ईरान इस्लामी गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति डॉ. हसन रौहानी के सम्मान में आयोजित राजभोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 17.02.2018
राष्ट्रपति महोदय, मुझे आपका और आपके शिष्टमण्डल का स्वागत करते हुए बहुत खुशी हो रही है।
खोश ओमदीद जनाब आगाई दोकतोर रौहानी आजीज़ ।
भारत की यह आपकी पहली राजकीय यात्रा है। हमारे बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह हमारे लिए एक बड़े सम्मान की बात है कि आप हमारे बीच पधारे हैं।
महामहिम, भारत और ईरान सदियों पुराने मित्र हैं। हमारे सभ्यतागत रिश्तों से हमारी घनिष्ठता बढ़ी है। हमने जीवन और संस्कृति के सभी पहलुओं पर एक दूसरे के साथ
आदान-प्रदान किया है,एक दूसरे की संस्कृति को अपनाया है और समृद्ध किया है। हमारे महाकवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि ईरान एक अमर प्रेरणा है। फारसी
के महान विद्वानों, सा:दी और ह़ािफज़ की सोच और विवेक ने उन्हें बहुत प्रभावित किया था। एक मित्र को लिखे पत्र में, टैगोर कहते हैं -
‘‘सांस्कृतिक रूप से कहा जाए तो अधिकांश एशियाई देशों की तुलना में ईरान हमारे सबसे ज़्यादा नज़दीक आया है। भाषा, धर्म, साहित्य और कला के क्षेत्र में, हमारे बीच काफी अपनापन है और विगत इतिहास के
दौरान, विचारों का लगातार आदान-प्रदान हुआ है।’’
टैगोर ने भारतीय-ईरानी जन-प्रवाह को एक ऐसी विशाल नदी बताया जो मानो दो धाराओं में बंट गई हो, एक धारा हिन्दुकुश के पश्चिम की ओर चली गई और दूसरी धारा भारत के मैदान इलाकों की ओर मुड़ गई।
महामहिम, अपने गहरे और मज़बूत सांस्कृतिक संपर्कों के आधार पर,हमने अपनी आधुनिक साझीदारी विकसित की है।
हमारे प्रधान मंत्री ने मई, 2016 में आपके खूबसूरत देश की ऐतिहासिक यात्रा की थी। इसी आधार-भूमि पर, आपकी राजकीय यात्रा को, हमारे द्विपक्षीय संबंध में एक और अहम पड़ाव माना जाएगा। आज हम अपनी सामरिक साझीदारी को और अधिक विस्तृत एवं घनिष्ठ बनाने पर सहमत हुए हैं। इस कार्य में, हम आपके नेतृत्व और भारत-ईरान संबंधों के प्रति आपकी व्यक्तिगत वचनबद्धता के लिए दिल से आभारी हैं।
मुझे खुशी है कि हमारे संबंध, सभी क्षेत्रों में प्रगाढ़ हो रहे हैं। हमारे द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार हुआ है। हमारी ऊर्जा साझीदारी बढ़ोत्तरी पर है। ईरान के प्रचुर हाइड्रोकार्बन संसाधन और भारत में तेजी से बढ़ रही ऊर्जा की मांग हमारे बीच एक दूसरे के पूरक संबंधों के नए अवसर उपलब्ध करा रहे हैं।
महामहिम, हमने कठिन समय में ईरान का साथ दिया है; और हम भविष्य में भी आपका सहयोग और समर्थन करते रहेंगे। हम दोनों देशों के बीच यह दृढ़ अभिलाषा मौजूद है कि हम अपने संबंधों को उच्च स्तर पर ले जाएं। कहावत है‘‘वक्ति इरादे वजूद दोराद,राहे वजूद दोराद’’ अर्थात्, जहां चाह, वहां राह। आइए, हम मिलकर दोस्ती की इस राह पर आगे बढ़ें।
ईरान ने सदियों तक लोगों, संस्कृतियों और सभ्यताओं के मिलन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान दौर में, ईरान इस क्षेत्र के प्रमुख केन्द्र के रूप में एक बार फिर से उभरने की क्षमता रखता है। इसी संदर्भ में, चाबहार पोर्ट, अशगाबात समझौता और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर का नाम लिया जा सकता है। इन सबसे ईरान, भारत और अ़फगानिस्तान में ही नहीं बल्कि इनसे परे भी, इस क्षेत्र में व्यापक तौर पर विकास और समृद्धि के अपार अवसर पैदा होंगे। सामान्य लोगों के कल्याण को सीधा लाभ पहुंचेगा, जैसा कि हमने हाल में अ़फगानिस्तान को भेजी गई गेहूं की आपूर्ति में देखा है।
विकासशील राष्ट्र होने के नाते हम एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस संदर्भ में, भारत और ईरान एक- दूसरे की साझेदारी से बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं। हमारे युवा हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। वे विचारों, ऊर्जा और उद्यमशीलता से लबरेज हैं। हमें उन्हें एक दूसरे के साथ जोड़ना होगा।
महामहिम, हम दोनों देशों की साझी दिलचस्पी इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा बनाये रखने में है। हमारे शांतिप्रिय समाज को आतंकवाद से लगातार और हर-दिन चुनौती मिल रही है। हमारे लोग इसकी हिंसक और अमानवीय बर्बरता झेल रहे हैं। आइए, इन अमानवीय शक्तियों को पराजित करने के लिए हम मज़बूती से और निर्णायक तरीके से एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ें।
महामहिम, हम आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं और ईरान की मैत्रीपूर्ण जनता की निरंतर प्रगति और समृद्धि की कामना करते हैं।दोस्ती-ए-ईरान वा हिन्द अज़ कादीम बुदे हस्त वा खोहद - मंद यानि भारत और ईरान बहुत पुराने मित्र हैं और हम इस मित्रता को हमेशा बनाए रखना चाहते हैं।
धन्यवाद ।