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स्वर्ण भारत ट्रस्ट की 18वीं वर्षगांठ समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

नेल्लोर : 22.02.2019

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1. मुझे स्वर्ण भारत ट्रस्ट की 18वीं वर्षगांठ के आयोजन और इसकी सामाजिक रूप से प्रासंगिक और जन-केन्द्रित गतिविधियों को देखने तथा जानने के लिए यहां आने पर प्रसन्नता हो रही है। मुझे बताया गया है कि इन क्षेत्रों में शिक्षा से लेकर स्वास्थ्यचर्या और कृषि से लेकर कौशल प्रशिक्षण तक कई क्षेत्र शामिल हैं। स्वर्ण भारत ट्रस्ट की स्थापना के प्रेरणास्रोत और मुझे यहां आमंत्रित करने वाले मान्यवर, श्री एम. वेंकैया नायडू जी हैं। वे यहाँ के माटीपुत्र हैं; वे मेरे बहुत पुराने और इष्ट मित्र तथा सहकर्मी रहे हैं; और सबसे बढ़कर, वे आज हमारे देश के उपराष्ट्रपति हैं।

2. वेंकैयाजी जिन्‍हें यहाँ हर कोई ‘वेंकैया गारू’ कहता है - बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्तित्व हैं। वे एक विचारशील व्यक्ति हैं और बहुत संवेदनशील इंसान हैं। उनके बारे में सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि अपने लंबे सार्वजनिक जीवन-काल में, उन्होंने बहुत अधिक मित्र बनाए हैं। इनमें से कुछ मित्र उनकी सक्रिय राजनीति के दिनों के राजनीतिक सहयोगी होंगे। तो कुछ राजनीतिक विरोधी भी हो सकते हैं। फिर भी, जब मित्र बनाने की बात आती है, तो इस तरह का अन्‍तर उनके लिए कभी मायने नहीं रखता। वास्तव में उनका कोई दुश्मन नहीं – वे अजातशत्रु हैं। वे सभी के चहेते और सभी के भरोसेमंद हैं। उनकी विश्वसनीयता और सद्भावना ने उन्हें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभाने में मदद की है। हम सभी के लोकप्रिय और चहेते उपराष्ट्रपति देने के लिए, यह देश नेल्लोर और आंध्र प्रदेश का शुक्रगुजार है। और मैं यहाँ यह भी बताना चाहूँगा कि वेंकैयाजी ने दिल्ली में समृद्ध तेलुगु संस्कृति और स्वादिष्ट आंध्र भोजन को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ किया है।

देवियो और सज्जनो

3. जब‘स्वर्ण भारत ट्रस्ट’की परिकल्पना की गई, तो इसे महात्मा गाँधी के"वापस गांव की ओर"के नारे से प्रेरणा प्राप्त हुई थी। यह देखते हुए कि हमारे अधिकांश देशवासी ग्रामीण भारत में निवास करते हैं, गाँधी जी ने गाँवों को इस प्रकार विकसित करने की आवश्‍यकता जताई थी कि वहां गरिमामय और सादा लेकिन समृद्ध जीवन की सुविधाएं विकसित हो सकें। उन्होंने खेती, स्वच्छता, शिक्षा और सतत जीवन की ओर ध्यान केन्द्रित किया। गांधीजी के विचार और उनका मूल दर्शन अभी भी बहुत प्रासंगिक है।आज हम पर्यावरण अनुकूल वस्त्रों की बात करते हैं - गांधीजी ने एक सदी पहले ही, देश के लोगों से अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए सूत कातने का आग्रह किया था इसी क्रम में, राष्ट्रीय मिशन के रूप में स्वच्छ भारत की सफलता, और आधुनिक स्वच्छता की सार्वभौमिक उपलब्धता के लक्ष्य को प्राप्त करना, महात्मा गांधी को उनकी 150वीं जयंती के अवसर पर हमारी श्रद्धांजलि होगी।

4. वेंकैयाजी ने मुझे बताया है कि ‘स्वर्ण भारत ट्रस्ट' भी गांधीजी के आदर्शों को आगे बढ़ाते हुए, उन्हीं की तरह एक अन्य असाधारण व्यक्ति - नानाजी देशमुख से प्रेरित था। नानाजी सुधारवाद के क्षेत्र में अनुकरणीय व्यक्ति थे। उन्होंने ग्रामीण समुदायों को उत्पादक, आत्मनिर्भर इकाइयों में तब्दील करने में सहायता करने के लिए उच्च पद के अवसर का त्याग कर दिया। मध्य प्रदेश के चित्रकूट में उनके द्वारा किया गया काम देश के बाकी हिस्सों के लिए एक मिसाल है। और वेंकटचलम आने पर मैंने पाया, कि इसने वेंकैयाजी पर गहरी छाप छोड़ी है। यह एक सुखद संयोग है कि, नानाजी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के ठीक एक महीने बाद मैं यहां आया हूं।

दोस्तो,

5. जैसा कि मैंने पहले कहा है, गांधीजी के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। हालांकि, बदलते समय के साथ, उन आदर्शों को प्राप्त करने के लिए नए तरीकों को अपनाना महत्वपूर्ण है। इस संबंध में - और गांवों में रहने तथा खेतों में काम करने वाले हमारे लोगों के जीवन की गुणवत्ता और गरिमा को बढ़ाने तथा उनके हित में काम करने के लिए - प्रौद्योगिकी बहुत सहायक सिद्ध हो सकती है।

6. मैं आपको एक उदाहरण दूंगा। मैं अपने देश के कई हिस्सों और कई राज्यों की यात्रा पर जाता हूं, जीवन के सभी क्षेत्रों में काम करने वाले देशवासियों से मिलता हूं। मुझे लगता है कि भारत भर में, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करने की सरकार की पहल से लाभ हो रहा है। यह पहल कैसे काम करती है? हर छोटी जोत की रासायनिक संरचना का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाता है। विशिष्ट पोषक तत्वों की आवश्यकता और विशिष्ट फसलों के लिए उपयुक्तता का आकलन किया जाता है। फिर मृदा स्वास्थ्य कार्ड की मदद से यह जानकारी दर्ज की जाती है। हमारे लाखों प्यारे मेहनती किसानों के लिए इसकी उपयोगिता की आप कल्पना कर सकते हैं!

7. यह केवल एक उदाहरण है; ऐसे कई अन्य उदाहरण मौजूद हैं। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि स्वर्ण भारत ट्रस्ट भी ग्रामीण समुदायों की मदद करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग और नवाचार पर जोर देता है। मुझे विश्वास है कि हमारे उपराष्ट्रपति जी के आशीर्वाद से यह नेक काम जारी रहेगा। मेरी शुभकामनाएं ट्रस्ट के साथ हैं, और वेंकटचलम, नेल्लोर और आंध्र प्रदेश के लोगों को भी मैं शुभकामनाएं देता हूँ।

धन्यवाद

जय हिन्द!