वियतनाम-भारत व्यापार मंच में भारत के राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविन्द का संबोधन
हनोई : 19.11.2018
1. मुझे ‘वियतनाम-भारत व्यापार मंच’ को संबोधित करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है। हमारे साथ के साथ के साथ वियतनाम के ऐतिहासिक और विशेष संबंध रहे हैं, इसलिए अपनी इस राजकीय यात्रा पर आकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं वियतनाम सरकार को गर्मजोशी के साथ किये गए शानदार अतिथि सत्कार के लिए धन्यवाद देता हूं।
2. वियतनाम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और कॉन्फेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, एसोसिएटेड चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, और आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के भारतीय व्यापार मंडलों को मैं हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं- जिन्होंने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए कड़ी मेहनत की है, और एक टीम के रूप में साथ मिलकर काम किया है। मुझे खुशी है कि दोनों देशों के बीच व्यापार, प्रौद्योगिकी और निवेश संबंधों को आगे बढ़ाने के बारे में आपने आज उपयोगी चर्चा की है।
देवियो और सज्जनो,
3. भारत और वियतनाम बहुत पुरानी सभ्यताएं हैं। हमारे प्राचीन सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव हैं। लेकिनहमारे गहरे संबंधों की कहानी बहुत व्यापक है। सांस्कृतिक विचार और अभिव्यक्ति के आगमन से बहुत पहले ही भारत के कारोबारियों और व्यापारियों ने वियतनाम के तटों पर वस्तुएं और सामान लाना आरम्भ कर दिया था। उन दिनों, दोनों देशों के बीच समुद्री संपर्क खूब फल-फूल रहा था। और, हमारी इच्छा के अनुरूप ही, हमारी समकालीन साझेदारी में व्यापार एक प्रेरक शक्ति बना हुआ है। गत 8 वर्षों में, हमारा द्विपक्षीय व्यापार 2010 के 370 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2017 में लगभग 1280 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया है और इस प्रकार इसमें लगभग 4 गुना वृद्धि हुई हैl वियतनाम और भारत दोनों ही प्रगति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और इस कारण,इस रुझान के जारी रहने की संभावना दिखाई देती है।
4. वियतनाम और भारत सिर्फ खास दोस्त ही नहीं हैं बल्कि हमारे दोनों देशों की आर्थिक दृष्टि के साथ-साथ हमारे दृष्टिकोण भी एक समान है। पिछले दो दशकों में वियतनाम का आर्थिक विकास शानदार रहा है। इसके कारण, 1990 के दशक में 70% की गरीबी दर घटकर अब 10% से भी कम रह गई है। 1990 में वियतनाम की प्रति व्यक्ति जीडीपी 100 अमेरिकी डॉलर से भी कम थी जो आज बढ़कर 2500 अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है। किसी भी विकासशील देश में ऐसी असाधारण उपलब्धि कम ही देखने को मिली है। मैं इस शानदार सफलता पर वियतनाम के लोगों को और सरकार को बधाई देता हूं।
5. वियतनाम की ही तरह, भारत भी अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार करने, अपनी विकास दर बढ़ाने और अपने युवा नागरिकों की क्षमता का पूरा उपयोग करने पर अपना ध्यान केन्द्रित करता रहा है। इस वर्ष अप्रैल-जुलाई की तिमाही में, भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी में 8.2% की वृद्धि दर्ज की गई, जो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक थी। वर्ष 2025 तक, भारत की जीडीपी मौजूदा 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से दोगुना होकर 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। देश भर में डिजिटल कनेक्टिविटी, परिवर्तनकारी आर्थिक सुधारों, अनुकूल जनसांख्यिकी और मजबूत स्टार्ट-अप वातावरण के व्यापक विस्तार के साथ ऐसी उम्मीद है कि भारत 2025 तक तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन सकता है। हमने 100 स्मार्ट शहरों, 7 हाई-स्पीड ट्रेन कॉरिडोर और देशव्यापी ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सहित अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए काम शुरू कर दिया है। पिछले केवल 1 वर्ष में ही, हमने 10,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया था। इसका अर्थ है कि औसतन 27 किलोमीटर प्रतिदिन राष्ट्रीय राजमार्ग बनाया गया है।
6. माल और सेवा कर के आरम्भ जैसे परिवर्तनकारी सुधारों ने 130 करोड़ लोगों के देश, भारत को इतिहास में पहली बार ‘एक राष्ट्र, एक कर, एक बाज़ार’ बना दिया है। इसकी और इस प्रकार के अन्य सुधारों की सफलता पर, भारत ने व्यापार सुगमता सूचकांक में 2014 के 142वें स्थान से 65 स्थानों की छलांग के साथ 2018 में 77वां स्थान हासिल किया है। हमारे वृहद-आर्थिक संकेतक मजबूत हैं: मुद्रास्फीति की दर 3.3% पर एकदम नियंत्रण में है; 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अच्छा खासा विदेशी मुद्रा भंडार है और पिछले 4 वर्षों में हमारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक रहा है।
7. हम विकास के साथ ही साथ समता पर ध्यान देने के लिए भी जागरूक रहे हैं। हमारे वित्तीय समावेशन कार्यक्रम ‘जन धन योजना’ के अंतर्गत गरीबों और जरूरतमंदों के लिए 33 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं। हमारी सूक्ष्म ऋण योजना ‘मुद्रा’ के अंतर्गत 9000 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के 12.80 करोड़ ऋण का वितरण किया गया है, इनके लाभार्थियों में से 74% महिलाएं हैं। सूक्ष्म उद्योग, उद्यमिता और स्व-रोजगार के क्षेत्र में वृद्धि के लिए इन पहलों से नई ऊर्जा प्राप्त हुई है।
देवियो और सज्जनो,
8. वियतनाम और भारत की व्यापारिक साझेदारी खुद ही बहुत कुछ बयां करती है। दोनों ही ओर, एक समान विकास और आकर्षक व्यापारिक संभावनाओं के साथ, आपसी समझ पहले से ही बहुत अच्छी बनी हुई है। आप सभी के सामने संभावनाओं के अनेक द्वार खुले हैं। वियतनाम और भारत के बीच व्यापार के अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ वित्तीय सेवाओं, सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल अर्थ-व्यवस्था, हाइड्रोकार्बन, रक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, खनन, स्वास्थ्य, पर्यटन और नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में साथ-मिलकर कार्य करने की संभावना है। हमारी इच्छा है कि वियतनाम हमारे प्रमुख कार्यक्रमों जैसे- ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत’, ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ में हमारे साथ सहयोग करे। हम पर्यटन और शहरी अवसंरचना के क्षेत्रों में भी आपसे बहुत कुछ सीखने के इच्छुक हैं।
9. व्यापार के मोर्चे पर, हम अच्छी प्रगति कर रहे हैं। हम वर्ष 2020 तक 1500 करोड़ अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर हैं। आसियान में वियतनाम भारत का बहुत महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है, और भारत वियतनाम के 10 सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में शामिल है।
10. व्यापार, निवेश और प्रशिक्षण से जुड़े हमारे सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है। कृषि ‘चूयू लांग राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की स्थापना के माध्यम से वियतनामी कृषि क्रांति में सहायक होना हमारे लिए गर्व का विषय है। पिछले साल 3500 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक के कृषि-समुद्री-वानिकी का निर्यात करने वाला, वियतनाम बहुत बड़ी कृषि अर्थव्यवस्था है। हमारे द्विपक्षीय व्यापार में 45% में अधिक का हिस्सा पहले से ही कृषि उत्पादों का है। कृषि-प्रसंस्करण, कृषि-रसायन, कृषि मशीनरी, जैव-प्रौद्योगिकी और उच्च तकनीक वाली खेती में द्विपक्षीय सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। भारतीय उद्योग कॉफी, काली मिर्च, काजू, फल और सब्जियों जैसी फसलों में वियतनाम की सफलता से सीख ले सकते हैं।
11. विश्व स्तर पर बात करें तो, मात्रा के मामले में, भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग, तीसरा सर्वाधिक बड़ा और जेनेरिक दवाओं का सर्वाधिक बड़ा आपूर्तिकर्ता है। यह उद्योग, सस्ती कीमत पर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्यचर्या, दवाइयां और चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराने में वियतनाम के साथ साझेदारी कर सकता है। भारतीय दवा कंपनियां वियतनाम में घरेलू उत्पादन की संभावनाएं भी तलाश रही हैं। दोनों ही पक्षों के लिए परस्पर चिकित्सा और स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने की संभावनाएं हैं।
12. भारत और वियतनाम दोनों ही कपड़ा उद्योग में अग्रणी देश हैं। गुणवत्ता मूल्यवर्धन श्रृंखलाओं के एकीकरण के लिए हमें अपना सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। इसी तरह, तेल और गैस, बिजली, अवसंरचना और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अवसर विद्यमान हैं। भारत में, सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन में हमने 2022 तक 175 गीगावाट तक की क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। वियतनाम की वैश्विक और अत्याधुनिक विशेषज्ञता और अनुभव को देखते हुए, नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की बड़ी कंपनियां वियतनाम को भागीदार बनाने के लिए तैयार हैं।
13. वियतनाम के विकास के लिए भारतीय आईटी सेवाओं सहित डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्तीय-प्रौद्योगिकीय क्षेत्र में हमारे पास साझा करने के लिए बहुत कुछ है। हमें एक दूसरे से लाभान्वित होने के लिए अपने स्टार्ट-अप क्षेत्र और नवाचार आधारित उद्योग को प्रोत्साहित करना चाहिए। भारतीय स्टार्ट-अप का परिक्षेत्र विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। यह वर्ष हमारे लिए विशेष रूप से सफल रहा है, जिसमें 1200 से अधिक टेक-स्टार्टअप्स ने सफलता की उड़ान भरी है। हमें एक दूसरे से यह भी सीखना चाहिए कि उत्पादकता में सुधार कैसे किया जाए; चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए कैसे आगे बढ़ा जाए; नवाचार और उद्यमिता को कैसे बढ़ावा दिया जाए; और यह सीखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि, सरकार के काम-काज में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कैसे किया जाए।
देवियो और सज्जनो,
14. वियतनाम-भारत आर्थिक संबंध मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं। निस्संदेह, हमने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। इस कमरे, इस शहर और इस देश में दिख रही ऊर्जा और उत्साह हमारे समक्ष आने वाले सुअवसरों का शुभ संकेत है। मैं, व्यापार बढ़ोत्तरी के साथ-साथ प्रौद्योगिकी और निवेश सहकार के लिए भारतीय और वियतनामी व्यापार क्षेत्र को,साझेदारी के लिए आमंत्रित करता हूं। मैं आज के व्यापार मंच को सफल बनाने के लिए एक बार फिर वियतनाम सरकार और उद्योग जगत के सभी हितधारकों का धन्यवाद करता हूं।