भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से संबन्धित राष्ट्रीय स्मरण उत्सव समिति की बैठक में सम्बोधन
राष्ट्रपति भवन : 19.12.2019
1. राष्ट्रपति भवन में आप सभी का स्वागत है। श्री कोस्टा का विशेष स्वागत है, जिनके लिए भारत की हर यात्रा अपने ‘वतन’, अपने पूर्वजों की भूमि से जुड़ने का अवसर होती है।
2. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को व्यापक स्तर पर मनाने हेतु इस राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया था। हम सभी के लिए यह प्रसन्नता का विषय है कि पिछले लगभग डेढ़ साल की अवधि के दौरान, राष्ट्रीय समिति के मार्गदर्शन में देश-विदेश में बापू के विचारों एवं जीवन-मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने में व्यापक सफलता मिली है। इस सफलता के लिए मैं सभी देशवासियों और महात्मा गांधी के प्रति आस्था रखने वाले विश्व समुदाय के करोड़ों लोगों को बधाई देता हूं।
3. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कार्यकारिणी समिति ने प्रभावी नेतृत्व देकर जयंती समारोहों तथा अभियानों को सफल बनाया है। मुझे विशेष प्रसन्नता इस बात की है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्वच्छता में आस्था को एक जन-आंदोलन बना दिया। इसी जन-भागीदारी के बल पर देश को स्वच्छ रखने का गांधीजी का सपना, पाँच वर्ष से भी कम समय में, साकार हो रहा है। देश को ‘खुले में शौच से मुक्त’ करने की दिशा में प्राप्त की गई सफलता एक बहुत बड़ी सामूहिक उपलब्धि है। इस संदर्भ में कुछ और महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान, पर्यावरण पर ‘सिंगल-यूज-प्लास्टिक’ के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ी है। गांधी-जयंती से जुड़े अनेक कार्यक्रमों में युवाओं के उत्साह से यह भरोसा होता है कि गांधीजी की विरासत हमारी अगली पीढ़ियों के हाथों में सुरक्षित है।
4. बीते 2 अक्टूबर को, कृतज्ञ राष्ट्र ने गांधीजी को सादर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। देश और दुनिया में उनके जीवन तथा कार्यों का, विभिन्न माध्यमों से, स्मरण किया जा रहा है। उदाहरण के लिए गांधीजी के 150वें जयंती वर्ष के उपलक्ष में, महात्मा गांधी के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ को, विश्व के लगभग 155 देशों में, वहां के कलाकारों ने, अपना स्वर दिया है। गांधी-जयंती समारोहों और गतिविधियों के संदर्भ में संस्कृति मंत्रालय और अन्य संबद्ध मंत्रालयों के योगदान की मैं सराहना करता हूं।
देवियो और सज्जनो,
5. गांधीजी ने आजीवन मानवता के हित में कार्य किया और अपनी लेखनी के माध्यम से अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाया। उनका सम्पूर्ण लेखन 100 खंडों में ‘द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी’ के नाम से अंग्रेजी में और ‘सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय’ के नाम से हिन्दी में प्रकाशित किया गया है। गुजराती में उनके सम्पूर्ण लेखन को ‘गांधीजी-नो अक्षरदेह’ का बहुत सार्थक नाम दिया गया है।
6. गांधीजी का जीवन भी उनका संदेश था। उनके जीवन से जुड़ा, गुजराती भाषा के महान कवि और सच्चे गांधीवादी श्री उमाशंकर जोशी द्वारा लिखित एक संस्मरण साझा करने योग्य है। गांधीजी सवेरे जल्दी उठ कर हाथ-मुंह धोने के लिए साबरमती नदी पर जाते थे। नदी से पानी लेने के लिए वे एक छोटी सी लुटिया का इस्तेमाल करते थे। एक बार, उनके एक सहयोगी, श्री मोहनलाल पाण्ड्या, ने गांधीजी से पूछा, ‘आप इतनी किफायत क्यों करते हैं जबकि नदी में भरपूर पानी है?’ गांधीजी ने उनसे पूछा, ‘मेरा चेहरा साफ हुआ, या नहीं?’ इस पर पाण्ड्या जी ने कहा कि हां, चेहरा तो साफ हो गया है। तब गांधीजी ने कहा, ‘फिर क्या समस्या है? क्या यह जरूरी है कि हम कई लोटा पानी बरबाद करें? .... इस नदी का पानी केवल मेरे लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए है। यह पानी मनुष्यों, पशु-पक्षियों और सभी प्राणियों के लिए है। .... जिस प्राकृतिक संपदा पर सबका अधिकार है उस संपदा में से, अपनी जरूरत से तनिक भी ज्यादा लेना अनुचित होगा।’ गांधीजी की यह शिक्षा आज और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
देवियो और सज्जनो,
7. कभी-कभी यह सवाल उठाया जाता है कि क्या गांधीजी आज भी प्रासंगिक हैं? मुझे लगता है कि गांधीजी की प्रासंगिकता सदैव निर्विवाद रही है। अब यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उनके जीवन से सीख लें और उनकी शिक्षाओं को अपने आचरण में अपनाएं। गांधीजी को भौगोलिक सीमाओं और काल-खण्डों में बांधा नहीं जा सकता। पिछले सौ वर्षों की अवधि में, विश्व-समुदाय में गांधीजी के विलक्षण व्यक्तित्व और दूरदर्शी विचारों के प्रति जागरूकता और सम्मान बढ़ता रहा है। अपनी विदेश यात्राओं में, गांधीजी के चित्रों और प्रतिमाओं को देखना मेरे लिए सुखद अनुभूति रही है। जाम्बिया की यात्रा के दौरान वहां के प्रथम राष्ट्रपति श्री केनेथ कौंडा से मिलने का अवसर मुझे मिला। उनके अध्ययन-कक्ष में भी मुझे गांधीजी की एक तस्वीर देखने को मिली। सुदूर पूर्व में आस्ट्रेलिया से लेकर विश्व के पश्चिमी छोर पर स्थित चिली समेत, कई देशों में, मुझे गांधीजी की प्रतिमाओं के अनावरण का तथा उनसे जुड़े समारोहों में सम्बोधन करने का सुअवसर भी प्राप्त हुआ है। विश्व-समुदाय के लिए गांधीजी एक प्रकाश-स्तम्भ की तरह हैं।
8. गांधीजी ऐसे विकास के हिमायती थे जो मानवता और प्रकृति दोनों के लिए हितकारी हो। सन 1909 में, जब भारत में आधुनिक उद्योगों का आगमन हो ही रहा था, तब गांधीजी ने अपनी पुस्तक ‘हिंद स्वराज’ के माध्यम से दुनिया को यह संदेश दिया कि वे आधुनिकता से आगे भी थे और उससे ऊपर भी। सही मायनों में उन्हें ऐसा पर्यावरणविद कहा जा सकता है जिन्होंने बहुत पहले ही पर्यावरण-संतुलन का महत्व समझ लिया था। जबकि दुनिया पर्यावरण से जुड़े दुष्परिणामों को देखने के बहुत बाद में सजग हो पाई।
9. मैं यह मानता हूं कि मानव-समाज समकालीन चुनौतियों का सामना करने में तभी सफल होगा जब वह सभी लोगों के प्रति, पशु-पक्षियों तथा वनस्पतियों के प्रति और इस धरती के प्रति गांधीवादी दृष्टिकोण अपनाएगा।
10. गांधीजी के लिए पूरी दुनिया में आज इतना आदर इसलिए है कि शांति, अहिंसा और समानता पर आधारित उनकी नीति पहले से भी अधिक प्रासंगिक हो गई है। आज दुनिया के अनेक हिस्सों में द्वेष और अशांति का वातावरण है। पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना कर रहा है। वैज्ञानिक समुदाय हमारी धरती के भविष्य के बारे में चिंताजनक भविष्यवाणियां कर रहे हैं। ऐसी चुनौतियों से बाहर निकलने का रास्ता गांधीजी के विचारों में मिलता है।
देवियो और सज्जनो,
11. श्री एंटोनियो कोस्टा हमारे उन प्रवासी समुदायों के भी प्रतिनिधि हैं जिन्होंने गांधीजी के आरंभिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जन-सेवा के प्रति श्री कोस्टा की निष्ठा और सुशासन के लिए नई-नई पद्धतियों को अपनाने के कारण उन्हें महात्मा गांधी का अनुयायी भी कहा गया है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस वर्ष पुर्तगाल ने गांधीजी पर स्मारक टिकट जारी करने के लिए भारत से खादी का आयात किया है। खादी सिर्फ एक कपड़ा ही नहीं है, बल्कि गांधीजी की विचारधारा का प्रतीक भी है। खादी को लोकप्रिय बनाने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा और विशेष भूमिका के लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं।
12. मैं आशा करता हूं कि आज की बैठक में आप सबके विचार-विमर्श से बहुत सी नई बातें सामने आएंगी। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे राष्ट्रपिता का संदेश आने वाली सदियों में भारत ही नहीं बल्कि पूरी मानवता को प्रेरित करता रहेगा। महात्मा गांधी अमर रहें! उनके आदर्श हमारी अंतरात्मा में सदैव विद्यमान रहें! और उनकी शिक्षाएँ हमारा सतत मार्गदर्शन करती रहें! इसी कामना के साथ मैं आप सबका पुनः स्वागत करता हूं।