे देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान की है। आज वे खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़कर, पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। हम कृषि उत्पादों का निर्यात करके विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर रहे हैं।

7. समस्तीपुर की इस बेहद उपजाऊ धरती पर, जहां के मेहनती किसानों की अलग पहचान है, सन1905 में भारत का पहला आधुनिक कृषि संस्थान, Imperial Agriculture Research Institute, PUSA, स्थापित किया गया।जनवरी 1934 में आए भूकंप के बाद, 1935 में पूसा संस्थान को नई दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था। 1970 में ‘राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय’ की स्थापना इसी पूसा परिसर में हुई। वही संस्थान, आज अपने वर्तमान रूप में,‘डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय’ बन चुका है।

8. बिहार का राज्यपाल होने के नाते, मैं ‘राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय’का कुलाधिपति था और मुझे इसी परिसर में आयोजित एक दीक्षांत समारोह में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ था। आज राष्ट्रपति होने के नाते, इस केन्द्रीय कृषि संस्थान के कुलाध्यक्ष के रूप में, आप सभी होनहार विद्यार्थियों के बीच, यहाँ पुनः आना, मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है।मुझे बताया गया है कि, केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद, बीस राज्यों के विद्यार्थी, यहाँ शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। साथ ही, छात्राओं की संख्या बढ़कर चालीस प्रतिशत तक पहुँच गई है, जो कि एक बहुत ही सुखद एवं उत्साहदायी परिवर्तन है।

देवियों और सज्जनों,

9. मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय के प्रयासों से, कृषि-उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के उदाहरण सामने आए हैं। रबी के दौरान उगाई जाने वाली मक्का की श्रेष्ठतम प्रजाति की शुरुआत करने का श्रेय इसी विश्वविद्यालय को जाता है। साथ ही, इस विश्वविद्यालय द्वारा कृषि-तकनीक में सुधार करने से, बिहार में, रबी के दौरान होने वाले मक्का की उत्पादकता में, दोगुने से भी अधिक का इजाफा हुआ है। राज्य में, मशरूम का उत्पादन विकसित हुआ है, जिससे यहाँ के गरीब किसानों को विशेष लाभ पहुंचा है। विश्वविद्यालय द्वारा विकसित, सौर संचालित सिंचाई प्रणाली भी उल्लेखनीय है।

10. राज्य के किसानों, कृषि विशेषज्ञों और सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप बिहार राज्य और यहाँ के किसान अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित होते रहे हैं। अभी हाल ही में ‘इंडियन काउंसिल ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर’ द्वारा आयोजित 11वें ‘ग्लोबल एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड्स 2018’ में बिहार को सर्वश्रेष्ठ पशुपालन राज्य का अवार्ड मिला है। बिहार के समग्र विकास के लिए चल रहे प्रयासों तथा कृषि क्षेत्र की ऐसी उपलब्धियों के लिए मैं मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमारऔर उनकी टीम को बधाई देता हूँ।

11. हमें विज्ञान-सम्मत कृषि-परम्पराओं और आधुनिक तकनीक व पद्धतियों का समन्वय करते हुए आगे बढ़ना होगा। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि महात्मा गांधी के 149वें जन्मदिवस पर पूर्वी चंपारण जिले में, महात्मा गांधी की बताई स्वदेशी कृषि तकनीक पर आधारित मेले को सफलता मिली।

12. कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए देशव्यापी प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि मंडियाँ eNAM पोर्टल पर जुड़ी हैं, जिन पर बहुत बड़े पैमाने पर कृषि उत्पादों का व्यापार किया जा चुका है।‘नीम कोटेड यूरिया’ टेक्नोलोजी के उपयोग से लेकर soil health cards तक, ‘फसल बीमा योजना’ से लेकर‘किसान संपदा योजना’ तक, इन सभी प्रयासों का उद्देश्य कृषि क्षेत्र को अधिक लाभदायक बनाना है। जहाँ एक तरफ ‘आई मंडी’ जैसे Apps से किसानों को डिजिटल सुविधा से जोड़ा गया है, वहीं दूसरी ओर, ‘राष्ट्रीय किसान आयोग’ द्वारा सुझाए गए सुधारों को भी लागू किया है। कृषि क्षेत्र को लाभकारी एवं आकर्षक बनाने के ऐसे प्रयासों के लिए, केन्द्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह की टीम विशेष बधाई की हकदार है।

प्यारे विद्यार्थियों,

13. हमारे देश की आबादी को देखते हुए, खेती लायक जमीन और जल-संसाधन की, अपेक्षाकृत कमी है। इसलिए, कम-से-कम जमीन और पानी के इस्तेमाल से अधिक-से-अधिक पैदावार करने के लिए निरंतर इनोवेशन करते रहने की आवश्यकता है।‘बीज से बाजार तक’, पूरी प्रक्रिया में, इनोवेशन के अपार अवसर हैं जिनका उपयोग करके, आप सभी विद्यार्थी, देश के कृषि-विकास को अपना योगदान दे सकते हैं।

14. केंद्र और राज्य सरकारों ने कृषि, और कृषि पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए, अनेक योजनाओं की शुरूआत की है। इन कार्यक्रमों का बेहतर लाभ उठा कर, आप सबको कृषि पर आधारित स्व-रोजगार शुरू करने के विषय में सोचना चाहिए।

15. इसके अलावा ‘मुद्रा योजना’ जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं जिनसे कर्ज लिया जा सकता है। बहुत से ‘वेंचर कैपिटल फंड’ हैं जो कृषि पर आधारित उद्यमों में निवेश करने के लिए आगे आ सकते हैं।ऐसी सुविधाओं का समुचित उपयोग करके आप सभी विद्यार्थी, अपनी जीविका अर्जित करने के साथ-साथ दूसरों को रोजगार देने के लिए समर्थ हो सकते हैं।

16. मुझे अनेक राज्यों के ऐसे उत्साही और सफल युवाओं के बारे में जानकारी मिली है, जिन्होंने उच्च-शिक्षा पूरी करने के बाद, परंपरागत खेती से अलग, कुछ नया करने का जोखिम उठाया। उन युवाओं ने फल, फूल, सब्जी के साथ रबी और खरीफ फसलों की खेती भी‘आर्गेनिक’तरीके से शुरू की। आज उनके उत्पादों की मांग विदेशों में भी होने लगी है।

17. मैं समझता हूँ कि आज उपाधि प्राप्त करने वाले आप सभी विद्यार्थी, अपनी दिशा तय करने के साथ-साथ, देश के कृषि विकास में भी अपना योगदान देने के लिए तैयार हैं। हमारे किसानों की खुशहाली ही, आपकी शिक्षा की सार्थकता का मापदंड है।मुझे पूरा विश्वास है कि किसानों के जीवन में बदलाव लाने और देश की प्रगति को योगदान देने के लिए आप पूरे उत्साह के साथ आगे बढ़ेंगे।

18. आज 33 स्वर्ण पदक विजेताओं में से 25 छात्राएं हैं। हमारी ऐसी बेटियां, हमारे समाज और देश के सुदृढ़ भविष्य के प्रति, हमें आश्वस्त करती हैं। देश को, ऐसी बेटियों पर गर्व है।

19. मैं एक बार फिर सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों और इस दीक्षांत समारोह से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं। आज पदक हासिल करने वाले विद्यार्थी विशेष सराहना के पात्र हैं। मैं आप सभी के सफल भविष्य की मंगल-कामना करता हूं।

धन्यवाद

जय हिन्द !