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नवाचार और उद्यमिता महोत्सव के उद्घाटन तथा गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकीय नवाचार पुरस्कार प्रदान किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 19.03.2018

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1. आप सभी को सुप्रभात तथा 2018 के नवाचार और उद्यमिता महोत्सव के लिए राष्ट्रपति भवन में आपका स्वागत है। राष्ट्रपति भवन की कार्यक्रम सूची का यह एक प्रमुख समारोह है। हम सब भारतीय समाज के प्रत्येक पहलू में नवाचार की संस्कृति पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं और हमें ऐसा करते रहना होगा। सबसे पहले, यह महात्सव उन्हीं प्रयासों का भाग है। मैं गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकीय नवाचार पुरस्कार के विजेताओं को बधाई देना चाहूंगा। मैं उन्हें और उन अन्य बुनियादी नवान्वेषकों और प्रौद्योगिकीविदों, जो इस वर्ष यह पुरस्कार हासिल करने से चूक गए, की भी सराहना करता हूं। मुझे विश्वास है कि आपके योगदान से भारत न केवल एक विकसित समाज बनेगा बल्कि एक सहयोगी समाज बनेगा; और सबसे बढ़कर स्वयं के लिए और तीसरी दुनिया के लिए नवाचार करने वाले समाज का निर्माण करने में सफल होगा।

2. एक नवीनतर और बेहतर भारत की संकल्पना के लिए विकास संबंधी कुछ विकासात्मक पड़ाव पार करने जरूरी हैं, इनमें से कुछ पड़ाव 2022 जब हम अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे, से पहले लांघना जरूरी है। यह उपक्रम, एक ऐसे समावेशी और खुशहाल समाज के निर्माण पर केन्द्रित है, जहां प्रत्येक व्यक्ति के पास , प्रत्येक युवा के पास अपनी क्षमता को साकार करने का अवसर होगा। ऐसे भारत के लिए लक्ष्य यह होगा कि एक नवान्वेषी समाज बनाया जाए। और इस लक्ष्य तक पहुंचने में हमारी सहायता के लिए एक नवाचारी संस्कृति प्रेरक तत्व का काम करेगी।

3. इसके लिए नवान्वेषण की महत्वपूर्ण शृंखला की प्रत्येक कड़ी को मजबूत बनाना होगा। हमें ऐसे स्कूल चाहिए जहां बच्चे रट्टा लगाने की बजाए मनन करें। ऐसी कार्य-संस्कृति चाहिए, जहां युवा प्रतिभाएं नीचे देखने और हामी भरने की बजाय गौर करें और सवाल करें। और यह तो हम चाहते ही हैं कि सरकार इसके लिए सुविधाजनक माहौल उपलब्ध कराए।

4. भारत सरकार की अनेक पहलों में एक सबसे महत्वपूर्ण पहल है-युवा लोगों को नवाचार करने और समाज की अधूरी जरूरतों को पूरी करने के लिए प्रोत्साहन देना। हमें बुनियादी नवाचारों के साथ अग्रणी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना होगा ताकि भावी अनुप्रयोगों के लिए एक रास्ता बनाया जा सके। जलवायु परिवर्तन और उसके उतार-चढ़ाव तथा संक्रामक व असंक्रामक दोनों तरह के रोगों का बोझ मानव पर्यावास की जटिलता को बढ़ा रहा है। प्रौद्योगिकी प्रेरित समाधानों की जरूरत की अनदेखी नहीं की जा सकती।

5. मैं जानता हूं कि नवाचार अपने आप में पर्याप्त नहीं हैं। हमें नवाचारों को उद्यम में बदलने का एक माहौल भी बनाना चाहिए। इसके लिए स्टार्ट-अप उद्यमों को और युवा नवान्वेषकों को पोषित करने के लिए सहायता की जरूरत है। नवाचार और उद्यमिता महोत्सव की अवधारणा, कल्पना के पंछी के दोनों पंखों की उड़ान में ताल-मेल बैठाने की है। हमें वित्तीय, परामर्शी और नीतिगत सहयोग प्रदान करके, पल्लवित हो रहे नवाचारों की सभी कड़ियों को जोड़कर उद्यम का रूप देने की आवश्यकता है।

6. इस वर्ष का नवाचार और उद्यमिता महोत्सव इस वजह से उल्लेखनीय है कि बुनियादी नवाचार और प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शों की संख्या लगभग दुगुनी हो गई है। अन्य बातों के साथ-साथ, इससे हमारे देश के स्थानीय समुदायों में नवाचार के अवसरों के बारे में जानकारी होने का संकेत मिलता है। बांस की खेती और उसके प्रसंस्करण, औषधीय और सुगंधीय पौधों पर निर्भर समुदायों की माली हालत को ठीक करने पर सरकार के अत्यधिक बल देने के साथ-साथ, इन क्षेत्रों की प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष खण्ड की व्यवस्था की गई है। बांस पर निर्भर अधिकांश समुदाय ऐसे जनजातीय इलाकों में रहते हैं जहां गरीबी ज्यादा है। कृषि कार्य और प्रसंस्करण की नई प्रौद्योगिकियों से उनकी आजीविका में काफी फर्क पड़ सकता है।

7. इसी प्रकार, औषधीय पौधों पर आधारित बहुत से उत्पाद हमारे वनों के जैव-संसाधनों के विदोहन पर निर्भर करते हैं। जैव-विविधता का संरक्षण करने और वनों पर दबाव कम करने के लिए, हमें उद्योग क्षेत्र के साथ घनिष्ठ सहयोग बनाकर इन पौधों की खेती को प्रोत्साहन देना होगा।

8. अपनी बात समाप्त करते हुए, मैं राष्ट्रीय नवाचार प्रतिष्ठान के प्रयासों की सराहना करता हूं जिसने नवाचार और उद्यमिता महोत्सव के प्रबंधन और प्रदर्शनी के आयोजन में राष्ट्रपति सचिवालय के साथ मिलकर कार्य किया है। मैं उम्मीद करता हूं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस प्रदर्शनी को देखने आएंगे जो वास्तव में प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद है। मुझे, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान, कृषि, आयुष तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालयों तथा औद्योगिक संवर्धन विभाग, नीति आयोग, अटल नवाचार मिशन और राष्ट्रीय नवाचार प्रतिष्ठान जैसे सरकार के अनेक अंगों के बीच भविष्य में भी सहयोजन की उम्मीद है।

9. ऐसे सहयोग से हमारे युवा वैज्ञानिकों और नवान्वेषकों की प्रतिभा का उपयोग करने में मदद मिलेगी। हमारा लक्ष्य है कि अनुकरणीय समाधान तथा वाणिज्यिक रूप से साधन अनुप्रयोग तैयार किए जाएं। मैं अपेक्षा करता हूं कि जब मैं 21 मार्च को समापन सत्र में आऊंगा तो इस महोत्सव की चारों बैठकों की ‘कार्रवाई योग्य सिफारिशें’ उभर कर सामने आ जाएंगी। और, मैं चाहूंगा कि जब हम अगले वर्ष नवाचार एवं उद्यमिता समारोह-2019 में मिलेंगे तो आने वाले दिनों में आपके द्वारा प्रोत्साहित ठोस सहयोजन के परिणाम हमें देखने को मिलेंगे तथा नवान्वेषक उद्यमियों की एक नई पीढ़ी का उद्भव हो चुका होगा।

धन्यवाद

जय हिन्द!