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दिल्ली विश्वविद्यालय के 94वें दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण

विज्ञान भवन: 18.11.2017

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1. मुझे, हमारे देश के एक अत्यंत महत्वपूर्ण उच्च शिक्षा संस्थान दिल्ली विश्वविद्यालय के 94वें दीक्षांत समारोह के लिए यहां उपस्थित होकर प्रसन्नता हुई है। मैं कुलपति, संकाय सदस्यों और सबसे बढ़कर स्नातक विद्यार्थियों और उनके परिजनों को बधाई देता हूं।

2. मैं आज यहां उपस्थित डिग्री धारकों तथा पदक और पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। हमारे बीच 672 डिग्री धारक और 171 पदक व पुरस्कार विजेता हैं। मुझे विदित है कि पदक व पुरस्कार विजेताओं में से 112 छात्राएं हैं, जिनकी संख्या लगभग दो तिहाई है। हाल के वर्षों में शिक्षा में लड़कियां लगातार लड़कों से आगे जा रही हैं। यह हमारे समाज में एक स्वागत योग्य संकेत है।

3. यहां उपस्थित विद्यार्थियों के साथ-साथ 1,25000 विद्यार्थी अनुपस्थित रूप में डिग्री प्राप्त करेंगे। आप में से प्रत्येक एक उपलब्धिकर्ता है। आपकी उपलब्धि वर्षों की आपकी मेहनत का परिणाम है। यह दिल्ली विश्वविद्यालय के आपके शिक्षक और संकाय सदस्यों की निष्ठा का भी परिणाम है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि यह आपके माता-पिता और परिजनों के सहयोग की परिणति है।

4. सीखना कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है। यह दीक्षांत समारोह शिक्षा नामक यात्रा का एक मील का पत्थर ही है। तथापि दिल्ली विश्वविद्यालय का स्नातक बनने से आपको एक मजबूत नींव मिली है। मुझे विश्वास है कि इससे आप बाहरी दुनिया में जाने पर और अधिक कामयाबी तथा और ऊंचे लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आपको सशक्त बनेंगे।

5. दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना 1922 में हुई थी। मात्र तीन कॉलेजों, दो विधाओं और 750 विद्यार्थियों से इसकी मामूली शुरुआत हुई थी। आज यह विश्व के सबसे विशालतम विश्वविद्यालयों में से एक हैं। इसके 54,000 स्नातक और 10,000 स्नातकोत्तर विद्यार्थी हैं। विश्वविद्यालय में चिकित्सा और प्रौद्योगिकी सहित 16 विधाएं और 86 शैक्षिक विभाग हैं। सतहत्तर कॉलेज और 28 केंद्र और संस्थान इससे संबंधित हैं। किसी भी दृष्टिकोण से यह संख्या प्रभावशाली है।

6. यद्यपि संख्या से कहीं अधिक यह दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वता और उत्कृष्टता के रूप में प्रतिष्ठा है जिसकी वजह से यह विद्यार्थियों के लिए आकर्षण का एक केंद्र बन गया है। यहां संपूर्ण देश और विश्व के अन्य भागों से विद्यार्थी आते हैं। वे विविध पाठ्यक्रमों और शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए आते हैं। यह विश्वविद्यालय वैज्ञानिक क्षेत्रों में तथा मानविकी के गहन और आंतरिक ज्ञान दोनों में उन्नत अनुसंधान प्रदान करता है।

7. दिल्ली विश्वविद्यालय निरंतर स्वयं को अद्यतन कर रहा है और सामयिक पीढ़ी के लिए अपने शैक्षिक कार्यक्रम को सार्थक बना रहा है। उदाहरण के लिए, 2017 में विश्वविद्यालय ने मीडिया और जनसंचार के व्यवहार और सिद्धांत में ठोस शिक्षा प्रदान करने के लिए दिल्ली पत्रकारिता विद्यालय स्थापित किया। शैक्षिक वर्ष 2017-18 में यह साइबर सुरक्षा में एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम आरंभ कर रहा है।

8. ये बिलकुल अलग शिक्षण अनुभव हैं। तथापि, दोनों ही हमारे समय तथा संचार और प्रौद्योगिकी के हमारे युग के लिए प्रासंगिक हैं।

9. उच्चतर शिक्षा लगातार प्रतिस्पर्धी होती जा रही है। नए संस्थान और विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को विकल्प प्रदान कर रहे हैं। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के मौजूदा नेटवर्क के अंतर्गत,संकाय और विद्यार्थियों दोनों के लिए प्रतिभा आकर्षित करने की कड़ी प्रतिस्पर्धा है। इस संदर्भ में,मैं मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा की गई पहल राष्ट्रीय संस्थागत वरीयता ढांचे का स्वागत करता है।

10. मुझे बताया गया है कि राष्ट्रीय संस्थागत वरीयता ढांचे के तहत, दिल्ली विश्वविद्यालय के छह कॉलेजों को देश के प्रथम10 में स्थान मिला है। यह एक सराहनीय प्रदर्शन है। यह और ऊंचाई पर जाने की एक प्रेरणा बनेगी। हमारा तात्कालिक लक्ष्य दिल्ली विश्वविद्यालय को विश्व के सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों की पंक्ति में शामिल करने का होना चाहिए।

11. 1922 में, अब से केवल पांच वर्षों के बाद,दिल्ली विश्वविद्यालय अपनी शताब्दी पूरी कर लेगा। इसे भविष्य को ध्यान में रखकर अपना समारोह मनाने की योजना बनानी चाहिए। यह शताब्दी एक यात्रा का उत्कर्ष ही नहीं बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत भी होगी। यह यात्रा विश्वविद्यालय को 21वीं शताब्दी के मध्य में ले जाएगी। हम एक युवा राष्ट्र हैं। भारत के पैंसठ प्रतिशत नागरिक 35 वर्ष से कम आयु के हैं। इस आयु परिदृश्य के कारण आने वाले वर्षों में हमारे शिक्षा संस्थानों के समक्ष बिलकुल अलग प्रकार की चुनौती होगी। प्रौद्योगिकी का प्रभाव हमारे रहन-सहन और कार्य तथा सीखने पर भी होगा।

12. राष्ट्रपति ने कहा कि हम ऐसी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं जहां कृत्रिम बुद्धि हमारे समाज के कार्यों बल्कि विचारों को भी बदल रही है। हम संज्ञानात्मक मशीनों वाले समाज के किनारे पर खड़े हैं। इसलिए हमारे सम्मुख बहुत सारी चुनौतियां और हैं।

13. दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे हमारे अग्रणी संस्थानों को भी स्वयं को ढालने की आवश्यकता होगी। इसे शैक्षिक विषयवस्तु और उपलब्धता तंत्र दोनों में नवान्वेषण करना होगा। विषय क्षेत्रों के बीच पारंपरिक बाधाएं, जिन्हें कभी अभेद्य माना जाता था, अब टूट रही हैं। यदि हमें अगले 25 या 30 वर्षों की आवश्यकताओं को पूरा करना है तो हमें नए पाठ्यक्रम और कार्यक्रम तैयार करने होंगे। इनमें से कुछ के लिए एक बहु-विधात्मक या अंतर विधात्मक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।

14.व्यक्तिगत कक्षाओं की क्षमता पूरी तरह सीमित है। हमें यह खोजना होगा कि हम किस प्रकार विद्वता और शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर सकते हैं। विश्व के अधिकांश विश्वविद्यालयों की तरह दिल्ली विश्वविद्यालय ने व्यापक मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम आरंभ करने के लिए कदम उठाए हैं। हमारे देश में ब्राडबैंड की मौजूदगी के बढ़ने के कारण, मुझे भावी वर्षों में व्यापक मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम मंच के बारे में बहुत बड़ी उम्मीदें हैं। इसमें ज्ञान के प्रचार-प्रसार की उत्साहवर्धक संभावना है।

15. शिक्षा के अनेक उद्देश्य हैं। यह विद्यार्थियों को विभिन्न व्यावसायों और नौकरी के बाजार के लिए तैयार करती है। परंतु यह उच्च शिक्षा का एक ही उद्देश्य है। अंततः विश्वविद्यालय वास्तव में तभी सार्थक बन सकते हैं जब वे शिक्षण कार्य तथा ज्ञान के अन्वेषण को बढ़ावा दें। अपारंपरिक नवान्वेषण वास्तविक रूप से विश्वस्तरीय उच्च शिक्षा प्रणाली और संस्थान की परीक्षा है।

16. हमारे विश्वविद्यालयों की इन विभिन्न जरूरतों के बीच सही संतुलन ढूंढना अत्यावश्यक है। तत्काल जीत का अपना महत्व है परंतु विश्वविद्यालयों को एक ज्ञानसंपन्न समाज के निर्माण के दीर्घकालिक लक्ष्य से अपनी नजर नहीं हटानी चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय के विशाल पूर्व विद्यार्थी नेटवर्क को एकजुट करने को प्रोत्साहित करना चाहिए। अपने विश्वविद्यालय या अपने कॉलेजों के पुनःनवीकरण में अपनी प्रबुद्धता, संसाधन और समय का सुगम योगदान करने का रास्ता ढूंढना होगा।

17. इन सभी दायित्वों के साथ-साथ तथा विद्यार्थी संख्या और वर्तमान पाठ्यक्रमों में वृद्धि के कारण दिल्ली विश्वविद्यालय को अपनी क्षमता बढ़ानी होगी। मुझे बताया गया है कि कॉलेज के प्रधानाचार्यों और वरिष्ठ शिक्षकों के अनेक पद खाली हैं। मुझे विश्वास है कि विश्वविद्यालय प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन शीघ्र इन पदों को भरने के लिए सभी कदम उठा रही है।

18. दिल्ली विश्वविद्यालय अनेक प्रकार से भारत का विश्वविद्यालय है। हमारे देश का हर एक राज्य और प्रांत यहां प्रतिनिधित्व करता है। प्रत्येक वर्ष हजारों जिज्ञासु युवा बालक व बालिकाएं दिल्ली की यात्रा करते हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय या इससे संबंधित कॉलेजों में आवेदन करते हैं। यह विश्वविद्यालय पूर्वोत्तर के बहुत से युवा विद्यार्थियों के लिए बड़ा आकर्षण है। वे विश्वविद्यालय के कैम्पस और दिल्ली शहर की समृद्धि और जीवंतता को बढ़ाते हैं।

19. यहां मैं कहना चाहूंगा कि कल से मैं चार दिनों के लिए पूर्वोत्तर की यात्रा कर रहा हूं। भारत के राष्ट्रपति के रूप में, यह वहां की मेरी पहली यात्रा होगी। मैं शीघ्र ही दोबारा जाने की योजना बना रहा हूं।

20. निष्कर्षतः मैं एक बार पुनः आप सभी विशेषकर पदक और पुरस्कार विजेताओं को बधाई देना चाहूंगा। आप भारत के अग्रणी विद्यालय की पहचान लेकर संभावनाओं से भरी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। अपने करियर में बेहतर प्रदर्शन करें,अपनी मातृ संस्था को गौरवान्वित करें, तथा अपनी शिक्षा रूपी सौममय को विनम्रपूर्वक मूल्यवान समझें। के लाभ को विनम्रतापूर्वक महत्व दें।

21. आप जो भी तरीका चुनें, उसके द्वारा समाज में योगदान दें। वंचितों और गरीबों की मदद करें। यही आपकी शिक्षा और आपकी डिग्री की सच्ची कसौटी है और सदैव बनी रहनी चाहिए।


धन्यवाद,

जय हिन्द।