Back

भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी का विवेकानंद केंद्र विद्यालय की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर संबोधन

ईटानगर: 19.11.2017

Download PDF

अरुणाचल प्रदेश, विविधता में एकता का पर्याय है जिसमें सैकड़ों जनजातियों, विभिन्न भाषाओं, गीत-नृत्य, वेशभूषा, रीति-रिवाजों एवं त्यौहारों का समावेश है।

2. यदि पूर्वोत्तर हमारे देश का मुकुट है तो अरुणाचल प्रदेश उस मुकुट में जड़ा हुआ एक हीरा है। यह पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में सबसे बड़ा राज्य है।

3. यह प्रदेश हिमालय की ऊंची पर्वत शृंखला से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी के मैदान तक फैला है। पर्यटन की दृष्टि से यहां की प्राकृतिक सुंदरता, लोगों का सरल स्वभाव एवं शांति का भाव उल्लेखनीय है। प्रकृति का सौंदर्य यहां के गीत, नृत्य व क्राफ्ट्स में देखने को मिलता है। अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न प्रकार के आकर्षक ऑर्चिड्स व रसीले कीवी व संतरे सभी को मंत्रमुग्ध करते हैं। ऑर्गनिक कृषि एवं विविध बागवानी पैदावार अरुणाचल प्रदेश की विशेषता है। बांस के सुन्दर घर एवं अपनी खेती से उपजी वस्तुओं का प्रयोग कर यहां के लोग सही मायने में अपनी संस्कृति के रक्षक हैं। गांवबुडा व यहां की केबांग व्यवस्था, संपूर्ण देश में अद्वितीय है।

4. अरुणाचल प्रदेश का उल्लेख कालिका पुराण व महाभारत काल मी मिलता है। भीष्मक नगर के रूप में यह भारतीय इतिहास से जुड़ा है। धार्मिक दृष्टि से, यह प्रदेश बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि यहां परशुराम जी ने अपने पाप प्रसिद्ध नदी लोहित में धोये, महर्षि व्यास ने यहां तपस्या की, भगवान कृष्ण ने यहां रुक्मिणी से शादी की। तंवाग का बौद्ध मठ विश्व में विख्यात है।

5. अरुणाचल प्रदेश के कई प्रसिद्ध व्यक्ति, इतिहास में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। उनमें से कुछ का उल्लेख मैं यहां करना चाहूंगा। स्वतंत्रता सेनानी मातमूर जोमो (Matmur Jamoh) जिन्होंने ब्रिटिश आर्मी से लड़ते हुए शहादत पायी। इंडिजिनियस फेथ (Indeginius faith) व कल्चरल मूवमेंट (Cultural Movement) के संस्थापक स्वर्गीय तालोम रुकबो (Talom Rukbo) का नाम अरुणाचल प्रदेश वासियों के हृदय में बसा हुआ है। साहित्य के क्षेत्र में डॉ. वाई.डी. थोंगची (Dr. Y.D. Thongchi) एवं पद्म श्री ममंगदाई (Mamang Dai) ने ख्याति अर्जित की।

6. राष्ट्रपति बनने से पहले अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत मैंने पूर्वोत्तर राज्यों में अरुणाचल प्रदेश से की थी। आज राष्ट्रपति के रूप में मेरी पहली यात्रा के दौरान मैं यहां के लोगों के स्नेह व आतिथ्य भाव से गद्गद् हूं। अरुणाचल प्रदेश की जनता से हम सभी को सरलता, भाईचारा, त्याग, सहिष्णुता व देशप्रेम की सीख मिलती है।

7. व्यक्तिगत रूप से स्वामी विवेकानन्द के दर्शन ने मुझे बहुत प्रभावित किया है। स्वामी विवेकानन्द जानते थे कि केवल शिक्षा ही जन सामान्य के उत्थान का माध्यम हो सकती है। उनके अपने शब्दों में ‘‘बहुत सारे यूरोप के शहरों की यात्रा के दौरान मैंने पाया कि गरीब-से-गरीब व्यक्ति के जीवन में सुविधाएं केवल शैक्षिक स्तर के उत्थान से प्राप्त हुईं हैं।’’ समाज में सभी प्रकार के सुधारों के लिए, व्यक्ति के चरित्र-निर्माण और गरिमामयी स्थिति के लिए, शिक्षा का अहम योगदान है। विवेकानन्द केन्द्र हमें सिखाता है कि कैसे परम्परागत मूल्यों एवं विज्ञान और तकनीकी के साथ, सामंजस्य संभव है।

8. अरुणाचल प्रदेश में स्थित विवेकानन्द केन्द्र ने पिछले 40 वर्षों के दौरान, शिक्षा के क्षेत्र में जो सार्थक कार्य किए हैं, वह हम सबके लिए प्रेरणादायी रहे हैं।

9. व्यक्तित्व निर्माण एवं राष्ट्र-निर्माण के साथ-साथ शिक्षा के प्रसार का बड़ा उद्देश्य लेकर विवेकानन्द केंद्र आगे बढ़ा। विवेकानंद केंद्र की मुख्य सोच ‘‘जनसेवा ही ईश्वर की सेवा है।’’ इसी दृष्टि से एकनाथ रानाडे जी एवं बालाकृष्णन जी ने बच्चों में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक, चारित्रिक व आधात्मिक विकास के लिए, विवेकानन्द केंद्र विद्यालय खोलने का संकल्प लिया।

10. इन विद्यालयों ने दुर्गम इलाकों में, कठिन मौसम और भौतिक संसाधनों का अभाव होते हुए भी आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा दिया है। विशेष बात यह है कि इस कार्य में जनजातीय आस्था को कायम रखा गया है। दूसरी ओर यहां अंग्रेजी भाषा का ज्ञान, विषयवार सेमिनार, कैरियर काउंसिलिंग, मिलिट्री बैंड प्रंदर्शन, एप्टीट्यूड टेस्ट द्वारा भावी पीढ़ी को प्रगति के नए आयामों के ज्ञान की भी व्यवस्था है। इन विद्यालयों में गुरुकुल व्यवस्था के द्वारा गुरु-शिष्य की परम्परा को जीवित रखा है। योग, प्राणायाम, ध्यान, संस्कृत ज्ञान, व्यक्तित्व विकास शिविर द्वारा भारतीय संस्कृति को बनाए रखा है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि देश व समाज के विकास में अपना अहम योगदान देने वाले अधिकतर इंजीनियर, डॉक्टर्स, टेक्नोक्रेट, ब्यूरोक्रेट्स या तो रामकृष्ण मिशन के हैं या विवेकानन्द केंद्र विद्यालय के हैं। ऐसी सोच बनाए रखने की दिशा में विवेकानन्द केंद्र द्वारा किए जा रहे सामूहिक प्रयास प्रशंसनीय व प्रेरणादायी हैं।

11. अरुणाचल प्रदेश के लोग सरल स्वभाव के एवं परिश्रमी हैं। ये इतने साहसी एवं देश भक्त हैं कि अंग्रेजों को यहां से मुंह की खाकर जाना पड़ा। यहां के लोगों में देश प्रेम का ज़ज्बा स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर जिला मुख्यालयों और ब्लाक स्तर पर देखते ही बनता है। देश के उन्नति में यहां की नदियां जैसे सुबन्सरी, लोहित, कामैंग, सियांग हाइड्रोपावर की प्रचुरता के कारण अरुणाचल प्रदेश को पूरे देश के लिए पावर हाऊस बनातीं हैं। वर्ष 2001 के बाद अरुणाचल प्रदेश के विकास नीति में परिवर्तन आया है। लगभग 1500 किलोमीटर का ट्रान्स हाई वे का निर्माण, प्रदेश के सुदूरवर्ती इलाकों तक विकास का मार्ग प्रशस्त करने की दिशा में सराहनीय प्रयास है। पासीघाट, मेचुका, जीरो, टूटिंग एवं वालोंग जैसे सुदूरवर्ती इलाकों में विकसित एडवान्स लैण्डिग ग्राउंड्स जनता से सीधा संपर्क साध पाएगा। हाल ही में स्टेट केपिटल का रेल मार्ग से जुड़ना एवं शताब्दी ट्रैन का गुवहाटी जैसे महानगर से तीव्र संपर्क, यहां की निरंतर प्रगति को दर्शाता है। सरकार द्वारा नहार लगुन में 500 बेड के अस्पताल का निर्माण एवं मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव सराहनीय है।

12. इस अवसर पर आज सभी लोगों के बीच में आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मैं अरुणाचल प्रदेशवासियों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं और डोनी-पोलो से विकसित, स्वस्थ और खुशहाल अरुणाचल की कामना करता हूं।


धन्यवाद !

जय हिन्द !