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15वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के समापन सत्र में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

वाराणसी : 23.01.2019

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1. मुझे 15वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के समापन सत्र में आपके बीच आने पर प्रसन्नता हो रही है। मैं दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आप में से कुछ लोगों से पहले मिल चुका हूं, लेकिन इस अवसर पर आपके साथ होना सही मायने में खास है। हमारे मुख्य अतिथि, प्रधानमंत्री जगन्नाथ की उपस्थिति से यह अवसर और भी अधिक विशेष बन जाता है, और यह मॉरीशस के साथ हमारे अनूठे संबंधों की पुष्टि भी करता है। मुझे हमारे 30 प्रवासी भारतीयों को प्रवासी भारतीय सम्मान देने की खुशी है। हम भारत को आगे बढ़ाने और विदेशों में भारतीय समुदाय के कल्याण के लिए काम करने के आपके प्रतिबद्ध प्रयासों की सराहना करते हैं। आप वास्तव में हमारे और बाहरी दुनिया के बीच सजीव सेतु का कार्य कर रहे हैं। मैं इस शानदार योगदान के लिए आप सभी को बधाई देता हूं।

2. जैसा कि आप जानते हैं, भारत सदियों से उत्सवों, समारोहों और मानवीय चरमोत्‍कर्ष का देश रहा है। इसका सांस्कृतिक तानाबाना और लोकाचार, इसके इतिहास के प्रत्येक गुजरते हुए चरण के साथ समृद्ध होता रहा है। और जब हम दुनिया भर में रह रहे अपने भाइयों और बहनों को जोड़ने और अपनाने की यात्रा पर निकले, तब हमने इसमें नया अध्याय जोड़ दिया। 2003 में, हमने प्रथम प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन किया था, और इस दूरदर्शिता के पीछे हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सोच काम कर रही थी। हाल ही में वे दिवंगत हो गए हैं; लेकिन उनके विचार और उनकी प्रखर सोच राष्ट्र का मार्गदर्शन करती रहेगी।

3. 15वां प्रवासी भारतीय दिवस समारोह और भी कई कारणों से विशेष है। इस वर्ष, हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं, हम उन्‍हें अपना महान तथा प्रवासी मानते हैं और उनके सम्मान में हम प्रत्येक वर्ष 9 जनवरी को भारतीय प्रवासी दिवस मनाते हैं। यह भी पहली बार है कि इस उत्सव का आयोजन वाराणसी में किया जा रहा है, एक ऐसा शहर है जो हमारे जीवन - हमारी सोच, हमारी मान्यताओं, हमारे संगीत और नृत्य, और हमारी आध्यात्मिकता का अभिन्‍न हिस्सा है। और जब हम वाराणसी की बात करते हैं, तो एक और पहलू है जिसे हमें याद रखना चाहिए। इस प्राचीन शहर के घाट और इसके आसपास के स्थान हमारे प्रवासी इतिहास के सर्वाधिक मार्मिक युगों में से एक रहे हैं। प्रधानमंत्री जगन्नाथ और कई अन्य, जिनके पूर्वज आस-पास के क्षेत्र के रहने वाले थे, के लिए यह यात्रा असल मायने में ख़ास होगी। एक तरह से, इस सभा भवन में आकर, सदियों पहले आरम्भ की गई यात्रा का एक चक्र आज पूरा हो गया है। अभी भी ऐसे कई अन्य लोग होंगे जो इस शाश्वत शहर के उदात्‍त लोकाचार के माध्यम से अपनी जड़ों से जुड़कर स्‍वयं को धन्‍य महसूस करेंगे।

4. यहाँ से, आप में से कई लोग संगम का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुंभ में जा रहे होंगे। और कुछ दिनों के बाद, आप एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में हमारे गणतंत्र की प्रगति की झांकी देखेंगे। मुझे यकीन है कि इससे अधिक खुशहाल उत्‍सव की कल्पना नहीं की जा सकती! मुझे उम्मीद है कि आप इसके हर क्षण का आनंद लेंगे।

देवियो और सज्जनो,

5. हम तेजी से हो रहे परिवर्तन के युग में जी रहे हैं। हमारे युवा इन परिवर्तनों की अग्रपंक्ति में हैं। मुझे खुशी है कि इस उत्‍सव में हमने युवाओं पर विशेष ध्यान दिया। हमें अपने संबंधों को गहनतर और वृहत्‍तर बनाने के लिए उन्हें और उनके विचारों को जानने का प्रयास करना चाहिए। मुझे खुशी है कि दो सर्वाधिक युवा प्रवासी नेता, नॉर्वे के संसद सदस्य श्री हिमांशु गुलाटी, और न्यूज़ीलैंड के संसद सदस्य श्री कंवलजीत सिंह बख्शी ने इस सम्मेलन में युवा प्रवासी दिवस पर विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया।

देवियो और सज्जनो,

6. प्रवासी भारतीय समुदाय दुनिया के सबसे बड़े प्रवासी समुदायों में से एक है और इसका इतिहास भी प्रवासी भारतीयों जितना ही समृद्ध और विविधतापूर्ण है। सुदूर अतीत में, हमारे पूर्वजों ने व्यापारियों और भिक्षुकों के रूप में दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा की। काफी समय बाद, अनेक लोग सिल्क रूट पर व्यापारियों और उद्यमियों के रूप में फले-फूले। और एक सदी से भी ज्यादा पहले, शर्तबन्दी प्रथा के तहत, हमने अपने लाखों लोगों को सात समन्दर पार जाते देखा। हमारे प्रवासी भारतीयों की निगाह से देखें तो उनकी दुनिया बहुत आगे बढ़ चुकी है। आप अपने सांस्कृतिक लोकाचार और विविधता को आत्मसात किए हुए, आज वैश्विक ऊंचाइयों पर हैं। और ऐसा करते हुए भी आप एक समुदाय के रूप में अपनी एकता को संरक्षित और मजबूत बनाए हुए हैं।

7. आपकी सफलता और कड़ी मेहनत ने एक मिसाल कायम की है, जिसका अनुकरण कई लोग करना चाहते हैं। जिन समुदायों में आप रहते हैं, वे आपकी उद्यमिता और कौशल पर विश्‍वास रखते हैं; जिन देशों में आप निवास करते हैं, वे आपकी नागरिकता पर गर्व करते हैं; और जब कोई बड़ी चुनौती सामने आती है, तो पूरी दुनिया आपकी निपुणता पर भरोसा करती है। हम आप में से प्रत्येक को अपना सांस्कृतिक राजदूत मानते हैं। आप भारत का चेहरा हैं और विदेशों में अपने देश की पहचान हैं। वास्तव में, हमें आप पर और आपकी उपलब्धियों पर गर्व है। लेकिन जो बात वास्तव में आपके योगदान को ख़ास बनाती है, वह है- आपके जीवन-मूल्य जो आपने कायम किए हैं और जिनके लिए आप जीते हैं। ये ऐसे मूल्य जो सहज रूप से भारतीय हैं, सदियों के चिंतन और प्रगति से विकसित हुए हैं, और जिनकी जड़ें "वसुधैव कुटुम्बकम" अर्थात् - "पूरा विश्व एक परिवार है" की हमारी पुरातन मान्यता में निहित है।

देवियो और सज्जनो,

8. पिछले कुछ वर्षों में, विदेश में बसे अपने लोगों को जोड़ने के हमारे तौर-तरीकों में बहुत बड़ा फ़र्क देखने को मिला है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने अपने 130 करोड़ लोगों के साथ अपने 3.1 करोड़ प्रवासियों को जोड़ने के लिए कड़ी मेहनत की है। विदेशों में रहने वाले भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों को अपने दिलो-दिमाग के करीब लाने के लिए नए कार्यक्रम आरम्भ किए गए हैं। "भारत को जानो कार्यक्रम"और "भारत को जानिए क्विज" जैसी परियोजनाओं से हमारे युवाओं में अपने मातृभूमि के प्रति विश्वास की नई भावना पैदा हुई है। वे भावनात्मक और सांस्कृतिक कारणों के साथ-साथ अन्य प्रेरक कारणों से भी भारत के साथ अपने संबंध को और मजबूत करना चाहते हैं। नवाचार, अनुसंधान, स्टार्ट-अप और डिजिटल क्रांति के क्षेत्र में भारत को मिल रही सफलताओं से हर क्षेत्र के लोग आकर्षित हो रहे हैं। इस आकर्षण को ठोस आकार देने के लिए, हमने अपने युवा प्रवासी वैज्ञानिकों के लिए "एक्सपीरियंस द साइंटिफिक इंडिया प्रोग्राम" शुरू किया है। हम चाहते हैं कि वे हमारे और दुनिया के बीच एक सेतु का कार्य करें ताकि हम एक-दूसरे को लाभान्वित और समृद्ध कर सकें।

9. अपने नाभि-नाल जुड़ाव के नए मायने तलाशते हुए, हमने अपने लोगों के लिए "यात्रा सुगमता" और "विदेश में रहने की सुगमता" में सुधार के उपाय भी किए हैं। आज हमारी विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज के कुशल मार्गदर्शन में, हमारे दूतावास और वाणिज्य दूतावास जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए चौबीस घंटे और सातों दिन उपलब्ध हैं। हमने ‘ई-वीजा’, ‘पासपोर्ट ऐप’, ‘मदद’ और ‘ई-माइग्रेट’ प्लेटफार्मों के माध्यम से डिजिटल संसार के लाभों तक उनकी पहुँच आसान की है। इसी तरह, हमने अपनी मदद का हाथ बढ़ाने के लिए ट्विटर से लेकर फ़ेसबुक तक सभी सोशल मीडिया टूल्स का सहारा लिया है। अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित करने के लिए हमारी वीजा, पासपोर्ट और ओसीआई सेवाओं को लचीला बनाया गया है। अपने पेशेवरों के लिए, हमने अनेक देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते किए हैं, ताकि उनके वित्तीय अंश सुरक्षित रह सकें। और हमारे प्रवासी कामगारों की आय बढ़ाने और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए हमने उनके लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम और विदेश प्रस्थान-पूर्व प्रशिक्षण शुरू किए हैं।

10. इसके साथ ही, हम विदेशों में रह रहे भारतीय समुदाय की सुरक्षा और संरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले 4 वर्षों में, हमारी सरकार ने राजनीतिक संघर्ष या प्राकृतिक आपदाओं में फंसे हुए 90,000 से अधिक भारतीयों को बचाया है। हमने खाड़ी देशों में एमनेस्टी योजनाओं के दौरान 94,000 से अधिक भारतीयों की वापसी भी सुगम बनाई। इन कार्यों और आश्वासनों के परिणामस्वरूप, हमारे प्रवासियों का देश और सरकार में विश्वास बढ़ा है।

देवियो और सज्जनो,

11. भारत अभूतपूर्व तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा है। आज भारत समावेशिता और प्रगति की कहानी बयाँ कर रहा है। आर्थिक विकास से लेकर आर्थिक सुधार तक, महिला मुक्ति से लेकर महिला सशक्तीकरण तक, सभी के लिए स्वास्थ्य से लेकर सम्पूर्ण स्वच्‍छता तक और अंतरिक्ष अभियान से लेकर डिजिटल क्रांति तक, हम कई मोर्चों पर अग्रणी भूमिका में हैं। हमारी सामाजिक-आर्थिक उपलब्धियों से वैश्विक आर्थिक इंजन को ऊर्जा मिल रही है और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्‍त करने में मदद मिल रही है। हम चौथी औद्योगिक क्रांति में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, और ‘इंटरनेशनल सोलर अलायन्स’ के माध्यम से, हम जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में दुनिया का नेतृत्व कर रहे हैं।

12. भारत आज करोड़ों विचारों का देश है। भारत आज करोड़ों अवसरों का देश है। मैं आप सभी को, भारत की विकास-गाथा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ, जो करोड़ों दिमागों के प्रयास से निर्मित हो रही है। हम अपने ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत’ और -स्किल इंडिया प्रोग्राम’ को शक्ति प्रदान करने के लिए आपकी प्रौद्योगिकी, तकनीकी, ज्ञान और निवेश का उपयोग करनाचाहते हैं। ज्ञान-प्रदाता के रूप में और पर्यटकों के रूप में लोगों को भारत आने के लिए प्रोत्साहित करने की प्रवासी भारतीयों की क्षमता पर हमें भरोसा है। और हम चाहते हैं कि आप अधिक से अधिक अपने पैतृक गांवों और कस्बों से जुड़ें। हम कल के ‘प्रतिभा-पलायन’ को आज के ‘प्रतिभा-आगमन’ में परिवर्तित करना चाहते हैं। मैं एक बार फिर आप सभी का आह्वान करता हूँ कि आप सभी ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण में योगदान करें, इसमें भागीदार बनें और भारत के नए बनते इतिहास का हिस्‍सा बनने के लिए, जिसके निर्माण के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।

13. इन्हीं शब्दों के साथ, मैं प्रवासी भारतीय दिवस को सफल बनाने के लिए आप सभी को धन्यवाद देता हूं। मैं आप सभी के ख़ुशहाल और समृद्ध नव-वर्ष की कामना करता हूं। और मैं गणतंत्र दिवस परेड में आपकी भागीदारी का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं।

धन्यवाद!