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'स्लोवेनिया—इंडिया बिजनेस फोरम' में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

लुबलियाना : 16.09.2019

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1. स्लोवेनिया—इंडिया बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है। मैं राष्ट्रपति पाहोर की गरिमामयी उपस्थिति तथा स्लोवेनिया और भारत के आर्थिक सम्बन्धों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए आभार व्यक्त करता हूं।

2. मैं स्लोवेनियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, एसोसिएटेड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया, कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री तथा इंडियन मर्चेंट्स चैम्बर को भी इस आयोजन के लिए धन्यवाद देता हूं। इस यात्रा में मेरे साथ 20 भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधि आए हैं। मैं समझता हूं कि उन्होंने यहां की कंपनियों के प्रतिनिधियों से सफल चर्चा की होगी।

3. स्लोवेनिया में भारत को संस्कृति और अध्यात्म की भूमि माना जाता है। यह सही भी है, लेकिन अब आपको, उदीयमान भारत की आर्थिक ऊर्जा और गतिशीलता का भी अनुभव करना चाहिए। भारत आज विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। हमने 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है। भारत का व्यापारिक परिवेश अब आप को बदला हुआ मिलेगा जिसका एक बड़ा प्रमाण है कि भारत ने पिछले पांच वर्षों में विश्व बैंक के व्यापार सुगमता सूचकांक में 65 अंकों की असाधारण छलांग लगाई है। नए युग के प्रवर्तक—वस्तु और सेवा करके लागू होने से, 1.3 अरब जनसंख्या वाला भारत, इतिहास में पहली बार, एक राष्ट्र—एक कर—एक बाज़ार बन गया है।

4. हमें अपने सुधारों को ऐसा स्वरूप दे रहे हैं जिससे कि हमारे युवाओं की पूरी क्षमता का उपयोग हो सके। हमारे पास विश्व का तीसरा सबसे बड़ा वैज्ञानिक मानव संसाधन समुदाय उपलब्ध है। हमारे स्किल इंडिया और स्टार्ट—अप इंडिया कार्यक्रमों के जरिए उद्यमिता और उद्यमों की एक नई लहर पैदा हो रही है। 21,000 से अधिक स्टार्ट—अप्स के साथ आज भारत के स्टार्ट—अप नेटवर्क का दुनिया में तीसरा स्थान है। हमारे ये स्टार्ट—अप बाज़ार में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और नए उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। हमारी 30 यूनीकॉर्न कंपनियों का मूल्य 90 बिलियन डॉलर से अधिक आंका गया है।

5. भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर का परिदृश्य बड़ी तेजी से बदल रहा है। तेज रफ्तार रेल मार्गों से लेकर देश भर में एक्सप्रेस-वेके निर्माण तक — भविष्योन्मुख परियोजनाएं तेजी से पूरी की जा रही हैं। डिजिटल कनेक्टिविटी से ई—वाणिज्य, ई—सेवाओं और वित्तीय टेक्नॉलॉजी क्षेत्रों को बहुत बढ़ावा मिल रहा है। भारत का ‘रुपे’ भुगतान कार्ड अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अच्छी साख बना रहा है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक समुदाय ने इन परिवर्तनों पर भरोसा जताते हुए भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सर्वाधिक प्राथमिकता वाले देश के रूप में चुना है। 2018—19 में हमें 44.3 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ। भारतीय उद्योग व्यापार, सीधे निवेशों और साझेदारियों के जरिए विश्व बाज़ार से संपर्क भी बढ़ा रहे हैं। हमारे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की अपनी-अपनी मजबूती है और हम आपसी प्रगति तथा समृद्धि के लिए एक—दूसरे के पूरक बन सकते हैं।

6. आज आपके विचार-विमर्श उपयोगी रहे। इनसे व्यापार और निवेश का विस्तार होगा तथा नवाचारों, अनुसंधान और स्टार्ट—अप्स के क्षेत्रों में भागीदारियां बनेंगी। मेरे लिए यह प्रसन्नता की बात है कि पिछले वर्ष हमारे आपसी व्यापार में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। लेकिन यह भी, हमारी क्षमता से कम है। हमें अपने व्यापार में विविधता लानी है। मुझे उम्मीद है कि दोनों देशों के व्यापार प्रतिनिधि द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के लिए कोपर बन्दरगाह के इस्तेमाल पर गहन चर्चा करेंगे। हमें द्विपक्षीय निवेश को और भी बढ़ाना है।

7. स्लोवेनिया में उच्च टेक्नॉलॉजी, अनुसंधान, नवाचार, कुशल समाधानों और लघु स्तरीय प्रिसीज़न मेन्यूफेक्चरिंग की दक्षता उपलब्ध है। स्लोवेनिया की स्मार्ट स्पेशलाइज़ेशन स्ट्रेटजी और भारत के विकास में संयुक्त रूप से नए युग की भागीदारी की क्षमता है। हम अपनेफ्लैगशिप कार्यक्रमों, जैसे मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत, स्टार्ट—अप इंडिया और डिजिटल इंडिया में स्लोवेनिया के सहयोग के इच्छुक हैं।हम पर्यावरण के क्षेत्र में स्लोवेनिया की तकनीकी जानकारी से लाभ उठाना चाहते हें। गंगा को स्वच्छ बनाने के हमारे अभियान में स्लोवेनिया की कुछ कंपनियों ने महत्वपूर्ण काम किया है। मुझे उम्मीद है कि अन्य कंपनियां भी इसके लिए आगे आएंगी। शहरी बुनियादी सुविधाओं और कचरे के निपटान के मामलों में भी हम स्लोवेनिया से सीखना चाहेंगे।

8. नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी अवसर मौजूद हैं। हमने 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 175 गीगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। हमने 2020 के अंत तक 60 से 70 लाख विद्युत-चालित और हाईब्रिड वाहनों को सड़क पर उतारने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी रखा है। मैं स्लोवेनिया की कंपनियों को इन क्षेत्रों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करता हूं। डिफेंस सेक्टर भी हमारे बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र हो सकता है। स्लोवेनिया की रक्षा—उत्पादन कंपनी —पिपिस्ट्रेल ने भारत को प्रशिक्षण विमानों के एक बेड़े की आपूर्ति की है। हमारी रक्षा संबंधी ज़रूरतें बहुत बड़ी हैं और स्लोवेनिया की कंपनियां भारत में ऐसी सामग्री का विनिर्माण करने के अवसरों का आकलन कर सकती हैं। जहाजरानी, इलेक्ट्रॉनिक डिजाइनिंग, इंजीनियरी, खाद्य प्रसंस्करण और विधिक सेवा जैसे क्षेत्रों में भी हमारी कंपनियां आपके साथ भागीदारी करने की इच्छुक हैं।

9. मनोरंजन और पर्यटन भी परस्पर सहयोग का निरंतर बढ़ता हुआ एक अन्य क्षेत्र है। अनेक भारतीय फिल्म—निर्माता इस सुंदर देश में शूटिंग करने में दिलचस्पी ले रहे हैं। भारत से पर्यटक भी यहां बड़ी संख्या में आने लगे हैं। हमें वीजा प्रक्रियाओं को आसान बनाकर आने—जाने की सुविधा बढ़ानी होगी ताकि हमारे लोगों का परस्पर संपर्क बढ़े और व्यापार के लिए अनुकूल वातावरण बने। अपनी ओर से हमने, स्लोवेनिया के लिए ई—वीजा और पांच साल के लिए मल्टिपल एंट्री वीजा की सुविधाएं शुरू की हैं।

10. सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मा, बायो-टेक्नॉलॉजी, स्वास्थ्य सेवाओं, ऑटोमोबाइल, आयुर्वेद, ऊर्जा तथा बुनियादी ढांचे से जुड़े क्षेत्रों में भारत की दक्षता का लाभ स्लोवेनिया द्वारा उठाया जा सकता है। भारत भी, टेक्नॉलॉजी—बहुल क्षेत्रों में कुशल मानव संसाधन उपलब्ध करा कर स्लोवेनिया के विकास में भागीदार बन सकता है।

11. इस क्षेत्र के साथ व्यापार पर हम विशेष ध्यान दे रहे हैं। अपने व्यापारिक सहयोग को और घनिष्ठ बनाने के लिए हम हर वर्ष ‘इंडिया-यूरोप 29 बिजनेस फोरम’ की बैठक आयोजित करते हैं। इस फोरम की, 20—21 नवम्बर 2019 को नई दिल्ली में आयोजित की जाने वाली पाँचवीं बैठक में, उच्च—स्तरीय प्रतिनिधि मण्डल भेजने का मैं स्लोवेनिया को आमंत्रण देता हूँ।

12. मैं दोनों देशों के व्यापार मंडलों और उद्योग समूहों से आग्रह करता हूं कि वे घनिष्ठ सहयोग से काम करें। हमारी सरकारें आपसी व्यापार को बढ़ाने में सहायता कर सकती हैं लेकिन व्यापारिक भागीदारियां बनाने की पहल तो आपको ही लेनी होगी। मैं आपको इन प्रयासों की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मैं एक बार फिर, आज के फोरम को सफल बनाने के लिए, इससे जुड़े सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं।

ह्वाला लेपा, धन्यवाद!