भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी का अक्षर देरी के 150वें वार्षिकोत्सव समारोह में सम्बोधन
गोंडल : 22.01.2018
1. मुझे पहले भी ‘अक्षर देरी’ आने का अवसर मिला है। राष्ट्रपति के रूप में यहां पहली बार आकर और इस समारोह में शामिल होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है।
2. हमारे देश का यह सौभाग्य रहा है कि, समय-समय पर, अनेक संतों ने समाज सेवा और मानव कल्याण को ही धर्म और अध्यात्म का मुख्य उद्देश्य बनाया है। उन्होने अपने श्रद्धालुओं में सेवा भावना का प्रसार किया है। कई संतों ने ऐसी संस्थाएं बनाई हैं, जो लोक-कल्याण के लिए अनेक क्षेत्रों में निरंतर काम कर रही हैं।
3. मानवता की नि:स्वार्थ सेवा के लिए सभी श्रद्धालुओं को प्रेरित करने वाली स्वामीनारायण संस्था द्वारा आयोजित ‘अक्षर देरी’ के 150वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर, मैं इस संस्था से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को बधाई देता हूं। देश-विदेश के कोने-कोने से इतनी बड़ी संख्या में आये हुए श्रद्धालुओं के इस समूह को मैं मानव-कल्याण के लिए तत्पर एक सेना के रूप में देखता हूं।
4. यह स्थान श्री गुणातीतानन्द स्वामी का समाधि स्थल है। मैं स्वामीजी के प्रगतिशील विचारों और कार्यों का प्रशंसक रहा हूं। उन्होंने अंध-श्रद्धा का हमेशा विरोध किया। उन्होंने जाति, वर्ग और ऊंच-नीच से हमेशा परहेज किया, और सबके कल्याण के लिए काम किया।
5. अध्यात्म की बुनियाद पर समाज सेवा करना इस संस्था का उद्देश्य है, यह जानकर, मुझे बहुत खुशी होती है।
6. मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति ‘भारतरत्न’ डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम भी इस संस्था की आध्यात्मिकता और मानव-कल्याण के कार्यों से बहुत प्रभावित थे।
7. गुजरात की धरती ने, व्यावहारिकता और अध्यात्म के समन्वय के कई उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। महात्मा गांधी ने इसी समन्वय के साथ अध्यात्म की बुनियाद पर आधारित राजनीति की मिसाल पेश की। इसी कड़ी में दूसरा बड़ा उदाहरण है, गांधी जी को अपना पथ-प्रदर्शक मानने वाले, और भारत को वर्तमान स्वरुप प्रदान करने वाले लौहपुरुष, सरदार वल्लभभाई पटेल का। देश के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई का अनुशासित और नैतिकतापूर्ण जीवन भी इसी समन्वय का एक और उदाहरण है।
8. समाज सेवा और अध्यात्म का समन्वय करते हुए, स्वामीनारायण संस्था ने, मानव कल्याण के अनेकों प्रकल्प चलाए हैं। इस संस्था ने सैकड़ों मंदिर और केंद्र दुनियां भर में स्थापित किए हैं। लेकिन इन मंदिरों की एक खासियत है, जो इन्हे अलग पहचान देती है। ये सभी मंदिर, व्यक्ति और समाज के बहु-आयामी विकास के लिए काम करते हैं। इन मंदिरों में चरित्र-निर्माण और नि:स्वार्थ समाज सेवा पर ज़ोर दिया जाता है।
9. मुझे बताया गया है कि पूरी दुनियां में इस संस्था के लगभग दस लाख अनुयायी हैं और लगभग पचपन हजार कर्मठ स्वयं-सेवी हैं। सभी स्वयंसेवी नियमित रूप से मानव सेवा में अपना समय लगाते है। ये सभी लोग मिलकर, पूरी दुनियां में, लाखों लोगों को हमारे देश की संस्कृति और नैतिक आदर्शों से जोड़ रहे हैं।
10. व्यक्ति के चरित्र से परिवार बनता है, परिवार से समाज बनता है और समाज से राष्ट्र बनता है। स्वामी नारायण संस्था द्वारा पवित्रता, नैतिकता और सेवा भाव पर आधारित शिक्षा देकर लोगों का चरित्र निर्माण किया जाता है। उन्हे जमीन से जुड़े प्रकल्पों में काम करने का अवसर दिया जाता है, मानव कल्याण के कार्यों में लगाया जाता है।
11. कमजोर वर्गों में शिक्षा का प्रसार करने के लिए इस संस्था द्वारा कई माध्यमों से आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसी प्रकार, लोगों के कल्याण के लिए, स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंध किया जाता है। यह जानकर मुझे खुशी हुई है कि लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आप सब प्रयासरत हैं। सामुदायिक विकास के कार्यक्रमों द्वारा लोगों को सशक्त बनाने के लिए भी इस संस्था द्वारा योगदान दिया जा रहा है। अनेक प्राकृतिक आपदाओं के बाद, उन आपदाओं से प्रभावित लोगों को सहायता पहुंचाने में आप सबने सराहनीय योगदान दिया है।
12. मुझे बताया गया है कि दस दिनों तक चलने वाले इस समारोह में, विश्व-शान्ति के लिए एक महा-यज्ञ किया जायेगा। विश्व-शान्ति पर, आतंकवाद समेत, बहुत से खतरे मंडरा रहे हैं। अस्थिरता और तनाव से भरे हुए इस दौर में, विश्व-शांति के लिए किया जा रहा आप सबका यह संकल्प, सराहनीय है। मैं प्रत्येक भारत-वासी की ओर से इस संकल्प के सिद्ध होने की शुभकामनाएं देता हूं।
13. इस समारोह में स्वच्छ भारत अभियान के विषय पर प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय अभियान में योगदान देने के लिए मैं आप सबकी प्रशंसा करता हूं।
14. इस समारोह के ज़रिये आप सब प्रेम, सौहार्द, समानता और राष्ट्रीय एकता के मूल्यों का प्रसार कर रहे हैं। इन सभी प्रयासों के लिए मैं आप सबकी विशेष सराहना करता हूं।
15. मुझे विश्वास है कि स्वामीनारायण संस्था, मानव कल्याण के अपने अभियानों में, निरंतर आगे बढ़ती रहेगी। आप सभी, आध्यात्मिक विकास और सेवा के अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हों, यही मेरी शुभकामना है।
धन्यवाद
जयहिन्द !