32 वीं इंडियन इंजीनियरिंग कांग्रेस के समापन समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
चेन्नै : 23.12.2017
1. भारत के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने के बाद तमिलनाडु राज्य की यह मेरी पहली यात्रा है। यह इंजीनियर संस्थान (भारत) द्वारा आयोजित32वीं भारतीय इंजीनियरी कांग्रेस के समापन समारोह के साथ हो रही है। यह इंजीनियर और सोशल इंजीनियर की भूमि है जिन्होंने हमारे देश में योगदान दिया है। इसलिए मुझे यहां आकर प्रसन्नता हुई है।
2. इंजीनियरी विषय के साथ सुदृढ़ ढांचे वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी का रोमांच जुड़ा हुआ है। ये विशेषताएं तमिल समाज में अन्त:स्थापित हैं। यदि हम तमिल लोगों के प्रभावशाली इतिहास में झांके तो हमें चोल नौसेना और व्यापार जलयानों की जानकारी मिलेगी जो एक हजार वर्ष पूर्व हिंद महासागर में यात्रा किया करते थे। एक अन्य महान तमिल पल्लव वंश द्वारा निर्मित मामल्लपुरम में तटीय स्मारकों का परिसर और भी पुराना है। मामल्लपुरम की दृष्यावली और जटिल जलनिकासी प्रणाली आज भी शानदार है। ये सभी इंजीनियरी के उन्नत स्तर के नमूने हैं।
3. प्रात: काल, मुझे रामेश्वरम में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम स्मारक की यात्रा करने का सम्मान प्राप्त हुआ। मेरे दो विख्यात पूर्ववर्तियों में स्वर्गीय श्री आर. वेंकटरमन के साथ,डॉ. कलाम तमिलनाडु से थे। उन्होंने एक इंजीनियर के रूप में शिक्षा प्राप्त की और एक मिसाइल प्रौद्योगिकीविद् के रूप में प्रसिद्ध हुए। इससे भी अधिक,वह भारत के एक गौरवपूर्ण सपूत थे। डॉ. कलाम पश्चिम में करोड़ों रुपए अर्जित कर सकते थे परन्तु उन्होंने अपनी शिक्षा और अपना जीवन हमारे देश के विकास के प्रति समर्पित कर दिया। हम सभी को भारतीयों के रूप में और आप सभी को इंजीनियर के रूप में उनसे प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए।
4. जिज्ञासा और साक्ष्य आधारित नीति की भावना तथा लोगों के कल्याण के साधन के तौर पर प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण में अटल विश्वास आधुनिक तमिलनाडु के सार्वजनिक जीवन की पहचान रही है। राजाजी और पेरियार के जमाने से लेकर,राज्य ने सामाजिक सुधार में प्रभावशाली प्रगति की है। हमारी हरित क्रांति तथा खाद्य में आत्मनिर्भरता तमिलनाडु की विभूतियों स्वर्गीय श्री सी. सुब्रमणियन और सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के कारण प्राप्त हुई है।
5. सुधार और जनकल्याण की यात्रा श्री सी.अन्नादुरई और श्री के. कामराज के नेतृत्व में जारी रही। श्री एम.जी. रामचन्द्रन जिनकी जन्म शताब्दी हम इस वर्ष मना रहे हैं, और डॉ. जे. जयललिता ने तमिलनाडु को और अग्रसर किया। मैं प्रतिभावान लेखक और हमारी राजनीति के पितामह श्री एम. करुणानिधि का उल्लेख करना नहीं भूल सकता। हम राजनीतिक और सामाजिक नेताओं ने, मैंने केवल कुछ का ही जिक्र किया है,तमिलनाडु को एक समृद्ध विरासत सौंपी है। तमिलनाडु में आरंभ हुई मध्याह्न भोजन योजना ने कुपोषण से लड़ने का एक मॉडल प्रदान किया है और हमारे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद की है। चाहे वस्त्र निर्माण हो या सूचना प्रौद्योगिकी,निर्धारित विनिर्माण हो या ऑटोमोबाइल तमिलनाडु ने लाखों नौकरियां पैदा करते हुए एक ठोस औद्योगिक अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए इंजीनियरी का प्रयोग किया है।
देवियो और सज्जनो,
6. इंजीनियर संस्थान (भारत) लगभग एक सौ वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना1920 में एक ऐसे संस्थान के रूप में हुई थी जिसने भारत में इंजीनियरी और प्रोद्योगिकी के कार्य को आगे बढ़ाया। इसने मानदण्ड स्थापित किए।1987 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के गठन से पूर्व,इंजीनियर संस्थान देश की इंजीनियरी और तकनीकी शिक्षा को संचालित किया करता था।
7. इंजीनियर संस्थान (भारत) ने अनुसंधान और विकास की संस्कृति को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने पाठ्यक्रम और नवान्वेषण की सीमाओं के विस्तार के लिए इंजीनियरी के स्नातक विद्यार्थियों को भी प्रोत्साहित और प्रायोजित किया है। इससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इंजीनियर संस्थान को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन का दर्जा प्रदान किया है।
8. इंजीनियर परिवर्तन दूत हैं। ऐतिहासिक रूप से, इंजीनियरों ने ही बांध या सेतु निर्माण, लोकोमोटिव या कम्प्यूटरों के डिजायन निर्माण जैसे व्यावहारिक समाधान निकालने के लिए विज्ञान के तर्क का प्रयोग किया है। धातु के आरंभिक औजारों से लेकर एकीकृत सर्किट, 18वीं शताब्दी की औद्योगिक क्रांति से लेकर 21वीं शताब्दी की चौथी औद्योगिक क्रांति तक,इंजीनियरी ने ही भविष्य को अपना स्वर दिया है। आज,कृत्रिम बुिद्ध और संजाल की संभावनाएं खोजने अथवा मेक इन इंडिया की हमारी आकांक्षाओं को साकार करने में,हम एक बार फिर आशाभरी दृष्टि से अपने इंजीनियरों की ओर देख रहे हैं।
9. ये अवसर बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मानव सभ्यता एक मुकाम पर खड़ी है। प्रौद्योगिकी का विकास हमारे रहन-सहन,काम और सोच-विचार को बदल रहा है। यह इंजीनियरी कार्य को भी चुनौती दे रहा है। इंजीनियरी क्षेत्र आगे बढ़ते रहेंगे। कुल मिलाकर हमें अभी भी मशीनी औजार और पावरग्रिड, सड़क, और पुल, विमान और पोत की आवश्यकता है। परंतु इंजीनियरी की इस पारंपरिक परिपाटी के तहत अग्रणी क्षेत्रों में नवान्वेषण को अपनाना और आगे बढ़ाना होगा।
10. उदाहरण के लिए, सिविल इंजीनियर निर्माण सामग्री के विशेषज्ञ होते हैं। वे भवन निर्माण में इस जानकारी का प्रयोग करते हैं। तथापि,मिश्रण और सामग्री की यही जानकारी छोटी जरूरतों जैसे मानव शरीर में चिकित्सीय प्रत्यारोपण का निर्माण तथा बड़ी जरूरतों, उदाहरण के लिए सुविधाएं निर्मित करने और संभवत: अंतरिक्ष में बस्तियां बसाने के लिए इस्तेताल की जा सकती है।
11. विभिन्न क्षेत्रों के घटनाक्रम अंतर-उर्वरण के रास्ते बना रहे हैं। खाद्य प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरणीय इंजीनियरी और परिवहन इंजीनियरी जैसे विषय इंजीनियरी के क्षितिज का विस्तार कर रहे हैं। इंजीनियर विधि, भूगोल और राजनीति विज्ञान जैसे बहुत अन्य विषयों के साथ भी अपने-आप संपर्क बढ़ाएंगे। इंजीनियर,खाद्य, स्वास्थ्य सुविधाओं और पर्यावरण,किफायती और शीघ्र निर्मित किए जाने वाले मकान मुहैया करवाने तथा कम से कम बाधा पैदा करने वाले शहरी ढांचे के विस्तार में हमारे देश के सम्मुख प्रमुख चुनौतियों को हल करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
12. आप पर इन सबकी भी जिम्मेदारी है। इंजीनियरों को कल्पना से परे राष्ट्र निर्माता बनने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। एक बार फिर,यह बिना दृष्टांत के नहीं है। स्वर्गीय एम. विश्वेस्वरैया एक प्रख्यात प्रशासक, सिंचाई विशेषज्ञ और नगर योजनाकार थे। वह एक प्रशिक्षित इंजीनियर थे और उनके जन्मदिन को इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने वाले और इसे हमारे किसानों के लिए प्रासंगिक बनाने वाले डॉ. सतीश धवन एक इंजीनियर थे। भारत के अत्यंत लोकप्रिय ‘मिल्क मैन’वर्गीज कुरियन, जिन्होंने दुग्ध क्रांति का नेतृत्व किया,एक इंजीनियर थे। ‘मैट्रोमैन’ई. श्रीधरन, जिन्होंने अत्यंत विषम परिस्थितियों में इंजीनियरी के अध्ययन के आधार पर ही कोंकण रेल और दिल्ली मेट्रो रेल की शुरूआत की थी।
13. ये इंजीनियरों के ऐसे कुछ उदाहरण हैं जिन्होंने इंजीनियरी के अपने दैनिक कार्य से अलग कार्य किए और हमारे राष्ट्रीय जीवन में योगदान दिया। उनकी कहानियां हमें बताती हैं कि इंजीनियर आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं। यह साहस और उपलब्धि कभी न रुके!
14. इन्हीं शब्दों के साथ, मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद
जय हिन्द !