‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा और पर्यावरण सम्मेलन: चुनौतियाँ तथा अवसर’ के उद्घाटन पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन
नई दिल्ली : 20.02.2019
1. वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् द्वारा आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा और पर्यावरण सम्मेलन: चुनौतियाँ तथा अवसर’ के उद्घाटन के लिए मैं आज आप सब के बीच आकर बहुत खुश हूँ।
2. सीएसआईआर को विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास के लिए जाना जाता है और यह संगठन विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त संगठन है। सीएसआईआर भौतिकी, समुद्र विज्ञान और पृथ्वी विज्ञान से लेकर जीनोमिक्स और जैव प्रौद्योगिकी, तथा नैनोटेक्नोलॉजी से लेकर खनन, पदार्थ विज्ञान और पर्यावरण इंजीनियरिंग तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विस्तृत कार्य-क्षेत्र में कार्य करता है।
3. कोयला आधारित, ऊर्जा-उन्मुख शोध में अपने प्रचुर योगदान और सुरक्षित, उत्पादक और टिकाऊ खनन विधियां विकसित करने के कारण सीएसआईआर-केन्द्रीय खनन एवं ईंधन अनुसन्धान संस्थान, धनबाद, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त संस्थान है।
4. आज की तेजी से प्रगति करती हुई प्रौद्योगिकी के युग में, ऊर्जा और पर्यावरण न केवल विकासशील देशों के लिए, बल्कि विकसित देशों के लिए भी चिंता का प्रमुख विषय हैं। वैश्विक रुझान से पता चलता है कि कोयला भारत सहित अधिकांश देशों के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बना रहेगा, जबकि अक्षय ऊर्जा के स्रोत भी बढ़ेंगे। इस संबंध में, मैं पेरिस समझौते में दर्ज भारत की प्रतिबद्धताओं की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा; यह समझौता 4 नवंबर 2016 को लागू किया गया, ताकि हमारी धरती को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से बचाया जा सके।
5. पेरिस जलवायु सम्मेलन में भारत की ओर से राष्ट्रीय तौर पर निर्धारित योगदान लक्ष्यों के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने की हमारी दृढ़ इच्छा अभिव्यक्त करते हुए कई प्रतिबद्धताएं व्यक्त की गईं। ये प्रतिबद्धताएं हैं: क. वर्ष 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन सघनता को 2005 के स्तर से 33 से 35 प्रतिशत तक कम करना; ख. वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म आधारित बिजली उत्पादन क्षमता का हिस्सा बढ़ाकर स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता के 40% तक (2030 में 26 से 30 प्रतिशत उत्पादन के बराबर) ले जाना, और ग. 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्ष आच्छादन के माध्यम से एक अतिरिक्त (संचयी) कार्बन सिंक बनाना;
6. इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, मैं इस सभा को सलाह दूंगा कि यह सभा, हरित खनन के लिए पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास पर विचार करे। पारंपरिक ऊर्जा के उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वे प्राकृतिक संसाधनों का पर्यावरण अनुकूल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कुशलतर और स्वच्छतर प्रक्रियाओं को विकसित करें।
7. भारत में, सरकार सभी नागरिकों को सस्ती कीमत पर बिजली प्रदान करने के साथ-साथ चौथी औद्योगिक क्रांति के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए, मैं सम्मेलन के प्रतिभागियों से आग्रह करता हूं कि आप लोग जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से संबंधित पर्यावरणीय मुद्दों पर कार्रवाई करने योग्य उपायों की खोज और व्यवहार्य विकल्पों पर मंथन करने के लिए आगे आएं। इस संदर्भ में, मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस सम्मेलन में पारंपरिक ऊर्जा प्रौद्योगिकियां; नवीकरणीय और गैर-पारंपरिक ऊर्जा प्रणालियां; ऊर्जा भंडारण और उपकरण; टिकाऊ खनन प्रौद्योगिकियां; और पर्यावरणीय के मुद्दों जैसे महत्वपूर्ण विषयों को कवर किया जाएगा।
8. यह बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत और विदेश के प्रतिनिधि एक ऐसी ऐतिहासिक सम्मेलन स्थल पर इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं, जहाँ इस प्रकार के कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुए हैं और जहाँ कई प्रमुख नीतियाँ और रोडमैप तैयार करने में सहायता मिली है। यह मंच अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए ऊर्जा और पर्यावरण से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का प्रसार, विचार-विमर्श और प्रदर्शन करने तथा अनुसंधान और विकास के अवसरों एवं मार्गों पर चर्चा करने के लिए उपयुक्त मंच है जो ऊर्जा के क्षेत्र में समृद्ध, सतत और सुरक्षित भविष्य का निर्माण कर सकता है।
9. मुझे विश्वास है कि तीन दिनों के विचार-विमर्श के बाद यह सम्मेलन के व्यावहारिक और करणीय अनुशंसाएँ प्रस्तुत करेगा जो हमारे धरती को न केवल औद्योगिक रूप से अधिक उन्नत बना सकते हैं बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और वातावरण बनाने में भी मदद कर सकते हैं।
10. मैं इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की शानदार सफलता की कामना करता हूं।