Back

सिम्बियोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द द्वारा संबोधन

पुणे : 23.10.2018

Download PDF

1. मैं आज सिम्बियोसिस इंटरनेशनल डीम्ड यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में आकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ।दीक्षांत समारोह किसी शैक्षणिक संस्थान के लिए और उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक महत्‍वपूर्ण अवसर होता है।मैं उन सभी 5939 विद्यार्थियों को बधाई देता हूँ जो आज उपाधि प्राप्त कर रहे हैं।मैं नव प्रवर्तक और शैक्षिक सुधारक, लद्दाख के गौरव और बहु चर्चित फिल्म 3 ईडियट्स के प्रेरणा स्रोत श्री सोनम वांगचुक - को साहित्य के ‘डॉक्टरेट (मानद)’ उपाधि से विभूषित किये जाने पर भी बधाई देना चाहूँगा।

2. ग्रेजुएट होकर जाने वाले विद्यार्थियों के लिए, यह एक विशेष क्षण है। विद्यार्थी के तौर पर आपके द्वारा एवं आपके प्राध्यापकों, और शिक्षकों, एवं आपके माता-पिता तथा परिवार जिन्होंने आपका सहयोग किया और आपके साथ खड़े रहे, उनके द्वारा की गई कड़ी मेहनत और त्‍याग का परिणाम है।आप एक ऐसे संसार में प्रवेश करने जा रहे हैं जो अवसरों से भरपूर है और जिसके लिए आपको सिम्बियोसिस ने तैयार किया है।याद रखिए कि ऐसी उत्कृष्ट संस्था में अध्ययन करना ही अपने-आप में एक सुअवसर और सौभाग्य की बात है।

3. आपकी शिक्षा, आपके ऊपर एक जिम्मेदारी डालती है। यह आपकी जिम्‍मेदारी है कि आप पिछड़े वर्गों और कम भाग्यशाली लोगों की सहायता करें।आप यह कार्य कैसे करते हैं, यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है, पर यह याद रखें कि अपने साथी देशवासियों के प्रति आपकी करुणा, आपकी अंक-सूची या आपकी डिग्री की भांति ही आपकी बुद्धिमत्‍ता की कसौटी है।

4. भारत के राष्ट्रपति के रूप में, मैंने यह सजग प्रयास किया है कि मैं अपने हमारे देश के विद्यार्थियों और भावी अग्रणी विचारकों से मिलने और उनके साथ सम्‍पर्क-विस्‍तार के लिए पूरे देश के विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थाओं तक पहुंचूं। इस प्रक्रिया में एक निष्कर्ष यह भी सामने आया है कि छात्राओं का शैक्षणिक परिणाम छात्रों से बेहतर हो रहा है।आज भी इस दीक्षांत समारोह में दिए गए नौ स्वर्ण पदकों में से, छः पदक छात्राओं को प्राप्त हुए हैं। यह सराहनीय उपलब्धि है और हमारे समाज के लिए शुभ संकेत है। मैं सम्पूर्ण सिम्बियोसिस परिवार को इसके लिए बधाई देता हूँ।

5. ज्ञान को लिंग आधारित सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता।न ही इसकी कोई भौगोलिक सीमा होती है।यह हमारे लिए गर्व की बात है कि भारत, सदियों से शिक्षा का केन्द्र रहा है।तक्षशिला से नालंदा तक, इस उपमहाद्वीप के प्राचीन विश्वविद्यालयों में एशिया के भिन्‍न-भिन्‍न हिस्सों और उससे परे अन्य क्षेत्रों से विद्यार्थी आते थे।आधुनिक समय में भी हमारे शिक्षा परिसर कई देशों, विशेष रूप से हमारे पड़ोसी देशों और अफ्रीका महाद्वीप- जिसके साथ हमारे विशेष संबंध इन कक्षाओं में निर्मित होते हैं,के देशों से आने वाले प्रतिभाशाली युवाओं के लिए खुले हैं और हम उनका स्वागत करते हैं।

6. यह उल्‍लेखनीय है कि 166 देशों के 46,144 अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थी भारत के विभिन्न महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों और उच्चतर शिक्षा संस्थानों में अध्ययनरत हैं। सिम्बियोसिस इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। और मुझे यह जानकर खुशी हुई कि 1,000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थी सिम्बियोसिस में अध्ययनरत हैं। उन्‍होंने आगे कहा कि जो विद्यार्थी आज स्नातक होकर जा रहे हैं, उनमें से 329 विद्यार्थी भारत से इतर 33 देशों से हैं। सिम्बियोसिस परिसर के बहु-सांस्कृतिक और कॉस्‍मोपोलिटन वातावरण की खूबसूरती इससे बढ़ती है, और राष्ट्रों के बीच सद्भावना को बढ़ावा मिलता है। मैं अंतर्राष्ट्रीय स्नातकों को बधाई देना चाहूँगा, विशेष रूप से युगांडा के उस युवा विद्या‍र्थी जिसने "आउटस्टेंडिंग फॉरेन स्‍टुडेंट” का अवार्ड जीता है।आप यहाँ विद्यार्थी के रूप में आये थे और, मुझे यकीन है कि आप लोग यहाँ से जीवन भर के लिए भारत-मित्र बनकर और भारत के अनधिकारिक राजदूत के रूप में विदा हो रहे हैं।

देवियो और सज्जनो तथा प्रिय विद्यार्थियो,

7. आपका विश्वविद्यालय पुणे में है, यह कोई संयोग मात्र नहीं है।सिम्बियोसिस के संस्थापकों ने शिक्षा की परंपरा और शिक्षा, सामाजिक परिवर्तन तथा भाईचारे के बीच संयोजन का कार्य किया है, जो इस शहर के इतिहास का हिस्सा रहा है।जैसा कि इससे पूर्व की अपनी यात्रा के दौरान मैंने कहा था कि आधुनिक भारत की कहानी काफी हद तक उन प्रगतिशील विचारों की ऋणी है जिनका उद्गम पुणे से हुआ है और इसके लिए हमारा देश वास्तव में कृतज्ञ है।

8. यह वही शहर है, जहाँ 1848 में महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने भारत में, अनन्‍य रूप से बालिकाओं के लिए पहला आधुनिक विद्यालय खोला था।हमारे समाज के कमजोर वर्गों के उन्नयन के लिए अपने साहसपूर्ण प्रयास में, ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा को एक सशक्‍त साधन बनाया। पुणे में ही, न्यायाधीश एम. जी. रानाडे और अन्य लोगों ने19वीं शताब्दी में ‘महाराष्ट्र बालिका शिक्षा समिति' की स्थापना की थी।इसी अवधि में, महान स्वतंत्रता सेनानी, वासुदेव बलवंत फड़के ने ‘महाराष्ट्र शिक्षा समिति' की स्थापना की।बाल गंगाधर तिलक और उनके साथियों ने ‘दक्कन शिक्षा समिति’स्थापित की। और गोपाल कृष्ण गोखले ने ‘भारत सेवक समाज' की स्थापना में सहायता की।

9. ऐसी महान विभूतियों ने शिक्षा का प्रकाश हर ओर फैलाया।उस समय स्थापित की गई अनेक शिक्षण संस्थाएं अब भी मौजूद हैं।गोखले जी और पुणे की बुद्धिजीवी संस्कृति का महात्मा गांधी पर गहरा प्रभाव था।गांधी जी और इस शहर के बीच गहरा सम्बन्ध बन गया था। इस वर्ष जब हम उनकी 150वीं जयंती के समारोह मना रहे हैं तो इन मधुर स्‍मृतियों को जरूर संजोना चाहेंगे।

10. हमारे संविधान के मुख्य सूत्रधार, डॉ बी. आर. अम्बेडकर, का भी पुणे से गहरा रिश्ता था।वे मानते थे किनिष्पक्ष और समतावादी समाज के लिए शिक्षा एक आवश्यक मूलभूत अंग है।मुझे कोई संदेह नहीं है कि सिम्बियोसिस इन प्रसिद्ध नामों से और निकट अतीत के अध्यायों से प्रेरणा ले रहा है।ये वे राष्ट्र निर्माता थे जिन्होंने साम्राज्यवादी शासन से राजनैतिक स्वतंत्रता दिलाने के लिए और जाति, लिंग या किसी अन्य आधार पर भेदभाव से मुक्त भारतीय समाज के निर्माण लिए लड़ाई लड़ी।उनमें से किसी ने भी, शिक्षा के प्रसार की अपनी मान्‍यता से कोई समझौता नहीं किया।

11. अतीत से हमें प्रेरणा प्राप्‍त होती है, किन्तु भविष्य भी संकेत देता है।सिम्बियोसिस यूनिवर्सिटी और अन्य विश्वविद्यालयों को स्वयं के लिए क्या मानदण्ड बनाने चाहिए?भारतीय उच्चतर शिक्षा का विस्‍तार प्रशंसनीय है।भारत में 903 विश्वविद्यालयों और 39,050 महाविद्यालयों का विशाल नेटवर्क है। लेकिन सच्चाई यह है कि अभी भी समूचे शैक्षिक परिदृश्‍य, गुणवत्‍ता और विश्व स्तरीय उत्कृष्टता के संदर्भ में भारी अंतराल दिखाई देता है।

12. इसी संदर्भ में, सरकार ने निर्णय लिया है कि उच्च शिक्षा के 20 संस्थानों को सर्वोत्तम श्रेणी के वैश्विक मानकों तक पहुंचने में सहायता की दृष्टि से भर्ती और पाठ्यचर्या के मामले में लचीलापन उपलब्‍ध कराने हेतु "उत्‍कृष्‍ट संस्थान"के रूप में बढ़ावा और समर्थन दिया जाए। एक प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया पूरी करने के बाद, हाल ही में इनमें से कुछ संस्‍थानों को ‘उत्‍कृष्‍ट संस्‍थान का दर्जा देने की घोषणा की गई है। भविष्य में भी यह प्रक्रिया जारी रहेगी।सिम्बियोसिस विश्वविद्यालय में कम से कम एक ऐसे "उत्‍कृष्‍ट संस्थान" के निर्माण और स्थापना का लक्ष्य निर्धारित करें।यह जिम्‍मेदारी विश्वविद्यालय के प्रशासकों और प्राध्यापकों- के साथ साथ आज ग्रेजुएट हो रहे विद्यार्थियों की भी है।मैं आपसे आग्रह करूंगा कि अपनी मातृ संस्था की बौद्धिक और सम्बंधित क्षमताओं की बढ़ोतरी में अपना योगदान जारी रखें।

13. इन्‍हीं शब्दों के साथ, मैं पुनः उन सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूँ जिन्हें आज उपाधि प्रदान की गई है, और पूरे सिम्बियोसिस परिवार को भविष्य की शुभकामनाएं देता हूँ।

धन्यवाद,

जय हिन्द!