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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज के हीरक जयंती समारोह में सम्बोधन

नई दिल्ली : 18.02.2018

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1. मुझे प्रसन्नता है कि ‘दयानंद एंग्लो वैदिक’ परिवार से जुड़ा यह कॉलेज अपनी स्थापना के 60 वर्ष पूरे करते हुए हीरक जयंती मना रहा है। इस अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।

2. आज का दिन इस कॉलेज के संस्थापकों और उनके सहयोगियों को स्मरण करने का भी दिन है जिनकी शिक्षा के प्रति व्यापक और दूरगामी सोच के कारण इस महाविद्यालय में अब तक लाखों विद्यार्थियों को उच्च-शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला। पन्नालाल गिरधरलाल नामक फ़र्म के मालिक इस कॉलेज के निर्माण के लिए धनराशि प्रदान करने वाले पहले दान-दाता थे। जस्टिस मेहर चंद महाजन ने,जो कि प्रबंध समिति के तत्कालीन प्रधान थे, इस कॉलेज की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई।

3. डॉक्टर भाई महावीरऔर प्रोफेसर बलराज मधोक जैसे समाज को दिशा देने वाले अनेक चिंतक और विद्वान इस कॉलेज से जुड़े रहे हैं। इस कॉलेज ने अध्ययन-अध्यापन के साथ ही साथ खेलों को भी महत्व दिया है, फलस्वरूप इस परिसर ने देश को कई अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी दिये हैं,विशेषकर भारत की क्रिकेट टीम में मनोज प्रभाकर और रमन लांबा जैसे छात्रों का चयन होता रहा है। इस कॉलेज की नेशनल सर्विस स्कीम (एन.एस.एस.)इकाई की गिनती देश की सर्वश्रेष्ठ इकाइयों में होती रही है।

4. उन्नीसवीं सदी के दौरान, भारत में सामाजिक और सांस्कृतिक जागरण की जो धाराएं प्रवाहित हुईं उनमे बहुत ही प्रमुख योगदान स्वामी दयानंद सरस्वती का था। स्वामी जी ने समाज सुधार का संकल्प लेकर 1874 में आर्य समाज की स्थापना की। वे कुरीतियों तथा अंधविश्वासों के विरोधी थे। उन्होंने वेदों के ज्ञान को व्यावहारिक बनाया और आंतरिक शुद्धि, मानसिक विकास, और वैज्ञानिक चिंतन पद्धति पर बल दिया।

5. स्वामी दयानंद सरस्वती के आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए लाला हंसराज ने लगभग 130 वर्ष पहले लाहौर में पहले‘दयानंद एंग्लो वैदिक’ कॉलेज की नींव रखी थी। उसके बाद डी.ए.वी. संस्थाओं की स्थापना अविभाजित उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्रों में हुई।

6. आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित तथा भारतीय परंपरा से ओत-प्रोत शिक्षा प्रदान करते हुए, डी.ए.वी.परिवार के शिक्षण-संस्थानों ने देश की अनेक पीढ़ियों का निर्माण किया है। भारत-रत्न से अलंकृत पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डी.ए.वी. कॉलेज से एम.ए. की पढ़ाई पूरी की थी। मुझे भी कानपुर के डी.ए.वी. कॉलेज ही से बी.कॉम. व एल.एल.बी. की पढ़ाई करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

7. अनेक डी.ए.वी. शिक्षण-संस्थानों के लक्ष्य-वाक्य हैं,‘असतो मा सद्गमय’ तथा ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’, जिनका अर्थ है ‘हमे असत्य से सत्य की ओर ले चलो’; ‘अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो’। असत्य से सत्य की ओर, अनैतिकता से नैतिकता की ओर तथा अज्ञान के अंधेरे से ज्ञान के प्रकाश की ओर जाना एक श्रेष्ठ समाज के निर्माण में आवश्यक है। इन विचारों को लेकर आगे बढ़ने वाले व्यक्ति और समाज सदैव लोक-कल्याण की भावना से प्रेरित अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।

8. भारतीय मूल्यों और आधुनिक विज्ञान के समन्वय की सोच के द्वारा मानव समाज का स्थायी विकास संभव है। उन्नीसवीं सदी में शुरू की गई डी.ए.वी. संस्थानों के शिक्षा-दर्शन के आधार पर इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों का भी सामना किया जा सकता है। इक्कीसवीं सदी की अर्थ-व्यवस्था को‘ज्ञान की अर्थ-व्यवस्था’ या ‘नॉलेज इकॉनोमी’ कहा जाता है। साथ ही आज के दौर को ‘इन्फोर्मेशन एज’ या ‘डिजिटल एज’ भी कहते हैं। इस दौर में भारत के उद्यमियों ने दुनियां में अपनी एक नई पहचान बनाई है। अमेरिका की ‘सिलिकॉन वैली’ में भारत के उद्यमियों और प्रोफेशनल्स ने जो सम्मान अर्जित किया है वह आज के भारत की प्रतिभा का एक उदाहरण है। यह उदाहरण आप सभी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

9. आज के इस दौर में नये आइडिया, नई सोच और इनोवेशन की ताकत पैसे से अधिक है। आप सभी उन अनेक उदाहरणों के विषय में जानते हैं जहां कंप्यूटर के जरिये ऑन-लाइन व्यापार, ट्रांसपोर्ट, होटल, रेस्टोरेन्ट और पर्यटन आदि सेवाएं प्रदान करके अनेक युवाओं ने सफलता की नई मिसालें कायम की हैं। उन युवाओं ने सेवाओं और वस्तुओं का उपभोग करने वाले और उन्हे मुहैया कराने वालों को केवल एक-दूसरे के साथ जोड़ने का काम किया है। उनकी विशाल सफलताओं के पीछे पूंजी बहुत कम ही लगी है, लेकिन जो प्रतिभा लगी है, वह अमूल्य है। उन्होने डिजिटल मार्केट में उपलब्ध नए अवसरों का प्रभावी उपयोग किया है।

10. कुछ ही सालों पहले प्रकाशित ‘स्टार्ट-अप जिनोम रिपोर्ट’ में पाया गया कि भारत के लोगों में उद्यम की प्रतिभा ‘सिलिकॉन वैली’ के उद्यमियों के बराबर है। यही प्रतिभा आप जैसे सभी विद्यार्थियों में भी मौजूद है। इस प्रतिभा का उपयोग करने के लिए सभी को भरपूर प्रयास करना चाहिए।

11. मुझे बताया गया है कि इस कॉलेज के अधिकांश विद्यार्थी दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों के निवासी हैं। इस क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं। भारी संख्या में देश के दूसरे हिस्सों से लोग अवसरों की तलाश में यहां आते हैं। ऐसे में आप अपनी यहां रहने की सुविधा का भरपूर उपयोग कीजिए। आज भारत की जीडीपी का 60 प्रतिशत से अधिक योगदान शहरों से होता है। इससे आप जैसे युवाओं के लिए बहुत से अवसर पैदा होते हैं।

12. वर्तमान में रोजगार की परिभाषा बदल रही है। रोजगार का मतलब केवल नौकरी ही नहीं रह गया है। स्व-रोजगार करना और दूसरों के लिए रोजगार पैदा करना अधिक सुविधा-जनक और व्यावहारिक हो गया है। स्व-रोजगार में सफलता के नित नए उदाहरण देखने को मिलते हैं। स्व-रोजगार के लिए पूंजी उपलब्ध कराने के लिए ‘मुद्रा-योजना’ तथा अन्य कई योजनाओं के तहत सहायता प्रदान की जा रही है। सरकारी प्रक्रियाओं को भी बहुत आसान बनाया गया है। हाल के वर्षों में भारत ने ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ के पैमानों पर बयालीस स्थान ऊपर उठते हुए सौवां स्थान प्राप्त किया है।‘स्किल इंडिया’, ‘स्टार्ट-अप इंडिया’, मेक-इन-इंडिया’ आदि कार्यक्रमों के जरिए बहुत से अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। Small and Medium Enterprises को बहुत सी सुविधाएं और करों में छूट दी गई है। जरूरत है कि आप जैसे युवा इन अवसरों का भरपूर उपयोग करें और अपना विकास करते हुए दूसरों के लिए विकास के अवसर पैदा करें। मुझे आशा है कि आप सभी विद्यार्थी अपने विकास के अवसरों को तलाश कर पूरी एकाग्रता के साथ उनका उपयोग करेंगे। आप सभी विद्यार्थियों में अपार प्रतिभा और क्षमता है। जरूरत है, आज सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही तमाम सुविधाओं का उपयोग करके आगे बढ़ने की। इन अवसरों का उपयोग करके आगे बढ़ते हुए आप सभी अपनी प्रतिभा का उपयोग कर सकेंगे, अपने और अपने परिवार-जन के जीवन-स्तर में सुधार ला सकेंगे तथा समाज के दूसरे लोगों को भी रोजगार और विकास के अवसर प्रदान कर सकेंगे।

13. मैं एक बार फिर इस कॉलेज के सभी विद्यार्थियों, अध्यापकों, प्रशासकों और अतीत में यहां से जुड़े सभी व्यक्तियों को बधाई देता हूं। मैं सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की मंगल-कामना करता हूं।

धन्यवाद

जय हिंद!