भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का स्वच्छ अमृत महोत्सव तथा स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार-2021 समारोह में सम्बोधन
नई दिल्ली: 20.11.2021
इस महोत्सव तथा पुरस्कार समारोह में भाग लेकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। सबसे पहले, मैं इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं। इन पुरस्कारों के माध्यम से विभिन्न मापदंडो पर स्वच्छता से जुड़े प्रयासों का प्रतिवर्ष ठोस आकलन हो रहा है।
मुझे बताया गया है कि आज के स्वच्छता पुरस्कारों का निर्णय 5 करोड़ से अधिक देशवासियों का फीडबैक लेकर किया गया है। इतनी व्यापक जन-भागीदारी के आधार पर तय किए गए स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार समारोह के आयोजन के लिए मैं आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी और उनकी पूरी टीम की सराहना करता हूं। अपने-अपने राज्य और संघ राज्य क्षेत्र में स्वच्छता अभियान को विशेष रूप से प्रोत्साहित करने के लिए, मैं मंच पर आसीन मुख्यमंत्रियों और उप-राज्यपाल की भी प्रशंसा करता हूं।
इस वर्ष के स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कारों का विशेष महत्व है क्योंकि इस साल हम 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं। हमारी आजादी की लड़ाई के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी उल्लेख किया करते थे कि "Cleanliness is next to godliness”। इस तरह गांधी जी के अनुसार स्वच्छता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। गांधी जी की इसी प्राथमिकता को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से एक जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाया है। देश को पूर्णत: स्वच्छ और निर्मल बनाने के प्रयास हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि 35 राज्य व संघ राज्य क्षेत्र तथा लगभग सभी शहरी क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं।समुचित व पर्याप्त वेस्ट वॉटर के ट्रीटमेंट की व्यवस्था के आधार पर 9 शहरी क्षेत्रों को water plus प्रमाणित किया जा चुका है।मैं आशा करता हूं कि इस क्षेत्र में शीघ्र ही उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त की जा सकेगी। स्वच्छ भारत अभियान की सबसे बड़ी सफलता है - देशवासियों की सोच में बदलाव। यह बदलाव बहुत व्यापक स्तर पर हुआ है। और धीरे-धीरे परिवारों तक पहुँच गया है। अब तो बहुत से परिवारों में छोटे बच्चे भी परिवार के बड़े लोगों को गंदगी फैलाने से रोकते हैं, उन्हें कोई भी चीज़ सड़क पर या घर के बाहर फेंकने से टोकते हैं। ऐसे बदलाव के लिए मैं सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। स्वच्छता अभियान की सफलता के लिए मैं सफाई-मित्र और सफाई-कर्मी भाइयों-बहनों की विशेष रूप से सराहना करता हूं।
आज से कुछ ही दिनों पहले राष्ट्रपति भवन में मुझे भरतपुर, राजस्थान में बाल्मीकि परिवार में जन्मी और बचपन से ही सफाई के काम में योगदान देने वाली श्रीमती उषा चौमड को पद्म श्री से सम्मानित करने का अवसर प्राप्त हुआ। वे आजकल सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस आर्गेनाईजेशन के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर रही हैं। उन्होंने अभाव, असमानता और कुरीतियों से लड़कर सफल होने का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी जीवन-गाथा से अनेक देशवासी, विशेषकर हमारी बेटियां, प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं।
इस वर्ष इंदौर शहर ने लगातार पाँचवी बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है। पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त करना तो सराहनीय है ही, पर उस स्थान को निरंतर बनाए रखना उससे भी अधिक प्रशंसनीय है। मैं चाहूँगा कि लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले शहरों की best-practices को अधिक से अधिक प्रसारित किया जाए।
सभी अर्बन लोकल बॉडीज़ के प्रदर्शन का आकलन करने के अनेक मापदंड होते है। मैं समझता हूं कि उनके प्रदर्शन का आकलन करते समय स्वच्छता के मापदंड को प्राथमिकता देनी चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
हमारे सभी देशवासी, सुरक्षा व गरिमा के साथ जीवन बिता सकें इसके लिए भी स्वच्छता की सुविधाओं का होना अनिवार्य है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि दिव्यांगों और ट्रांसजेंडर्स की सुविधा के लिए भी विशेष स्वच्छता सुविधाएं विकसित की गई हैं। स्वच्छता मिशन से महिलाओं की जीवनशैली और स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। हमारी बेटियों और बहनों को पहले की अपेक्षा कहीं अधिक सुविधा और सुरक्षा उपलब्ध हो रही है। यह उल्लेखनीय है कि सामान्य जनता ने बहू-बेटियों के लिए निर्मित शौचालयों को ‘इज्जत-घर’ का नाम दिया है।
हमारे सफाई मित्रों और स्वच्छता कर्मियों ने कोविड महामारी के दौरान भी निरंतर अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। संवेदनशील सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि असुरक्षित सफाई प्रथाओं के कारण किसी भी सफाई कर्मचारी की जान जोखिम में न पड़े। मुझे बताया गया है कि कल ही मनाए गए ‘विश्व शौचालय दिवस’ के अवसर पर आवास और शहरी कार्य मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिशा में संयुक्त रूप से पहल की है। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा 246 शहरों में चलाया गया ‘सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज’ एक सराहनीय पहल है। इस चैलेंज का उद्देश्य सीवरों और सेप्टिक टैंकों की मानवरहित यानि मशीन से सफाई को बढ़ावा देना है। मैं आवास और शहरी कार्य मंत्रालय को सुझाव देना चाहूंगा कि मशीन से सफाई की सुविधा सभी शहरों में उपलब्ध कराई जाए। मैनुअल स्केवेंजिंग अर्थात मनुष्य द्वारा मैला ढोना एक शर्मनाक प्रथा है जिसको रोकने की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं बल्कि पूरे समाज और सभी नागरिकों की भी है।
देवियो और सज्जनो,
Solid waste management यानि ठोस कचरे का प्रभावी प्रबंधन, शहरों को स्वच्छ रखने के लिए अनिवार्य है। मुझे बताया गया है कि 2014 में स्वच्छता अभियान की शुरुआत से पहले केवल 18 प्रतिशत ठोस कचरे का निस्तारण वैज्ञानिक रुप से किया जाता था जो अब लगभग 4 गुना बढ़ कर 70 प्रतिशत हो गया है। पिछले महीने 1 अक्टूबर को प्रधानमंत्री द्वारा ‘स्वच्छ भारत मिशन - अर्बन 2.0’ का शुभारंभ किया गया जिसका लक्ष्य सभी शहरों को सन 2026 तक ‘कचरा-मुक्त बनाना है’। यह ज़ाहिर है कि ‘कचरा मुक्त शहर’ के लिए जरूरी है कि घर, गलियां और मोहल्ले कचरा-मुक्त रहें। इस अभियान की सफलता की जिम्मेदारी भी सरकार के साथ-साथ सभी नागरिकों की भी है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि सभी लोग घर पर ही गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करके रखें।
प्राय: देखने में आता है कि स्वच्छता हमारे देशवासियों के स्वभाव का हिस्सा है। लोग स्वच्छ रहना चाहते हैं। यह हमें त्योहारों के दौरान विशेष रूप से देखने को मिलता है कि सभी लोग उत्साह के साथ साफ-सफाई करते हैं। जब मैं बिहार का राज्यपाल था तब मैं यह देखकर बहुत प्रभावित हुआ था कि छठ पूजा के समय गांव-शहर के लोग स्वयं ही गलियों और सड़कों की साफ-सफाई करते है और सफाई कर्मचारियों की भी जरूरत नहीं पड़ती। यदि साफ-सफाई के प्रति यही उत्साह वर्ष पर्यंत बना रहे तो हमारे गांव और शहर स्वच्छता की मिसाल बन सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षण भारत की परंपरागत जीवन शैली का अभिन्न अंग रहा है। हमारे आदिवासी भाई-बहनों के जीवन में यह आज भी देखा जा सकता है। अब एक बार फिर विश्व-स्तर पर पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर दिया जा रहा है। इसके लिए संसाधनों को Reduce, Reuse और Recycle करने पर बल दिया जा रहा है। ‘वेस्ट टू वेल्थ’ की सोच को कार्य-रूप देने के अच्छे उदाहरण सामने आ रहे है। ऐसे उद्यमों से ग्रीन एंटरप्राइज़ और ग्रीन एम्प्लॉइमेंट में भी वृद्धि हो रही है। इन क्षेत्रों में अनेक स्टार्ट-अप्स सक्रिय हैं। इन क्षेत्रों में रुचि लेने वाले उद्यमियों को प्रोत्साहित करने तथा उनमें निवेश बढ़ाने के लिए समुचित योजनाएँ विकसित की जा सकती है।
देवियो और सज्जनो,
एक आकलन के अनुसार भारत की शहरी आबादी जो सन 2014 में लगभग 41 करोड़ थी वह 2050 तक 81 करोड़ से भी अधिक हो जाएगी। परिणामस्वरूप शहरी स्वच्छता की विशाल चुनौतियों को ध्यान में रख कर भविष्य की हमारी तैयारी होनी चाहिए। विश्व समुदाय में भारत की पहचान एक और अधिक साफ सुथरे देश के रूप में हो, यह सभी देशवासियों का प्रयास होना चाहिए। साफ सुथरे देश की छवि बनने से भारत में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। हम देखते है कि जिन स्थानों में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व तथा आवागमन की सुविधाओं के साथ-साथ साफ-सफाई भी रहती है वहाँ लोग अधिक संख्या में जाना चाहते हैं।
स्वच्छता के आधार पर ही स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण संभव है। इस लिए यह अनिवार्य है कि ‘स्वच्छ भारत मिशन- अर्बन 2.0’ के सभी लक्ष्य समयानुसार प्राप्त किए जाएं। इस मिशन की भावना को एक गीत में पिरोया गया है जिसे इस समारोह में हम सब ने सुना है। मैं आशा करता हूं कि शहरी स्वच्छ भारत मिशन के गीत में व्यक्त - ‘बदले पुरानी आदत, दिखे नए भारत का चेहरा’ तथा ‘हर धड़कन है स्वच्छ भारत की’ यह भावना सामान्य जन-मानस में अपना स्थान बनाएगी। और इस प्रकार स्वच्छ, स्वस्थ एवं समृद्ध भारत 21वीं सदी के विश्व समुदाय में अपना यथोचित गौरव हासिल करेगा।
मैं पुन: आप सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं और आपके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना देने के साथ-साथ यह अपेक्षा करता हूं कि आप सब देश में स्वच्छता अभियान के राजदूत बनें ताकि आपको मिले इन पुरस्कारों की और भी अधिक सार्थकता व उपयोगिता सिद्ध हो सके। मुझे विश्वास है कि स्वच्छता अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने में सरकार आपकी हर संभव सहायता करेगी।
धन्यवाद,
जय हिन्द!