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महात्मा गांधी की प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

पैरामाटा, सिडनी : 22.11.2018

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1. परामाटा की यात्रा पर आकर मैं बहुत प्रसन्‍न हूं। इस सुन्दर परिवेश में, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करना मेरे लिए सम्मान की बात है। अपने देश में उन्हें सम्मानित करने के लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं। और मैं, प्रधानमंत्री मॉरिसन को यहां उनकी मौजूदगी के लिए भी धन्यवाद देता हूं।

2. इस पहल का एक बहुत ही खास अर्थ है। दुनिया भर में महात्‍मा गांधी की विरासत और उनके कालजयी संदेश को प्रसारित करने के लिए, भारत सरकार ने एक महीने पहले ही उनकी 150वीं जयंती के अवसर पर, दो वर्ष तक चलने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला आरम्भ की है। मैं आप सभी को इन समारोहों में शामिल होने के लिए दिल से आमंत्रित करता हूं।

3. महात्मा गांधी सिर्फ भारत के नहीं, बल्कि पूरे विश्व के हैं। उनकी सार्वभौमिक शिक्षाओं की गूंज, विश्‍व के सभी कोनों में एक है। संघर्ष और तनाव के इस दौर में, अहिंसा और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का उनका असरदार संदेश और अधिक प्रासंगिक हो जाता है। उनका पसंदीदा भजन था- "वैष्णव जन तो तेने कहिये", जिसका सार यह है - मन में अभिमान लाये बिना, हमेशा दूसरों के लिए करुणा, दया और सद्भाव की भावना रखें। यह महात्‍मा गांधी के अन्तर्मन की आवाज है। हमारे राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि के रूप में, इस गीत को अपनी आवाज देने के लिए मैं आपकी सुरीली गायिका हीथर ली का धन्यवाद करता हूं। पांचों महाद्वीपों के कई अन्य लोगों ने भी उनके विचार और विरासत को इसी तरह से, श्रद्धांजलि अर्पित की है।

देवियो और सज्जनो,

4. इस भूमि में महात्मा गांधी के विचार और मूल्य गहराई से और असरदार ढंग से प्रतिध्वनित हैं। गांधीवादी विचार और ऑस्ट्रेलियाई जीवन पद्धति के बीच एक विशेष संबंध है। महात्मा गांधी ने हमेशा पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा के लिए आगे बढ़कर काम किया। करुणा और दयालुता के बारे में उनके विचार उनके आस-पास के मानवीय वातावरण से परे तक जाते हैं। उनके हृदय में वनों, नदियों और हमारी धरती के प्रति गहरा सम्मान था। ये ऐसे मूल्य हैं जो आप अपने दैनिक जीवन में अपने दिलों के करीब रखते और साझा करते हैं।

5. एक और बात, गांधीजी और ऑस्ट्रेलियाई समाज में एक और चीज समान है। आपकी तरह, उनके मन में भी बहु सांस्कृतिक लोकाचार के प्रति गहरा सम्मान था। उन्होंने कहा था कि - "मैं नहीं चाहता कि मेरे घर के चारों ओर दीवारें खड़ी कर दी जाएं और मेरी खिड़कियों को बंद कर दिया जाए। मैं चाहता हूं कि सभी देशों की संस्कृतियों को स्वछन्द रूप से मेरे घर में प्रवेश करने दिया जाए।" अपने मूल्यों और लोकाचार के लिए महात्मा गांधी की विरासत, इस देश से अधिक कहीं और प्रासंगिक नहीं हो सकती, जो दुनिया के हर हिस्से के लोगों का है।

6. परामाटा सिटी कौंसिल की पहल पर आज जिस प्रतिमा का अनावरण किया जाना है, वह भी उसी ऐतिहासिक सम्बन्ध का प्रतीक है जो हमारे राष्ट्रों को एक सूत्र में बांधता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत के और अपनी विविधता और खुले विचारों वाले देश के रूप में, ऑस्ट्रेलिया के बीच के संबंधों पर हमें बहुत गर्व है। लोगों के बीच आपसी जीवंत जुड़ाव से इस रिश्ते में जोश और जीवटता आई है।

7. इसके आगे भी, मुझे उम्मीद है कि आम तौर पर इतना कुछ साझा करने वाले हमारे दोनों देश, एक साथ आकर और भी बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। इस विशेष अवसर पर, इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय प्रवासी सदस्यों की उपस्थिति के लिए मैं विशेष रूप से आभारी हूं। अपने इस नए घर और अपने पूर्वजों की भूमि के बीच वे एक सजीव सेतु के रूप में काम करते हैं। गांधीजी स्वयं "प्रवासी" थे। भारत लौटने से पहले वे 21 साल तक दक्षिण अफ्रीका में रहे और उन्होंने हमारे इतिहास को एक नई दिशा दी।

8. मैं इस खूबसूरत देश के राष्ट्र निर्माण में सैकड़ों योग्य, मेहनती, निष्‍ठावान और उद्यमी प्रवासी भारतीयों द्वारा किए गए शानदार योगदान के बारे में जानकर बहुत खुश हूं। भारत के लोगों की ओर से, मैं उन्हें और सभी आस्ट्रेलियाई लोगों को शुभकामनाएं और स्नेह देता हूं।

9. आइये, हम सभी आज महात्मा गांधी के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेने और मानवता के चिर-स्थायी हितों के लिए काम करने का संकल्प लें। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए मैं एक बार फिर लॉर्ड मेयर का और उन सभी लोगों का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने इस अद्भुत पहल में अपना योगदान दिया है।

धन्यवाद!