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विश्व तेलुगु सम्मेलन के समापन समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

हैदराबाद : 19.12.2017

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सोदारा सोदारीमनुलारा, नमस्कारम्! (भाइयो और बहनो, नमस्कार)

जैसा कि कहा गया है

देस भाषा लांडु तेलुगु लेस्सा (हमारे देश की भाषाओं में तेलुगु सर्वोत्तम भाषा है)

1. मुझे विश्व तेलुगु सम्मेलन के समापन समारोह के लिए यहां आकर खुशी हुई है। यह इस प्रकार का पांचवां सम्मेलन है और तेलंगाना राज्य में आयोजित होने वाला पहला सम्मेलन है। भारत का राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद मैं पहली बार तेलंगाना की यात्रा कर रहा हूं। मैं सभी प्रतिभागियों को और विशेषकर विदेश से आए हुए,मुझे पता चला है कि लगभग42देशों के प्रतिनिधि हैं,को बधाई देता हूं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरे सहकर्मी और हमारे देश के उप-राष्ट्रपति,श्री एम. वैंकेया नायडु ने,जो एक गौरवान्वित तेलुगु भाषी हैं,इस सम्मेलन का उद्घाटन किया है।

2. विगत पांच दिन से तेलुगु भाषा की समृद्धि और विरासत के प्रति सम्मान प्रकट किया गया है। तेलुगु हमारे देश की दूसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है। यह दो राज्यों,तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश की मातृभाषा है। 2008 से इसे अपनी लम्बी साहित्यिक परम्परा,जिस परम्परा के एक महत्वपूर्ण भाग मुख्यमंत्री,श्री के. चन्द्रशेखर राव भी हैं, के लिए पुरातन भाषा के रूप में मान्यता दी गई है। मुझे बताया गया है कि उन्हें तेलुगु साहित्य की गहरी समझ है।

3. तेलुगु संस्कृति के इतिहास और सहित्य ने हमारे देश में और मानव सभ्यता में बहुत अधिक योगदान किया है। विजयनगर साम्राज्य के महानतम सम्राट,कृष्ण देव राय एक उल्लेखनीय शासक होने के साथ-साथ तेलुगु साहित्य के व्याख्याता और संरक्षक- दोनों थे। ऐसे बहुत से अन्य लोगों ने इसके लोकाचार में योगदान किया है। हाल के समय में,भारत के तीन राष्ट्रपति और मेरे विशिष्ट पूर्ववर्ती डॉ.एस. राधाकृष्णन,श्री वी.वी.गिरि और श्री नीलम संजीव रेड्डी तेलुगु भाषी रहे हैं। एक विद्वान और प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव विद्वान शख्सियत थे और अनेक भाषाओं के जानकार थे;परन्तु वास्तव में तेलुगु पर उन्हें अधिकार था;वे भी इसी क्षेत्र से थे।

4. एक हजार वर्ष पहले,नान्नय भट्टारक ने तेलुगु व्याकरण के नियम लिखे और महाभारत का तेलुगु में अनुवाद किया। उनके तुरन्त बाद प्रख्यात कवि तिक्कना इस क्षेत्र में आए।19वीं शताब्दी में गुरजादा अप्पाराव के लेखन और नाटकों ने राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया को प्रेरणा दी। कवि श्री श्री ने जनसाधारण के संघर्षों पर अपनी लेखनी चलाई। वट्टिकोटा अलवार स्वामी एक ऐसे कवि,उपन्यासकार और आंदोलनकारी थे जिनका सम्मान,उनसे असहमत रहने वाले लोग भी करते थे। दासरथी की कविताएं और गीतों को आज भी गाया जाता है।

5. तेलुगु भाषा शिक्षण और ज्ञान,विरोध और स्वाधीनता,राष्ट्रीय गौरव और सार्वभौमिक मूल्यों की भाषा रही है। आज भी,त्यागराज की रचनाएं कर्नाटक शास्त्रीय संगीत की प्राण बनी हुई हैं। अन्नमाचार्य के भजन,आस्था व परम्परा की आधार-भूमि बने हुए हैं।

6. हम यह नहीं भूल सकते कि यह भूमि,कोमाराम भीम की भूमि है जिन्होंने जनजातीय समुदायों को वनों और प्राकृतिक संसाधनों पर अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनने की प्रेरणा दी। हम,पिछड़े समुदाय की वीरांगना चित्यला ऐलम्मा जो सामंतवाद के सामने डटकर खड़ी हो गई थी,को भी नहीं भूल सकते।

7. सौ वर्ष पहले,भाग्य रेड्डी वर्मा एक ऐसे राजनेता और समाज सुधारक थे जो अस्पृश्यता के विरुद्ध लड़ाई के अगुवाकार बने। पिंगली वेंकय्या का डिजाइन किया हुआ ध्वज अन्तत: हमारा राष्ट्रीय ध्वज बना। अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में एक क्रांतिकारी नेता के रूप में अलुरी सीताराम राजू ने भी हिस्सा लिया था। स्वामी रामानंद तीर्थ ने न केवल एक शोषक सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था के विरुद्ध जन आन्दोलन का नेतृत्व किया अपितु नव स्वतंत्र भारत में हैदराबाद के विलय में उनकी अभिन्न भूमिका थी।

8. वास्तव में, मैंने केवल थोड़े से ही नामों का उल्लेख किया है। लेने के लिए अभी बहुत सारे नाम बचे हुए हैं।

9. आज तेलुगु एक विश्व भाषा है। कई महाद्वीपों में यह भाषा सुनी,पढ़ी और सराही जा रही है। यह भाषा उद्यम व प्रौद्योगिकी की,भारतीय सौम्य शक्ति और ऊर्जावान तेलुगुभाषी प्रवासी समुदाय की भाषा है जिसने अपने लिए और हमारे देश के लिए नाम कमाया है। दक्षिण अफ्रीका से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया तक,तेलुगु-भाषी लोगों और तेलुगु समुदाय को सफल समुदाय माना जाता है।

10. संयुक्त राज्य अमेरिका में,तेलुगुभाषियों को सार्वजनिक पदों के लिए भी निर्वाचित किया गया है तथा उद्यमियों,डॉक्टरों और प्रौद्यागिकीविदों के रूप में वे सुविख्यात हैं। यह गर्व का विषय है कि विशाल प्रौद्योगिकी संस्थान माइक्रोसॉफ्ट का मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक तेलुगु भाषी-सत्य नडेला है। वह एक श्रेष्ठ विरासत का हिस्सा है;यह विरासन,अन्य लोगों के साथ-साथ1920 और 1930के दशक में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में कार्य करने वाले एक प्रख्यात जैव-रसायन शास्त्री येल्लाप्रागदा सुब्बाराव के समय से चली आ रही है।

11. यद्यपि तेलुगु प्रवासी समुदाय दूर-दराज तक में बसा हुआ है परन्तु अपनी मातृ भाषा और अपने पूर्वजों की भूमि की संस्कृति के प्रति उनकी निष्ठा हमेशा मज़बूत बनी रही। मुझे‘मना बडी’जैसे कार्यक्रमों के बारे में जानकर खुशी हुई जिन्हें तेलुगु परिवारों के बच्चों को अपने अभिभावकों और दादा-दादी,नाना-नानी की भाषा में निपुण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

देवियो और सज्जनो

12. तेलुगु भाषा को प्राय: हमारे देश के दक्षिणी और उत्तरी भाग के बीच एक सेतु भाषा कहा जाता है। तेलुगु लोगों की भांति यह भाषा समावेशी रही है और इसने अन्य संस्कृतियों के शब्दों,विचारों और चिंतन परंपरा को स्वीकार किया है और अपनाया है। तेलुगु ने अन्य भाषाओं के साथ-साथ संस्कृत,अरबी,उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों को आत्मसात किया है।

13. जो कुछ घट रहा है, वह सब तारतम्य में हो रहा है। जिस शहर हैदराबाद में हम बैठे हैं,वह भी हमारे देश की बहुत सी संस्कृतियों और क्षेत्रों के बीच एक सेतु है। यह एक अखिल भारतीय शहर होने के साथा-साथ एक वैश्विक महानगर है। इसके प्रौद्योगिकी उद्योग,दवा निर्माण कम्पनियों और रोग प्रतिरोधक टीके के नवान्वेषणों ने राष्ट्र में काफी योगदान दिया है। इसमें फलते-फूलते शिक्षा संस्थान और स्वास्थ्य-चर्या केन्द्र,सिनेमा व स्पेशल इफेक्ट वाले प्रोडक्शन हाऊस तथा खेल सुविधाएं हैं। ये सब प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का विषय हैं।

14. हैदराबाद देश को लजीज खाना, बैडमिंटन के अनेक चैम्पियन और भारतीय सॉफ्ट पॉवर को अभिव्यक्ति देने वाली फिल्मों का शहर है।‘बिरयानी’, ‘बैडमिंटन’और‘बाहुबली’देने वाला शानदार शहर है। मैं कहना चाहूंगा कि तेलुगु व्यंजन,विशेषकर यहां के अचार,दिल्ली में बहुत लोकप्रिय हैं।

15. मुझे विश्वास है कि यहां उपस्थित हर एक को यह सच्चाई जानकार खुशी मिलेगी कि तेलंगाना और आंध्र-प्रदेश ने‘ईज ऑफ डूइंग बिजिनेस-2016’की राज्य वरीयता सूची में संयुक्त रूप से सर्वोच्च स्थान हासिल किया है। कारोबार और औद्यागिक स्थल के तौर पर द्रुत प्रगति करने और ऐसी क्षमता दर्शाने के लिए,तेलंगाना जैसा नया राज्य प्रशंसा का पात्र बन गया है। मैं विशेषकर हाल ही में,वैश्विक उद्यमशीलता सम्मेलन,जिसमें दुनियाभर की प्रतिभागिता हुई,के सफल आयोजन की सराहना करता हूं।

16. वास्तव में, दोनों तेलुगु भाषी राज्यों की निरंतर सफलता अपार संतोष का विषय है।

17. अंत में मैं, यहां उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति को आने वाले नव वर्ष की शुभकामनाएं देता हूं। मुझे छठे विश्व तेलुगु सम्मेलन की प्रतीक्षा रहेगी। मैं इस सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए तथा एक और उपलब्धि अर्जित करने के लिए तेलंगाना राज्य सरकार को बधाई देता हूं।


18. आखीर में, मैं रायाप्रोलु सुब्बा राव के इस संदेश को दोहराना चाहूंगा:

आय देस मायगिना एंडु कलिदिना

पोगादरा नी तल्ती भूमि भारतिनी

नीलु परा नी जाती निंडु गौरवामु

जाएं किसी भी देश में

विचरें किसी भी मार्ग पर,

मां भारती को कर नमन

गौरव करें निज राष्ट्र पर ॥


धन्यवाद

जय हिन्द !