राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, भारतीय इंजीनियरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, योजना और वास्तुकला विद्यालयों तथा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों की बैठक में भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
राष्ट्रपति भवन : 19.07.2018
1. सूचना प्रौद्योगिकी, इंजीनियरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा योजना और वास्तुकला क्षेत्रों में कार्यरत 59 उच्चतर शिक्षा संस्थानों के निदेशकों के साथ बैठक में उपस्थित होकर मुझे खुशी हुई है। इसी के साथ, मेरे राष्ट्रपतिकाल के प्रथम वर्ष में कुलाध्यक्ष के रूप में, 146 उच्चतर शिक्षा संस्थानों के साथ मेरी बैठक श्रृंखला पूरी हो रही है।
2. भारत के राष्ट्रपति के रूप में पद ग्रहण करने पर मुझे बताया गया था कि वर्ष में एक बार सभी कुलपतियों, निदेशकों और उच्चतर शिक्षा संस्थानों के अन्यप्रमुखों का सम्मेलन करने की परंपरा है। तथापि, मैंने महसूस किया कि मेरे लिए एक-दूसरे से संबद्ध संस्थानों और विश्वविद्यालयों के छोटे-छोटे समूहों में प्रत्येक संस्थान के साथ सीधी बातचीत करना जरूरी है। इससे मुझे उनके समक्ष आ रही चुनौतियों और उनके द्वारा संजोए गए सपनों के बारे में जानने में मदद मिलेगी। यह बैठक उसी प्रक्रिया का हिस्सा है।
3. आज यहां उपस्थित 59 केन्द्रीय संस्थान अपने-आप में विशेष हैं। इनमें से अधिकतर की स्थापना क्षेत्रीय इंजीनियरी कॉलेजों का समुन्नयन करके की गई है। उनमें से सभी को संसद के उनसे संबंधित अधिनियमों के द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों का दर्जा दिया गया है।
4. क्षेत्रीय इंजीनियरी कॉलेजों का उन्नयन से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में करने की शुरुआत 17 संस्थानों से की गई थी। हमारे 29 राज्यों तथा दिल्ली और पुदुच्चेरी के केन्द्र शासित प्रदेशों में एक-एक संस्थान की स्थापना से, आज यह संख्या 31 तक पहुंच गई है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली देशभर के प्रतिभावान विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा प्रदान करने में सक्षम रही है। संस्थानों का यह नेटवर्क सुदूर क्षेत्रों तक इंजीनियरी शिक्षा के अवसर लेकर पहुंचा है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमारे अग्रणी तकनीकी संस्थानों का अति महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनकी भूमिका तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान के प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण है।
5. भारतीय इंजीनियरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान भी इस बैठक का हिस्सा है।इसका उद्गम स्थल बंगाल इंजीनियरी और विज्ञान विश्वविद्यालय है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित आनंद कृष्णन समिति को राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के रूप में उन्नयन के लिए चुनिंदा संस्थानों की क्षमता का आकलन करने के लिए कहा गया था। इसने उस संस्थान को चुना जिसे अब हम भारतीय इंजीनियरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में जानते हैं। और आज यह संस्थान तकनीकी शिक्षा प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
6. योजना और वास्तुकला विद्यालय, वास्तुकला, शहरी और नागरिक नियोजन और संबंधित क्षेत्रों में विश्वस्तरीय शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं। मुझे खुशी है कि देश में कुशल वास्तुकारों और योजनाकारों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने ऐसे और विद्यालय स्थापित करने का फैसला किया है। इससे स्मार्ट सिटी और सभी के लिए आवास जैसे प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए अत्यावश्यक विशेषज्ञता उपलब्ध हो पाएगी।
7. वर्तमान विश्व में सूचना प्रौद्योगिकी की एक केन्द्रीय भूमिका है। हमारे सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के दो क्षेत्रों के लिए एक विशिष्ट समागम स्थल निर्मित करने का प्रयास कर रहे हैं। वे, सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के समेकित अनुप्रयोग के लिए अनुसंधान, अध्यापन और विस्तार कार्य में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। ऐसे युग में जबकि सूचना प्रौद्योगिकी हमारे लगभग सभी प्रयासों में महत्वपूर्ण हो गई है, यह कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है।
8. विशेषकर घरेलू बाजार के बढ़ने के कारण भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की मानव संसाधन से संबंधित चुनौतियां बढ़ रही हैं। इस संदर्भ में, मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सरकार ने बिना लाभ के सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर मौजूदा पांच भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों के अलावा ऐसे 20 और संस्थानों की स्थापना करने का निर्णय किया है।
9. इस संबंध में अपनी एक चिंता के बारे में मैं संकेत अवश्य देना चाहूंगा, वह चिन्ता आपके संस्थानों में पर्याप्त मूलभूत ढांचे और सभी संकाय पदों को भरना सुनिश्चित करने की आवश्यकता की है। इन समस्याओं पर सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि हमारे पास पर्याप्त संकाय और मूलभूत ढांचा नहीं होगा तो हम आपके संस्थानों में प्रवेश लेने वाले युवाओं के प्रति न्याय नहीं कर पाएंगे। मुझे विश्वास है कि आप हमारी अगली बैठक से पहले ठोस कदम उठाएंगे।
10. किसी विद्यार्थी के जीवन में उपाधि प्राप्त करना एक अहम उपलब्धि है। इसलिए, दीक्षांत समारोह नियमित रूप से आयोजित किए जाने चाहिए। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि मैं दीक्षांत समारोह में भागलूं या न लूं। भारत के राष्ट्रपति के लिए एक ही वर्ष में या शायद पांच वर्ष की अवधि में भी आपके संस्थानों के सभी दीक्षांत समारोहों में भाग लेना संभव नहीं है। परंतु यह बहुत जरूरी है कि स्नातक विद्यार्थियों को समय पर उपाधियां दी जाएं। दीक्षांत समारोह में विलंब करके हम विद्यार्थियों और उनके परिवारों को खुशी और उपलब्धि के सहेजे हुए क्षणों से वंचित करदेते हैं। यह सुनिश्चित करें कि आप समय पर दीक्षांत समारोह करते रहेंगे।
11. आपको अपने संस्थान की नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क वरीयता बढ़ाने पर भी खास ध्यान देना चाहिए। परंतु आपको उतने पर ही आराम से नहीं बैठ जाना चाहिए। मैं उम्मीद करता हूं कि इनमें से कुछ संस्थान देश के ‘प्रख्यात संस्थानों’ की सूची में शामिल होंगे।
12. अंत में, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप जो कार्य कर रहे हैं उसपर गर्व करें। आपको हमारे देश के युवाओं का भविष्य संवारने का एक अवसर मिला है। आपका कार्य न केवल अपने स्नातक विद्यार्थियों के भविष्य को अपितु भारत के भविष्य को भी प्रभावित करता है। आपके संस्थानों से निकलने वाले युवा स्नातक अपनी पीढ़ी के पथ प्रदर्शक बनेंगे। उनमें सही ज्ञान, सही जीवन मूल्य और सही आचरण का भाव जगा कर आप हमारे समाज की सेवा कर रहे हैं। इसे जारी रखें