सूरीनाम के राष्ट्रीय सदन में भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का संबोधन
सूरीनाम : 20.06.2018
1. प्रथम विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के रूप में सूरीनाम के राष्ट्रीय सदन को संबोधित करने पर मैं सम्मानित अनुभव कर रहा हूं। 1988 में भारत के तत्कालीन उप- राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने इस गरिमामय सदन को संबोधित किया था। संयोगवश 4 वर्ष बाद वे राष्ट्रपति निर्वाचित हुए और मेरे विख्यात पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों में वे भी शामिल रहे। मैं, इस निमंत्रण को भारत के लिए सम्मान और अपना व्यक्तिगत सौभाग्य मानता हूं। राष्ट्रीय सदन के आज यहां उपस्थित सभी सदस्यों, विशेषकर अध्यक्ष मादाम जेनिफर सिमोन्स को इस निमंत्रण के लिए धन्यवाद देता हूं। राष्ट्रपति बुतरस और उनकी सरकार द्वारा किए गए मेरे हार्दिक अभिनंदन तथा उन महत्वपूर्ण वार्ताओं व समझौतों जिनका हम हिस्सा रहे हैं, मेरे लिए अविस्मरणीय हैं।
2. यह इस शानदार देश की मेरी पहली यात्रा है। नैसर्गिक सौंदर्य,सघन वन, वनस्पतियों और जीवों की विस्मयजन विविधता तथा स्वच्छ उष्णकटिबंधीय हवा जादू भरी लगती है। सूरीनाम के लोगों की गर्मजोशी और विविधता भी उतनी ही मनमोहक है। विशेषकर मेरा काफिला गुजरने के दौरान पंक्तिबद्ध छोटे-छोटे बच्चों की स्वागत भरी मुस्कान से मैं अभिभूत हो गया हूं। उनकी मुस्कुराहट में बहुत मासूमियत और आकर्षण था। मेरे लिए वे सूरीनाम का चेहरा हैं। और सूरीनाम में मिलजुल कर रहने वाले अधिकांश समुदाय विश्वभर के लिए एक आदर्श हैं। एक अत्यंत विविधतापूर्ण देश भारत के निवासी होने के कारण, हम गहरी संवेदना के साथ आपके बहुलवाद की सराहना कर सकते हैं।
3. कल यहां आने के तुरंत बाद मैंने हमारे राष्ट्रपिता और महान नेता महात्मा गांधी, जिन्होंने साम्राज्यवादी शासन के विरुद्ध अपने सफल संघर्ष में भारत का नेतृत्व किया था, की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। आज प्रात: मैंने सूरीनाम के तीन प्रख्यात स्मारकों-बाबा और माई, मामा स्रानन और याने तेतारी स्मारकों पर सम्मान प्रकट किया। इस कार्यक्रम के तुरंत बाद, मैं ‘मोन्युमेंट्स ऑफ फालन हीरोज’ पर श्रद्धाजंलि व्यक्त करने जाऊंगा। इनमें से प्रत्येक स्मारक का सूरीनाम के लिए तथा विकासशील विश्व में उपनिवेश विरोधी और राष्ट्र निर्माण प्रयासों के लिए एक भावनात्मक महत्व है। ये स्मारक उस रक्त, स्वेद और त्याग को दर्शाते हैं जिसके द्वारा सूरीनाम के महान लोगों ने स्वतंत्रता अर्जित की और उसे कायम रखा तथा आपसी साझेदारी से एक समरसतापूर्ण समाज का निर्माण किया।
4. प्रकृति ने आपके देश को सुंदरता ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ प्रदान किया है। इसने सूरीनाम को एक सामरिक अवस्थिति प्रदान की है जो सचमुच अद्वितीय है। लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र के द्वार के रूप में अटलांटिक महासागर के किनारे पर आपकी मौजूदगी ने सूरीनाम को एक ठोस कारोबारी और विकासात्मक आधार प्रदान किया है। भारत के लिए आप एक सहज साझेदार हैं क्योंकि हम लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र के साथ अपने पहले से ही मौजूद विशाल व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक संबंधों को और बढ़ाना चाहते हैं।
5. सूरीनाम और भारत के बीच भौगोलिक दूरी बहुत अधिक है। मैं समझता हूं कि पारामारिबो और नई दिल्ली के बीच लगभग 14000 किलोमीटर का फासला है परंतु इस समुद्रपारीय दूरी के बावजूद हमारे देशों के बीच काफी कुछ एक जैसा है। सूरीनाम और भारत दोनों बहु-सांस्कृतिक, बहु-पंथीय और बहु-जातीय लोकतंत्र हैं। सूरीनाम और भारत ने लंबे औपनिवेशिक शासन के बाद अपनी अर्थव्यवस्था और समाजों का निर्माण करने का भरसक प्रयास किया है। और सूरीनाम और भारत दोनों ही अपनी जनता के कल्याण और उत्थान के प्रति समर्पित हैं। यही हमारे विकासात्मक प्रयासों की सच्ची परीक्षा और सर्वाधिक सार्थक उपाय है।
6. हम एक जटिल और कदाचित विरोधाभासी दुनिया में रहते हैं। अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकी क्रांति, संचार और यात्रा के नए-नए तंत्रों तथा इंटरनेट के तीव्र प्रसार ने हमारी दुनिया को अपेक्षाकृत छोटा बना दिया है। देशों और महाद्वीपों के लोग आपस में व्यापक स्तर पर घुल-मिल रहे हैं। हम अनुभव करते हैं कि हम एक वैश्विक कुटुंब के सदस्य हैं। दूसरी ओर हमारे लोगों की उम्मीदें घरेलू और तात्कालिक आवश्यकताओं पर टिकी होती हैं। सांसदों के रूप में आपका दायित्व इनका पता लगाने और इन्हें पूरा करने का होता है। इन अर्थों में, सांसदों और वास्तव में, सरकारों और सार्वजनिक जीवन में कार्यरत दूसरे लोगों की मांगें वैश्विक और स्थानीय दोनों प्रकार की होती हैं।
7. हम सभी को जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना है। यह एक अंतरराष्ट्रीय चिंता और विदेश नीति से जुड़ा हुआ मुद्दा है और सूरीनाम के लोगों के लिए यह गहराई से महसूस की जा रही तथा अस्तित्व से जुड़ी चुनौती है। मैं जलवायु परिवर्तन पर सूरीनाम के समझदारी भरे दृष्टिकोण की सराहना करता हूं। आपने जो दृढ़ संकल्प दर्शाया है अपेक्षाकृत काफी बड़े और समृद्धतर देश भी ऐसे संकल्प से पीछे हट गए हैं।
8. इस इस वर्ष की शुरुआत में भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का संस्थापना सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया था। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन एक ऐसा संगठन है जिसका मुख्यालय भारत में है और हमें गर्व है कि सूरीनाम इसका एक सह-साझेदार है। उप-राष्ट्रपति अश्विनी अधीन के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने इस सम्मेलन में भाग लिया था और हम अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में प्रवेश की अभिपुष्टि के लिए सूरीनाम का धन्यवाद करते हैं। इससे हम उन सौर ऊर्जा परियोजनाओं में परस्पर सहयोग कर सकेंगे जिनसे सूरीनाम के लोगों और पूरी धरती को लाभ होगा।
9. भारत सूरीनाम को केवल नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में ही साझेदार नहीं बनाना चाहता अपितु भारत सूरीनाम की आवश्यकताओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं के अनुसार उसके साथ अपने विकासात्मक अनुभव सहर्ष साझा करना चाहेगा। भारत की भांति, सूरीनाम के युवा आपके देश के गौरव और आपका भविष्य हैं। उनकी ऊर्जा को सही दिशा देना और उनकी क्षमताओं का विकास करना जरूरी है। इससे वे आर्थिक अवसर पैदा कर पाएंगे तथा अर्थव्यवस्था और समाज में सार्थक योगदान दे सकेंगे।
10. इस संबंध में, आपकी जनता और आपकी सरकार जिस किसी तरीके से और जितना सूरीनाम के लिए फायदेमंद समझती है, भारत को अपना कौशल विकास, डिजिटल विकास संबंधी अनुभव आपके साथ साझा करने तथा स्टार्ट-अप और उद्यमिता संस्कृति का पोषण करने में खुशी होगी। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सूरीनाम के युवाओं द्वारा भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं के उपयोग में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। हमने सूरीनाम डिप्लोमेटिक इंस्टीट्यूट और भारत के विदेश सेवा संस्थान के बीच औपचारिक जुड़ाव के एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इससे सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, ई-कूटनीति और प्रवासी राजनय में सूरीनाम के राजनयिकों का प्रशिक्षण सुगम हो सकेगा।
11. बुनियादी रूप से, सूरीनाम और भारत कृषि प्रधान देश हैं जिनका लक्ष्य अविलम्ब अपनी कृषि उत्पादकता और आय को बढ़ाने तथा हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को विविधतापूर्ण बनाने का है।इन प्रयासों में भारत जो आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही विशाल अर्थव्यवस्था है, को आपकी सुविधानुसार सूरीनाम का साझेदार बनने में का सम्मान महसूस होगा।
12. हाल के वर्षों में, भारतीय कृषि में एक बड़ा परिवर्तन आया है। पूरी तरह से, खाद्य आयातक देश से बदलकर आज भारत अतिरिक्त खाद्य उत्पादक तथा खाद्यान्न व अन्य कृषि उत्पादों का निर्यातक देश बन गया है। यह बदलाव हमारे किसानों की कड़ी मेहनत तथा कृषि प्रौद्योगिकी के प्रयोग द्वारा आया है। हमारी जानकारी और विशेषज्ञता सूरीनाम के लिए, उसकी इच्छा के मुताबिक, उपलब्ध है।
13. इसी प्रकार, अपनी अर्थव्यवस्था को विविधतापूर्ण बनाने के आपके प्रयास में भारत प्रौद्योगिकी, वित्त, संभार तंत्र और क्षमता निर्माण का व्यावहारिक और विश्वसनीय स्रोत बनने का प्रस्ताव करता है। सूरीनाम अपने लोगों के लिए विकल्प तैयार कर रहा। सूरीनाम हमारी प्रौद्योगिकियों और संस्थागत मॉडलों की मदद लेने के विषय में संकोच न करे। सूरीनाम में खनिज पदाथ, वन, ताजा जल और उपजाऊ भूमि के विशाल मैदान मौजूद हैं। ऐसा कोई कारण नहीं है कि देश यह इस क्षेत्र का शक्तिपुंज न बन सके।
14. स्वास्थ्यचर्या ऐसा एक अन्य क्षेत्र है जिसमें भारत सूरीनाम के साथ अपने विकास सहयोग को बढ़ाना चाहता है। हम मानते हैं कि किफायती और प्रभावी स्वास्थ्यचर्या तक पहुंच मानव का एक सार्वभौमिक अधिकार है। इस राष्ट्रीय प्रयास की दिशा में, हमारी निजी क्षेत्र की कंपनियों ने जेनरिक दवाइयों के निर्माण की यथेष्ट क्षमता निर्मित की है। भारतीय औषध उत्पाद दूर-दूर तक पहुंच गए हैं। वे अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका के विकासशील समाजों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक हैं। हम उच्च गुणवत्तापूर्ण लेकिन किफायती औषध उत्पादों की आपूर्ति में सूरीनाम के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं। राष्ट्रीय सदन के सदस्यों के रूप में, भारत से चिकित्सीय औषधों के आयात पर विधान बनाने में मदद करने में आपकी एक अहम भूमिका है। कुल मिलाकर, इससे सूरीनाम के नागरिकों की सेहतमंदी में योगदान मिलेगा।
देवियो और सज्जनो,
15. राजनीति और वाणिज्य से कहीं अधिक, कूटनीति और कारोबार से कहीं बढ़कर, सूरीनाम और भारत साझे मूल्यों और परस्पर अनूठे जनसंपर्क द्वारा जुड़े हुए हैं। यह सदन लोकतंत्र और लोकशासन की पावन वेदी है। यह एक ऐसा सिद्धांत है जो हमारे दोनों देशों को सूत्रबद्ध करता है। इसके अलावा, सूरीनाम के लोगों के एक बड़े हिस्से की वंशाबेल 19वीं शताब्दी के भारत से पनपी है। यह सच है कि, वे आपके शानदार देश के गौरव और पूरी तरह से यहां घुले-मिले नागरिक हैं परंतु सांस्कृतिक संबंध कभी टूटते नहीं हैं।
16. मेरी यात्रा सूरीनाम में भारतीयों के आगमन की 145वीं वर्षगांठ के एक माह लंबे महोत्सव के अवसर पर हो रही है। सहयोगात्मक समारोहों की एक श्रृंखला आयोजित किए जाने की योजना बनाई गई है। मैं सूरीनाम सरकार को इसकी उत्साहपूर्ण पहलों के लिए धन्यवाद देता हूं। भारत सरकार ने भी कलाकारों, शिक्षाविदों और प्रदर्शनियों के लिए सहयोग प्रदान किया है। 2023 में जब 150वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी तो सूरीनाम और भारत शायद इससे भी बड़े समारोह के लिए परस्पर सहयोग करेंगे।
देवियो और सज्जनो,
17.सूरीनाम की मेरी यात्रा एक विशेष घटना के साथ संपन्न हो रही है। कल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। भारत में योग की शुरुआत हजारों वर्ष पहले हुई परंतु इसे यहां सूरीनाम सहित विश्व के करोड़ों लोगों ने अपनाया है और इसकी अपने ढंग से व्याख्या की है। यह संयोग मात्र नहीं है कि मैं योग को बढ़ावा देने तथा शारीरिक और मानसिक आरोग्यता के प्रोत्साहन के प्रति समर्पित इस दिन सूरीनाम मैं हूं। कोई भी व्यक्ति विशेष दिनों के दौरान अपने मित्रों के बीच मौजूद रहना पसंद करता है। कल मैं राष्ट्रपति बुतरस और सूरीनाम के अन्य गणमान्य लोगों व मित्रों के साथ प्रातः 7:00 बजे आरंभ होने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में भाग लूंगा। मैं आपको इसमें शामिल होने और योग के आनंद को साझा करने के लिए आमंत्रित करता हूं। इसके अतिरिक्त, मैं आपमें से प्रत्येक को अपनी सुविधा अनुसार भारत की यात्रा करने और सूरीनाम-भारत मैत्री को साझा करने और प्रगाढ़ बनाने के लिए आमंत्रित करता हूं।
धन्यवाद। दांके बेईल!