“ऑस्ट्रेलिया एंड इन्डिया एज़ नॉलेज पार्टनर्स” शीर्षक पर मेलबर्न विश्वविद्यालय में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन
मेलबर्न : 23.11.2018
1. शिक्षा की इस उच्च पीठ अर्थात मेलबर्न विश्वविद्यालय में आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।1853 में अपने आरम्भ से ही यह संस्था विद्वता, रचनात्मकता और अकादमिक उत्कृष्टता के क्षेत्र में आगे-आगे रही है। नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर पीटर डोहर्टी और प्रोफेसर एलिजाबेथ ब्लैकबर्न के कार्यों से इसके वैश्विक कद और प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी हुई है। विश्वविद्यालय वास्तव में अपने आदर्श वाक्य – ‘POSTERA CRESCAM LAUDE’ अर्थात् जिसका अर्थ है "मैं भावी पीढ़ियों की नज़र में चढ़ता रहूं’’ को सार्थक करता आ रहा है।
2. आज हम ज्ञान के माध्यम से आगे बढ़ने वाली दुनिया में रह रहे हैं। शिक्षा और शिक्षण के मामले में हमारे दोनों देश एक विशेष जुड़ाव से जुड़े हैं। इसलिए, हमारे द्विपक्षीय संबंधों के एक महत्वपूर्ण पहलू- अर्थात् ऑस्ट्रेलिया-भारत ज्ञान साझेदारी,पर आपके साथ अपने विचार साझा करते हुए मुझे खुशी हो रही है। अपनी बात शुरू करने से पहले, मैं ऑस्ट्रेलिया और पूरी दुनिया में भारतीय अध्ययन के क्षेत्र में ए. एल. बाशम, रॉबिन जेफरी और रिचर्ड कैशमैन जैसे विद्वानों के अत्यंत प्रभावशाली योगदान को याद करना चाहता हूं।
देवियो और सज्जनो,
3. ज्ञान और विचारों का आदान-प्रदान आदि काल से ही मानव सभ्यता के केन्द्र में रहा है। युगों से ही, भारत में शिक्षा के माध्यम से लोगों, समुदायों, साम्राज्यों और राष्ट्रों के साथ गहरा जुड़ाव रहा है। दुनिया में सबसे पुराने माने जाने वाले नालंदा विश्वविद्यालय जैसे हमारे देश में शिक्षा के महान संस्थानों ने दुनिया भर से विद्यार्थियों को आकर्षित किया। 7वीं शताब्दी ईसवी में अपने चरमोत्कर्ष के समय, इसके परिसर में दर्शन, धर्म, कानून और विज्ञान के अध्ययन के लिए दुनिया भर से लगभग 10,000 विद्यार्थी अध्ययन किया करते थे।
4. वह एक अलग ही युग था। आज का ज्ञान संयोजन और सहयोग तथा इसका संदर्भ काफी अलग है। हमें अपनी भूमंडलीकृत दुनिया को और आगे ले जाने के लिए परस्पर सहयोग से काम करना होगा; हमें वैश्विक संचार और वाणिज्य को सशक्त बनाने के लिए एक-दूसरे से जुड़ना होगा; और हमें वैश्विक चुनौतियों के जवाब ढूंढने के लिए सहभागी के रूप में हमें अनुसंधान और नवाचार करना होगा।
मेरे प्रिय विद्यार्थियो,
5. दोस्तों और सहभागियों के रूप में, भारत और ऑस्ट्रेलिया बहुत भाग्यशाली हैं। हमारे पास बहुत कुछ एक जैसा है। हमारा जीवंत, बहुसांस्कृतिक लोकतंत्र, स्वतंत्र मीडिया, स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली और अंग्रेजी भाषा हमें एक दूसरे के करीब लाती है। और तो और, क्रिकेट और हॉकी! के साथ-साथ ‘मास्टर शेफ़’ के प्रति हमारे एक जैसे जुनून से यह जुड़ाव और मजबूत होता है।
6. एकजुटता की हमारी मजबूत नींव ने हमारी बढ़ती ज्ञान साझेदारी के लिए आधार तैयार किया है। यह कार्य मुख्य रूप से दो धाराओं के माध्यम से हुआ है: शैक्षिक सहयोग और वैज्ञानिक सहकार। इन दोनों क्षेत्रों में, हमने अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन हम निश्चित रूप से इस सीमा का विस्तार कर सकते हैं तथा ज्ञान के और अधिक क्षेत्रों को इस परिधि में शामिल कर सकते हैं। मैं इस विषय पर थोड़ी देर बाद बात करूंगा।
7. उच्च शिक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारतीय विद्यार्थियों की दूसरी सर्वाधिक पसंदीदा जगह है।आज ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न हिस्सों में लगभग 85,000 भारतीय विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैंlआपकी सरकार की नई कोलम्बो योजना के तहत, पिछले कुछ वर्षों में 1500 से अधिक ऑस्ट्रेलियाई विद्यार्थियों ने भारत में अध्ययन किया और अपने इंटर्नशिप पूरे किये हैं। इसके साथ ही, ऑस्ट्रेलियाई अकादमियों और विश्वविद्यालयों के भारत में कई सहकार्य और कार्यक्रम चल रहे हैं। हमारे शिक्षण केन्द्र पाठ्य विवरण के विकास,शिक्षा-शासन और प्रशिक्षण के लिए विचारों का आदान-प्रदान भी कर रहे हैं।
8. जैसा कि आप जानते हैं कि शिक्षा का क्षेत्र, एक फ़ोर्स मल्टीप्लायर का काम करता है। हमारी सरकारों ने द्विपक्षीय सहयोग के लिए प्राथमिक क्षेत्र के रूप में इसकी पहचान ठीक ही की है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आपकी सरकार द्वारा आरम्भ की गई "भारत आर्थिक रणनीति" में ऑस्ट्रेलिया के लिए "शिक्षा" को प्रमुख क्षेत्र के रूप में चुना गया है। शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ रहे हमारे जुड़ाव में, विद्यार्थियों के आदान-प्रदान की महत्वपूर्ण भूमिका है। पारस्परिक रूप से यह एक लाभप्रद पेशकश है। जहाँ भारतीय विद्यार्थी आपके परिसरों में विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त करते हैं, वे स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए, और असल में वैश्विक मानव-संसाधन पूल के लिए कौशल विकल्प प्रदान करने में सक्षम हैं। हम आपके विश्व प्रसिद्ध कौशल विकास कार्यक्रमों से भी सीख रहे हैं। वे हमारे ‘कुशल भारत’मिशन के अनुपूरक हैं, जिसमें हम अगले कुछ वर्षों में 150 मिलियन लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
9. अब हम अपने बीच वैज्ञानिक सहयोग और अनुसंधान के विषय पर आते हैं। यह ज्ञान सम्बन्धी हमारे जुड़ाव का मूल है। ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष ने इसमें महत्वपूर्ण सहायता की है। मेरी यात्रा के दौरान, 10 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर के योगदान के साथ, दोनों देशों ने कोष के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दुहराया है। ऑस्ट्रेलिया आज भारत के लिए शीर्ष पांच अनुसंधान सहभागी देशों में से एक है और यह फंड किसी एक देश के साथ अनुसंधान सहयोग में ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा निवेश है। इससे 90 से अधिक शीर्ष विश्वविद्यालय और शोध संस्थान एक मंच पर साथ आए हैं। ई-कचरा, आघात प्रबंधन, ऊर्जा, जैव चिकित्सा उपकरणों, नैनो-प्रौद्योगिकी, कृषि और जल-प्रणालियों के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं से हमारे लोगों के जीवन की बेहतरी के लिए नए उत्पादों और प्रौद्योगिकियों का जन्म हुआ है।
10. आपके प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और भारतीय पेट्रोलियम संस्थान से जुड़ी एक सफल परियोजना के कारण एक ऐसी तकनीक का विकास हुआ है जिसके द्वारा "फ्लेयर गैस" को मेथनॉल में परिवर्तित किया जा रहा है। इससे हमें ऊर्जा के संरक्षण और एलपीजी के साथ सम्मिश्रित मेथनॉल के माध्यम से हमारे लोगों को खाना पकाने के स्वच्छतर विकल्प प्रदान करने में मदद मिल रही है। एडिलेड विश्वविद्यालय और भारत के आईसीआरआईएसएटी के बीच चलाई गई एक अन्य परियोजना में चने की एक ‘स्ट्रेस टोलरेंट’ किस्म विकसित की है। इससे जलवायु परिवर्तनशीलता और कीटों से किसानों की रक्षा के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है।
देवियो और सज्जनो,
11. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग की प्रभूत संभावनाएं मौजूद हैं। वृहद-जैव-विविधता वाले देशों के रूप में, भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों जैव-जीनोमिक संपदा के साथ दुनिया को समृद्ध कर सकते हैं और कृषि और मानव स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं। हमारे वैज्ञानिक और विशेषज्ञ साथ मिलकर पर्यावरण में प्रबंधन के लिए जलवायु परिवर्तन अनुकूलन रणनीति और नवाचारी तौर-तरीके विकसित कर सकते हैं। ‘चौथी औद्योगिक क्रांति’ से लोगों को जीवन बेहतर और सतत् होने की उम्मीद मिल रही है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस) और त्वरित संगणना (फ़ास्ट कंप्यूटिंग) अल्गोरिदमों द्वारा संचालित अत्याधुनिक मशीनों से एक स्वच्छ, स्वस्थ और सतत संसार के लिए कई समाधान प्राप्त हो सकते हैं।
12. हमारे लिए समान हितों वाला एक अन्य क्षेत्र है समुद्री क्षेत्र से सम्बंधित अर्थव्यवस्था की विशाल दुनिया। समुद्री संस्कृति के रूप में, ऑस्ट्रेलिया समुद्री पारिस्थिति की और समुद्री क्षेत्र से सम्बंधित अर्थव्यवस्था में अपनी समझ और विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। यह एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां ऑस्ट्रेलिया और भारत हिंद महासागर रिम एसोसिएशन ढांचे के तहत सहयोग कर रहे हैं। और हमें यह सहयोग, केवल आर्थिक लाभ के लिए ही नहीं, बल्कि "भारत-प्रशांत क्षेत्र" की अवधारणा में भी मूल्य संवर्धन की दृष्टि से करते रहना होगा।
देवियो और सज्जनो,
13. ज्ञान-आधारित समाजों के रूप में, हमारे दोनों देशों में उच्च वैश्विक मानकों वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित हैं। प्रतिवर्ष डॉक्टरेट की 4000 से अधिक उपाधि प्रदान करने वाले162 विश्वविद्यालयों के साथ भारत दुनिया भर में तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक और तकनीकी जनशक्ति है।भारतीय स्टार्ट-अप के क्षेत्र में, 2016 में पेटेंट आवेदन 61 के स्तर से15 गुना बढ़कर 2017 में 909 हो गए। वर्ष 2020 तक, भारत के अनुसंधान और विकास सेवा सम्बन्धी बाजार के 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, पारंपरिक चिकित्सा और बुनियादी शोध में भारत की सक्षमता से ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं में नया तालमेल हो सकता है।
14. हमारे दोनों में मौजूद ज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र की मांग है कि अपने बीच चली आ रही साझेदारी का विस्तार करें। हमें स्टार्ट-अप्स और नवाचार की रोमांचक दुनिया के लिए और संभावनाएं तलाशनी चाहिए। इसी प्रकार, हमें साझा उद्योग-अकादमिक क्षेत्र पारिस्थिति की तंत्र की समस्त मूल्य श्रृंखला में हमारी सहायता करने वाले व्यापारिक हितधारकों को भी शामिल करना चाहिए।
15. हमें यह भी देखना चाहिए कि हम शिक्षा सहयोग के साथ अपने वैज्ञानिक जुड़ाव का तालमेल कैसे बिठा सकते हैं। एक आम समझ यह है कि भारतीय विद्यार्थी बड़े पैमाने पर स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। यह चलन बदल रहा है। अब भारतीय विद्यार्थी पोस्ट-डॉक्टोरल अध्ययन और अनुसंधान तथा नवाचार के लिए उत्कृष्टता के वैश्विक केन्द्रों में बड़ी संख्या में नामांकन करा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया-भारत ज्ञान सहभागिता के लिए यह बदलाव, एक नया अवसर प्रस्तुत करता है।
16. ऑस्ट्रेलियाई ज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्योग और भारत का परिवर्तनकारी विकास एक दूसरे की प्रगति और समृद्धि में योगदान कर सकते हैं। हम चाहते हैं कि आप हमारे‘स्मार्ट सिटीज़’ प्रोग्राम, हमारे डिजिटल कनेक्टिविटी प्लेटफ़ॉर्म और हमारे अत्याधुनिक रक्षा विनिर्माण में सहभागी बनें। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के संस्थापक सदस्यों के रूप में, ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों को चाहिए कि हम सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और स्वच्छ और हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करें।
17. हमारी साझेदारी के लिए एक और संभावनाशीलता क्षेत्र- खेल का क्षेत्र है। ऑस्ट्रेलिया एक स्पोर्ट्स पावरहाउस है और भारत भी ऐसा बनना चाहता है। क्रिकेट में, हमने एक-दूसरे से कई तरकीबें सीखी हैं, चाहे वह "दूसरा" हो या सफेद "कूकाबुरा" गेंद से निपटने का कौशल हो। लेकिन हम क्रिकेट के मैदान से आगे बढ़ना चाहते हैं। आपकी खेल विशेषज्ञता से हमें खेल चिकित्सा, खेल प्रबंधन और खेल-कूद भरी जीवन शैली को विकसित करने में मदद मिल सकती है। अपनी ओर से, हम आपके साथ यह साझा करने के लिए हमेशा तैयार हैं कि योग के संतुलन और ऑस्ट्रेलियाई फुटबॉल की गति के बीच तालमेल कैसे बिठाया जाए।
मेरे प्यारे विद्यार्थियो,
18. हमारी ज्ञान भागीदारी, अपने प्रभाव और सहभागिता के मामले में सबसे अधिक लोकतांत्रिक रही है। छात्रों, किसानों, मरीजों, उपभोक्ताओं, महिलाओं और वास्तव में,हमारे समाज के हर वर्ग के लिए यह लाभप्रद रही है। आइए,ऑस्ट्रेलिया-भारत के बीच ज्ञान के सहकार का लाभ जनता की अधिक से अधिक भलाई के लिए इस्तेमाल करने हेतु विद्वानों, शोधार्थियों और नीति निर्माताओं के रूप में परस्पर हाथ मिलाएं।
19. लेकिन ऐसा करते हुए, हमें यह याद रखना चाहिए– कि करुणा और चरित्र के बिना ज्ञान का मूल्य सीमित है। महात्मा गांधी और अन्य महान पुरुषों और महिलाओं के जीवन ने हमें यही सिखाया है। इस वर्ष हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं। कल, प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के साथ सिडनी में उनकी प्रतिमा का अनावरण करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ। मुझे उम्मीद है कि, हम सबके लिए, इस विश्व को बेहतर जगह बनाने का काम करने में उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी।
20. इस अवसर पर मैं आपके साथ अपने विचार साझा करने के लिए मेलबर्न विश्वविद्यालय का एक बार फिर धन्यवाद करता हूं। मैं, आने वाले वर्षों में आपकी सफलता और मनोकामना पूर्ति की कामना करता हूं।