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भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी का विवेकानंद केंद्र विद्यालय की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर संबोधन

ईटानगर: 20.11.2017

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1. राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद यह मेरी पहली असम यात्रा है। यह मेरे लिए प्रसन्नता की बात है कि मैं इस उत्सव में सम्मिलित हो रहा हूं, जो पवित्र बराक नदी की उपजाऊ घाटी में सम्पन्न हो रहा है।

2. असम प्रदेश और पूरे भारत के विकास को निरंतर योगदान देने वाली यहां की धरती ने अनेक सपूत पैदा किये हैं, जिन्होने भारत की आजादी की लड़ाई में योगदान दिया था। सबसे पहले यहां के प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी के रूप में सम्मानितशंबुधन फोंगलों का नाम याद आता है।महर्षि अरबिंदो के क्रांतिकारी दिनों में उनके सहयोगी रहे सिलचर केविप्लवी उल्लास कर दत्त ने भी ब्रिटिश हुकूमत को ललकारा था।

3. असम राज्य को ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों की प्राकृतिक सम्पदा प्राप्त है। ये नदियां, अपनी सहायक नदियों के साथ मिलकर, लगभग पूरे राज्य के जीवन-यापन, संस्कृति और विकास को आधार प्रदान करती हैं। राज्य के कार्यक्रमों को इन जीवनदायिनी नदियों के नाम से जोड़ना एक अच्छी सोच है। इसी वर्ष मार्च-अप्रैल में‘नमामि ब्रह्मपुत्र’उत्सव मनाया गया था। इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए बराक नदी की घाटी में बसे हुए लोगों के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य से आयोजित आज का यह उत्सव एक सराहनीय प्रयास है।

4. राज्य सरकार ने असम के विकास के लिए जो प्रयास किए हैं उनके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। इस उपलब्धि के लिए मैं मुख्यमंत्री, और विशेषकर यहां के निवासियों की सराहना करता हूं। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के प्रयासों से अनेक योजनाओं में गति का संचार हुआ है, और इससे पूरे क्षेत्र मेंinfrastructureका विकास हो रहा है। इसके लिएकेंद्र मेंपूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मन्त्रालय के राज्यमंत्रीडॉक्टर जितेंद्र सिंह जी को विशेष श्रेय जाता है।


5. बराक और ब्रह्मपुत्र घाटियों की जमीन बेहद उपजाऊ है। असम और पूरे देश के निवासियों को अपने संगीत से एक सूत्र में बांधने वाले महान गायकभूपेन हजारिका ने अपने एक प्रसिद्ध और अमर गीत में कहा था:

गोटेइ जीबोन बिसारिलेउ, अलेख दिवख राती,

अहम देहर दरे नेपाऊँ, इमान रहाल माटी।

इसका अर्थ है कि ‘अनगिनत दिन-और-रात लगा कर जीवन भर ढूंढते रहने पर भी असम जैसा प्रदेश नहीं मिलेगा और यहां जैसी उपजाऊ माटी नहीं मिलेगी’।

6. इन दोनों नदियों की घाटियों के साथ-साथ, असम की पहाड़ियों पर रहने वाले लोग भी इन उत्सवों से जुड़ जाते हैं। पूरे राज्य में संतुलित विकास के जरिये लोगों में पारस्परिक सौहार्द और एकता की भावना को और अधिक बल मिलता है।

7.‘अनेकता में एकता’ हमारे देश की विशेषता है। इसी का प्रतिबिंब बराक घाटी में प्राप्त अनेक भाषाओं, संस्कृतियों और जनजातियों के मेलजोल में सामने आता है। यहां साहित्य की गहरी परम्पराएं हैं। भाषा और संस्कृति के प्रति गहरा अनुराग है। कृषि पर आधारित अर्थ-व्यवस्था के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के प्रति रुझान है। यहां बहुत अच्छे शिक्षण संस्थान हैं। साक्षरता दर अधिक होने के कारण यहां के युवाओं में प्रतिभा और कौशल का विकास अधिक तेजी से हो रहा है।

8. असम सरकार ने स्वामी विवेकानंदके नाम पर यहां एक सांस्कृतिक और अनुसंधान केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त इस केंद्र द्वारा असम की बहुजातीय सांस्कृतिक विविधता को बल प्राप्त होगा तथा बराक और ब्रह्मपुत्र घाटी के लोगों के बीच पारस्परिक सम्बन्धों में और अधिक मजबूती आएगी।

9. अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण यह क्षेत्र अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस दिशा में कई निर्णय लिए गए हैं और उन्हे कार्यरूप दिया गया है। गुजरात के कच्छ से असम के कछार तक ‘ईस्ट वेस्ट कॉरीडोर’ के रूप में भारत सरकार की‘महासड़क परियोजना’का उत्तर-पूर्व का भाग सिलचर से शुरू होता है। कुछ समय पहले ही शुरू की गई, बराक घाटी से गुजरते हुए अगरतला और दिल्ली को जोड़ने वाली, ‘ब्रॉड गेज लाइन’ से व्यापार और पर्यटन दोनों को ही बहुत लाभ पहुँच रहा है।

10. करीमगंज जिले में स्थित‘बार्डर ट्रेड सेंटर' के माध्यम से बांग्लादेश के साथ होने वाले व्यापार में प्रगति हुई है। इस सेंटर को विश्व स्तरीय सुविधाओं से युक्त किया जा रहा है। भारत सरकार की Act East Policy के जरिये, असम सहित, पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों की भौगोलिक स्थिति का लाभ लेते हुए भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ा जा रहा है। इस बदलाव द्वारा भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के साथ-साथ पूरे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के व्यापारिक गतिविधियों के बढ़ने की अपार संभावना है।

11. कृषि, मछली पालन, हैंडलूम और चाय बागान के क्षेत्रों में यहां के लोगों के पास काफी अनुभव है। उपजाऊ जमीन; सड़क, रेल और जल परिवहन में हो रहे विकास; तथा Professional और Skilled Workforce के रूप में बराक घाटी में तेज विकास को गति प्रदान करने के लिए यहां सब कुछ मौजूद है। उत्तर-पूर्व क्षेत्र में, छोटे हवाई अड्डों को जोड़ने वाली विमान सेवाओं की सुविधा का आरंभ होने से भी प्रदेश के विकास को एक नयी दिशा मिलेगी।

12. इस क्षेत्र के तीनों जिलों - कछार, करीमगंज और हैलाकांडी– के निवासी, विकास के नए अवसरों का उपयोग करने के लिए तत्पर हैं।Infrastructure को बेहतर बनाने के लिए केंद्र और राज्य की सरकारें मिलकर योजनाओं को आगे बढ़ा रही हैं। इससे असम के विकास को ठोस आधार मिल रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस विकास का लाभ,असम समेत उत्तर-पूर्व के राज्यों, तथा पूरे देश को मिलेगा। साथ ही यह क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विकास का प्रमुख केंद्र बन जाएगा।

13. बराक घाटी और यहां के निवासियों की अपार क्षमता को पूरे देश और विश्व के सम्मुख प्रस्तुत करने के उद्देश्य से प्रेरित इस उत्सव के आयोजन के लिए मैं एक बार फिर राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और यहां की जनता को बधाई देता हूं। मैं यह कामना करता हूं कि इस क्षेत्र के और पूरे असम प्रदेश के सभी लोग सुख और शांति का अनुभव करते हुए प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते रहें।


धन्यवाद !

जय हिन्द !