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मणिपुर संगाई महोत्सव-2017 के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

इंफाल: 21.11.2017

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1. भारत के राष्ट्रपति के रूप में मणिपुर की यह मेरी पहली यात्रा है और मुझे मणिपुर संगाई महोत्सव जो राज्य का सबसे बड़ा महोत्सव है, का उद्घाटन करके बहुत खुशी हुई है। 2010 से प्रत्येक नवम्बर में, 10 दिन तक मनाया जाने वाला यह महोत्सव मणिपुर के अनेक समुदायों को समाहित करने वाली और सुंदर सामाजिक ताने-बाने वाली इसकी सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि का श्रेष्ठ प्रदर्शन है। मणिपुर का खान-पान और संस्कृति, रोमांचक खेल व शिल्प, हथकरघा और विश्वभर में प्रशंसित नृत्य शैलियों को इससे बेहतर परिवेश और कहीं नहीं मिल सकता।

2. कोई व्यक्ति पूरी दुनिया में घूम ले लेकिन ‘लोकटक' झील जैसा शानदार स्थल विरले ही मिलेगा। मुझे बताया गया है कि यह झील पूर्वोत्तर में ताजे पानी की सबसे बड़ी झील है जिसमें हमारी धरती पर तैरता हुआ अकेला राष्ट्रीय उद्यान है। यह स्थल पर्यटकों के लिए स्वर्ग है और मुझे खुशी है कि सरकार मणिपुर में पर्यटन क्षमता को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है। वास्तव में, यह एक ऐसा महोत्सव है और यह एक ऐसा राज्य है जिनका आनंद फुर्सत में लिया जाना चाहिए।

3. मणिपुर की सांस्कृतिक परंपराएं, इसकी सामाजिक, धार्मिक और जनजातीय विविधता तथा साहस और समुत्थान- शक्ति काइतिहास भारत में हर एक के लिए एक प्रेरणा है। 1891 के युद्ध में मणिपुर की बहादुर जनता ने जिस प्रकार औपनिवेशिक शक्तियों का विरोध किया, उसकी बराबरी की मिसाल कम ही मिलती है। 1891 के शहीद हमारे लिए ऐसे नायक हैं जिन्हें हमारी स्वतंत्रता और मानव स्वाधीनता के कार्य में उनके योगदान के लिए सदैव याद रखा जाएगा। प्रत्येक भारतीय के लिए, महान बीर टिकेंद्रजीत और उनके साथी गौरव के प्रतीक हैं।

4. लगभग आधी शताब्दी बाद, मणिपुर ही वह अभागा स्थान बना जहां दूसरे विश्वयुद्ध की सबसे भीषण लड़ाई लड़ी गई। आज इंफाल की युद्ध सिमेटरी उस समय की विकरालता का स्मरण कराते हैं और इस राज्य के लोगों द्वारा सहन किए गए दर्द और तकलीफों की भी याद दिलाते हैं। आज इन युद्ध स्मारकों में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन की संभावना है और ये स्मारक,पश्चिमी देशों और जापान के सैलानियों को भी आकर्षित करते हैं। परन्तु 1940 के दशक में, अपनी धरती पर युद्ध की विभीषिका झेलकर, मणिपुर ने एक तरह से बाकी भारत की रक्षा की थी। हमारे देश का प्रत्येक नागरिक इसके लिए सदैव आभारी रहेगा।

देवियो और सज्जनो,

5. मणिपुर दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए भारत का झरोखा है और हमारी सरकार की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का मुख्य सूत्र है। परिणामस्वरूप, संयोज्यता परियोजनाओं को शीघ्र विकसित करने के ठोस प्रयास किए गए हैं। यह सच है कि भारत-म्यांमार-थाइलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग इनमें सबसे प्रमुख है। इसके अलावा, इंफाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक एयर कार्गो टर्मिनल कांप्लैक्स की योजना बनाई जा रही है। रेल संपर्क बढ़ाए जा रहे हैं। जिरिबाम को ब्रॉड गेज लाइन से जोड़ा गया है और इंफाल रेलवे स्टेशन का पहले ही उद्घाटन किया जा चुका है। अन्तत: केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय की क्षेत्रीय संयोज्यता योजना इस क्षेत्र में और विशेषकर मणिपुर में किफायती हवाई संपर्क को प्रोत्साहित कर रही है।

6. मुझे विश्वास है कि ये प्रयास और केन्द्र व राज्य सरकारों के बीच साझेदारी के सुपरिणाम सामने आएंगे। पर्यटन की अपार संभावना है। मणिपुर के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को म्यांमार और शेष आसियान देशों से जोड़ देने से अंतरराष्ट्रीय व्यापार की संभावना अविश्वसनीय ऊंचाइयों तक पहॅुंच गई है। यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे प्रयासों के लाभ यहां के स्थानीय समुदायों तक पहुंचें और मणिपुर के किसानों और हथकरघा बुनकरों को नए-नए बाजार और रोजगार हासिल हो। अपनी ओर से, मैं कहना चाहूंगा कि मैं पर्याप्त मात्रा में मणिपुरी काले चावल लेकर वापस जाऊंगा। ये मेरी मनपसंद चीजों में से एक है।

7. एक और मनपसंद हैं जो न केवल मेरी बल्कि हमारी और पूरे देश की पसंदीदा हैं, वह हैं मणिपुर की अपनी ओलम्पिक पदक विजेता सुविख्यात मैरी कोम। हाल ही में, उनके द्वारा एशियाई बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के बाद मैंने ट्वीट किया था, ‘आपने हमें अपने हर पंच से गौरवान्वित किया है।’

8. इसके अलावा, हम यह कैसे भूल सकते हैं कि मणिपुर राष्ट्रीय फुटबाल की केन्द्र भूमि है। भारत द्वारा आयोजित अंडर-17 विश्व कप में, हमारे अनुभवहीन परंतु दृढ़ संकल्पी लड़कों ने जीवट से मुकाबला किया; हमारी विश्व कप टीम के 21 सदस्यों में से आठ सदस्य मणिपुर से थे। इस सूची में कप्तान अमरजीत सिंह कियाम और साहसी गोलकीपर धीरज सिंह मोइरांगथेम शामिल हैं। मणिपुर के जोशीले लड़कों ने सारे भारत का दिल जीत लिया। हमें उत्सुकता से प्रतीक्षा है उस दिन की जब ये लड़के देश के लिए और अधिक उपलब्धियां हासिल करेंगे।

9. स्पष्ट तौर पर, मैं कहना चाहूंगा कि मणिपुर भारतीय खेलों की राजधानी है। आधुनिक पोलोके पीछे पारंपरिक खेल ‘सागोल कांगजेई’ की प्रेरणा थी। यहां इंफाल में, विश्व का सबसे पुराना पोलो का मैदान है। ‘हूयेन लेंगलोन’ एक ऐसी मार्शल आर्ट है जिसके बारे में मेरा मानना है कि यह खेल, और अधिक अंतरराष्ट्रीय मान्यता का हकदार है। इसी तरह‘यूबी लाकपी’ है जो रग्बी गेंद की बजाय चिकनाईयुक्त नारियल से खेला जाता है। मैंने मणिपुर के बहुत सारे शानदार घरेलू खेलों में से कुछ का ही ज़िक्र किया है। ये ऐसे खजाने हैं जिन्हें बाकी देश और बाकी दुनिया के साथ साझा किया जाना चाहिए।

10. निष्कर्ष रूप में, मैं मणिपुर संगाई महोत्सव और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों तथा मणिपुर सरकार और मणिपुर के लोगों की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं। भारत को मणिपुर की सांस्कृतिक अस्मिता, इसकी सामाजिक विविधता और आर्थिक क्षमता पर गर्व है। हम सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना है कि मणिपुर इस क्षमता को साकार करे। प्रत्येक मणिपुरी, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कोई भी हो, इससे लाभान्वित हो। हमें सफल होना ही है। और हम जरूर सफल होंगे।


धन्यवाद

जय हिन्द !