भारतीय राजस्व सेवा के 71वें बैच के अधिकारी प्रशिक्षार्थियों से भेंट के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
राष्ट्रपति भवन: : 23.03.2018
आप सभी को नमस्कार और राष्ट्रपति भवन में आपका स्वागत है। सबसे पहले मैं सिविल सेवा परीक्षा जो विश्व की सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में से एक है, में आपकी सफलता और भारतीय राजस्व सेवा का चयन करने पर आपको बधाई देता हूं। मेरे समक्ष उपस्थित 159 अधिकारी प्रशिक्षार्थी युवा भारत के श्रेष्ठतम प्रतिनिधि हैं। दो मामलों में, वे हमारे पड़ोसी और घनिष्ठतम मित्र भूटान के सर्वोत्तम युवाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। भूटान का प्रतिनिधित्व करने वाले इन अधिकारियों का विशेष स्वागत है।
2. आपके बैच के प्रोफाइल का अवलोकन करते हुए, मैं बैच की विविधता से अचंभित रह गया। आप 22 विभिन्न राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों से आए हैं और आप लोगों के बीच कम से कम 21 भाषाएं बोलने वाले लोग मौजूद हैं। आप विविध पृष्ठभूमियों से आए हैं;100 से अधिक अधिकारी या तो इंजीनियर हैं या डॉक्टर। मैंने गौर किया है कि आपमें से दो अधिकारी अर्हताप्राप्त चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और इसलिए आपने कर कार्यालय का दूसरा पक्ष भी देखा हुआ है।
3. अधिकारी-प्रशिक्षार्थियों में एक तिहाई महिलाएं हैं। यह सराहनीय है परंतु अभी यह प्रतिनिधित्वपूर्ण नहीं है। मुझे उस दिन की प्रतीक्षा है जब आधी संख्या महिला अधिकारियों की होगी।
4. आयकर, कॉरपोरेट कर, संपत्ति कर जैसे प्रत्यक्ष करों के संग्रहण में आपकी सेवा, प्रमुख भूमिका निभाती है। कर राजस्व, अर्थव्यवस्था की सेहत का प्रतिबिंब होता है। विकास से जुड़ी और अवसंरचना परियोजनाओं के लिए तथा राष्ट्र-निर्माण के लिए धन भी कर राजस्व से ही प्राप्त होता है। सहस्राब्दि के प्रथम वर्ष अर्थात् 2000-01 से लेकर 2016-17 तक केन्द्र सरकार के समग्र कर संग्रहण में प्रत्यक्ष करों का हिस्सा 36 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
5. इसे देखते हुए, हमें आपसे बहुत उम्मीदें हैं। भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्था है। आने वाले दशक में, इसका सकल घरेलू उत्पाद दुगुने से भी ज्यादा हो जाने की उम्मीद है। इससे चहुंओर और अधिक अवसर पैदा होंगे। इससे कर राजस्व बढ़ेगा और भारतीय राजस्व अधिकारियों की चुनौतियां बढ़ेंगी। हमारे देश के इस आर्थिक उत्प्रेरक की मदद करते हुए आपको इन चुनौतियों का समाधान भी करना होगा। आपकी सफलता से आपके व्यक्तिगत भविष्य का तथा भारतीय अर्थव्यवस्था का भावी पथ तय होगा।
6. भारतीय राजस्व सेवा प्रौद्योगिकी अपनाने में सबसे आगे रही है। टैक्स रिटर्न ऑनलॉइन जमा करवाने; ईमानदार कर दाताओं और कर अधिकारियों के बीच सीधा संपर्क कम से कम करने; और खाते में समय पर सीधे कर रिफंड के रूप में, हाल के वर्षों में काफी प्रगति हुई है। इस प्रक्रिया को जारी रखना होगा और आगे बढ़ाना होगा। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कर अनुपात को बढ़ाना होगा तथा कर दायरे का विस्तार करना होगा। इस पर समझौता नहीं किया जा सकता। परंतु इसे जबरदस्ती नहीं बल्कि आग्रह के माध्यम से करना होगा।
7. कर प्रणाली जितनी आसान होगी, उसका अनुपालन सुनिश्चित करना उतना ही आसान होगा। करदाता आपका प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदार है। आपकी भूमिका नीतिगत और विनियामक प्रकृति की है, परंतु मुख्य रूप से आप सेवा प्रदाता हैं। सेवा के लिए आपके पास आने वाले ईमानदार करदाता की जरूरतों और सम्मान के प्रति कृपया संवेदनशील बनें।
8. केवल अपने तक या केवल अपनी सेवा के अनुभव तक सीमित रखने के संबंध में भी मैं आपको सतर्क करना चाहूंगा। जैसे-जैसे हमारा देश बदलेगा, कारोबार और समाज बदलेगा, आपको भी इस बदलाव के साथ रफ्तार बनानी होगी। अपनी जीवनवृत्ति के दौरान, प्रतिनियुक्ति पर जाएं और अन्य विभागों के कार्य का अनुभव प्राप्त करें। ऐसा अनुभव व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों मामलों में आत्म विकास के लिए बेशकीमती है।
9. भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी काले धन के खिलाफ लड़ाई के अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकजैसे हैं। सरकार ने अन्य उपायों के साथ-साथ विमौद्रीकरण, आय घोषणा योजना, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना, बेनामी लेन-देन निषेध अधिनियम आदि के द्वारा काले धन के अभिशाप को मिटाने या न्यूनतम स्तर पर के लिए अनेक कदम उठाए हैं।
10. इनमें से प्रत्येक उपाय के लिए राजस्व सेवा के अधिकारियों के सहयोग और अनुवर्ती कार्रवाई की जरूरत है। डिजिटाइजेशन और औपचारिक अर्थव्यवस्थाएं के प्रोत्साहन के साथ-साथ इन कार्यों में वित्तीय प्रणाली को साफ-सुथरा बनाने की क्षमता है। ये अति दुर्लभ अवसर हैं। यह अवसर आपके बैच को प्राप्त हुआ है। यह आपका दायित्व है और यही आपके लिए मौका भी है।
11. मैं नहीं मानता कि अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों को ईमानदारी का महत्व समझाने की जरूरत है। हमारे आर्थिक और राष्ट्रीय जीवन की इतनी अत्यावश्यक सेवा के लिए ईमानदारी पहली शर्त है। ईमानदारी राजस्व सेवा की रग-रग में समाई होनी चाहिए। कुछ अपवादों को छोड़कर, और हमें यह मानना पड़ेगा कि कुछ अपवाद हुए अवश्य हैं, आम लोगों को अभी भी हमारे लोक सेवकों से और विशेषकर भारतीय राजस्व सेवा से बहुत उम्मीदें हैं।
12. हाल ही में एक फिल्म आई है; मुझे विश्वास है कि आप उसका नाम जानते होंगे। इसमें एक ईमानदार, निष्ठावान और सच्चे राजस्व सेवा अधिकारी की कहानी दिखाई गई है। वह अपना कर्तव्य निभाता है और खतरों और प्रलोभन तथा सभी तरह के दबावों पर विजय प्राप्त करता है। मुझे बताया गया है कि लोग बड़ी संख्या में इस फिल्म को देख रहे हैं और इसके प्रमुख पात्र को शाबाशी दे रहे हैं। इससे हमारे देशवासियों की नज़रों में एक ईमानदार व पेशेवर भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी की सराहना झलकती है। यह पवित्र विश्वास आपको सदैव प्रेरित करता रहे। और आपकी जीवनवृत्ति इतनी शानदार हो कि भावी पीढ़ी की आकांक्षा आप पर फिल्म बनाने की हो।
धन्यवाद,
जय हिन्द!