भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी द्वारा “सुरक्षित-बचपन सुरक्षित-भारत” यात्रा के समापन समारोह में सम्बोधन
राष्ट्रपति भवन : 16.10.2017
आज मैं जब आपके बीच कुछ कहने के लिए खड़ा हुआ हूँ मुझे अपने बचपन की कुछ यादें आई – ग्रामीण परिवेश – जहाँ बचपन आसान नहीं होता, पग-पग पर कठिनाईयां होती हैं। मैं कैलाश जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ जिन्होंने बच्चों के यौन शोषण के खिलाफ यह आन्दोलन छेड़ा है।
आज फोटो प्रदर्शनी औरभारत यात्रा से जुड़ी तस्वीरें देखते हुए, तथा फाउंडेशन के क्रियाकलापों के बारे में और इन बहादुर बच्चों की आपबीती सुनते हुए बहुत से विचार मेरे मस्तिष्क में कौंध रहे थे।
एक तरफ मनुष्य ने अनेक वैज्ञानिक चमत्कार कर डाले हैं, तो दूसरी तरफ इन्सानों की शक्ल में हैवान आज भी हमारे बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हैं। वैज्ञानिक प्रगति के साथ-साथ नैतिकता और संवेदनशीलता का उतना ही विकास क्यों नहीं हो सकता?
21वीं सदी में पैदा हुए बच्चों को हम कैसी दुनिया, कैसा समाज और कैसा भारत देना चाहते हैं? मेरा मानना है कि अगर एक भी बच्चा असुरक्षित है तो, कहीं न कहीं, पूरा समाज दोषी है। हम सब दोषी हैं। इसीलिए "सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत” के लिए की गई यह यात्रा पूरे समाज को और पूरे देश को दोषमुक्त करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। देश के प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य बनता है कि आप सत्यार्थी जी के यात्रा के उद्देशयों से जुड़ें और हमारे बच्चों को एक बेहतर भारत का नागरिक होने का अवसर और अनुभव प्रदान करें।
मुझे अपने इन बच्चों पर गर्व है जो आज यहाँ उपस्थित होकर अपने कठिन लेकिन प्रेरक अनुभवों के बल पर पूरे समाज की अंतरात्मा को जगा रहे हैं। इन बच्चों के जीवन को, तथा मूलभूत अधिकारों से वंचित हजारों बच्चों के जीवन को संवारने वाले कैलाश सत्यार्थी जी की और आपके फाउंडेशन की जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है।
जैसा हम जानते हैं कि बच्चों के मानवाधिकारों के लिए लगभग 40 वर्षों से कैलाश सत्यार्थी जी प्रयासरत हैं और निरंतर योगदान दे रहे हैं। मुझे बताया गया है कि आपके प्रयासों से 85,000 से अधिक बच्चों को शोषण से मुक्ति मिली है, उन्हे शिक्षा के अवसर मिले हैं और अपने जीवन को फिर से शुरू करने में सहायता मिली है। मैं पूरे देश की ओर से आपके प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करता हूँ।
आप ऐसी गंभीर समस्याओं से बच्चों की रक्षा करने में लगे हुए हैं जिनके विषय में, दुर्भाग्यवश, जागरूकता और संवेदनशीलता का अभाव है। आपने अपनी भारत यात्रा के द्वारा जागरूकता बढ़ाने और संवेदनशीलता जगाने का महत्वपूर्ण काम किया है।
मुझे पूरा विश्वास है कि बच्चों के यौन शोषण और मानव तस्करी जैसी निंदनीय हरकतों से, बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में हमारा समाज आपकी भारत यात्रा से लाभान्वित होगा।
ऐसे काम में व्यापक जागरूकता और भागीदारी अनिवार्य है। आपने समाज के विभिन्न तबको को इस उद्देश्य से जोड़ा है। हमारे देश में महान लक्ष्यों के प्रति लोगों में जागरूकता और प्रेरणा का संचार करने के लिए समय-समय पर पदयात्राएँ की गयी हैं। इतिहास के विद्यार्थी और सामान्य नागरिक भी उन पदयात्राओं के महत्व को जानते हैं। आज सम्पन्न की गयी इस भारत यात्रा को मैं उन्हीं ऐतिहासिक पदयात्राओं की श्रेणी में रखता हूँ।
हमारे देश में बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए नीतियाँ और कानून तो हैं, लेकिन पूरे समाज की जागरूकता और संवेदनशीलता ही ऐसे अधिकारों को सुनिश्चित कर सकती है। मुझे बताया गया है कि इस भारत यात्रा द्वारा कन्याकुमारी से कश्मीर तक लाखों लोगों को इस विषय में जागरूक किया गया है। लाखों लोगों को शपथ लेने के लिए भी प्रेरित किया गया है।
भारत का हर बच्चा आजादी के साथ,गरिमा के साथ,स्वस्थ और सुरक्षित रहते हुए शिक्षा प्राप्त करे और अपनी पूरी क्षमता को प्रकाशित कर सके, इसके लिए पूरे देश को एकजुट होना पड़ेगा। सत्यार्थी जी का फ़ाउंडेशन इन उद्देश्यों को पाने की दिशा में सदैव तत्पर रहता है। मैं कैलाश सत्यार्थी जी को, आपकी टीम के साथ-साथ, आपके उद्देश्यों से जुड़े सभी भारतवासियों की सराहना करता हूँ। मैं आशा करता हूँ कि, हम सब मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जहां बच्चों के यौन शोषण और मानव-तस्करी जैसे अभिशापों के लिए तनिक भी गुंजाइश नहीं रहेगी।
मैं एक बार फिर यहाँ उपस्थित अपने प्यारे बच्चों की सराहना करता हूँ। मैं उन्हे हृदय से आशीर्वाद देता हूँ कि वे जीवन में आगे बढ़ें, और एक ऐसे भारत में अपनी प्रतिभा को निखारें जहां हर बच्चा अपने आप को सुरक्षित, स्वस्थ, और आजाद महसूस करे।
धन्यवाद
जय हिन्द