खनन के क्षेत्र में वर्ष 2013 और 2014 के राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
विज्ञान भवन : 17.08.2017
यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है कि मैं आज आपके बीच रहकर वर्ष 2013 और 2014 के लिए खनन के क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार विजेताओं का अभिनंदन कर रहा हूं। सबसे पहले, मैं खानों की सुरक्षा के क्षेत्र में अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रत्येक पुरस्कार विजेता और खनन कंपनी को हार्दिक बधाई देता हूं।
अत्यधिक जोखिम भरे खान में काम करने वाले लोगों की सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। फिर भी सुरक्षा उपायों को पूरा करना कोई आसान काम नहीं है और उसके लिए ऊंचे पेशेवर मानदंडों की जरूरत होती है। वर्ष1983में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया यह पुरस्कार उन खानों और खनन कंपनियों की सराहना और सम्मान का प्रतीक है जिन्होंने खान सुरक्षा के क्षेत्र में शानदार रिकॉर्ड कायम किया है।
खनिज पदार्थ वह मूल्यवान प्राकृतिक सम्पदा हैं जो बुनियादी ढांचे,पूंजीगत वस्तु और शुरुआती उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल प्रदान करते हैं। ये भारत के आर्थिक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं।
खनिज पदार्थों के खनन और उनके प्रबंधन को राष्ट्र निर्माण की समग्र योजना से जोड़ना होगा।
भारत के पास पर्याप्त खनिज संपदा है। इस समय हमारी जी.डी.पी. में खनिज क्षेत्र का2.6प्रतिशत योगदान है और यह रोजाना औसतन दस लाख से अधिक लोगों को सीधा रोजगार मुहैया कराता है और उनके परिवारों को सहायता मिलती है। पिछले दशकों में,भारत के खनन क्षेत्र ने तेजी से बढ़ते हुए मशीनीकरण और नई टेक्नोलॉजी को अपना कर उत्पादन और उत्पादकता में काफी प्रगति की है।
अपने लंबे इतिहास के दौरान भारतीय खनन क्षेत्र में कभी भी इतनी तेजी से ऐसा बदलाव नहीं आया है।
यह जरूरी है कि खान में काम करने वाले मजदूरों के साथ-साथ खनन कार्य में भी सुरक्षा बनी रहे। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि विधायी उपायों और‘आत्मनियंत्रण’, ‘सुरक्षा व्यवस्था में स्टॉफ की भागीदारी’और‘सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली’जैसी धारणाएं खनन उद्योग में शुरू की गई हैं जिसके कारण मृत्यु दर में लगातार गिरावट आई है और हमें इसकी सराहना करनी चाहिए।
इसके बावजूद अभी भी हम ‘शून्य क्षति’के अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सके हैं। वास्तव में,खनन कार्यों के बढ़ते स्तर और जियो-माइनिंग के मुश्किल हालातों के कारण सुरक्षा के मुद्दे और समस्याएं कई गुना बढ़ गई हैं। भारतीय खनन उद्योग बदलाव के दरवाजे पर खड़ा है। अधिक उत्पादकता और फायदे का मजदूरी की सुरक्षा के साथ संतुलन बनाये रखना बहुत जरूरी है। जन सुरक्षा को हमेशा पहला स्थान दिया जाना चाहिए,उन्हें सदैव प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
इसके लिए हमें ‘प्रतिक्रिया की संस्कृति’से निकलकर ‘निवारण की संस्कृति’की ओर बढ़ना होगा। प्रत्येक खान और खनन उद्यम में सुरक्षा प्रोटोकॉल और विश्व के सर्वोत्तम तरीकों की जानकारी अपनाई जानी चाहिए। धनबाद का आई.एस.एम., अन्य आई.आई.टी. और एन.आई.टी. जैसे हमारे संस्थानों के साथ-साथ दूसरे संस्थानों में भी शीघ्र इनकी शुरुआत की जानी चाहिए।
विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम और जमीनी प्रशिक्षण में सर्वोत्तम सुरक्षा उपायों की शिक्षा भी जोड़ी जानी चाहिए।
जिन खदानों को आज पुरस्कार मिले हैं शिक्षा के रूप में उनसे प्राप्त सुरक्षा उपायों को खनन इंजीनियरी और प्रबंधन के विद्यार्थियों के अध्ययन का विषय होना चाहिए। विद्यार्थियों को अपनी जानकारी के लिए, इन खदानों में भी जाना चाहिए। संबंधित प्रशासन का भी कर्तव्य है कि वह पुरस्कार विजेता खदानों द्वारा शुरू किए गए विशेष सुरक्षा तरीकों को उजागर करे और जहां जरूरी हो इन्हें अपनाए।
खान या कारोबार स्तर पर,खनन उद्योग स्वास्थ्य और सुरक्षा की जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है,वे निरंतर बदल रहे माहौल से जुड़ी हुई हैं। कंपनी के कारोबारी स्वास्थ्य और सुरक्षा कार्यक्रमों को आदर्श बनाना,उद्यम के प्रभावी प्रचार-प्रसार के साधन,बढ़े हुए उत्पादकता संबंधी मुद्दे और समाज की उम्मीदें,ऐसे प्रमुख क्षेत्र हैं,जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि खान सुरक्षा महानिदेशालय ने खदानों में काम कर रहे व्यक्तियों की सुरक्षा,स्वास्थ्य और कल्याण के लिए अनेक कदम उठाए हैं और अनेक पहल की हैं। मैं खनन कंपनियों से आग्रह करता हूं कि वे मजदूरों और उनके परिवारों,स्थानीय समुदाय और समाज के कल्याण के लिए बेहतर नीतियां बनाएं।
इस प्रयास में कॉरपोरेट सोशल रिसपोंसिबिलिटी कोष की उपलब्धता से पर्याप्त मदद मिल सकती है परंतु धन से कहीं ज्यादा जरूरी है सही इरादा और समुचित नजरिया। उदाहरण के लिए, मजदूरों और उनके परिवारों का स्वास्थ्य,जिसमें टीबी या फेफड़ों की लाइलाज बीमारी सिलिकोसिस भी शामिल है,एक चुनौती बनी हुई है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि खान सुरक्षा महानिदेशालय ने इस बारे में भी अनेक पहल की हैं।
ऐसी बीमारियों पर नियंत्रण और उनकी रोकथाम भी मजदूरों की सुरक्षा के दायरे में आते हैं। टीबी या सिलिकोसिस की चुनौती से मुकाबला करना चाहिए और मजदूरों और उनके परिजनों के लिए रक्तदान शिविर के आयोजन को बढ़ावा देना चाहिए। दुर्घटना और आपात स्थिति में रक्त की कमी का पहले से पता लगाया जाना चाहिए और खनन समुदाय को किसी भी आकस्मिक दुर्घटना के लिए स्वयं को तैयार रखना चाहिए।
आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर खनन के कारण पड़ने वाले बुरे प्रभाव को कम करने के लिए और भी कदम उठाए जाने चाहिए। यह हरित जागरूकता का युग है इसलिए इस बात पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए कि खनन से प्रदूषण न फैले और पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे।
खनन कार्यों में पहले से ही अनेक जोखिम शामिल हैं। यदि इन पर समय से ध्यान नहीं दिया गया तो इनके गंभीर परिणाम हो सकते हैं जिनमें ऐसे खतरे भी शामिल हैं जिसमें जान भी जा सकती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए,श्रम सुविधा पोर्टल के जरिए एक जोखिम पर आधारित निरीक्षण प्रणाली शुरू की गई है। जोखिम के आधार पर निरीक्षण के लिए खदानों को चुना जाता है ताकि जिन खदानों में अधिक खतरा है उनका समय पर निरीक्षण किया जा सके और निरीक्षण के बाद बचाव के समुचित उपाय किए जा सकें।
बचाव के भरपूर उपायों के बावजूद,हादसे हो सकते हैं और हो जाते हैं। ऐसे हादसों और आपदाओं के असर को कम करने और आपदा में फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए आपातकालीन तैयारी जरूरी है।
मंत्रालय की तकनीकी शाखा होने के कारण खान सुरक्षा महानिदेशालय खदानों में मॉक ड्रिल के द्वारा खान प्रबंधन,जिला प्रशासन,बचाव सेवाओं और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल को जागरूक करने जैसे कदम उठाता है। प्रत्येक खदान को सरकारी नियमों से ऊपर उठना चाहिए और अपने कार्यों में ऐसी ही सुरक्षा संस्कृति की शुरुआत करनी चाहिए। खनन उद्योग द्वारा अपने आप नियम बनाना एक बेहतर और वास्तव में अहम कार्य है।
मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि हमारे देश का खनन उद्योग,सरकार,कारोबार,शिक्षा-जगत,शिक्षाविद् और शोधकर्ता संबंधी चुनौतियों को स्वीकार करने और उनसे जिम्मेदारी से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस प्रकार खनन क्षेत्र काम करने का एक सुरक्षित स्थान भी होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था की तरक्की और विकास का एक ताकतवर माध्यम बन जाएगा।
मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय खान सुरक्षा पुरस्कार,हमारे देश की खदानों की सुरक्षा और कल्याण के उच्च स्तर को बनाए रखने में और हर एक मजदूर को राष्ट्र निर्माता बनाने में एक श्रेष्ठ भूमिका निभाएगा।
धन्यवाद
जय हिंद