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भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के 7वें दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

मोहाली : 20.05.2018

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1. मुझे भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, मोहाली के 7वें दीक्षांत समारोह के लिए आज यहां उपस्थित होकर प्रसन्नता हुई है। यद्यपि भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, मोहाली एक नया संस्थान है परंतु यह हमारे देश में उच्च शिक्षा और अनुसंधान का एक अत्यंत महत्वपूर्ण केन्द्र है। यह संस्थान बहुत जल्दी वैज्ञानिक प्रगति से जुड़ने के इच्छुक विद्यार्थियों और संकाय के लिए उत्तरी भारत के महत्वपूर्ण गंतव्यों में से एक बन गया है। संस्थान, मौलिक विज्ञान अनुसंधान की सुविधाओं को बढ़ावा देने और उन्हें उपलब्ध करवाने तथा इन्हें भारत और हमारे व्यापक समाज की जरूरतों के साथ एकीकृत करने के अपने अधिदेश को पूरा करने के सही पथ पर आगे बढ़ रहा है।

2. मोहाली में आपकी अवस्थिति अपने आप में बहुत कुछ बयान कर रही है। यहां होने से आप प्रतिभावान युवाओं की जरूरतें पूरी कर पाते हैं और चंडीगढ़-मोहाली-पंचकूला महानगरीय क्षेत्र का हिस्सा भी बन पाए हैं। हमारे देश के सबसे शानदार और संभावनाओं से भरे हुए शहरी संकुलों में से एक है। इसके समानांतर, भारतीय विज्ञान और शिक्षा अनुसंधान संस्थान मोहाली मौलिक और अनुप्रयुक्त वैज्ञानिक शोध की पंजाब की समृद्ध परंपरा से भी प्रेरणा ग्रहण कर रहा है। यह विरासत आजादी से पहले की है, जब पंजाब भारत के शुरुआती वैज्ञानिक ज्ञान अर्जन और प्रशिक्षण केन्‍द्रों में से एक था।

3. यह विरासत हमारे सामने एक ओर वैज्ञानिक शोधकर्ताओं और प्रौद्योगिकीविदों के बीच सहयोग तथा दूसरी ओर, राष्ट्र निर्माण में विशाल विकास प्रक्रिया के योगदान की कुछ बढ़िया मिसालें भी पेश करती है। हम उन प्रौद्योगिकीविदों को नहीं भूल सकते जिन्होंने भाखड़ा नांगल परियोजना जैसी विशाल परियोजनाओं के लिए जमीनी कार्य किया था। इसके बाद भी पंजाब के कृषि वैज्ञानिकों और विश्वविद्यालयों ने खाद्य पैदावार बढ़ाने और हरित क्रांति लाने का आधार प्रदान किया। और आज मोहाली ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था, सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विज्ञान तथा संबंधित क्षेत्रों का केन्द्र बन गया है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान को केवल एक स्‍वतंत्र संस्थान के रूप में नहीं बल्कि एक सम्पूर्ण वातावरण के आधार के रूप में देखें। इस संस्थान को इसी प्रकार प्रगति और विकास करते रहना चाहिए।

4. कोई भी दीक्षांत समारोह एक पड़ाव की तरह होता है और किसी भी शिक्षा संस्थान के नवीकरण का अवसर होता है। आज स्नातक बन रहे विद्यार्थियों के लिए यह खासतौर से यादगार अवसर है। आप भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान से बाहर निकलकर अवसरों से भरपूर दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। मैं आप सभी को बधाई देता हूं और उन प्रोफेसरों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने आपको इस अवसर के लिए तैयार किया है। यह एक गौरवपूर्ण दिन है और अपने माता-पिता और परिजनों के प्रति आभार व्यक्त करने का भी अवसर है जिन्होंने यह सफलता हासिल करने में आपकी मदद की। आपको बाकी समाज को अर्थात् - देशवासियों, मेहनती करदाताओं, सरकारी एजेंसियों और बहुत से अन्‍य हितधारकों को भी नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने आपकी मातृ संस्था की मदद की और आपकी शिक्षा में योगदान दिया।

5. इस संस्‍थान से विदा होने और अपनी पेशेवर जिन्‍दगी में प्रवेश करते हुए आपको उन सभी को अपनी यादों में संजोए रखना चाहिए जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपके साथ खड़े रहे हैं। और जो भी आपको पसंद हो, उस अपने तरीके से, समाज की विशेषकर पिछड़े लोगों की मदद करना न भूलें।

6. आज स्नातक बन रहे 152 विद्यार्थियों की सूची जो या तो स्नातक या स्नातकोत्तर या पीएचडी की डिग्रियां प्राप्त कर रहे हैं, का अध्ययन करने पर मैंने पाया कि उनमें से 66 छात्राएं हैं। यह संख्‍या 40% से कुछ ज्यादा है। तथापि शैक्षिक प्रदर्शन के लिए दोनों स्वर्ण पदक छात्राओं को मिले हैं और अकादमिक उत्‍कृष्‍टता के लिए चार में से तीन पुरस्कार छात्राओं ने हासिल किए हैं। सौभाग्‍य से मुझेपूरे देश में दीक्षांत समारोह के लिए यात्रा करने का अवसर मिलता है। मैंने हमारी युवतियों, समाज की बेटियों के इस सराहनीय प्रदर्शन में एक प्रकार की राष्‍ट्रीय प्रवृत्ति देखी है। वे लगातार अपने पुरुष सहपाठियों से आगे निकल रही हैं। यह लैंगिक समानता के क्षेत्र में और भारत को एक विकसित समाज बनाने की दिशा में अग्रणी कदम है। मैं इस उपलब्धि के लिए यहां की छात्राओं और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान मोहाली के विशाल जन समुदाय को बधाई देता हूं।

देवियो और सज्जनो और प्यारे विद्यार्थियो,

7. वैज्ञानिक अनुसंधान का उद्देश्‍य त्रिस्तरीय होता है। पहला उद्देश्‍य है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभाते रहना चाहिए। हमारे राष्ट्र के विकसित होने और हमारे समाज के बदलने के साथ ही हमारी जरूरतें भी बदल जाती हैं। तथापि विज्ञान व प्रौद्योगिकी को सदैव विकास से जुड़े प्रश्नों के उत्तर खोजते रहने होंगे। आज हमारे सामने जो प्रश्न हैं, उनमें जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने से लेकर किफायती परंतु प्रभावी स्वास्थ्यचर्या समाधान प्रदान करने तक तथा पैदावार बढ़ाने और पानी की कमी की चुनौती पर विजय प्राप्त करने में हमारे किसानों की मदद करने से लेकर सामाजिक रूप से समावेशी सतत शहरों और घरों का निर्माण तथा आखिरी मोहल्ले के आखिरी परिवार तक को सम्मानपूर्ण जीवन उपलब्ध करने तक के प्रश्न शामिल हैं। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान नेटवर्क को इन कार्यों में स्वयं को निमग्‍न करना चाहिए।

8. दूसरा, कारोबार और उद्योग के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सहजीवी संबंध है। उत्पाद आविष्कार और प्रक्रिया नवाचार;प्रयोगशाला से हासिल जानकारी को वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य उत्पादों में तब्दील करना; कुशलता, उद्यम और रोजगार को बढाबा देने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना-ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जिनमें विज्ञान और वाणिज्य एक साथ मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं। अनुसंधान संस्थानों का संयोजन, परिसरों में पल्लवित प्रौद्योगिकी स्टार्टअप तथा ज्ञान आधारित कारोबारी संस्कृति परिवर्तनकारी साधन बन सकते हैं। कैलिफोर्निया की सिलिकोन वैली और भारत का बंगलुरु इसके उदाहरण हैं। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान को मोहाली और अपने पड़ोस के शहरों में ऐसी ही भूमिका निभाने का भरसक प्रयास करना चाहिए।

9. पंजाब में उन टेक्नोक्रेट्स का एक लंबा इतिहास रहा है जिन्होंने सफल कारोबार की स्थापना की। आज जो विद्यार्थी स्नातक बन रहे हैं उन्हें भी उद्यमिता के पथ का अनुसरण करने और उसी प्रकार रोजगार व संपत्ति अर्जक बनने पर विचार करना चाहिए जिस प्रकार बहुत से महान वैज्ञानिक और प्रौ‍द्योगिकीविद बने हैं।

10. तीसरा, वैज्ञानिक शिक्षा और अनुसंधान संस्थान नवीन क्षेत्रों में नवाचार के लिए तथा ज्ञान के सीमांत के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान की यह महत्ता आधारभूत और मेरे विचार में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। जिज्ञासा के इस भाव को कायम रखना है जो हमारी सभ्यता के मूल में है। जैसा कि विज्ञान का इतिहास हमें बताता है कि इस रास्ते पर चलने के लिए धैर्य की जरूरत होती है परंतु इससे मानव परिकल्पना में अप्रत्याशित और नाटकीय प्रगति प्राप्त की जा सकती है।

11. मैं, आज स्‍नातक बन रहे और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान मोहाली में अध्‍ययनरत दूसरे विद्यार्थियों से आग्रह करता हूं कि वे आगे बढ़ने के दौरान, इन तीनों प्रेरक तत्वों को अपने मन में बसाये रखें। विज्ञान और अनुसंधान के ये तीनों प्रेरक तत्व अपने-अपने तरीके से हमारे नागरिकों की सेवा करने, हमारे समाज और देश की सेवा करने और मानवता के व्‍यापक उद्देश्‍य पर काम करने में विद्यार्थियों की मदद करेंगे। नए अवसरों और नई दुनिया को खोजने के आपके प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं।

धन्‍यवाद

जय हिन्‍द !