Back

भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों से भेंट के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 23.07.2018

Download PDF

1. मैं राष्ट्रपति भवन में आप सभी का स्वागत करता हूं और भारतीय वन सेवा में आप के चयन के लिए आपको बधाई देता हूं। आप सभी ने इस उत्कृष्ट सेवा में स्थान पाने के लिए कड़ी मेहनत की है और भावी सफल जीवन-वृत्ति के लिए मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं।

2. आपकी सेवा एक विशिष्‍ट सेवा है। इसका मूल सिद्धांत ‘कॉल फॉर एक्‍शन’ सृष्टि के मूल में है। क्या हम वनों, वृक्षों, पौधों, पक्षियों, जीव-जंतुओं के बिना जीवन की कल्पना कर सकते हैं?हरे-भरे वृक्षों, सुंदर मोरों और हरियाली के बिना इस भवन की, राष्ट्रपति भवन की और राष्ट्रपति संपदा की कल्पना करना भी कठिन है। हमारी धरती पर जीवन के अस्तित्व के लिए वन बहुत जरूरी हैं।

3. वनों के साथ हम भारतवासियों की आत्‍मीयता सदियों से बनी हुई है। हमारी सभ्‍यता को उसकी बौद्धिक और आध्‍यात्‍मिक शक्‍ति वनों से प्राप्‍त हुई है। हमारे लिए वन कोई संसाधन मात्र नहीं हैं बल्‍कि हमारी सांस्‍कृतिक, आध्‍यात्‍मिक और बौद्धिक विरासत का हिस्‍सा हैं। फिर भी, हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि अपनी वन संपदा को क्‍या हम यथोचित संरक्षण, सम्‍मान और देख-भाल प्रदान कर पा रहे हैं? हमें, केवल वन संपदा के हित में वनों की संरक्षा की जरूरत नहीं है बल्‍कि अपने स्‍वयं के हित के लिए और इस धरती पर बसे सभी जीवधारियों के लिए वनों की रक्षा हम सब को करनी होगी।

4. विगत कुछ दशकों में, विश्व में पर्यावरणीय अपकर्ष, वन क्षेत्र में कमी और सबसे बढ़कर जलवायु परिवर्तन पैदा करने वाले वैश्विक ताप बढ़ोत्‍तरी से प्राणियों के अस्तित्व के प्रति उभर रहा खतरा महसूस किया गया है।21वीं शताब्दी में पर्यावरण संरक्षण हमारी चिंता एक प्रमुख कारण बन गया है और वन इस चिन्‍ता के समाधान का अभिन्न अंग हैं।

5. कार्बन के अवशोषण की क्षमता रखने वाले वन, वातावरण में मौजूद ग्रीन हाउस गैसों और वैश्विक ताप वृद्धि के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं। वन, जलवायु परिवर्तन के विषम प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।पर्याप्‍त वन क्षेत्र के साथ-साथ जलाशयों की मौजूदगी सूखे से बचाती है और कृषि पैदावार बढ़ाती है।तटीय क्षेत्रों में पाए जाने वाली कच्‍छ वनस्‍पति चक्रवातों और सुनामियों से बचाती है और पहाड़ी ढलानों पर उगे हुए सघन वन, मिट्टी का अपरदन रोकते हैं तथा भूस्खलन और बाढ़ से बचाते हैं।

6. वनों की सुरक्षा के लिए, विशेषकर भारत में, उन लोगों को भागीदारी और सहयोग के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जिनकी आजीविका वनों पर निर्भर है। हमारे देश के वनों में और उनके आसपास बड़ी संख्या में जनजातियों सहित अत्यंत गरीब लोग रहते हैं। वे वनों से ही भोजन, ईंधन के लिए लकड़ी और चारे जैसी अपनी मूलभूत जरूरतों को पूरा करते हैं। ये लोग सीधे-साधे और मेहनती होते हैं और बहुत बुद्धिमान भी होते हैं। वे अपनी परम्‍पराओं और मान्‍यताओं के तौर पर वनों का सम्‍मान करते हैं। वनों की रक्षा के किसी भी उपाय में इन लोगों की बुनियादी जरूरतों का ध्‍यान रखा जाना चाहिए और उन्हें साझेदारों के रूप में इस कार्य में शामिल किया जाना चाहिए। यह समुदाय अवैध रूप से वन्य जीवों की हत्या और लकड़ी की अवैध कटाई के खिलाफ आपके आंख और कान बन सकते हैं। आपको बस उन्हें रास्‍ता दिखाना है और उनके वन संबंधी अधिकारों और उनकी सुरक्षा के बारे में उन्हें भरोसा दिलाना है।

7. हमारे द्वारा अपनाया गया संयुक्त वन प्रबंधन मॉडल ‘देखभाल और साझेदारी’के सिद्धांत पर आधारित है। इसमें वनों के प्रबंधन में स्थानीय लोगों और समुदायों के साथ साझेदारी की परिकल्पना की गई है। आपको वन प्रबंधन में इन लोगों और समुदायों को शामिल करना चाहिए तथा मानवीय और सह्दयपूर्ण रवैए के साथ वानिकी के वैज्ञानिक सिद्धांतों को अमल में लाना चाहिए। ऐसा करके ही सतत और प्रभावी समाधान प्राप्त हो सकेंगे।

8. आप सभी को पर्यावरणीय और पारिस्थितिकी संरक्षण का दायित्‍व निभाना है। यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। आपके प्रयास और आपके कार्य आने वाली पीढ़ियों पर अपनी छाप छोड़ेंगे और यह तय करेंगे कि हमारी सभ्यता कैसे विकसित हो। आप लोगों पर जनता का विश्वास टिका हुआ है इसलिए पूरी लगन, ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपना कर्तव्य निभाएं। आपके दीर्घकालिक सेवाकाल में आपके आचरण से ही आपकी सफलता की परख होगी।

9. भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमने तीव्र आर्थिक प्रगति के मार्ग पर कदम बढ़ा दिए हैं। फिर भी, हमारा प्रयास सतत विकास का लक्ष्‍य हासिल करने का है। हो सकता है कि यह कोई सुगम कार्य न हो, लेकिन मुझे विश्वास है कि आप लोग समाधान प्रदाताओं के रूप में उभरकर, संरक्षण की जरूरतों और विकास के लक्ष्यों के बीच नाजुक संतुलन बनाने में हमारे देश की मदद करेंगे।

10. एक बार फिर मैं आप सभी को दीर्घ और संतुष्टिपूर्ण कॅरियर के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

जय हिंद