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राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार प्रदान किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

नई दिल्ली : 16.05.2018

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1. मुझे वर्ष 2017 के राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार प्रदान करने के लिए यहां आने पर खुशी हुई है। भूविज्ञान के भिन्न-भिन्‍न क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार विजेताओं को मैं अपनी बधाई देता हूं। आपने हमारे देश को जानने और हमारे संसाधनों के बेहतर मानचित्रण में हमारी सच्‍ची मदद की है और आपने हमारे सामाजिक-आर्थिक विकास तथा राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में योगदान दिया है।

2. मूल रूप से ये पुरस्कार, 1966 में केन्‍द्रीय खान मंत्रालय ने राष्ट्रीय खनिज पुरस्कारों के रूप में शुरू किए थे।2009 में इस विषय क्षेत्र में प्रौद्योगिकीविदों और शोधकर्ताओं द्वारा निभाई गई वृहत्‍तर भूमिका के सम्मान स्वरूप इन पुरस्‍कारों के दायरे में राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार को भी शामिल कर लिया गया। ये पुरस्कार भारत में संसाधनों के अन्वेषण और खनन की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाते हैं। यह विरासत, हजारों वर्ष पहले हमारी सभ्यता के आरंभिक काल से चली आ रही है।

3. आधुनिक युग में देश के प्रमुख भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संगठन के रूप में, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की स्थापना 1851 में की गई थी। यह विश्व का दूसरा अपनी किस्‍म का सर्वेक्षण संगठन था और इसके अग्रणी प्रयास, समसामयिक भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ समानांतर रूप से चलते रहे हैं।

4. इस प्रगति के अनेक पड़ाव रहे हैं। 19वीं शताब्दी में इन्‍हीं प्रयासों के परिणाम स्‍परूप असम में तेल की खोज हुई थी। गोंडवाना लैंड के प्राचीन वृहत् महाद्वीप जिससे कभी भारत का भू-भाग संलग्‍न था, की अवधारणा का श्रेय भारत के भू-वैज्ञानिक अध्ययनों को जाता है। भारत में नए खनिजों की खोज तथा विशाल बांधों और बहु-उद्देशीय परियोजनाएं तैयार किए जाने के लिए किए जाने वाले तकनीकी अध्ययनों से भी हमारी ज्ञान संपदा में वृद्धि हुई।

5. आज भूविज्ञान का संबंध केवल संभावित खदानों के अन्‍वेषण तक ही सीमित नहीं है। चाहे रेल पटरियां बिछाना हो या संचार गलियारों का निर्माण करना हो, नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं का आकलन हो या भूकंप और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक जोखिमों की जांच-पड़ताल करनी हो, जलवायु परिवर्तन के दौर में हमारे तटों और रेगिस्तानों का प्रबंधन हो या कृषि में मूल्य संवर्धन हो और नए शहरी केन्‍द्रों के विकास में सहायता करनी हो भूविज्ञान के अनुप्रयोग अति विविधतापूर्ण और अत्यंत उपयोगी हैं।

6. भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। हमारा सकल घरेलू उत्पाद और विकास की हमारी वृहत्‍तर प्रक्रिया आने वाले दशकों में और तेज होने जा रही है। अर्थव्यवस्था के इस विस्तार के परिणाम-स्वरूप खनन और खनिज क्षेत्र के विस्‍तृत होते जाने की संभावना है। साथ ही, यह आर्थिक विस्तार का प्रेरक भी बनेगा। हम जैसे-जैसे अधिक से अधिक शहर और मकान तथा वाणिज्यिक केन्‍द्र बनाएंगे तथा अत्याधुनिक ढांचागत सुविधाओं का निर्माण करेंगे वैसे-वैसे प्रमुख संसाधनों का हमारा प्रयोग भी बढ़ेगा। जैसा कि सभी को विदित है, भारत में बहुत से संसाधनों और वस्तुओं का प्रति व्यक्ति उपभोग अभी भी वैश्विक मानकों से बहुत कम है और यहां इसके बढ़ने की काफी गुंजाइश है। इसके लिए सतत, पर्यावरण अनुकूल संसाधन सृजन के लिए उच्च गुणवत्ता पूर्ण अनुसंधान कार्यों तथा खनन क्षेत्र में प्रौद्योगिकी नवाचार में सार्थक निवेश की जरूरत होगी।

7. इसीलिए सरकार ने पिछले 4 वर्ष के दौरान खनन क्षेत्र में सुधार को बढ़ावा दिया है। इन सुधारों में मौजूदा कानूनों में संशोधन तथा रॉयल्टियों की एक अधिक समतापूर्ण व्‍यवस्‍था की स्‍थापना शामिल है और इन सुधारों के परिणाम मिलने शुरू हो गए हैं। अनेक खनिज ब्लॉकों की खोज की जा रही है। खान मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों से राज्‍यों में नीलामी के लिए संभावित खनिज ब्लॉकों की पहचान हुई है। इन उपायों से हमारे राज्यों की वित्तीय सेहत सुधरने तथा संसाधनों के खनन के फायदे जनता तक पहुंचाने में सफलता मिलेगी। अंततोगत्वा खनिज संसाधनों की खोज, निष्कर्षण और विकास का लाभ स्थानीय समुदाय को ही मिलना चाहिए।

8. हमें खनन के मानवीय पक्ष का भी ध्यान रखना चाहिए। हमारे अधिकांश खनिज संसाधन ऐसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं जो पीढ़ियों से जनजातीय समुदायों का बसेरा रहे हैं। यह जरूरी है कि ये समुदाय उस खनन अर्थव्यवस्था द्वारा पैदा हुई समृद्धि का हिस्सा बनें। जहां भी जरूरी हो, हमारे जनजातीय भाइयों और बहनों का पुनर्वास और पुनर्स्थापन संवेदनपूर्ण और संतोषजनक ढंग से किया जाना चाहिए।

9. इसी प्रकार, खनन प्रक्रिया के दौरान खनन कामगार और उनके परिजन, जो अक्सर खनन स्‍थलों के बेहद निकट रहते हैं, के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था अपनायी जानी चाहिए। जहां तक हो सके खनन और संसाधन निष्कर्षण और प्रसंस्करण के पर्यावरणीय प्रभावों को कम से कम किया जाना चाहिए। यदि इसके लिए ऐसी प्रौद्योगिकियों के प्रयोग की जरूरत हो जिनसे निष्कर्षण लागतें बढ़ जाती हैं, तो भी हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। भारत को और अधिक खनन करना चाहिए परंतु भारत को बेहतर और सतत ढंग से खनन करना चाहिए।

10. इस संदर्भ में मुझे खुशी है कि आज कुछ पुरस्कार विजेताओं को ऐसे भंडारों की नई खोज के लिए सम्मानित किया जा रहा है जिनसे देश के खनिज संसाधनों में बढ़ोतरी होगी। हमें अपने अपतटीय संसाधन भंडारों की संभाव्यता की भी जानकारी होनी चाहिए। और नई शक्ति के साथ अन्वेषण करने के लिए हमारे समुद्री भू-वैज्ञानिकों को प्रोत्‍साहन और बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हमारे पास एक लंबी तट रेखा और विशाल समुद्री क्षेत्र है जिनमें काफी अधिक बहुमूल्य भंडार छिपे हुए हैं। अब तक हमने केवल इन्हें छुआ भर है।

देवियो और सज्जनो,

11. हाल के वर्षों में हमारे भूवैज्ञानिक समुदाय से सामाजिक अपेक्षाएं काफी बढ़ गई हैं। भू निर्मिति आयामों की गहरी समझ से युक्‍त भूवैज्ञानिकों की, कृषि पैदावार और किसानों की आय बढ़ाने, स्‍मार्ट सिटी पहल को एक मजबूत आधार प्रदान करने तथा एक भीषण समस्या के रूप में उभर रही जल की कमी की चुनौती से लड़ने में हमारे नागरिकों की मदद करने में एक अहम भूमिका है।

12. इन सभी से हमारे प्रतिभावान और मेहनती भू-वैज्ञानिकों के कंधों पर भारी जिम्मेदारी आ जाती है। मुझे विश्वास है कि जिन मानकों को आपने अपने लिए तय किया है और जिन मानकों को आज सम्मानित किया गया है, वे और बड़ी उपलब्धियों के लांच-पैड बनेंगे। मुझे आशा है कि आप हमारे देश और हमारी जनता की सेवा में अपने ज्ञान और तकनीकी कौशल का प्रयोग करते रहेंगे।

13. मुझे बताया गया है कि अब से 2 वर्ष से भी कम समय, मार्च 2020 में भारत 36 वें अंतरराष्ट्रीय भूवैज्ञानिक सम्मेलन की मेजबानी करेगा। यह विश्व का सबसे बड़ी भूवैज्ञानिक सम्मेलन है और सभी संबंधित हितधारकों और संस्थानों को इसे एक स्मरणीय अवसर बनाने के लिए संसाधन जुटाने की जरूरत होगी।आप इस विराट समारोह के योजनाएं बना रहे हैं, मैं आपको इसके लिए शुभकामनाएं देता हूं। भूविज्ञान में भारत की सराहनीय प्रगति के प्रदर्शन के एक मंच के रूप में इसका प्रयोग करें। और इस समारोह के दृष्टिकोण को अपने लिए, एक विषय के रूप में भूविज्ञान के लिए और हमारे राष्ट्र के लिए और भी अधिक ख्याति अर्जित करने के लिए प्रेरणा के तौर पर प्रयोग करें।

धन्यवाद

जय हिंद!